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Monday 20 November 2017

दिल्ली की चौपट होती कानून -व्यवस्था और अपराधियों के बढ़ते हौंसले को कौन संभालेगा ? गृहमंत्री राजनाथ जी।

      दिल्ली [अश्विनी भाटिया]  देश की राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ समय से कानून -व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। आये दिन लूटपाट ,चोरी और मारपीट की घटनाएं तो एक तरफ खुनी गैंगवार की घटनाएं का ग्राफ भी बहुत ऊपर की ओर चढ़ता जा रहा हैं। दिल्ली में पुलिस सीधे -सीधे उपराजयपाल के माध्यम से केंद्रीय गृहमंत्री के नियंत्रण में है।आश्चर्य की बात यह है कि गृहमत्री सहित देश का पूरा केंद्रीय शासन और प्रशासन भी दिल्ली में होने के बावजूद अपराधियों पर लगाम कसने में पुलिस तंत्र फ़ेल साबित हो रहा है। अगर देश की राजधानी में कानून -व्यवस्था चौपट हो रही है तो शेष देश के स्थिति कैसी होगी यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। देश की आधे से ज्यादा समस्याएं पुलिस की दूषित और भ्रष्ट कार्यप्रणाली की दें हैं।  

            दिल्ली के पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक एक अनुभवी और कुशल पुलिस अधिकारी हैं और दिल्ली उनके लिए नई भी नहीं है. परन्तु इन सब के बावजूद कानून -व्यवस्था की स्थिति दयनीय होना चिंता का विषय है। आज हालात ऐसे बन चुके हैं कि लोग न तो अपने घरों में सुरक्षित हैं और न सड़क पर। यहां तक कि दिल्ली की अदालतों के अंदर भी अपराधी बिना किसी भय के गोलीबारी करके जिसे चाहे मौत के घाट उतार देते हैं। रोहणी कोर्ट में अभी पिछले सप्ताह ही खून की होली खेली गयी है। इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट में जज के सामने गोलीबारी की घटना को अपराधियों ने अंजाम दिया था और उसमें जज साहब बच गए लेकिन एक पुलिस कर्मी बेचारा अपना फ़र्ज़ निभाते हुए शहीद हो गया था। 

          पुलिस अधिकारी दिल्ली में आबादी के हिसाब से पुलिस बल कम होने की बात करके अपनी सारी नाकामी पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं। यह ठीक है कि आबादी के हिसाब से दिल्ली में पुलिस बल कम है परन्तु जो बल मौजूद है वो कितनी ईमानदारी और जागरूकता से अपने कर्तव्य का पालन कर रहा है यह सोचने का विषय है।पुलिस कार्यों के जानकार तो यहां तक कहते हैं कई जब तक थानों में तैनात छोटे पुलिस कर्मियों के सर से उच्च अधिकारियों की फटीक की तलवार नहीं हटेगी तब तक दिल्ली में कोई भी माई का लाल अपराधियों को काबू कर ही नहीं सकता। दूसरे पोस्टिंग में भाई -भतीजावाद और सुविधा शुल्क की बीमारी जब तक खत्म नहीं होगी दिल्ली सुरक्षित हो नहीं सकती। सूत्रों का कहना है कि आज हालात यह है कि थानों के अधिकांश थाना प्रमुखों को सटोरियों से कई -कई लाख की मंथली मिलती है और दूसरे आय के स्रोत अलग से हैं। इसीलिए थाना पाने के लिए कई निरीक्षक जुगाड़ लगाने में व्यस्त रहते हैं। जिनको थाना मिल जाता है वो अपनी कुर्सी पर बने  रहने के लिए किसी न किसी उच्च अधिकारी का वरदहस्त अपने ऊपर बनाये रखने के लिए उसकी सेवा में सैदेव ततपर रहता है और उसकी सारी सुख -सुविधा का ध्यान भी रखता है। पुलिस आयुक्त जितने मर्ज़ी दावे करते रहें परन्तु यह हकीकत सारी जनता जानती है कि कोई भी मकान पुलिसवालों की सेवा किये बिना बन नहीं सकता। सूत्रों का कहना है कि बिल्डर लॉबी बिल्डिंग बनाने से पहले ही अपने थाने के मुखिया को भेंट देता है और यह भेंट प्रति लेंटर के हिसाब से तय होती है। सम्पत्ति -विवाद में भी कई पुलिस अधिकारी पूरी रूचि लेते हैं और अपनी भेंट लेकर दूसरे पक्ष के हितों पर कुलहड़ा चलाकर सिविल मामला बोलकर कोर्ट जाने का मशविरा देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। यह कुछ बीमारी हैं जो पुलिस का अधिक समय अपने ऊपर खर्च करवा लेती हैं शेष समय नेताओं की सुरक्षा में व्यतीत होता है बचा समय कोर्ट - कचहरियों में लग जाता है। तो ऐसे में यह सोचा जा सकता है कि बेचारी पुलिस कानून -व्यवस्था को बनाये रखने का समय कैसे निकाले ?दिल्ली क्या पुरे देश की पुलिस व्यवस्था में आमूल -चूल बदलाव की आवश्यकता है जब तक ऊपर के स्तर पर परिवर्तन नहीं आएगा तब तक जनता के बीच रहकर काम करनेवाले निम्न पुलिस कर्मियों के व्यवहार को नहीं बदला जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह अगर पुलिस को ही कुछ सुधार दें तो देश की बहुत सारी समस्याओं का निदान स्वत ही हो जायेगा। 


पूर्वी दिल्ली नगर निगम में करोड़ों की अवैध उगाही पर अधिकारी और पार्षद मौन क्यों ?

शाहदरा [ सजगवार्ता ] पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अभियंताओं और अधिकारियों की खुली लूट के आगे जहां जनता विवश है वहीं निगम पार्षद नत मस्तक हुए पड़े हैं। इस स्थानीय निकाय के अंतर्गत शाहदरा उत्तरी और शाहदरा दक्षिणी जोन आते हैं और दोनों ही जोनो में कार्यरत अधिकारी मालामाल हैं जबकि दूसरी और सरकारी कोष में सफाई कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पर्याप्त धन न होने का रोना लगातार रोया जा रहा है।  

नगर निगम के मलाईदार विभागों में सबसे ऊपर नाम भवन विभाग का आता है। इस विभाग में कार्यरत अधिकांश अभियंता तो करोड़ों रूपये की चल -अचल सम्पत्ति के स्वामी हैं ही इसके अलावा जो कर्मचारी अवैध रूप से वभवन बेलदार बनकर इलाकों में होनेवाले भवनों से उगाही का काम करते हैं वह भी करोड़ों की सम्पत्ति के स्वामी बन चुके हैं। बताया जाता है कि उगाही के काम के लिए अधिकारियों ने निगम के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं जिनमें -चौकीदार ,बेलदार ,नाला बेलदार ,मैट और कुछ सफाई कर्मी रखे हुए हैं।इनमें से कई तो ऐसे हैं जो पिछले कई वर्षों से उगाही का काम करके करोड़ों -अरबों की चल -अचल ,नामी -बेनामी सम्पत्ति के स्वामी बताये जाते हैं। जानकर सूत्रों का कहना है कि अगर सीबीआई से इन बेलदारों और अभियंताओं की जाँच करवाई जाये तो चौकाने वाले परिणाम सामने आ सकते हैं। कई उगाही करनेवालों ने दिल्ली /एनसीआर /उत्तराखंड / राजस्थान और यूपी में सम्पत्तियाँ खरीदी हुयी हैं। बताया  तो यह भी जाता है कि कई बेलदारों और अभियंताओं ने पैट्रोल पम्प /कृषि फार्म्स /होटल तक बना रखे हैं और यह साडी सम्न्नता इन्होने बिल्डर माफिया के साथ सांठ -गांठ करके पाई है। इस गोरखधंधे में निगम के उच्च अधिकारी और सत्ता के शीर्ष सोपानों पर बैठे पूर्व और वर्तमान जनप्रीतिनिधि बराबर के भागीदार बताये जाते हैं। इसीलिए सब कुछ जानते हुए भी इस अवैध उगाही को रोकने के लिए कोई भी ईच्छुक दिखाई नहीं देता। 
    शाहदरा वार्ड में बिल्डरों से उगाही का काम पिछले कई वर्षों से सुरेंद्र कुमार नाम का सफाई कर्मी करता है। इसकी डियूटी गीता कालोनी पुश्ते पर बताई जाती है। इस वार्ड से कई अभिनता आये और चले गए पर सुरेंद्र को कोई नहीं हटा स्का। अब वार्ड में तैनात कनिष्ठ अभियंता गोपाल लाल मीणा का भी सुरेंद्र खासमखास बना हुआ है। मजेदार बात यह है कि मीणा इसकी सेवा से इतना खुश है कि वो सुरेंद्र को अपने अधीनस्थ दूसरे वार्डों से भी उगाही का काम ले रहा है जिसमें विश्वास नगर वार्ड भी शामिल है। एक सौ गज के एक लेंटर का सुविधा शुल्क पचास हजार से लेकर अस्सी हज़ार तक बताया जा रहा है। जो गरीब आदमी अपने उपयोग के लिए भी छोटा -मोटा निर्माण भी कर  ले तो उसको निर्माण तोड़ने की धमकी देकर पैसा वसूल किया जा रहा है। इस वार्ड से पार्षद निर्मल जैन जो कि शाहदरा दक्षिणी जोनल कमेटी के चेयरमैन भी हैं उनकी जानकारी में यह सब है परन्तु न जाने किस कारण वो भी इसको गंभीरता से नहीं ले रहे। सजगवार्ता प्रतिनिधि ने उनसे इस बारे में पूछा कि सुरेन्द्र किस अधिकार से  उनके वार्ड से उगाही करता है तो उन्होंने बड़ा अटपटा सा  जवाब दिया की उनकी कोई सुनता ही नहीं है। सवाल यह उठता है कि जब उनकी कोई सुनता ही नहीं है तो वो चेयरमैन की कुर्सी पर क्यों जमे हुए हैं ?  
        अब गीता कालोनी  वार्ड की बात करते हैं। इस वार्ड से पार्षद नीमा भगत जी हैं और वह पहले भी इसी वार्ड की पार्षद रही हैं। निगम की समस्त कार्यप्रणाली को भलि भांति समझती हैं। सौभाग्य से वो अब पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मेयर भी हैं। इनके वार्ड में कई वर्षों से महेश कुमार नाम का बेलदार उगाही का काम क्र रहा है और यह भी करोड़ों रूपये की चल -अचल सम्पत्ति का स्वामी बताया जाता है। इसकी ड्यूटी शाहदरा नार्थ जोन की किसी मेंट्नस डिवीजन में बताई जाती है। इसके बारे में सारी जानकारी मेयर महोदया को भी है परन्तु वो भी महेश को हटाने में या तो नाकाम हैं या उनकी सहमति है क्योंकि इसके बारे में इस प्रतिनिधि ने कई दिन पहले बताया था और उन्होंने इस मामले को देखने की बात भी कही थी ,लेकिन महेशजस का तस बना हुआ है और बेखौफ होकर बिल्डिंगों से उगाही कर रहा है। 
           साऊथ अनारकली वार्ड में उमेश नाम का बेलदार उगाही के काम को करने में जुटा हुआ है। उमेश की ड्यूटी शाहदरा साऊथ की ऍम -1 डिवीजन में है और यह अपनी हाजरी लगाकर साऊथ अनारकली वार्ड में बनने वाली बिल्डिंगों से उगाही का काम करता है। इसके बारे में जब ऍम -1 डिवीजन के अधिशाषी अभियंता गगन ख़न्ना से सजगवार्ता प्रतिनिधि ने पूछा तो पहले उन्होंने यह कह दिया कि उनको पता ही नहीं कि उमेश उनकी डिवीजन का कर्मचारी है। फिर कहा कि अगर ऐसा है तो वो इस पर एक्शन लेंगे। आश्चर्य की बात यह है कि उमेश के विरुद्ध अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ। उसके द्वारा उगाही का काम इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक किया जा रहा है। 
          पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सभी वार्डस में बिल्डर माफिया पूरी तरह से सक्रिय है और हर वार्ड में बिल्डिंगों से उगाही के काम को अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के संरक्षण में  सभी नियमों -कानूनों को ताक पर रखकर अवैध बेलदारों से करवाने का गौरखधंधा चलाया जा रहा है। भ्रष्टाचार के इस हमाम में सभी नंगे दिखाई देते प्रतीत हो रहे हैं और ऐसा लगता है कि सारा काम भागीदारी योजना के तहत करोड़ों रूपये की अवैध उगाही का काम निरंतर जारी है। 

Sunday 19 November 2017

प्रथम स्वाधीनता संग्राम की महानायिका झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई

भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज प्रथम स्वाधीनता संग्राम की महा नायिका खूब लड़ी मर्दानी झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का आज जन्म दिन [19 नवम्बर ,1835 ] है। इस अवसर पर इस वीरांगना के चरणों में हमारा शत -शत नमन। राष्ट्रिय  अस्मिता और अपनी जन्मभूमि की रक्षा के लिए भारत माँ की इस बहादुर पुत्री ने अंग्रेजी शासकों से लोहा लिया और लड़ते -लड़ते अपने प्राणों को भी न्योछावर कर दिया। सन 1857 में भारत की स्वतन्त्रता के लिए लड़े गए सशस्त्र संग्राम में झाँसी की रानी मुख्य भूमिका में थी। उसने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हम भारतियों को गर्व होना चाहिए ऐसी वीरांगनाओं पर जिन्होंने युद्ध भूमि में भी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए।  भारत को आज़ाद करवाने के लिए असंख्य लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है हम उन सभी बलिदानियों के ऋणी हैं और हमेशा उनका नाम भारत के इतिहास में अजर -अमर बना रहेगा।

Saturday 18 November 2017

मॉडलिंग में कैरियर बनाने के लिए जी -तोड़ मेहनत कर रहा है कपिल जांगड़ा

पानीपत [अश्विनी भाटिया ] आजकल के युवाओं का रुझान अपनी बॉडी को आकर्षक बनाने और मॉडलिंग के क्षेत्र में जाने की ओर दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। इसी उद्देश्य को लिए आज के युवा जिम में घंटों वर्जिश करते हैं और अपना पसीना बहाते हैं। इसी तरह की महत्वाकांक्षा को मन में लिए यहां के कई युवा अपना पसीना जिम में बहा रहे हैं। समालखा का कपिल जांगड़ा भी इसी तरह के लक्ष्य के साथ अपनी बॉडी को मजबूत बनाकर रैम्प पर उतरने की तैयारी में लगा हुआ है। अभी मात्र 17 वर्ष की आयु में ही कपिल जिम में कड़ी मेहनत करता है और मॉडलिंग की दुनिया में प्रवेश करने का अपना सपना साकार करना चाहता है। हमारे संवाददाता से एक मुलाकात के दौरान उसने बताया कि वह मॉडलिंग में अपना कैरियर बनाना चाहता है और इसी लक्ष्य को सामने रखकर अपना पसीना जिम में बहाता है। कपिल का बड़ा सपना है और वह फ़िल्मी दुनिया का सफर भी  करने का इरादा भी दिल में पाले है। उसने बताया कि फ़िलहाल रैम्प पर उतरने की तैयारी में लगा हुआ है।वह  पहले भी एक प्रयास कर चुका है जिसमें असफल जरूर हुआ परन्तु उसको अब और अधिक लग्न से मेहनत करने का प्रोत्साहन मिला है। उसने कहा कि इस बार वह अवश्य कामयाब होगा उसको इस बात का पूर्ण विश्वास है। आगामी जनवरी में वह फिल्म नगरी मुंबई जाने की तैयारी कर रहा है जहां पर वह अभिनय की औपचारिक  ट्रेनिंग लेकर खुद में छिपी प्रतिभा को निखारकर अपने सपने को साकार बना सके।

Friday 3 November 2017

कांग्रेस ने मुस्लिम वोटों के लिए महाराणा प्रताप की बजाय अकबर को महान बनाया ।

आजकल कुछ राजपूत उस कांग्रेस की वकालत कर रहे हैं जिसने मुस्लिम वोटों की खातिर परम् देशभक्त और महाबलिदानी महाराणा प्रताप को इतिहास की पुस्तकों में कोई महत्व न देकर मुस्लिम आक्रांता के वंशज अकबर को महान बताया। भारत के राष्ट्र भक्तों को सम्मान देनेवाले प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार का का विरोध करते  हुए यह भी कह रहे हैं कि उनको हिन्दू -मुस्लिम से कुछ लेना -देना नहीं है सिर्फ रोटी -रोजी से ही मतलब है। ऐसे लोगों से मेरा तो यही कहना है कि या तो वो राजपूत ही नहीं हैं या उन्होंने राजपूतों का इतिहास ही नहीं पढ़ा है। उनको चाहिए कि वो पहले राजपूतों का सही इतिहास पढ़ लें और कांग्रेस की उसके जन्म से लेकर अब तक की कारगुजारिओं को भी अच्छी तरह से पढ़ -समझ लें। जो राजपूत सिर्फ रोटी -रोजी के लिए जी रहे हैं तो उन पर धिक्कार है क्योंकि राजपूत रोजी -रोटी और अपनी सुख -सुविधा से अधिक अहमियत अपने स्वाभिमान और राष्ट्र के सम्मान को देता है। जो ऐसा नहीं सोचता या तो वह राजपूत ही नहीं है या फिर उसमें राजपूती रक्त का भान ही नहीं है क्योंकि  राजपूत तो जीता ही अपने स्वभिमान और मां भारती के सम्मान की रक्षा के लिए है।  पेट तो कुत्ता भी भर लेता है लेकिन उसको स्वाभिमानी जीवन जीना नहीं आता। दर -दर भटकता है और दुत्कारा जाता है लेकिन फिर भी उन्ही दरवाजों पर बार -बार जाता है। सिर्फ अपनी रोजी -रोटी और ऐशो -आराम के लिए जीनेवाले लोग महाराणा प्रताप के वंशज हो ही नहीं सकते। हो सकता है ऐसी सोच रखनेवालों को मानसिंह और जयचंद से प्यार हो और उनका आदर्श यही लोग हों जिन्होंने अपने निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए अपनी राजपूती आन -बान -शान और स्वाभिमान को तो रौंदा ही साथ ही अपनी मातृभूमि को भी विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं के हवाले कर दिया था।इस बात का भी इतिहास गवाह है की अगर कुछ राजपूत अपने निजी द्वेष और स्वार्थपूर्ति के कारण अपनी ही कौम के विरुद्ध मुस्लिमों का साथ न देते तो यह महान देश भारत मुठीभर विदेशी मलेचछों का सदियों तक गुलाम नहीं बना रहता । महाराणा प्रताप भी अगर अपने निजी स्वार्थों की खातिर अकबर के कदमों में अपना स्वाभिमान गिरवी रख देते तो हो सकता है वो मानसिंह से भी बड़ा औहदा अकबर से प्राप्त कर लेते परन्तु उनकी रगों में दौड़ रहे राजपूती स्वाभिमानी राष्ट्रभक्त खून ने उनको यह नहीं करने दिया। उन्होंने अपनी सुख -सुविधाओं से अधिक अपने स्वाभिमान और मां भारती के सम्मान को अहमियत दी और अपना सब कुछ- राष्ट्र की मान -मर्यादा-मातृभूमि की रक्षा के लिए न्यौछावर कर दिया। हमें गर्व है कि हमारी रगों में आज भी ऐसे स्वाभिमानी महाबलिदानी क्षत्रिय का रक्त दौड़ता है न कि मुस्लिम आक्रांताओं की गुलामी करनेवाले मानसिंह जैसे स्वार्थी लोगों का और हमारा आदर्श पुरुष भी महाराणा प्रताप ही है कोई स्वार्थी पदलोलुप व्यक्ति नहीं। जहां तक कांग्रेस की बात है तो आज़ादी के बाद इसी की सरकार ने देश के राष्ट्र भक्त भारत मां के वीर सपूत महाराणा की कुर्बानी को नजरअंदाज करके विदेशी मुस्लिम आक्रांता अकबर को इतिहास की पुस्तकों में 'अकबर महान 'के रूप में दर्ज़ करवा दिया। आज हमें यह खुद सोचना पड़ेगा और फैंसला भी करना पड़ेगा कि हमारी रगों में स्वाभिमानी राष्ट्रप्रेमी वीर बलिदानी महाराणा का रक्त दौड़ता है या देश और कौम के स्वाभिमान को विदेशी आक्रांताओं के पास गिरवी रखकर अपने स्वार्थ की पूर्ति करनेवाले किसी देशद्रोही का। जय मां भवानी। [अश्विनी भाटीया ]     








 

Tuesday 5 September 2017

पुदिननि में अवैध निर्माणों से चल रहा करोड़ों का गोरखधंधा। निगम पार्षद हुए मौन क्यों ?

दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] पूर्वी दिल्ली नगर निगम में अधिकारियों की सांठगांठ से अवैध निर्माणों का धंधा पुरे जोर -शोर से चल रहा है और भ्रष्टाचार को मिटाने के संकल्प को लेकर जीतकर आये निगम पार्षद भी इस पर मौन धारण किये हुए हैं। कानून और भवन उपनियमोँ को ताक पर रखकर बिल्डर माफिया हर वार्ड में सक्रिय है और निगम के अधिकारी अपनी तिजौरियों को भरने में लगे हैं। बताया जाता है कि भवन विभाग सिर्फ उन्हीं अवैध बिल्डिंगों पर हथौड़ा चलाता है जिनसे उसको सुविधा शुल्क नहीँ मिलता या फिर जिसको गिराने के आदेश कोर्ट ने दिए हों। अफ़सोस की बात यह है कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से कालेधन और भ्रष्टाचार को मिटाने का अभियान चलाये हुए हैं वहीं दिल्ली की नगर निगमों की सत्ता में आसीन उन्हीं की पार्टी भाजपा के लोग इस मुहिम की हवा निकालते नजर आ रहे हैं। 

अभी कुछ माह पहले ही निगम के चुनावों में भाजपा ने अपने लगभग सभी पार्षदों का टिकिट काटकर इस बार के चुनाव में नये चेहरों को उतारा था। शायद इसका कारण यह था कि पार्टी को उनका दामन पाक नहीं लगता था और पार्टी को उनके चुनाव मैदान में उतारने से हार जाने का अंदेशा भी था।जनता ने भी यह सोचकर भाजपा के लोगों को चुनावों में अपना समर्थन दे दिया कि इन नए लोगों को निगमों की कमान सौंपने से शायद भ्रष्टाचार में नाक तक डुबे इन स्थानीय निकायों को मुक्त किया जा सके ,परन्तु जनता और भाजपा हाईकमान की यह सोच अब साकार होती दिखाई नहीं दे रही। नगर निगमों में न तो भ्रष्टाचार खत्म हो पाया है और न ही भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध ही कोई ठोस कार्रवाई होती दिख रही है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आधिकारियों की कार्यप्रणाली में नये पार्षदों के आने के बाद भी कोई भी परिवर्तन नहीं आया। इससे जनता को भी निराशा का सामना करना पड़ रहा है। 

नगर निगम के भवन विभाग में अभी तक अधिकारियों और अभियंताओं ने सभी वार्डों को   कुछ शातिर किस्म के निगमकर्मियों को अवैध निर्माणों से उगाही करने के लिए ठेके पर दे दिया लगता है। नगर निगम में बेलदारों और निम्न कर्मचारियों की भारी भरकम फौज होने के बावजूद भवन विभाग में स्थाई रूप से बेलदार नहीं रखे हुए। बताया जाता है कि यह नीति शातिर किस्म के अधिकारियों के दिमाग की उपज है। अब अधिकारियों ने बेलदारों को रखने का काम अभियंताओं के ऊपर छोड़ रखा है जिसके परिणाम स्वरूप दूसरे विभागों में तैनात कुछ निगमकर्मियों को अवैध रूप से वार्डों में उगाही के काम के लिए अभियंताओं ने रख लिया है। कुछ अभियंताओं ने अपने निजी लोगों को भी इस काम में लगा रखा है। अब इन लोगों के हौंसले इतने बढ़ चुके हैं कि इनमे से कइयों ने तो वार्ड का ठेका ले रखा है और इक निश्चित रकम अभियंता को चुकाकर अपनी जागीर समझ कर उगाही कर रहे हैं। चाहे वार्ड में अभियंता कोई भी आ जाये लेकिन यह लोग टस से मस नहीं हो सकते। सूत्रों का कहना यह है कि सबसे  विचित्र बात तो यह है कि एक ओर जहां आर्थिक तंगी का रोना रोनेवाली पूर्वी दिल्ली नगर निगम अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा न होने की दुहाई देती है वहीं अपने बेलदारों और लेबर की फौज को निठल्ला बैठाकर अवैध निर्माणों को तोड़ने के लिए बाहर के ठेकेदारों से लेबर लेकर करोड़ों की रकम चूका रही है। बाहर से लेबर लेने के गोरख धंधे में भी निगम के अधिकारी मोटी रकम का गोलमाल कर रहे हैं और निगम पार्षद सिर्फ गाल बजाने में लगे हुए हैं क्यों ?

मजेदार बात यह है कि उगाही के काम को करनेवाले इन अवैध कर्मियों में बेलदार ,मैट ,नाला बेलदार ,चपरासी और उपायुक्त कार्यालयों में तैनात पानी पिलाने और घंटी सुनने वाले चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी शामिल बताये जाते हैं। बताया यह भी जाता है कि यह सब कर्मचारी अपने मूल तैनाती की जगह से हाज़री लगा कर इलाकों में उगाही के काम पर निकल जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि  उगाही करनेवाले इन लोगों में से कई तो ऐसे हैं जो पिछले कई वर्षों से इसी काम में लगे हुए हैं और यह चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी करोड़ों रूपये की नामी -बेनामी चल -अचल सम्पति के स्वामी बन चुके हैं। ज्ञात हुआ है कि इनमे से कई लोगों के पास  दिल्ली से बाहर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में  फार्महाउस ,पैट्रोल पम्प ,होटल और कृषि भूमि है जो इन्होने यहीं उगाही के धंधे से बनाई हैं। कुछ उगाही करनेवालों ने अपने निकट संबंधियों के नाम से दिल्ली के पॉश इलाकों में भी कई -कई फ़्लैट भी खरीदे हुए हैं। 

अब देखना यह है कि नगर निगमों में चल रहे करोड़ों की उगाही के इस धंधे की जाँच की जाती है या नहीं ? वैसे इसकी जानकारी निगम को चलनेवाले शासकों -प्रशासकों को भी भली भांति है। 

Friday 1 September 2017

यह कत्ल है या कुर्बानी ? कुर्बानी हमेशा कमजोरों की ही दी जाती है,शेरों की नहीं।

इसे कुर्बानी कहे या कत्ल ?

 मेरी समझ मे यह नही आता कि हम बेजुबान  ,निरिह और मासूम जानवरो के बेरहमी से किए गए कत्ल को मुबारक कैसे माने ?किसी को भी किसी की जान लेने की इजाजत नहीं है फिर भी किसी को खुश करने के लिए एक ही दिन में करोड़ों  जानवरों को मौत के घाट उतार कर हम खुशी मनाते हें और इस काम को पुण्य कार्य  सम्झते हें।

 यह तो सार्वभौमिक सच्चाई है कि  कुर्बानी हमेशा से  कमजोरों की ही दी जाती रही  है। क्या कभी शेर की कुर्बानी देने की हिमाकत कोई कर सकता है? तो इसका जवाब न में ही होगा। कुर्बानी के नाम पर किए गए कत्लों को आप कुछ भी कहें लेकिन हम तो इसे कमजोर बेजुबान जीवों के प्रति किया गया अपराध ही कहेंगे। जो लोग और संगठन जीवों पर किए जाने वाले अत्याचार पर हो हल्ला मचाते हें और मीडिया भी दिवाली पर की गई आतिश्बाज़ी को वायु प्रदुषण कह कर शोर मचाता है, उन्हें बेजुबान जानवरों को कत्ल किए जाने पर उनको  साँप क्यों सूंघ जाता है ?

Wednesday 23 August 2017

अवैध उगाही से करोड़ोंपति बने बेलदारों के आगे पु.दि. न. नि. प्रशासन पंगु क्यो ?

शाहदरा /दिल्ली। अफ़सोस की बात है कि हर बात की जानकारी होने के बाद  भी पूर्वी दिल्ली नगर निगम शासन और  प्रशासन में आसीन अधिकारियों के कानों पर अभी तक जूँ नहीं रेंगी है।  अभी तक वार्डों में अवैध भवन निर्माणों  से ऊगाही के काम को करने में लगे अवैध निगम  कर्मियों को नहीं हटाया गया है। यह अवैध निगमकर्मी मजे से खुद और अपने साथियों के साथ मोटी रकमें उगाहने में लगें हुएे हैँ।  शाहदरा दक्षिनी और शाहदरा उत्तरी जोन में भवन विभाग में कार्य कर रहे अवैध बेलदारों और अन्य कर्मियों को हटाने को न तो निगम का प्रशासन और न ही निगम पार्षद ही तैयार दिखाई देते हैँ .इस बात  से अवैध धन्धे को संरक्षण देनेवालों की मानसिकता को भलि भांति समझा जा सकता है। मेयर महोदया के कार्यालय से भी कोई कार्यवाही न होना अच्छा संकेत नहीं है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि उनके अपने गीता कालोनी वार्ड में भी महेश कुमार नाम का बेलदार पिछले लम्बे समय से अवैध निर्माणों से उगाही करने में लगा हुआ  है। इससे निगम की कार्य प्रणाली को सहज ही समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काले धन के विरुद्ध छेड़े गए अभियान पर उन्ही की पार्टी के निगम प्रशासन को चला रहे निगम पार्षदों की कोई अहमियत नहीं है। 
आज भी लक्षमी नगर में पिछले कई वर्षो से विनोद नामका एक निगमकर्मी अवैध निर्माण से ऊगाही करके उच्च अधिकारियों और अपने राजनैतिक  आकायों तक पहुँचाने में लगा हुआ  है। बताया जाता है कि त्यागी ना होते हुएे भी खुद को विनोद त्यागी कहने वाले इस निगमकर्मी के आगे पूरा निगम प्रशासन नत मस्तक है .इस कर्मी की ड्यूटी किसी दुसरे स्थान पर है लेकिन किसी की भी बड़े अधिकारी में इतनी  हिम्मत नहीं जोकि  इस चतुर्थ श्रेणी के कर्मी के विरुध कोई कदम उठा सकें। बताया जाता है कि इसने पश्चिमी यू पी स्थित अपने गांव और उसके आस -पास अन्य क्षेत्रों में  करोडों रूपये की चल -अचल सम्पति के एकत्र कर रखी है जिसमे बेनामी सम्प्पति भी शामिल है। करोड़ों की सम्पति के  मालिक बन चुके इस निम्न् श्रेणी के कर्मचारी के विरुध कौनसा उच्च श्रेणी का अधिकारी कार्यवाही करेगा देखने की बात है।
इसी तरह से गीता कालोनी में महेश कुमार ,कृष्णा नगर में सचिन और अशोक कुमार ,शाहदरा में सुरेंद्र कुमार भी इसी काम में बेखोंफ लगें हैँ और निगम प्रशासन इनके सामने पंगु बना हुआ  हैँ। 
अवैध उगाही से करोड़ों की सम्पति की नामी - बेनामी की सम्पति के स्वामी इन बेलदारों की उच्च स्तरीय जाँच हो तो यहां भी जमे कई यादव सिंह बेनकाब हो सकते हैं। मजेदार बात यह है कि कुछ माह पहले सम्पन्न हुए दिल्ली की तीनों नगर निगमों के चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा हाईकमान ने पिछली बार के लगभग सभी निगम पार्षदों को चुनाव में खड़ा नहीं किया था और निगम को स्वच्छ और भ्रष्टाचार रहित बनाने की सोच से नए लोगों को चुनाव लड़वाया। अच्छी बात यह हुयी कि दिल्ली की जनता ने भी पार्टी के इस निर्णय पर अपनी मोहर लगा दी और तीनो निगमों में भाजपा को सत्ता सौंप दी। अफ़सोस इस बात का है कि कुछ महीनों में ही निगमों में जीत कर आये नए पार्षदों ने भी अपने पूर्वर्ती पार्षदों की राह पर चलना ही अच्छा समझा और न तो निगमों से भ्रष्टाचार समाप्त हो पाया और न ही भ्रष्टतंत्र  पर कोई लगाम कसी जा सकी। 

Thursday 17 August 2017

दिल्ली की नगर निगमों के शासकों -प्रशासकों के यहां छापे कब लगवायोगे मोदी जी ?

दिल्ली।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां कालेधन से  भारत को मुक्त करने की मुहीम चलाये हुए हैं वहीं उनकी नाक  के नीचे दिल्ली की तीनों नगर निगमों में उन्हीं की पार्टी के लोगों पर इस मुहीम का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है और सत्ता में आसीन भाजपा के लोगों की रूचि भी शायद  इसको स्वच्छ करने में दिखाई नहीं देती है।  निगम को भ्रष्टाचार  से मुक्ति दिलाने में क्यों सत्तारूढ़ दल के लोगों की रूचि नहीं है इसका कारण आसानी से समझा  सकता है।

                   पू दि न निगम के दोनों जोनो -शाहदरा उत्तरी और दक्षिणी के भवन विभाग में करोड़ों रूपये की बंदरबांट पिछले लम्बे समय से चल रही है  इसमें शासन और प्रशासन में बैठे लोग बराबर के भागीदार बने हुए हैं। बताया जाता है कि अधिकांश निगम पार्षद भी  भ्रष्टाचार में पूरी तरह से भागीदारी निभा रहे हैं।भवन विभाग में ऊपर से लेकर नीचे तक अवैध निर्माणों से उगाही गयी रकम का बंटवारा पद के हिसाब से होता है। इस विभाग में सारा खेल कनिष्ठ अभियंता और उनके द्वारा अपने - अपने अधीनस्थ वार्डों में रखे गए अवैध बेलदारों के माध्यम से चलाया जाता है। नगर निगम के प्रशासन ने जानबूझ कर भवन विभाग में नियमित बेलदारों की नियुक्ति नहीं की हुयी है। इस नीति के कारण भवन विभाग के जे ई और ऐ ई अपनी मर्जी से जिसको चाहें उसको अपने क्षेत्र में बिल्डरों से उगाही करने के लिए बेलदारों को नियुक्त किये हुए हैं। इन अवैध नियुक्तियों में कई अधिकारीयों और पार्षदों ने अपने निजी लोगों को नियुक्त किया हुआ है जो प्रतिमाह करोड़ों रूपये की उगाही करके अपने आकाओं तक पहुंचा रहे हैं। इस तरह से निगम के शासक और प्रशासक प्रधानमंत्री के कालेधन के विरुद्ध चलाये गए अभियान को पलीता लगाने में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री अगर नगर निगमों के भवन विभाग अवैध बेलदारों की ही जाँच करवा लें तो हज़ारों करोड़ की चल -अचल सम्पत्ति बाहर आ सकती है। अभियंता ,अधिकारी और नगर सेवकों के पास इकठा हुआ काला धन तो इससे भी कहीं अधिक होगा। जारी ......    

गीता भवन राधा -कृष्ण मन्दिर में कृष्ण जनमोत्स्व पर भव्य आयोजन किया गया

शाहदरा [दिल्ली ]  यहां भोलानाथ नगर स्थित गीता भवन [श्री राधा कृष्ण ] मंदिर मेँ कृष्ण जन्माष्टमी को बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस आयोजन को मंदिर की संचालन समिति नव निर्मित गीता भवन सभा       [रजि।  ] द्वारा किया गया था। इस अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीला से जुडी हुई सुन्दर झाँकियों को बनाया गया। एक झाँकी में सरदार भगत सिंह सुखदेव राजगुरु को फांसी देने की घटना को चित्रित किया गया। नेताजी सुभाष बोस की झाँकी देश के प्रति  त्याग के संदेश को देने का प्रयास किया गया। इस समारोह में हजारों की संख्या में लोगों म ने झाँकियों का अवलोकन किया और भगवान श्री कृष्ण के दर्शनों का लाभ प्राप्त किया। समारोह में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार राय , दिल्ली के पूर्व मंत्री डॉ नरेंद्र नाथ ,पूर्व विधायक शाहदरा जितेंद्र सिंह शंटी ,निगम पार्षद निर्मल जैन ,भाजपा नेता कमल कांत और उनकी निगम पार्षद पत्नी अंजू कमलकांत ,पंचानंद गुप्ता , समाजसेवी महेश अग्रवाल और अक्षय जी का मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष अश्विनी भाटिया ने स्वागत किया।  इस अवसर पर अश्विनी भाटिया ने कहा  कि आज भी भगवान श्री कृष्ण की नीतियों पर चलकर हिन्दू धर्म पुरे विश्व में अपनी कीर्ति फैला सकता  है और भारत भी महा शक्ति के रूप में पुरे विश्व में अपना से उपस्थित भक्तों को भगवान श्री कृष्ण के दर्शन लाभ करवाया। अंत में सभी भक्तों में मक्खन मिस्थान बना सकता है।  समारोह के सफल आयोजन में सभा के उपाध्यक्ष सुभाष रंगा ,महासचिव बिजेंद्र गुप्ता ,  कोषाध्यक्ष टीटू सहगल ,सहसचिव शैलेन्द्र दत्त ,रमन भाटिया ,रवि आहूजा ,सुदर्शन बब्बू ,जयभगवान शर्मा ,रमेश ढींगरा ,जुगल सहगल ,रविंद्र नाथ और मंदिर के प्रबंधक प्रेम चंद गुप्ता ने अथक परिश्रम का योगदान रहा। मन्दिर  के पुजारी राजेश गौड़ ने कृष्ण जन्म से जुडी कथा सुनाकर  और भजन कीर्तन व् आरती श्री सहित प्रसाद  का वितरण किया गया।







Saturday 18 February 2017

पीड़ित सिपाही ने कोर्ट में दायर किया केस। गोकुलपुरी एस एच ओ व अन्य तीन एस आई को बनाया आरोपी

[दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ]
दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] भारत को अंग्रेजी गुलामी  से मुक्ति पाए बेशक 70  वर्ष होने को हैं परन्तु देश की पुलिस अंग्रेजी मानसिकता की आज भी गुलाम बनी हुयी है। अंग्रेजों ने पुलिस की स्थापना अपने विरुद्ध उठनेवाली जनता की हर आवाज़ को डंडे के बल पर दबाना और दमन चक्र चलाने के लिए किया था। साथ ही पुलिस के बड़े पदों पर अंग्रेज़ आसीन होते थे और निम्न पदों पर हिंदुस्तानियों को भर्ती किया जाता था। पुलिस के अंग्रेज़ अधिकारी छोटे कर्मचारियों [हिंदुस्तानियों ] से भी बहुत अपमान जनक व्यवहार करना अपना अधिकार समझते थे और गलियां देना तो उनकी ट्रेनिंग का ही एक जरूरी अध्याय ही होता था।देश से अंग्रेजी हकूमत तो चली गयी मगर उनकी बनाई पुलिस व्यवस्था आज भी कायम है जो कि हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर बदनुमा दाग़ है।आज भी पुलिस जनता को दबाना ,मारना -पीटना अपना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती है वहीं बड़े अधिकारी निम्न कर्मचारियों को अपना गुलाम मानते हुए उनको गाली देना और मानसिक -शारीरिक प्रताड़ना देने से भी बाज़ नहीँ आ रहे।
                देश की राजधानी दिल्ली में भी यहां की पुलिस खुद को जनता का सेवक और शांतिपूर्ण वातावरण में न्याय देने की बातें और दावे तो बड़े - बड़े करती है मगर सच्चाई इन दावों से कोसों दूर है। शांति -सेवा और न्याय देनेवाली दिल्ली दिल्ली पुलिस के दावे और स्लोगन को थाना गोकुलपुरी ने तार -तार करके खोखला साबित कर दिया है। पूरा प्रकरण इस प्रकार है -गत 11फरवरी को नन्दनगरी में तैनात सिपाही दिवाकर सिंह को जो कि अपने थाने से एच आर डी  [हाई रिस्क डिपार्टमेंट ] की ड्यूटी के तहत अन्य साथियों के साथ थाना गोकुल पूरी गया था और चेहरे पर दाने होने के कारण वह अपनी शेव नहीं करवा पाया था। शेव न करवा  पाने की मामूली सी बात पर थाना गोकुल पुरी के एस एच ओ हरीश कुमार और उनके तीन अधीनस्थ उप निरीक्षकों -अमित -राहुल और सुभाष ने उसको बुरी तरह से मारा -पीटा ,जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया और भद्दी -भद्दी माँ -बहन की गलियां दी भी और जब पीड़ित सिपाही दिवाकर ने उन अधिकारियों को इस बात का वास्ता दिया कि वो भी उन जैसा पुलिस कर्मी है उसके साथ यह व्यवहार ठीक नहीं है तो पीड़ित को अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर निलम्बित भी कर दिया  गया। आश्चर्य की बात यह है कि पीड़ित सिपाही द्धारा इस अपमान की शिकायत उच्च अधिकारियों से करने पर उच्च अधिकारियों ने भी  दोषी अधिकारियों के विरुद् कार्रवाई करने की बजाय उसी को नौकरी से बर्खास्तगी का भय दिखाकर चुप लगाने की हिदायत दे दी। बुरी तरह से अपमानित और लज्जित बाल्मीकि समुदाय के इस सिपाही से मारपीट ,गाली -गलौज करने और जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने के साथ ही  उसका फोन भी छीन लिया। जब उच्च पुलिसअधिकारियों ने भी पीड़ित सिपाही का दर्द नहीं सुना तो सिपाही ने अंततः  उत्तर पूर्वी जिला के अतिरिक्त मुख्य दण्डाधिकारी के न्यायालय में अपने अधिवक्ता प्रवीण चौधरी के माध्यम से दोषी एस एच ओ और तीनों उप निरीक्षकों के विरुद्ध आपराधिक परिवाद दाखिल कर खुद को न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होनी निश्चित हुई है।
 पीड़ित सिपाही दिवाकर ने भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 200 के अंतर्गत कोर्ट में दी गई याचिका में निवेदन किया है कि उसके साथ की गई मारपीट, जबरन रोकने,उसको अपनी सरकारी ड्यूटी करने में बाधा उतपन्न करने ,उसका फोन छीनने ,गम्भीर परिणाम भुगतने धमकी देने के साथ -साथ जाति सूचक शब्दों से प्रताड़ित करने के आपराधिक कृत्य के विरुद्ध आई पी सी की धारा 323 /332 /341 /342 /356 /379/506/34 के अंतर्गत आरोपियों को दण्डित करके इंसाफ दिलाने की गुहार की है।  इसके साथ ही पीड़ित सिपाही ने आपराधिक दंड प्रकिया संहिता की धारा 156 [3] का प्रार्थना पत्र देकर इस मामले की एफ आई आर करने और पुलिस के उच्च अधिकारी से समस्त मामले की निष्पक्ष जाँच करवाकर दोषी आरोपियों के विरुद्ध आई पी सी की उचित धारायों में केस चलाने की मांग भी की है।
             दिल्ली के नव नियुक्त आयुक्त श्री अमूल्य पटनायक ने अपना पद भार सम्भालने के बाद सभी थानाध्यक्षों और उपायुक्तों को चेतावनी भरे शब्दों में हिदायत दी थी कि किसी  भी अधिकारी को अपने कर्तव्य में कोताही बरतने पर नहीं बख्शा जायेगा । लगता है कि आयुक्त महोदय की इस चेतावनी का थाना गोकुल पुरी के थानाध्यक्ष हरीश कुमार और उनके अधीनस्थों पर कोई असर नहीं हुआ है। सिपाही दिवाकर के साथ घटित इस प्रकरण से इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जब पुलिस के अधिकारियों का व्यवहार अपने अधीनस्थ निम्न कर्मचारियों के साथ ही अमानवीय है तो वह आम जनता के साथ थानों में क्या सलूक करते होंगे ? 

Sunday 29 January 2017

काश हिन्दू कट्टर और आतंकी होता तो आज बहुत कुछ अलग होता।

 न ही अंग्रेजीकाश हिन्दू क्ट्टर और आतंकवादी होता तो देश और दुनिया का नक्शा कुछ अलग होता। भारत और हिन्दू एक हजार साल तक गुलाम न होता। न कोई मोहम्मद बिना कासिम ,महमुद गजनवी, मोहम्मद गौरी , तैमूर लंग , बाबर, अहमद शाह अब्दाली , नादिर शाह जैसे इस्लामिक  लूटेरे भारत में आकर लूटपाट और रक्तपा न ही मुगल साम्राज्य स्थापित होता ओर न ही औरांगजेब जैसा अत्याचारी शासक हिन्दूयों का नरसंहार करता। शासन भारत को अपना गुलाम बनाता। और न ही ऐ ओ ह्यूम जैसा विदेशी कांग्रेस की स्थापना करता। न ही गांधी- नेहरू- ज़िन्ना जैसे कथित नेता अंग्रेजों के इशारे पर भारत माँ का सीना चिरवाकर पाकिस्तानी नासूर पैदा करते  और न ही लाखों लोगों का कत्लेआम होता और न करोड़ों हिंदुओं को अपनी मातृभूमि को छोड़कर अपने ही देश में शरणार्थी कहलाते। अगर हिन्दू 1947 में भी कट्टर और आतंकी बन जाता तो इस देश में न ही कोई धर्मनिरेक्षता का राग गानेवाला होता और न  ही  देश में साम्प्रदायिकता के विरुद्ध एकजुट होने का नारे लगाने वाले नेता अपना सत्ता हथियाने का खेल खेल रहे होते। काश हिन्दू कट्टर होता तो यह सेकुलरवाद का कीड़ा भी कथित बुद्धिजीवीवियों के दिमाग में अपना घर बनाता।काश हिन्दू अब भी कट्टर और आतंकी हो जाये तो शायद भारत की साडी समस्याओं का हल निकल जाये। शायद ऐसा होता तो  संजय लीला भंसाली जैसा भांड और सिर्फ  पैसे को अपना धर्म -इमान बना चुके और खुद को अभिव्यक्ति का  स्वयंभू पूरोधा मान चुके यह हिन्दू विरोधी मानसिकता से ग्रस्त लोग  पद्मावती जैसी राजपूत वीरांगना के चरित्र का हनन करने की चेष्टा करना तो दूर ऐसी कल्पना भी नहीं कर पाते।  पर अफ़सोस हिन्दू ऐसा नहीं बना है परन्तु अगर हिंदुओं के प्रतिमानों और अस्मिता से कोई खिलवाड़ करेगा तो सदियों से शांति का मन्त्र जाप करनेवाला हिन्दू अब कट्टर और आतंकी बन जाने को मजबूर हो जायेगा।त करते।

Thursday 5 January 2017

शाहदरा बार एसोसिएशन की चुनाव समिति का गठन।प्रवीण चौधरी सदस्य मनोनीत हुए।

शाहदरा /दिल्ली। दिल्ली उच्च न्यायलय के निर्देशानुसार   शाहदरा बार एसोसिएशन की कार्यकारणी के  आगमी चुनावों 18 मार्च 2017 को होने वाले चुनावों हेतु चुनाव समिति का गठन कर  दिया  गया है। अतिरिक्त जिला न्यायाधीश श्री अनुराग सैन की अध्यक्षता में गठित इस समिति में  वरिष्ठ अधिवक्ता और पूर्व सचिव प्रवीण चौधरी और ऐ  के पाण्डेय  को चुनाव समिति का सदस्य मनोनीत किया गया है।  चुनाव समिति द्वारा शाहदरा बार एसोसिएशन के  नए चुनाव हेतु आगामी 18 मार्च 2017 को करवाये जाएंगे।
 ज्ञातव्य हो कि दिल्ली उच्च न्यायालय के निर्देश अनुसार जिला न्यायालयों की बार एसोसिएशन्स के चुनाव जिला न्यायाधीश की अध्यक्षता वाली तीन सदस्यों की समिति द्धारा करवाये जाने का प्रावधान है जिसमें 2 सदस्य अधिवक्ता के रूप में सम्मिलित होंगे। शाहदरा बार एसोसिएशन ने प्रवीण चौधरी और ऐ के पांडेय के नाम सुझाय गए  थे जिनको जिला न्यायधीश की स्वीकृति प्रदान कर दी गई।
 प्रवीण चौधरी के मनोयन से कड़कड़डूमा कोर्ट के अधिकांश वकीलों ने  प्रसन्नता जाहिर की है और  उन्होंने  यह उम्मीद भी व्यक्त की है  कि आगामी चुनाव पूरी तरह से पारदर्शी, निष्पक्ष और शांति पूर्ण तरीके से समन्न होंगे। चुनाव समिति में मनोनीत  होने पर प्रवीण चौधरी ने कहा कि उन पर जो विश्वास शाहदरा बार एसोसिएशन ने  जताया है उस पर खरा उतरने की कोशिश करेंगे। साथ ही उन्होंने  कड़कड़डूमा के सभी वकील साथियों का आभार व्यक्त करते हुए यह भी  कहा कि उनको जो जिम्मेदारी दी गई है उसको पूरी निष्ठा और निष्पक्षता से पूर्ण करने का हर संभव प्रयास करेंगे। चौधरी ने साथ ही कड़कड़डूमा कोर्ट के  सभी साथी वकीलों से यह निवेदन है कि वो सभी उनको अपनी जिम्मेदारी निभाने में अपना पूर्ण सहयोग देंगे ताकि एसोसिएशन की नई कार्यकारणी को चुना जा सके। 

Wednesday 4 January 2017

महान संत -सिपाही गुरु गोबिंद सिंह के बलिदान का ऋण हिन्दू धर्म कभी नहीं उतार सकता

 सवा लाख से एक लड़ाऊँ ,चिड़ियों से में बाज़ तड़ऊँ तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊँ. 


दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] हिन्दू धर्म के महान संत - सेनानायकऔर खालसा पंथ के संस्थापक  गुरु गोबिंद सिंह जी के 350 वीं जयंती [प्रकाश पर्व ] उनके चरणों में हमारा शत -शत नमन। गुरु गोबिंद सिंह ने जो बलिदान हिन्दूधर्म और संस्कृति की रक्षा हेतु दिया उसका ऋण हिन्दू समाज कभी नहीं उतार सकता।हम इस महापुरुष ,महान संत ,कुशलयोद्धा और सर्ववंश बलिदानी गुरगोबिंद सिंह जी की जयंती पर उनके चरणों में अपना शत -२ नमन करते हैं।इनका जन्म पौष सुदी 7 वीं सन 1666 को पटना में माता गुजरी जी और पिता गुरु तेग बहादुर जी के घर हुआ।गुरुजी ने हिन्दू धर्म में व्याप्त कुरीतिओं, अन्धविश्वास ,पाखंड का भी जोरदार तरीके से खंडन किया और बैसाखी के दिन,1699आनंदपुर में खालसा पंथ की सर्जना करके लोगों को मानवता का सन्देश दिया। गुरूजी ने जहां एक ओर अपने पिता नौवें गुरु तेग बहादुर जी को कश्मीरी पंडितों की रक्षार्थ बलिदान देने को प्रेरित किया, वहीं अपने चारों पुत्र को भी धर्म की बलिवेदी पर कुर्बान कर दिया और वह खुद भी अपने जीवनपर्यन्त धर्म की स्थापना के लिए संघर्षरत रहे ।गुरु गोविंद सिंह जहां विश्व की बलिदानी परम्परा में अद्वितीय थे वहीं वे स्वयं एक महान लेखक, मौलिक चिंतक तथा कई भाषाओं के ज्ञाता भी थे। उन्होंने स्वयं कई ग्रंथों की रचना की। वे विद्वानों के संरक्षक थे। उनके दरबार में ५२ कवियों तथा लेखकों की उपस्थिति रहती थी, इसीलिए उन्हें 'संत सिपाही' भी कहा जाता था। वे भक्ति तथा शक्ति के अद्वितीय प्रतीक थे
महाभारत काल में धर्म की स्थापना और अन्याय के विरुद्ध कुरुक्षेत्र के मैदान में युद्ध करने के लिए प्रेरित करते हुए भगवान श्री कृष्ण ने अर्जुन को यह सन्देश दिया कि जब शांति के सारे द्वार बंद हो जाएँ तो और न्याय न मिले तो युद्ध करो।ठीक यही बात मुग़ल काल के दौरान जब इस्लामिक जनून की मानसिकता को पाले औरंगज़ेब जैसे आततायी शासक ने हिन्दुओं पर अत्याचार किए तो उसी समय गुरु गोबिंद ने धर्म के रक्षार्थ इस सन्देश को आत्मसात किया और इस आतंक व् अन्याय के विरुद्ध लड़ने का संकल्प लिया। औरंगज़ेब के बढ़ते जुल्मों और अत्याचारों से अपना मनोबल खो चुकी हिन्दू कौम में शेरों जैसे जोश का संचार किया और कहा कि सवा लाख से एक लड़ाऊँ चिड़ियों सों मैं बाज तड़ऊँ तबे गोबिंदसिंह नाम कहाऊँ।दसवें गुरु गोबिंदसिंह मूलतः धर्मगुरु थे। अस्त्र-शस्त्र या युद्ध से उनका कोई वास्ता नहीं था, लेकिन औरंगजेब को लिखे गए अपने 'अजफरनामा' में उन्होंने इसे स्पष्ट किया था- 'चूंकार अज हमा हीलते दर गुजशत, हलाले अस्त बुरदन ब समशीर ऐ दस्त।'
अर्थात जब सत्य और न्याय की रक्षा के लिए अन्य सभी साधन विफल हो जाएँ तो तलवार को धारण करना सर्वथा उचित है। धर्म, संस्कृति व राष्ट्र की शान के लिए गुरु गोबिंदसिंह ने अपना सब कुछ न्योछावर कर दिया। इस अजफरनामा (विजय की चिट्ठी) में उन्होंने औरंगजेब को चेतावनी दी कि तेरा साम्राज्य नष्ट करने के लिए खालसा पंथ तैयार हो गया है।सिखों के दसवें गुरु गोबिन्द सिंह जी द्वारा रचित देवी चण्डिका की एक स्तुति है। गुरु गोबिन्द सिंह एक महान योद्धा एवं भक्त थे। वे देवी के शक्ति रुप के उपासक थे।
यह स्तुति दशम ग्रंथ के "उक्ति बिलास" नामक विभाग का एक हिस्सा है। गुरुबाणी में हिन्दू देवी-देवताओं का अन्य जगह भी वर्णन आता है।'चण्डी' के अतिरिक्त 'शिवा' शब्द की व्याख्या ईश्वर के रुप में भी की जाती है। "महाकोश" नामक किताब में ‘शिवा’ की व्याख्या ‘ਪਾਰਬ੍ਰਹਮ ਦੀ ਸ਼ਕਤੀ’ (परब्रह्म की शक्ति) के रुप में की गई है। हिन्दू मान्यताओं के अनुसार भी 'शिवा' 'शिव' की अर्धांग्नी भवानी अर्थात (ईश्वर) की शक्ति है।म

Sunday 25 December 2016

भारत की दो महान विभूतिओं - महामना मालवीय और अटलजी के योगदान को देश हमेशा याद रखेगा।इनके जन्मदिन पर शत -शत नमन।


दिल्ली [अश्विनी भाटिया ]  'भारत रत्न ' स्वर्गीय महामना मदन मोहन मालवीय  और पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल बिहारी बाजपेई  भारत के लिए एक महत्वपूर्ण योगदान है।देश की सांस्कृतिक विरासत और राजनीती में विशेष योगदान है। इन दो महान विभूतियों का आज जन्मदिन है। हम समस्त देशवासी इनके देश के निर्माण और विकास में दी गई सेवायों के लिए हमेशा आभारी रहेंगें। इनके चरणों में हमारा शत -शत नमन। पूर्व प्रधानमंत्री श्री अटल जी के भारत के लोकतंत्र को मज़बूत करने और अपने नेतृत्व में भारत को विश्व का  एक परमाणु संपन्न शक्तिशाली राष्ट्र बनाने में महत्वपूर्ण योगदान है। 


 श्री अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म२५ दिसंबर१९२४को ग्वालियर में हुआ था।  वे पहले १६ मई से १ जून १९९६ तथा फिर १९ मार्च १९९८ से २२ मई २००४ तक भारत के प्रधानमंत्री रहे।वे भारतीय जनसंघ की स्थापना करने वालों में से एक हैं और १९६८ से १९७३ तक उसके अध्यक्ष भी रहे। वे जीवन भर भारतीयराजनीति में सक्रिय रहे। उन्होंने लम्बे समय तक राष्ट्रधर्म, पांचजन्य और वीर अर्जुन आदि राष्ट्रीय भावना से ओत-प्रोत अनेक पत्र-पत्रिकाओं का सम्पादन भी किया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रचारक के रूप में आजीवन अविवाहित रहने का संकल्प लेकर प्रारम्भ किया था और देश के सर्वोच्च पद पर पहुँचने तक उस संकल्प को पूरी निष्ठा से निभाया। वाजपेयी राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के पहले प्रधानमन्त्री थे जिन्होंने गैर काँग्रेसी प्रधानमन्त्री पद के 5 साल बिना किसी समस्या के पूरे किए। उन्होंने 24 दलों के गठबंधन से सरकार बनाई थी जिसमें 81 मन्त्री थे। कभी किसी दल ने आनाकानी नहीं की। इससे उनकी नेतृत्व क्षमता का पता चलता है।

उल्लेखनीय है कि महामना मालवीय ने वाराणसी में पहलाकाशी  हिन्दू विष्वविधालय की स्थापना  सन् १९१६ में वसंत पंचमी के पुनीत दिवस पर की गई थी।यह एशिया का सबसे बड़ा विश्वविद्यालय है। महामना मदन मोहन मालवीय (25 दिसम्बर 1861 - 1946) काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के प्रणेता तो थे ही इस युग के आदर्श पुरुष भी थे। वे भारत के पहले और अन्तिम व्यक्ति थे जिन्हें महामना की सम्मानजनक उपाधि से विभूषित किया गया। पत्रकारिता, वकालत, समाज सुधार, मातृ भाषा तथा भारतमाता की सेवा में अपना जीवन अर्पण करने वाले इस महामानव ने जिस विश्वविद्यालय की स्थापना की उसमें उनकी परिकल्पना ऐसे विद्यार्थियों को शिक्षित करके देश सेवा के लिये तैयार करने की थी जो देश का मस्तक गौरव से ऊँचा कर सकें। मालवीयजी सत्य, ब्रह्मचर्य, व्यायाम, देशभक्ति तथा आत्मत्याग में अद्वितीय थे। इन समस्त आचरणों पर वे केवल उपदेश ही नहीं दिया करते थे अपितु स्वयं उनका पालन भी किया करते थे। वे अपने व्यवहार में सदैव मृदुभाषी रहे।कांग्रेस के निर्माताओं में विख्यात मालवीयजी ने उसके द्वितीय अधिवेशन (कलकत्ता-1886) से लेकर अपनी अन्तिम साँस तक स्वराज्य के लिये कठोर तप किया। उसके प्रथम उत्थान में नरम और गरम दलों के बीच की कड़ी मालवीयजी ही थे जो गान्धी-युग की कांग्रेस में हिन्दू मुसलमानों एवं उसके विभिन्न मतों में सामंजस्य स्थापित करने में प्रयत्नशील रहे। एनी बेसेंट ने ठीक कहा था कि"मैं दावे के साथ कह सकती हूँ कि विभिन्न मतों के बीच, केवल मालवीयजी भारतीय एकता की मूर्ति बने खड़े हुए हैं।श्री मालवीय जी का भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष का कार्यकाल 1909–10; 1918–19; 1932-1933 तक रहा।हिन्दी के उत्थान में मालवीय जी की भूमिका ऐतिहासिक है। हिन्दी साहित्य सम्मेलन के प्रथम अधिवेशन (काशी-1910) के अध्यक्षीय अभिभाषण में हिन्दी के स्वरूप निरूपण में उन्होंने कहा कि "उसे फारसी अरबी के बड़े बड़े शब्दों से लादना जैसे बुरा है, वैसे ही अकारण संस्कृत शब्दों से गूँथना भी अच्छा नहीं और भविष्यवाणी की कि एक दिन यही भाषा राष्ट्रभाषा होगी। "सनातन धर्म व हिन्दू संस्कृति की रक्षा और संवर्धन में मालवीयजी का योगदान अनन्य है।" जनबल तथा मनोबल में नित्यश: क्षयशील हिन्दू जाति को विनाश से बचाने के लिये उन्होंने हिन्दू संगठन का शक्तिशाली आन्दोलन चलाया और स्वयं अनुदार सहधर्मियों के तीव्र प्रतिवाद झेलते हुए भी कलकत्ता, काशी, प्रयाग और नासिक में भंगियों को धर्मोपदेश और मन्त्रदीक्षा दी। उल्लेखनीय है कि राष्ट्रनेता मालवीयजी ने, जैसा स्वयं पं0 जवाहरलाल नेहरू ने लिखा है, अपने नेतृत्वकाल में हिन्दू महासभा को राजनीतिक प्रतिक्रियावादिता से मुक्त रखा और अनेक बार धर्मो के सहअस्तित्व में अपनी आस्था को अभिव्यक्त किया।

Thursday 22 December 2016

त्याग और तपस्या की दुर्गम राह पर ही जीवनपर्यंत चले चौ.साहब। उनकी पुण्यतिथि पर हमारा शत -शत नमन ।

कुछ चलते हैं पदचिन्हों पर ,कुछ औरों को राह दिखाते हैं।
हैं सूरमा वही इस धरती पर, जो पदचिन्ह नए बनाते  हैं।।


सादगी ,गंभीरता और समाज के हित में सोच की प्रवृति से ओत -प्रोत मानवीय मूल्यों के लिए किसी से भी समझौता न करनेवाले तवस्वी स्वर्गीय चौधरी शिवराज सिंह [एडवोकेट ] जी, आज के दिन 23 दिसम्बर ,2005 को इस लोक से अपनी जीवनयात्रा को पूर्ण करके परलोक धाम को चले गए। मेरे पिता तुल्य पूजनीय चौ. साहब के सानिध्य में मुझे कई वर्षों तक रहने और इस दुनिया को समझने ,जीने का अवसर मिला है।

वो आज बेशक भौतिक रूप से हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन अदृश्य रूप से अपनी मधुर स्मृतियों के साथ  हमारे मन -मष्तिक में हमेशा बने रहेंगे। आज भी जीवन की राह में आनेवाली कठिन परिस्थितिओं की  तपिश में उनका आशीर्वाद मुझे हवा के शीतल झोंके का अहसास करवाता रहता है ,जो मेरे को हर विकट और प्रतिकूल  परिस्थिति का और भी अधिक हौंसले के साथ सामना करने का साहस प्रदान करता है। मैं  आज उनकी ग्यारहवीं 

पुण्यतिथि पर उनको अपना शत -२ नमन करता हूँ।मैं  ईश्वर से और दिवंगत आत्मा से भी यह प्रार्थना करता हूँ कि वह अपना स्नेह और आशीर्वाद हम पर हमेशा बनाये रहेंगे। 

            चौ. साहब नाम से पहचाने जानेवाले शिवराज जी ने हमेशा समाज कल्याण की सोच और मानवीय दृष्टिकोण को अपने से अलग नहीं होने दिया।  चौ. साहब लम्बे समय तक किसान नेता चौधरी चरण सिंह के निकट सहयोगी रहे और आपात्तकाल [ 1975 -1977 ] के दौरान  कारागार में भी रहे,लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया।  उन्होंने आपात्तकाल के बाद 1977 के आम चुनाव में  जनता पार्टी के टिकट पर  लोकसभा सीट पर लड़ने के चौधरी चरणसिंह के  प्रस्ताव को स्वीकार न करके अपने निस्वार्थ सेवा भाव का जो अनूठा उदाहरण समाज के सामने रखा वह अतुलनीय है। उनके व्यक्तित्व का यह पक्ष  उनके अंतरमन में आसीन एक ऐसे तपस्वी का दर्शन समाज को करवाता है जो सिर्फ इस जीवन में त्याग की भावना को लेकर अपने कर्म मार्ग पर चलने में विश्वास रखता है।उनके सानिध्य में रहकर उन्होंने असंख्य अधिवक्ताओं को  क़ानूनी दांवपेंच बेशक सिखाये हों, परन्तु इसके साथ -२ उन्होंने समाज के  कमजोर और असहाय लोगों की सहायता करने की सीख भी दी। उनके पुत्र प्रवीण चौधरी वर्तमान में एक सफल अधिवक्ता हैं और शाहदरा बार एसोसिएशन के सचिव के रूप में कार्यरत रहे  हैं। स्वर्गीय चौधरी साहब के श्री चरणों में हमारा पुनः  शत -२ नमन। [अश्विनी भाटिया ]  

Monday 19 December 2016

चौ.रामलाल भाटिया ट्रस्ट ने किया निर्धन स्कूली बच्चों को गर्म जर्सियों का निःशुल्क वितरण

 रामगढ़ [अलवर ]यहां 18 दिसम्बर को चौ. रामलाल भाटिया चैरिटेबल ट्रस्ट [रजि। ] द्धारा नाखनौल गांव के राजकीय माध्यमिक प्राथमिक विधालय के निर्धन छात्र -छात्राओं को गर्म जर्सियों का वितरण किया गया। इस समारोह के मुख्य अतिथि रामगढ़ क्षेत्र के विधायक श्री ज्ञानदेव आहूजा थे।मंच संचालन ट्रस्ट के चेयरमैन श्री अश्विनी भाटिया ने किया और आये हुए अतिथियों का स्वागत ट्रस्ट के उपाध्यक्ष विक्रम सिंह ,महासचिव एड्वोकेट प्रवीण चौधरी , प्रचार सचिव रमन भाटिया ,एड्वोकेट शैलेन रॉय ,ट्रस्ट के ग्रामीण सेवा केंद्र के प्रभारी धर्मपाल भाटिया व राकेश भाटिया और योगराज भाटिया ने किया। इनके अतिरिक्त दिल्ली से विशेष तौर से सर्वश्री रणबीरसिंह [अधिवक्ता ] ,बिजेंद्र गुप्ता सहित कई गणमान्य व्यक्ति भी उपस्थित रहे। इसके साथ ही सथानीय भजपा मंडल रामगढ के अध्यक्ष नंदराम गुर्जर ,प्रदीप जैन युवा नेता ,डॉ हिरा लाल [उपाध्यक्ष किसान मोर्चा ],पूर्व सरपंच सुंदर लाल ;बेअंत सिंह भी समारोह में शामिल रहे। थाना नौगांव शिवराम भी इस अवसर पर कार्यक्रम में शामिल हुए। 
                  ज्ञातव्य हो कि यह ट्रस्ट पिछले कई वर्षों से ग्रामीण अंचल में असहाय और कमज़ोर वर्ग के लोगों की सहायता हेतु कार्य क्र रही है। ट्रस्ट के मुख्य ट्रस्टी अश्विनी भाटिया के अनुसार ट्रस्ट गरीब विधवा महिलायों को सरकार से आर्थिक सहायता दिलाने के प्रयास के साथ -साथ अपनी ओर से भी पेंशन के रूप में एक हज़ार रुपये की आर्थिक सहायता उपलब्ध करवाती है। ग्रामीण अंचल के छात्र -छात्राओं को वार्षिक अवार्ड और गर्म जर्सियां भी देती है। 
  समारोह की अध्यक्षता मुख्य अध्यापक श्री रिछ पाल सिंह ने की।ट्रस्ट की ओऱ से 155 बच्चों को निशुल्क जर्सी वितरण की गई। इन जर्सियों का वितरण श्री विजय शर्मा जी के सहयोग से किया गया। इस अवसर पर बोलते हुए विधायक ज्ञानदेव ने ट्रस्ट के लोगों का धन्यवाद करते हुए कहा कि उन्हें इस बात की ख़ुशी है कि अश्विनी भाटिया और उनकी टीम उनके विधानसभा क्षेत्र रामगढ़ के ग्रामीणों की सहायता में पिछले कई वर्षों से सेवारत है इनके इस सराहनीय कार्यों के लिए वह चौ.रामलाल भाटिया चैरिटेबल ट्रस्ट की प्रशंसा करते हैं और भविष्य में ट्रस्ट को सामाजिक कार्यों के लिए हर सम्भव सहयोग देने का विश्वास भी दिलाते हैं। ट्रस्ट ने इस अवसर पर पुलिस विभाग द्धारा प्रशंसनीय कार्य हेतु सम्मानित हुए थाना नौगांव के एस एच ओ शिव राम ,कांस्टेबल भरत सिंह और सुल्तान सिंह को भी समान्नित किया। इनका सम्मान श्री आहूजा के कर कमलों द्धारा किया गया। गांव के नागरिकों लालचन्द ,रामलाल सुंदर भगत ,सुनील कुमार [सरपंच के पति ],डॉ किशन चन्द ,उस्मान खान पंच ,पृथ्वीराज भाटिया पंच ,प्रवीण भाटिया ,गौरव भाटिया , भाटिया और सुरेंद्र भटिया ने आये हुए सभी अतिथियों का स्वागत और उनको धन्यवाद भी दिया।


Tuesday 14 June 2016

यूपी बिहार से पढ़कर आये डॉक्टर्स को गधा मानती है दिल्ली के जीबी पंत अस्पताल की डॉ स्वागता ?

दिल्ली [अश्विनी भाटिया ]।सरकार के लाख दावों के बावजूद सरकारी अस्प्ततालों में कार्यरत डॉक्टर गरीब लोगों का इलाज करने की बजाय उनको दुत्कारना अपना अधिकार समझते हैं। इन अस्पतालों में चाहे वो दिल्ली सरकार के अधीनस्थ हो या फिर केंद्र सरकार के अधीन , सभी में कार्यरत डॉक्टर और दूसरे कर्मचारी अपनी घटिया सोच बदलने को तैयार नहीं हैं और न ही इनको सुधारने में केजरीवाल और मोदी सरकार सफल होती दिखाई देती है।  दिल्ली में स्थित जीबी पंत अस्प्ताल मेंताल मरीजों का इलाज करने में वहां का स्टाफ अपनी हेठी समझता है. यहां के पूछताछ केंद्र पर लोगों को संतोषजनक जानकारी नहीं दी जाती है।रोगियों की सहायता  लिए बनाए गए रोगी सहायता केंद्र के कर्मचारी भी लोगों की मदद करने की बजाय अपना दरवाज़ा बंद करके बैठे रहते हैं और अगर कोई अंदर जाने की हिमाकत करें तो उसको डांट -डपट कर बाहर निकाल देते हैं। गत 10 जून को इसी तरह का प्रकरण यहां देखने में आया है। इस दौरान यह सवांददाता भी वहीं उपस्थित था और  जब इस संबंध में पंत अस्पताल के निदेशक से बात करनी चाही तो उनके कमरे के बाहर बैठे कर्मचारी ने बताया कि साहब छुट्टी पर हैं उनसे नहीं मिला जा सकता। विस्तृत प्रकरण इस प्रकार है कि बड़ौत के एक गांव में रहनेवाले रामपाल को 2 दिंन पहले तेज़ बुखार हो गया और वह अचेत होकर अपने खेत में ही गिर गया था। उसके परिवार वाले उसको वहां प्राथमिक इलाज करवाने के बाद नवीन शाहदरा में रहनेवाले उनके दामाद प्रवीण के यहां ले आए ताकि उनका इलाज सही तरह से हो सके।प्रवीण ने उनको 10 जून को छोटा बाजार शाहदरा स्थित नगर निगम के सिविल अस्पताल में दिखाया।सिविल अस्पताल के डॉकटर ने उनका परीक्षण करने के बाद बताया कि मरीज़ को न्यूरो के डॉक्टर को दिखाना पड़ेगा और जीबी पंत अस्पताल में बिना देर किये ले जाने को कहा  और उनको वहीं के लिए रैफर स्लिप बना दी। यह लोग जब करीब 1 बजे दोपहर पंत अस्पताल के आपत्कालीन केंद्र पहुंचे तो उनको पूछताछ केंद्र पर जाने को कहा गया जब वह वहां गए तो वहां बैठे कर्मचारी ने पर्चा देखकर कहा कि अब कार्ड बनने का टाइम खत्म हो गया है। कल सुबह 4 बजे आकर लाइन में लग जाना और अपना कार्ड बनवा लेना। प्रवीण ने अपने किसी परिचित से इस संबंध में बात करके सहायता मांगी। उनके मिलनेवाले ने दिल्ली सरकार के स्वास्थ्य समिति के प्रमुख अनिल बाजपेई विधायक  के कार्यालय में बात करके उनको कहा कि कहा कि वे वह लोग कमरा न. 38 में बने रोगी सहायता केंद्र में जाकर डॉ स्वागता से मिल लें उनकी समस्या का निदान हो जायेगा।जब वह रोगी सहायता केंद्र में गए तो वहां बैठी 3 महिलाकर्मियों ने उनकी बात नहीं सुनी और डांट दिया और बाहर जाने को कहा। इस पर प्रवीण ने फिर अपने परिचित से यह बात बताई तो उसने उनसे डॉ स्वागता से फोन पर बात करने को कहा। बड़ी मुश्किल से डॉ स्वागता का न. लेकर उनसे बात की गई। काफी देर बाद डॉ स्वागता  आई और उनकी बात सुनकर बोली कि यह वी आई पी अस्पताल है यहां हर किसी का इलाज नहीं हो सकता। शिकायत करता ने जब उनको कहा कि उनको सिविल अस्पताल से यहां रैफर किया गया है तो वह पर्चा देखकर आपसे बाहर हो गईं। वह बड़ी तमतमाती हुई बोलीं कि  दिल्ली  नगर निगम न तो कोई सरकारी संस्थान है और  न ही उनमें बैठे डॉक्टर कुछ जानते हैं।वो कहती हैं कि नगर निगम के डॉक्टर गधे हैं जो यूं पी बिहार से फ़र्ज़ी डिग्री लेकर आए हुए हैं।इनको न तो कोई जानकारी है और न ही कोई अनुभव है। जब उनसे मरीज़ के परिवार वालों ने कहा कि उन्हें इस बात की कोई जानकारी नहीं है कि दिल्ली नगर निगम के डॉक्टर क्या हैं? तो उन्होंने कहा कि  वह तो सिर्फ किसी प्राइवेट अस्पताल या डॉक्टर के लिखी गयी सिफारिश को ही मानती हैं , तुम भी किसी प्राइवेट अस्पताल में चले जायो और वहां से रैफर करवा लायो।जब मरीज के सबंधी ने कहा कि वो गरीब हैं और प्राइवेट में नहीं जा सकते तो  डॉक्टर महोदया तमतमा कर बोली कि ''मैं दिल्ली की हूँ और हमने यूपी -बिहार के लोगों का ठेका नहीं लिया हुआ जो मुंह उठाकर यहां इलाज करवाने चले आते हैं।'अब सवाल यह उठता है कि जीबी पंत की इस डॉक्टर को रोगियों की सहायता के लिए तैनात किया गया है या नगर निगम के डॉक्टर्स की डिग्रियां जाँच करने का जिम्मा दिया गया है।इस तरह के व्यवहार से क्षुब्ध प्रवीण का कहना है कि इस डॉक्टर साहिबा को यू पी बिहार से क्या नफरत है ,जो वह अपने मन में इन राज्यों के प्रति इतनी दुर्भावना पाले हुए हैं ? इसकी उच्च स्तरीय जाँच पड़ताल होनी बहुत आवश्यक है। प्रवीण ने इस संबंध में एक शिकायत केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री और दिल्ली के एल जी ,सी एम सहित उच्च प्रशासनिक अधिकारीयों से करने का मन बनाया है और वह कहते हैं कि ऐसे डॉक्टर्स के विरुद्ध सख्त एक्शन होना चाहिए जो भारी - भरकम सरकारी वेतन लेकर भी गरीब जनता को सेवाएं देना तो दूर बल्कि दुर्व्यवहार करना अपना अधिकार समझते हैं। जबकि इनको इसी काम के लिए वेतन मिलता है कि वह जनता को अपनी सेवाएं दें।अब सवाल यह उठता है कि जीबी पंत की इस डॉक्टर को रोगियों की सहायता के लिए तैनात किया गया है या नगर निगम के डॉक्टर्स की डिग्रियां जाँच करने का जिम्मा दिया गया है। इस तरह के व्यवहार से क्षुब्ध प्रवीण जो कि स्वयं भी पेशे से वकील हैं का कहना है कि इस डॉक्टर साहिबा को यूपी- बिहार से क्या नफरत है,जो वह अपने मन में इन राज्योंऔर उनमें रहनेवाले लोगों  के प्रति इतनी दुर्भावना पाले हुए हैं ? इसकी उच्च स्तरीय जाँच पड़ताल होनी बहुत आवश्यक है।दुःख की बात यह है कि जनता को स्वास्थ्य सेवाएं देने की अपनी मूलभूत जिम्मेदारी हमारे देश और राज्य की सरकारें अपना पल्ला झड़ चुकी लगती हैं। जनता को निजी अस्पतालों की ओर धकेलने में लगी सरकारी मशीनरी का इसमें  पता नहीं क्या छुपा स्वार्थ है कि वह आम जनता को यह सन्देश देने में सफल होती दिखी दे रही है कि सरकारी अस्पतालों में धक्के खाने के बावजूद समय पर उपचार नहीं हो सकता।अतः विवश होकर लोगों को या तो निजी अस्पतालों के चंगुल में फँसना पडता है या बिना इलाज के ही अकाल मौत की आगोश में समाना पड़ रहा है।


Tuesday 12 April 2016

पत्रकारिता कोई व्यवसाय नहीं धर्म है जिसे हमने अपने रक्त से सींचा है

पच्चीस साल पहले की होली आज भी किसी दुःस्वप्न की तरह झकझोर जाती है। जब सारी दिल्ली रंगो में डूब-उतरा रही थी तब हम गुरु तेग़ बहादुर अस्पताल के आपरेशन कक्ष के बाहर अनुजवत उदीयमान पत्रकार अश्विनी भाटिया की जान की ख़ैर मना रहे थे जिन्हें विगत रात्रि को हमारे कार्यालय में घुसकर बदमाशों ने चाकुओं से घायल कर दिया था।
उन दिनों हमारा साप्ताहिक "प्रतीक टाइम्स" प्रकाशित होता था। हम दो व्यक्तियों की टीम के अथक परिश्रम से अपनी लगभग चार वर्ष की अल्पवय में ही साप्ताहिक, साधारणजन की आहत भावनाओं को मुखरित करने का एक सक्षम साधन बन चुका था। भ्रष्टाचार के विरुद्ध सशक्त रूप से अभियान छेड़ने के कारण जहाँ आम नागरिक हमारा हितैषी बन रहा था वहीं हम नौकरशाही, राजनीति और व्यापारिक क्षेत्र में व्याप्त माफ़िया की आँख में शूल की तरह गड़ रहे थे। कालाबाज़ारिए, जमाखोर, मिलावटखोर, घूसखोर आदि हर हरामखोर हमें पटरी से उतारने के मन्सूबे पाल रहा था। पहलेपहल हमें बहुत बड़े बड़े प्रलोभन दिए गए किन्तु हमारी अडिगता देख हमें धमकियाँ भी दी गईं जो कारगर न हो सकीं। तब हमारी टीम को समाप्त करने के लिए सबने दुरभिसन्धि कर हमारे नाम की सुपारी निकाली जो सूत्रों के अनुसार ₹ 6 लाख की थी। 
अब इसे सुयोग कहें या दुर्योग कि पीरी को छोड़ बाक़ी बावर्ची, भिश्ती व ख़र का दायित्व अश्विनी निभाते थे। वही फ़ील्ड में रिपोर्टिंग तथा अन्य व्यवस्थाएँ देखते, सम्भालते थे अतः पत्र के प्रतिनिधि के रूप में जाने जाते थे। उनकी यही पहचान उनके लिए घातक सिद्ध हुई, अन्यथा मैं भी वहीं कार्यालय में बैठा था। अश्विनी कुछ देर पहले मुझे चौराहे पर रिक्शे तक छोड़कर लौटे ही थे कि घात लगाए बदमाशों ने हमला कर दिया। अन्य चोटों के अलावा उनके पेट में गहरा घाव लगा था। उन दिनों सैलफोन नहीं चले थे अत: लगभग आधे घण्टे बाद घर पहुँचने पर मुझे घटना की जानकारी मिली और यह कि उन्हें अस्पताल पहुँचाया गया है। मैं उल्टे पैरों अस्पताल को दौड़ा; फिर अश्विनी के परिवारवाले और हम कुछ मित्रगण ही जानते हैं कि हमारे अगले 48 घण्टे कैसे बीते।
हितैषियों की प्रार्थनाओं एवं आशीर्वाद से कुछ सप्ताह बाद उसी दृढ़ता, प्रतिबद्धता व नए उत्साह से अश्विनी भाटिया ने फिर से अपना मोर्चा सम्भाल लिया। - प्रमोद वाजपेयी 

 

Monday 11 April 2016

आपके चरणों में हम में सदैव नतमस्तक रहेंगे और आपके बताए मार्ग पर जीवनपर्यंत चलेंगें

जांदा होया दस न गया चिट्ठी केडे वतना वल पावां 

राहियां कोलों पुछदी फिरां मैं सजणा दा  सर नावां। 

बिछड़ गयां दियां तांघां रखियां, चार-चुफेरे ढूंढन अखियाँ 
जित्थै ओह्दी दस जे पवे ,जोगी  पर लाके उड़ जावां। 
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 आज से इक्कीस वर्ष पूर्व आप आज के दिन 12 अप्रैल ,1995 को बेशक भौतिक रूप से हमसे दूर चले गए , परन्तु हमारे मन -मस्तिष्क मे  बसी आपकी अमिट मधुर स्मृतियाँ समय -समय पर मुझे इस बात का अहसास कराती रहती हैं कि  आप  हमसे अलग होकर कहीं भी नहीं गए, अपितु आप आज भी हमारे साथ ही हैं। जब कभी -भी किसी ऐसी विपत्ति ने मुझे घेरा जिसमें आपके मार्गदर्शन या सहयोग की आवश्यकता  महसूस हुई तो तब -तब आपने अदृश्य रूप  उस उलझन से निकलने का मुझे मार्गदर्शन देकर अपने  पिताधर्म को निभाया।आपके द्वारा अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध  संघर्ष करने के बताए गए मार्ग पर मैं आज भी चल रहा हूँ । आपने हमेशा यही कहा  कि 'विरोधी चाहे कितना भी शक्तिशाली और प्रभावशाली क्यों न हो अगर हमारे पास सच्चाई और अपने बड़े -बजुर्गों का आशीर्वाद है तो जीत हमें ही मिलनी तय है,'आपकी इसी सीख के कारण मैं  भी समाज के पीड़ित वर्ग के  कमजोर और असहाय व्यक्ति के साथ चट्टान की तरह खड़ा होकर उसकी पीड़ा को मुखर वाणी देकर सत्ता के शीर्ष पर बैठे शासकों तक पहुंचाकर उसकी समस्या का निदान करवाकर ही दम लेता हूँ और आपके आशीर्वाद से जीत हमेशा मेरे साथ आ खड़ी होती है। मेरी आपसे और ईश्वर से यही कामना है कि आपके  स्नेह और आशीर्वाद की छत्रछाया सदैव हम पर बनी रहेगी। मैं आज भी आपके द्वारा दी गई जनहित में कार्य करने प्रेरणा के कारण ही  चौ. रामलाल भाटिया चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से समाज के पिछड़े और कमजोर वर्ग के लोगों के हित में कार्य करने को अपना परम् सौभाग्य मानता हूँ। आपके चरणों में हम सदैव नतमस्तक रहेंगे,और आपके दिखाए रस्ते पर चलकर जीवन व्यतीत करने को ही अपना क्षत्रिय धर्म-कर्म मानते हैं।

Friday 26 February 2016

राहुल गांधी जी देशभक्ति के खून का दावा करके देशद्रोहियों का समर्थन क्यों ?

क्या किसी भी देशभक्त से यह उम्मीद की जा सकती है कि वो अपने देश के विरुद्ध नारे लगानेवाले ,देश की संसद पर हमले के दोषी आतंकवादी के जिंदाबाद करनेवाले और देश की बर्बादी तक जंग लड़ने की भावना दर्शाने वालों का समर्थन करे ?अगर कोई भी व्यक्ति या मिडिया संस्थान ऐसा करे तो उसको कैसे देशभक्त कहा जा सकता है ?इस बात का निर्णय कौन करेगा कि ऐसा कृत्य करनेवाला नागरिक देशभक्त नहीं है ?अपने देश के विरुद्ध ऐसी भावना रखनेवाले व्यक्ति को क्या खुद इस बात का निर्णय करने का अधिकार है कि वह इस दुर्भावना को प्रदर्शित करने के बावजूद भी देशभक्त है ?क्या कोई आरोपी खुद ही अपने को आरोप मुक्त कहकर देश के लोगों को गुमराह कर सकता है ? इस बात का निर्णय देश की न्यायपालिका ही कर सकती है और कर भी रही है। देश की बर्बादी और उसको खंड -खंड करने तक जंग लड़ने वाले छात्रों को या किसी अन्य के विरुद्ध प्रशासन की क़ानूनी कार्रवाई को अनुचित कैसे कहा जा सकता है ?देशद्रोह के  पाप को अभिव्यक्ति की आज़ादी का नाम देकर कैसे उचित ठहराया जा सकता है? लेकिन यह सब भारत के अंदर किया जा रहा है और इसको करने में देश के कई कथित बड़े राजनेता -राहुल गांधी -दिल्ली के सीएम अरविन्द केजरीवाल -वामपंथी दलों के नेताओं सहित कई विरोधी दल के नेता और खुद को बड़ा पत्रकार मानने वाले लोग भी करने में लगे हुए हैं।अफजल गुरु देश की संसद पर हुए हमले का दोषी था और उसको न्यायालय ने फांसी की सज़ा दी थी और उसको यूपीए सरकार के कार्यकाल में फांसी पर टांग भी दिया गया था। अब कांग्रेस के नेता उसकी फांसी पर सवाल उठाकर न्यायपालिका की निष्पक्षता पर भी संदेह पैदा करके कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं। अफसोसजनक बात यह है कि सत्ता छिन जाने के बाद से ही कांग्रेस बुरी तरह से बौखलाई हुई है और ऐसी बौखलाहट में देश के विरुद्ध नारे   लगानेवाले देशद्रोहियों और आतंकवादियों की पैरवी करने की नीचता पर उतर आई है। एक ओर तो राहुल गांधी जेएनयू में भारत विरोधी नारे और भारत के टुकड़े -टुकड़े करनेवालों की हिमायत करने जेएनयू परिसर में पहुँच जाते हैं दूसरी ओर भारत की रक्षा में अपने प्राण न्यौछावर करनेवाले  जवानों के परिवारों के आंसू पोंछने की जरूरत नहीं समझते। राहुल गांधी की यह कौनसी देशभक्ति है ? वह कहते हैं कि देशभक्ति उनके खून में है लेकिन वो हिमायत देश से द्रोह करनेवालों की कर रहे क्यों ? अगर कोई देशद्रोहियों का समर्थन भी करे और खुद को देश के युवाओं के दिलों की धड़कन भी बताए तो उसे क्या समझा जाये ? उनका यह कृत्य किसी भी तरह से उनको देशभक्त साबित नहीं करता। ऐसा कौनसा खून है जो उनकी रगों में हिलोरे मारकर उन्हें देशद्रोहियों का समर्थन करने के लिए बेचैन किये हुए है ? उनका यह कहना कि उन्हें किसी से देशभक्ति के प्रमाणपत्र लेने की जरुरत नहीं है कितनी बचकाना बात है। क्या ऐसे ऐसे व्यक्ति को देशभक्ति का प्रमाणपत्र मिल सकता है जो देशद्रोह के आरोपियों का समर्थन करता हो और अपनी रगों में देशभक्ति के खून होने का दावा भी करता हो ?अपने  नापाक इरादे के साथ देशद्रोह के आरोपियों और आतंकवादी अफजल गुरु के समर्थन में पहले सड़क पर और अब देश की संसद में शोर -शराबा करनेवाले नेताओं के विरुद्ध भी कार्रवाई होनी चाहिए।देशद्रोहियों और आतंकवादियों के पक्ष में आवाज़ उठाने वाले इन नेताओं को संसद से निकालकर बाहर कर देना चाहिए बेशक वो किसी भी सदन के सदस्य हों या किसी भी पार्टी से संबंध रखते हों। यह लोग देश के साथ तो द्रोह कर ही रहे हैं साथ ही अफजल गुरु की फांसी पर भी सवाल उठाकर देश के सर्वोच्च न्यायालय की अवमानना कर रहे हैं। देश की  संसद हो चाहे कोई भी अन्य स्थानीय निकाय का  सदन सभी इस देश की लोकतान्त्रिक व्यवस्था के मंदिर हैं उनमें बैठकर किसी भी सदस्य को भारत के स्वाभिमान पर चोट करने की छूट नहीं दी जा सकती। अगर कोई भी भारत के विरुद्ध जहर उगलने वालों की वकालत करता तो वो भी उसी दंड का भागी होना चाहिए जो एक देशद्रोही को मिलता है। कांग्रेस के लोग जिस तरह से जेएनयू कांड के देशद्रोह के आरोपियों को निर्दोष बताकर उनको बचाने का षड्यंत्र कर रहे हैं वो सीधे -सीधे देश के साथ गद्दारी है और कोई भी गद्दार सज़ा से बच नहीं सकता। [अश्विनी भाटिया ]भी करने में