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Sunday 17 December 2017

विलम्ब से मिला न्याय भी अन्याय। जनता को उसकी भाषा में मिले न्याय -रामनाथ कोविंद

इलाहबाद। राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद ने कहा है कि देश की जनता को न्याय उसी की भाषा में मिलना चाहिए। उन्होंने कहा कि न्यायालयों को यह व्यवस्था करनी चाहिए कि कोर्ट में बहस और फैंसला स्थानीय भाषा में होना चाहिए और हिन्दी कोर्ट निर्णयों का अनुवाद होना चाहिए ताकि आम आदमी इनको सही तरह से समझ सके। अब देखना यह है कि अंग्रेजियत में रंगी भारत की अदालतें महामहिम के इस सुझाव का कितना सम्मान रखती हैं।वैसे देश के कुछ राज्यों की अदालतें इस दिशा में काम करना प्रारम्भ कर चुकी हैं। छतीसगढ़ उच्च न्यायालय में इस और अपने कदम बढ़ा भी दिए हैं और बाकी अन्य अदालतों को इस ओर काम करने की आवश्यकता है।उन्होंने कहा कि ऐसा करने से जहां जनता को अदालती फैंसलों को समझने में आसानी होगी वहीं न्यायालयों का सम्मान भी और अधिक बढ़ जायेगा। 

   राष्ट्रपति महोदय ने कल शनिवार को इलाहबाद के झलवा में प्रस्तावित न्याय ग्राम टाउनशिप की आधारशिला रखने के बाद इलाहबाद उच्च न्यायालय में आयोजित समारोह में अपने सम्बोधन के दौरान यह बात रखी।उन्होंने कहा कि वादकारियों को सस्ता ,सरल और सुलभ न्याय मिलना बहुत आवश्यक है। इससे जनता की नजरों में न्यायालयों का कद और भी अधिक बढ़ जायेगा। महामहिम ने कहा कि न्याय व्यवस्था से जुड़े रहने के दौरान उन्होंने बहुत ही निकट से यह देखा है कि गरीब को न्याय कैसे मिलता है। आज हालात यह हैं कि देश का सामान्य जनमानस न्यायपालिका का दरवाजा खटखटाने से बचता है। वर्तमान व्यवस्था को बदलने का समय आ चुका है। देश में करोड़ों की संख्या में केस विभिन्न न्यायालयों में लंबित पड़े हैं। करीब 40 लाख मामले अटके पड़े हैं और करीब 10 लाख मामले 10 वर्षों से भी अधिक समय से चल रहे हैं। देर से मिला न्याय भी अन्याय की श्रेणी में ही आता है। उन्होंने कहा अब वैकल्पिक न्याय प्रणाली को अस्तित्व में लाने की आवश्यकता है। 

  इस समारोह में सर्वोच्च न्यायालय के न्यायाधीश न्यायमूर्ति अशोक भूषण ,न्यायमूर्ति आर के अग्रवाल ने महामहिम के सम्बोधन से पहले अपना वक्तव्य रखते हुए कहा कि न्याय प्रणाली को अक्षुण्ण रखना बहुत ही आवश्यक है। राज्यपाल राम नाइक ने भी सरल और सुलभ न्यायतंत्र विकसित करने पर जोर दिया और कहा कि न्याय ग्राम टाउनशिप के निर्माण की समीक्षा हर माह करने के लिए एक कमेटी का होना भी जरूरी है।मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ ने भी अपने सम्बोधन में कहा कि उनकी सरकार न्याय प्रणाली को सुद्ढ़ बनाये रखने का और अपने संवैधानिक जिम्मेदारी को भी हर सम्भव निभाने का प्रयास करेगी। 

कोर्ट ने पत्रकार सुहैब इलियासी को माना पत्नी अंजू की हत्या का दोषी। सज़ा का फैंसला 20 को।

शाहदरा /दिल्ली। [रमन भाटिया ] एक समय टीवी चैनल पर अपराधों पर एपिसोड इंडिया मोस्ट वांटेड शो बनाकर मशहूर हुए पत्रकार सुहैब इलियासी अपनी पत्नी की हत्या के दोषी पाए गए हैं। कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायधीश श्री एस के मल्होत्रा  ने गत शनिवार को अभियोजन पक्ष और बचाव पक्ष की बहस और दलीलों को सुनने के बाद आरोपी इलियासी को अपनी पत्नी  की हत्या का दोषी करार दिया कोर्ट द्वारा इस मामले में आगामी 20 दिसंबर को सज़ा पर बहस होने के बाद सजा सुनाई जायेगी। क़ानूनी जानकारों के अनुसार जिन आरोपों में आरोपी दोषी पाया गया है उसमे उसको उम्र कैद तक की सज़ा हो सकती है।सुहैब ने 90 के दशक में भारत में टेलीविजन पर अपराधों पर आधारित सीरियल की शुरुआत की थी और उसको इस शो से काफी प्रसिद्धि भी मिली थी। 

          ज्ञात हो कि गत 11 जनवरी , 2000 को मयूर विहार फेस -1स्थित में सुहैब इलियासी की पत्नि अंजू  अपने घर में चाकू लगने से संदिग्ध हालत में मृत पायी गयी थी पुलिस ने केस की जाँच के बाद 28 मार्च , 2000 को शोएब इलियासी को पत्नि अंजू की हत्या के आरोप में गिरफ्तार कर लिया था और बाद में उसको निचली अदालत से जमानत भी मिल गयी थी। 29 मार्च ,2011 को निचली अदालत में इलियासी के विरुद्ध दहेज प्रताड़ना और दहेज के लिए हत्या के आरोप तय कर दिए गए।भारतीय दंड विधान की जिन धाराओं में इलियासी के विरुद्ध आरोप तय किये गए थे , उनको मृतिका अंजू की माँ रुक्मा सिंह ने दिल्ली उच्च न्यायलय में चुनौति देते हए न्यायालय से हत्या ,सबूत मिटाने सहित अन्य विभिन्न धाराओं के अंतर्गत आरोप तय करने की मांग की। इस पर दिल्ली हाई कोर्ट ने 12 अगस्त ,2014 को इलियासी के विरुद्ध हत्या का केस चलाने का निर्देश जारी किया। हाईकोर्ट ने अपने आदेश में यह कहा अंजू की बहनों के बयानों के बाद प्रथम दृष्टया इलियासी के विरुद्ध हत्या के अपराध का मामला बनता है।अतः आरोपी के विरुद्ध हत्या के आरोप में केस की सुनवाई की जाये।

Friday 15 December 2017

कड़ी मेहनत- सच्ची लगन और मानसिक तैयारी से ही हम अपने लक्ष्य को भेद सकते हैं -गौरव वासुदेव

              मुंबई माया नगरी शुरू से ही देश के युवाओं को अपनी ओर आकर्षित करती रही है। इस नगरी में पुरे देश से नौजवान फ़िल्मी पर्दे पर अपनी उपस्थिति दर्ज करवाने का सपना लेकर जाते हैं। इनकी तादाद हजारों नहीं लाखों में भी हो सकती हैं लेकिन इस भीड़ में से कुछ गिनती के लोग ही अपना सपना साकार कर पाते हैं। इन सौभाग्यशाली युवाओं में से एक नाम हम  गौरव वासुदेव का भी ले सकते हैं जिन्होंने अपने सपने को साकार करने के लिए कड़ी मेहनत की है और अपनी अभिनय कला को निखारने के लिए घोर तप भी किया। बेशक वह छोटे पर्दे पर अपनी पहचान बनाने में सफल हो चुके हैं  मगर वो कहते हैं कि उनकी मंजिल अभी दूर है और उसको पाने के लिए उनका संघर्ष जारी रहेगा।गत  दिनों गौरव वासुदेव के साथ सजग वार्ता डॉट कॉम की ओर से अश्विनी भाटिया की हुयी एक मुलाकत में उनके जीवन से जुडी कई महत्वपूर्ण जानकारियां प्राप्त हुई हैं। यहां उसी बातचीत के आधार पर लिखित यह रिपोर्ट प्रस्तुत है ;

                  पंजाब की सांस्कृतिक राजधानी माने जानेवाले जालंधर में सन 1987 को एक साधारण परिवार में जन्में गौरव वासुदेव कहते हैं कि जब वह दसवीं कक्षा में पढ़ते थे तो उन्होंने तभी से ही अभिनय के क्षेत्र में काम करने की इच्छा मन में पाल ली थी जो वक्त के साथ -साथ और प्रबल होती चली गयी। वह कहते हैं कि उनके परिवार से कोई भी सदस्य पहले इस क्षेत्र में नहीं रहा।2008 में कॉलेज में पढ़ते हुए वह थियेटर से जुड़ गए और यह जुड़ाव ही उनकी अभिनय की दुनिया में आने का प्रवेश द्धार बना।

                     
              स्टार न्यूज में भी कुछ दिन काम करने के बाद उन्होंने कई टेली फिल्मों और विज्ञापन फिल्मों में काम किया। कुछ नाट्य रूपांतरों में भी काम कर चुके गौरव कहते हैं कि मैं अभिनय की दुनिया में अलग -अलग तरह की भूमिकाओं में खुद को जीते हुए देखना पसंद करूंगा। गौरव क्लर  टी वी चैनल पर प्रसारित हुए धारावाहिक उतरन जैसे प्रसिद्ध टी वी  सीरियल में भूमिका निभा चुके हैं। अभी हाल में ऐतिहासिक पृष्ठभूमि पर बने सीरियल पौरस में गौरव को काम करने का मौका मिला है। इसकी शुरआत में ही गौरव को एक महत्वपूर्ण भूमिका मिली जिसको उन्होंने बड़ी खूबसूरती से अदा किया है। जी टी वी पर प्रसारित
 महाराजा रणजीत सिंह धारावाहिक में एक ब्रिटिश की भूमिका निभानेवाले वासुदेव ने इश्कबाज़ सीरियल में एक सिख युवक की भूमिका को बड़े सुंदर तरीके से निभाकर दर्शकों में अपनी खास पहचान बना ली है।ज़ी -टीवी चैनल पर सिन्दबाज़ जिन्दाबाज़  में भी गौरव वासुदेव महत्वपूर्ण किरदार का रोल निभा चुके हैं। इसी तरह से बाल -कृष्ण में भी गौरव को दर्शक एक महत्वपूर्ण भूमिका में देखेंगे। अगले महीने यानि जनवरी 2018 लाँच होनेवाले नये टीवी चैनल डिस्कवरी जीत पर एक धारावाहिक बैटल ऑफ़ सारागढ़ी में भी गौरव वासुदेव को एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते देखा जायेगा। 

         
गौरव ने बताया कि केंद्र सरकार ने जब एक हज़ार और पांच सौ के पुराने नोटों के चलन पर रोक लगा दी तो एक टी वी विज्ञापन में उनको कश्मीरी युवक के रूप में प्रस्तुत किया गया था।इस विज्ञापन में निभाई गई मेरी भूमिका इतनी सशक्त थी कि उसके प्रसारित होने पर मुझे देश के कई अलग -अलग कोणों से दर्शकों की गलियां भी सुनने को मिली। दर्शकों की ओर से मिली इन गलियों से मैंने यह समझ लिया कि मेरे अभिनय को लोगों ने गंभीरता से लिया है जो किसी भी कलाकार के लिए पारितोष से कम नहीं समान समझा जाना चाहिए।
छोटे पर्दे से दर्शकों के बीच अपनी सशक्त अभिनय क्षमता का लोहा मनवा चुके गौरव यह भी कहते हैं कि उनको अभी और कड़ी मेहनत करनी है क्योंकि कड़ी मेहनत ही हमको अपना लक्ष्य पाने के नजदीक ले जाती है। गौरव कहते हैं वह अभिनय के क्षेत्र में अपनी ऐसी उपस्थिति दर्ज़ करवाना चाहते हैं कि जिससे मेरे

 दर्शक मुझसे अगाध प्रेम करने लगे और मेरे पर अपना आशीर्वाद हमेशा बनाये रखें। वह कहते हैं कि वैसे तो उन्हें हर तरह की भूमिकाएं निभाने में आनंद आता है लेकिन फिर भी मैं आक्रामक भूमिकाओं को निभाने में खुद को निभाए जानेवाले पात्र [किरदार ]के ज्यादा समीप और अनुकूल पाता हूँ।  

गौरव भी बड़े पर्दे पर अपनी अभिनय क्षमता का प्रदर्शन करने को बेताब हैं और उनको कई प्रस्ताव भी मिल रहे हैं परन्तु एक कम्पनी के साथ किये गए अनुबंध के कारण अभी वह अपनी स्वेच्छा से कहीं भी अभिनय करने को स्वतंत्र नहीं हैं। वह युवाओं को संदेश देते हैं कि कड़ी मेहनत और सच्ची लग्न के साथ मानसिक तैयारी करके ही अपने द्वारा निर्धारित लक्ष को पाया जा सकता है आधी -अधूरी मेहनत और तैयारी के साथ हमें कुछ भी प्राप्त होनेवाला नहीं है। गौरव का कहना यह भी है कि किसी भी काम में सफलता पाने के लिए व्यक्ति को कभी भी उतावला नहीं  होना चाहिए इससे मानसिक कुंठा भी पैदा हो सकती है जो असफल होने पर हमें अपने मार्ग से विचलित क्र सकती है। हम अपने मार्ग से भटक न सकें तो इसलिए हमें किसी काम  सफलता तक पहुंचने के लिए संयम बरतना चाहिए। संयम से हम अपने लक्ष्य को पाने में  हमें एक अलग प्रकार के आनंद की अनुभूति होती है जो हमें अपने नए मुकाम पर ले जाने को प्रेरित भी करती है। 

 


Tuesday 28 November 2017

कांग्रेस का पटेलों को आरक्षण देने का क्या फार्मूला है स्पष्ट क्यों नहीं करती ?

गुजरात में विधानसभा का चुनावी घमासान धीरे -धीरे बढ़ता जा रहा है।कांग्रेस यहां जातिवादी जहर फैलाकर चुनावी लाभ उठाना चाहती है लेकिन प्रधानमंत्री मोदी का गृह राज्य होने के कारण लगता नहीं की वो अपने मंसूबे में कामयाब हो पाएगी। इस चुनाव में भाजपा पुरे लाव -लश्कर के साथ उतर चुकी है और किसी भी तरह की कमी वो नहीं छोड़ना चाहती है। पटेल समुदाय को आरक्षण दिलाने के नाम पर हार्दिक पटेल कांग्रेस की नाव में सवार हो चुके हैं और इस बात का दावा करते घूम रहे हैं की इस बार गुजरात में कांग्रेस की सरकार बनेगी और पटेल समुदाय को आरक्षण देगी। अब सवाल यह उठता है कि कांग्रेस कैसे पटेल समुदाय को आरक्षण देगी क्योंकि 50 प्रतिशत से ज्यादा आरक्षण पर सुप्रीम कोर्ट ने रोक लगा रखी है ? कांग्रेस को और विशेष रूप से इसके युवराज राहुल गाँधी को इस बात का जवाब देना ही चाहिए कि आरक्षण देने का उनका फार्मूला क्या है ?                      कांग्रेस के नेताओं को शायद यह मति भ्रम हो गया है कि गुजरात की जनता उनके जातिवादी कार्ड में आकर उनकी चुनावी नैया पर लगा देगी। प्रधानमंत्री मोदी भी चुनावी दंगल में कूद चुके हैं और उन्होंने इस चुनाव को गुजरात से बाहर निकाल कर भाजपा को राष्ट्रवाद के मुद्दे पर लड़ने का फार्मूला थमा दिया है। मोदी के आगे राहुल और उनके नए खेवनहार बने हार्दिक पटेल बहुत ही बौने साबित हो रहे हैं।मजेदार बात  तो यह है कि चुनावी रणनीति में माहिर मोदी और अमित शाह कांग्रेस को घेरकर अपने हिसाब से चुनावी दंगल खेलना चाहते हैं और कांग्रेस न चाहते हुए भी इस घेराबंदी में आ चुकी है। कांग्रेस के पास न तो कोई ऐसे नेता हैं जो भाजपा के नेताओं की फ़ौज के आगे टिक सकें और न ही कोई स्पष्ट रणनीति उनके पास दिखाई दे रही है।राजनितिक रूप से अपरिपक्व और  अपनी बेवकूफी भरे बयान देने में माहिर राहुल गाँधी को भी अब खुद को हिन्दू हितैषी दिखाने को मोदी मजबूर कर  चुके हैं।

                गुजरात के चुनाव इस बार भी मोदी के इर्द -गिर्द ही रहनेवाले हैं। पाकिस्तानी आतंकवादी हाफिज सईद की रिहाई पर राहुल गाँधी का पी एम मोदी पर किया गया व्यंग अब कांग्रेस की गले की फ़ांस बनता जा रहा है। हमेशा मुस्लिम तुष्टिकरण की निति को अपनाये रखनेवाली कांग्रेस हिन्दुओं वोटों को हथियाने के लिए जातिवादी विष घोलकर अपना उल्लू सीधा करने के षड्यंत्र में लगी हुयी है। पटेल आंदोलन के समय हार्दिक पटेल के साथ रहनेवाले कई युवा उससे अलग हो चुके हैं। पट्टीदारों और दलितों को अपनी ओर खींचने की फ़िराक में लगी कांग्रेस यह भूल रही है कि अब हिन्दू समुदाय उसको अच्छी तरह से पहचान चुका और वः उसकी तोड़फोड़ की बातों में फँसनेवाला नहीं है। कांग्रेस के  किसी भी षड्यंत्र को गुजरात की जनताइस बार भी कामयाब नहीं होने देगी क्योंकि उसकी असली फितरत को अब वो भली -भांति जान चुकी है। देश और समाज को तोड़कर अपना राजनैतिक उल्लू को सीधा करने की कांग्रेसी की निति अब पूरी तरह बेनकाब हो चुकी है। 

गुजरात की जनता को इस बात का गर्व है कि उनके राज्य का नेता देश का प्रधानमंत्री हैं और वह कभी भी ऐसा काम नहीं करेगी कि उनकी वजह से उनके प्रधानमंत्री को नीचा देखना पड़े। राजनीती के माहिर खिलाडी मोदी भी इस बात को भली -भांति समझते हैं।कांग्रेस का अपरिपक्व नेतृत्व किसी भी तरह से इस चुनावी समर को जीतने में कामयाब नहीं हो सकता क्योंकि जनता मोदी के अब तक के कार्यों से संतुष्ट दिखाई देती है। मोदी सरकार के लगभग साढ़े तीन वर्ष के कार्यकाल में किसी तरह का कोई भ्रष्टाचार का कोई मामला अभी तक सामने न आना भी मोदी के दामन को पाक - साफ साबित करता है। वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के दामन पर भ्रष्टाचार और घोटालों के असंख्य दाग हैं जो किसी भी तरह से न तो धुल पाए हैं और न ही जनता उनको भूल पायी है। [अश्विनी भाटिया ] 

बॉडी बिल्डिंग में मिस्टर वर्ल्ड -2018 का ख़िताब पाना ही मेरा सपना -राजीव खन्ना

आजकल युवावर्ग में जिम जाकर बॉडी बनाने का जनून काफी बढ़ता जा रहा है।कई तो  घंटों पसीना बहाकर अपनी बॉडी को आकर्षक आकार  देकर मॉडलिंग की ओर भी कदम बढ़ा रहे हैं। बहुत से युवा अपनी दमदार और आकर्षक बॉडी के दम पर ही कई बड़ी कंपनियों के ब्रांड अम्बेस्डर बन चुके हैं। बॉडी बिल्डिंग के शो भी कहीं न कहीं आयोजित होते हैं जिसमें शरीर सौष्ठव  प्रतियोगिता में भी वह अपने शरीर का प्रदर्शन करके सम्मान प्राप्त करते हैं। बॉडी बिल्डर,न्यूट्रिशन , जिम ट्रेनर और इंटरनेशनल फिटनेस मॉडल राजीव खन्ना का नाम मॉडलिंग की दुनिया में काफी लोकप्रिय हो चुका है। श्री राजीव खन्ना ओमटेक्स स्पोर्ट्स में ब्रांड अम्बेस्डर हैं और आर के एस्थेटिक्स एंड मसल्स टाउन -दी जिम के स्वामी ,फिटनेस, न्यूट्रिशन एक्सपर्ट और ट्रेनर भी हैं। इस फिल्ड में काम कर रहे   बहुत से युवा राजीव को अपना आदर्श मानते हैं और उनसे प्रेरणा भी लेते हैं।इन्होने ISSA [इंटरनेशनल स्पोर्ट्स साइंसस एसोसिएशन]में भी स्टडी की है। इंडिया बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस फैडरेशन [ IBFF ] नार्थ इंडिया के महासचिव [ पूर्व अध्यक्ष उत्तरप्रदेश स्टेट ] श्री खन्ना  यू पी स्टेट से इकलौते बॉडी बिल्डर हैं जो इंटरनेशनल फिटनेस मॉडल भी हैं और कई देशों में होनेवाले शो में भारत का प्रतिनिधित्व भी कर चुके हैं।  गत दिनों सजगवार्ता डॉट कॉम की ओर से अश्विनी भाटीया की  इस इंटरनेशन फिटनेस मॉडल श्री राजीव खन्ना से उनके जीवन से जुड़े कई पहलुओं पर विस्तृत बातचीत हुई और उनके बारे में बहुत सी जानकारियां भी मिली । यहां उसी बातचीत के कुछ अंश प्रस्तुत हैं ; 

श्री राजीव खन्ना उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में जन्में और पले -बढ़े  हैं। उनके मार्गदर्शन में बहुत युवा अपने शोंक को पूरा करके खुद को मॉडलिंग के लिए तैयार कर रहे हैं।राजीव ने बताया कि पिछले 7 वर्षों से वह अपना पसीना जिम में बहाकर ही आज इस मुकाम तक पहुंचे हैं। राजीव कहते हैं कि बॉडी बनाने के शौकीन युवाओं के लिए जिम में कुशल ट्रेनर की उपस्थिति भी जरूरी है जिसके निर्देशन में वो बॉडी बनाने का अभ्यास सही तरह से कर सकें। यह ट्रेनर ही उनको सही मार्गदर्शन देकर उनके सपने  को साकार करवाते हैं और उनको फैशन शो और रैंप पर प्रदर्शन दिखने के लिए तैयार भी करते हैं। वो कहते हैं कि उचित मार्गदर्शन के अभाव में जिम में मशीनों पर की गई मेहनत और उसके अनुसार डाइट न लेकर कई बार इसके दुष्परिणाम भी भुगतने पड़ सकते है। इसलिए किसी अनुभवी और कुशल जिम ट्रेनर के मार्गदर्शन में ही बॉडी बनाने की एक्सरसाइज  और न्यूट्रिशन से डाइट चार्ट के अनुसार खुराक व सप्लीमेंट्स लेने चाहियें। राजीव का कहना है कि बिना गाइडेंस के बॉडी बनाने के चककर में फ़ूड सप्लीमेंट्स खाना खतरनाक साबित हो सकता है।                  

अपनी मेहनत और लग्न के दम पर राजीव खन्ना एक आकर्षक और मजबूत बॉडी के स्वामी हैं और वह बहुत सी बॉडी बिल्डर्स व् मॉडलिंग प्रतियोगिताओं में शामिल होकर अपनी दमदार बॉडी का प्रदर्शन करके कई अवार्ड भी जीत चुके हैं।अभी 4 नवंबर को ही राजीव खन्ना को इंडिया बॉडी बिल्डिंग एंड फिटनेस फैडरेशन की ओर से आई बी एफ एफ अवार्ड  से सम्मानित किया गया है और उनको फैडरेशन का नार्थ इंडिया का महासचिव पद का कार्यभार भी सौंपा गया है। मॉडल राजीव कहते हैं कि उनका अगला लक्ष्य निकट भविष्य में होनेवाली मि.वर्ल्ड प्रतियोगिता में हिस्सा लेकर [ अपनी शारीरिक  कैटागिरी के अनुसार ]मिस्टर वर्ल्ड का ताज जीतने का है जिसके लिए वो दिन -रात जी -तोड़ मेहनत करने में लगे हुए हैं। उनका कहना है कि मुझे पूरा विश्वास है कि बॉडी बिल्डिंग  कम्पटीशन में मैं मिस्टर वर्ल्ड -2018 का ताज अवश्य पहनूँगा।  राजीव कहते हैं कोई भी व्यक्ति बिना आत्मविश्वास के किसी भी लक्ष्य को नहीं भेद सकता है। अपने सपने को साकार करने के लिए हमें कड़ी मेहनत,आत्मसंयम ,पूरी लग्न और निष्ठा से काम करना चाहिए इनके बिना कोई भी व्यक्ति या ऐथलीट किसी भी प्रतियोगिता में जीतना तो दूर ज्यादा देर टिक भी नहीं सकता है।  इंटरनेशनल फिटनेस मॉडल राजीव खन्ना ने कहा कि मौका मिला तो अभिनय के क्षेत्र में भी वो कदम अवश्य रखेंगे।                    


 


       

Saturday 25 November 2017

मॉडलिंग से शरुवात करके बॉलीवुड में अहम उपस्थिति दर्ज करवा चुके हैं राहुल चौधरी।

        आज कैरियर को बनाने और रोजी -रोटी कमाने की अंधी होड़ ने बहुत सारी प्रतिभाओं को समाप्त कर दिया है। बहुत से लोग अपने अंदर मौजूद विलक्षण प्रतिभा का गला घोंटकर अनिच्छा से जीवन जीने को मजबूर हैं। 

आपको आज बहुत कम ऐसे युवा मिलेंगे जिन्होंने विपरीत परिस्थितियों में भी न तो अपने अंदर के कलाकार को मरने दिया और न ही अपनी दिली इच्छा को दबने दिया। अपने मन में खुद को लेकर बचपन से ही देखे हसीन सपने को साकार करने का जोखिमपूर्ण कदम उठाने वाले बहुत कम लोग ही हैं।ऐसे  ही लोगों में से एक नाम राहुल चौधरी का भी है जिन्होंने अपने बचपन में खुद को अभिनेता बनाने के सपने को साकार करने हेतु सरकारी सेवा को भी तिलांजलि दे डाली।

                    मुंबई महानगरी की फ़िल्मी चकाचौंध ने शुरू से ही युवाओं को अपनी ओर आकर्षित किया है।यहां प्रतिदिन हज़ारों लोग अपनी आँखों में पर्दे पर दिखने का एक ही सपना लेकर आते हैं। यह युवा इस माया नगरी में अपनी उपस्थिति एक ऐसे लोकप्रिय अभिनेता के रूप में दर्ज करवाना चाहते हैं जिसके लाखों चाहने वाले हों।यह सपना देखनेवाली भीड़ में से सिर्फ एक -दो लोग ही अपना सपना साकार कर पाते हैं बाकि कुछ वर्षों तक धक्के खाकर निराश होकर वापिस लौट जाते हैं।                                                      त्तरप्रदेश के गाजियाबाद जिले के महरौली गांव के जाट परिवार में 19 नवंबर ,1986 को जन्मे राहुल चौधरी उन विरले युवाओं में से एक सौभाग्यशाली व्यक्ति हैं जो मायानगरी में अपनी अभिनय प्रतिभा और आकर्षक व्यक्तित्व के दम पर उपस्थिति दर्ज़ करवाने में सफल  हुए हैं। गत दिनों  सजग वार्ता डॉट काम के प्रतिनिधि अश्विनी भाटिया की राहुल चौधरी से हुई मुलाकात में विस्तृत बातचीत हुई। इस बातचीत में उनके जीवन से जुड़े कई अनछुये पहलुओं से लेकर अब तक के फ़िल्मी सफर के बारे में रोचक जानकारी भी मिली। मधुर और सौम्य वाणी के धनी राहुल से की गई बातचीत के आधार पर यहां यह परिचर्चा प्रस्तुत  है ;   

                 राहुल के फ़िल्मी सफर की शुरूवात भी मॉडलिंग से ही हुई है। उन्होंने बहुत सी लघु -फिल्मों के अलावा कई एंटरनटमेन्ट चैनलों पर प्रसारित लोकप्रिय धारावाहिकों में भी विभिन्न सकारात्मक और नकारात्मक पत्रों की भूमिका बड़ी खूबसूरती से निभाई है। जिनमें  स्टार प्लस ,लाइफ ओ के और सोनी चैनल प्रमुख हैं। इन धारावाहिकों में सोनी चैनल पर भारत का वीर सपूत -महाराणा प्रताप ,लाइफ ओ के पर प्रदर्शित नागार्जुन -एक  योद्धा, और कलर चैनल पर प्रदर्शित चक्रवर्ती अशोका सम्राट  में काम करके राहुल दर्शकों में काफी लोकप्रिय हो चुके हैं।

            मेरठ स्थित चौधरी      चरणसिंह विश्वविधालय से कैमस्ट्री ऑनर्स से स्नातक की डिग्री लेने के उपरांत राहुल भारतीय सेना में शामिल हो गए। राहुल जुडो -कराटे भी बहुत अच्छी तरह से जानते हैं। राहुल ने बताया कि परिवार वालों की ईच्छा को मानते हुए उन्होंने यह सरकारी नौकरी प्राप्त तो कर ली लेकिन उनके मन का पंछी तो अभिनय के आकाश में ऊँची उड़ान भरने को फड़फड़ा रहा था। साढ़े चार वर्ष तक अनमने मन से सेना में गुजारने के बाद आखिर राहुल ने इस सरकारी सेवा को वर्ष 2009 में हमेशा के लिए त्याग दिया और घर वापिस लौट आये। एक साल तक घर में रहने के बाद आखिरकार  उन्होंने दृढ़ निश्चय कर लिया कि चाहे उनको कुछ भी करना पड़े वो अपने अंदर छुपे कलाकार को उसके असली मुकाम पर ले जाकर ही दम लेंगे। 

                  राहुल ने दिल्ली स्थित  इलाईट मॉडलिंग मैनेजमेंट स्कुल से मॉडलिंग कोर्स करने के बाद कई प्रसिद्ध फैशन डिजाईनरों  -आसिफ मर्चेंट ,असलम खान ,अनिल होसानी और कोरियोग्राफर लेवल प्रभु के लिए मॉडलिंग का काम किया। इसके अलावा राहुल को लेकर कई प्रसिद्ध ब्रांड्स के लिए प्रिंट फोटो शूट भी किये गए हैं। इसके बाद वह थिऐटर से जुड़ गए। थियेटर में मुजीब खान के साथ 2 साल  तक कड़ी मेहनत की और इस दौरान उनको अपने अंदर छुपे अभिनेता ने खुद को तराशकर  नई चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार किया। राहुल ने दिल्ली स्थित  आईडियल  ड्रामा एन्ड एंटरटेन्मेंट अकादमी [आई डी एम् ए ] से मॉडलिंग का कोर्स किया और नए आत्मविश्वास और जोश के साथ अपना असल सपना साकार करने बॉलीवुड की दुनिया मुम्बई पहुँच गए।

           यहां  राहुल ने मंचीय अभिनय [फिजिकल थियेटर ]की बारीकियों    को गंभीरता से समझा और सीखा। मैं अपने सपने को मूर्त रूप देने के लिए खुद को हर तरह से सक्षम बनाकर ही फ़िल्मी पर्दे की नई पारी खेलना चाहता था और इसीलिए मैंने कड़ी मेहनत के साथ अभिनय कला को सीखने में कोई गुरेज नहीं किया। वह  कहते हैं कि मुजीब खान के साथ काम करके उन्हें अभिनय के कई गुर सीखने का मौका मिला।इसी दौरान उन्होंने कई वर्कशॉप भी अटेंड की। 

                 कई बड़ी और नामी कंपनियों ने राहुल को अपने विज्ञापनों में अपना ब्रांड अम्बेस्डर बना लिया। जिन कंपनियों ने राहुल को लेकर प्रिंट शूट किये उनमें -रेमन्ड ,पोलो मिंट टी वी सी ,एल आई सी ऑफ़ इण्डिया के जीवन लाभ,लूप मोबाईल इण्डिया ,टी क्यू एस गारमेंट्स में इमरान हाश्मी के साथ ,पी एन राव गारमेंट्स [ बैंगलोर] , ईस्ट पॉइंट डेवेलपर्स [बैंगलोर ],सन फार्मेसी [रिटेंस ]और एल एस डी गारमेंट्स प्रमुख हैं। 

       राहुल कई फैशन शो में रैम्प पर उतरकर शो का  मुख्य आकर्षण भी बने हैं। इनमें रायपुर फैशन शो ,भोपाल फैशन शो ,एकुवा फैशन टूर ,ऍफ़ टी वी शो  [पंजाब ],स्टार नाईट फैशन शो ,वी आई पी लगेज शो मुंबई और डी सी सिग्नेचर इंडिया -2016 प्रमुख फैशन शो हैं जिनमें दर्शकों ने राहुल को बहुत पसंद किया। राहुल ने कई लघु फिल्मों में भी कार्य किया है जिनमें -ए मेट्रो जरनी ,सोच -  ,वक्त -एक अहसास और दूर प्रमुख लघु फ़िल्में हैं।इसके अलावा राहुल सावधान इण्डिया ,कोड रेड ,सी आई दी ,एजेंट राघव -क्राइम ब्रांच ,क्राईम पैट्रोल और मर्यादा ;लेकिन कब तक सीरियल में भी अहम भूमिका अदा करके दर्शकों में अपनी पहचान एक अभिनेता के रूप में बना चुके हैं।  

राहुल को श्रेया सिने विजन की दोस्ती जिंदाबाद  फिल्म में मुख्य भूमिका निभाने का जो अवसर मिला यह उनके फ़िल्मी सफर का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। इस फिल्म में शक्ति कपूर ,अयूब खान और मोहन जोशी जैसे बड़े कलाकारों ने भी अभिनय किया था। प्रसिद्ध निर्देशक पार्थो घोष द्वारा निर्देशित अग्नि साक्षी फिल्म में जरीना वहाब और जीनत अमान जैसे स्थापित फिल्म अभिनेत्रियों के साथ राहुल को लिया गया।  फिल्म -मैं खुदी राम बोस में भी राहुल को अहम रोल मिला था जिसको उन्होंने बखूबी निभाया है। इसके अलावा राहुल ने वेब सीरीज की बहुत सी फिल्मों में अहम भूमिका निभाकर अपनी अभिनय क्षमता का लोहा मनवा दिया है।   

                          राहुल  ने बातचीत के अंतिम पड़ाव में बताया कि उनकी यह हार्दिक इच्छा है  कि वह अक्षय कुमार और शाहरुफ खान के साथ किसी फिल्म में काम करें।राहुल कहते हैं कि आज के दौर की फ़िल्में भी समाज का दर्पण ही हैं। पर्दे पर वही सब कुछ दर्शकों को परोसा जा रहा है जो समाज में घटित हो रहा है और  दर्शक इसको देखना भी पसंद करते हैं। 

       वह कहते हैं कि अच्छा अभिनेता वही बन पाता है जो करोड़ों की भीड़ में अपने लाखों चाहनेवाले बना पाता है और वह सभी अपने चेहते कलाकार को असीमित प्यार  भी करते हैं। आज राहुल जिस मुकाम पर पहुंचे हैं उसके लिए वह अपने परिश्रम के साथ -साथ दर्शकों से उनको मिले प्यार और आशीर्वाद का प्रतिफल मानते हैं। 

Thursday 23 November 2017

पंजाबी फिल्मों का चमकता सितारा , अदभुत अभिनय क्षमता का धनी विराट महाल

               पंजाब शरू से ही संगीत और साहित्य से सम्पन्न रहा है। यहां की लोक संस्कृति और सभ्यता की पहचान यहां के किस्से -कहानियों से लेकर लोकगीतों से सहज हो जाती है। यहां की मिटटी ने एक से बढ़कर एक प्रसिद्ध कवि -शायर ,प्रेम करनेवाले प्रेमी युगलों के साथ -साथ अभिनय करनेवाले नायक और कलाकार भी पैदा किये हैं जिन्होंने भारत ही नहीं पूरी दुनिया में पंजाब की संस्कृति और लोकसंगीत का डंका बजाया और जो आज भी कायम है। जहां पंजाबी मेहनतकश और जिन्दादिल कौम तो है ही वहीं युद्धकौशल में भी अपना लोहा मनवाने में सबसे ऊपर रही है। इस जिंदादिली के साथ -साथ पंजाबियों ने संगीत और अभिनय के क्षेत्र में भी अपना परचम हमेशा से पूरी दुनिया में फहराया है। पंजाबी संगीत की अहमियत इस बात से भी समझी जा सकती है कि पुराने जमाने से लेकर आज तक की भारतीय फिल्म इंडस्ट्री के सफर में जहां पंजाबियों का अधिपत्य जमा हुआ है वहीं हर हिंदी फ़िल्में में भी पंजाबी गीत -संगीत का तड़का लगाना सफलता का पैमाना माना जाता है। पंजाबी गीत और धुन के बिना फिल्म नीरस सी लगती है। यह पंजाबियों की संगीत के क्षेत्र में सम्पन्न विरासत का ही परिणाम है कि पंजाबी भाषा न समझनेवाले लोग भी पंजाबी गीतों और धुनों पर मस्त होकर थिरकने को विवश हो जाते हैं। 

           भारत में ब से चलचित्र का अविष्कार हुआ है और फिल्में बननी  शुरू हुई हैं और कुछ समय बाद ही पंजाबी फिल्मों निर्माण भी शरू हो गया । अब तक के फ़िल्मी इतिहास में कई नामी कलाकार ऐसे हुए जो पंजाबी अभिनय से हिंदी फिल्मों में आकर दर्शकों के बीच बेहद लोकप्रिय हुए हैं। पिछले कुछ समय से एक बार फिर पंजाबी फिल्मों का दौर शुरू हो गया है जिनमें पंजाबी कलाकारों ने अपनी दमदार अभिनय क्षमता से दर्शकों  के बीच अपनी जोरदार उपस्थिति दर्ज़ करवाई है।सजग वार्ता डॉट कॉम की ओर से अश्विनी भाटीया ने पिछले दिनों पंजाबी थियेटर के दमदार अभिनेता श्री विराट महाल से विस्तृत बातचीत की। यहां उसी बातचीत के कुछ अंश प्रस्तुत हैं ; 

 छःफूटा ऊचा -लम्बा सुन्दर चेहरे -मोहरे वाला पंजाबी गभरु विराट महाल भी  पंजाबी फिल्मों में उभरता सितारा साबित हो रहा है जिसने अपनी अभिनय क्षमता से अल्पकाल में ही लोकप्रियता के क्षेत्र अपनी खास पहचान बना ली है। पंजाब के भटिण्डा जिले के रहनेवाले विराट को भगवान ने आकर्षक चेहरा और व्यक्तित्व के साथ अदभूत अभिनय क्षमता भी प्रदान की है। पिछले 14 वर्षों के थियेटर में काम करने के अनुभव ने उनकी फिल्मों की राह भी आसान सी बना दी है। विराट को 2011 -2012 में उनकी उतकर्ष अभिनय क्षमता के लिए पटियाला यूनिवर्सिटी ने गोल्ड मेडल  से सम्मानित किया। पंजाब के ग्रामीण अंचल में जन्म लेनेवाले महाल ने पटियाला युनिवेर्सिटी से बी ए किया और थियेटर के साथ जुड गए। विराट कहते हैं कि उनका बचपन से यही सपना था कि वो अभिनय के क्षेत्र में अपने कदम बढ़ाएंगे और उहोने अपने सपने को साकार करने के लिए पूरी लग्न और मेहनत करनी शुरू कर दी। उसी लग्न और मेहनत के दम पर आज वो एक स्थापित  कलाकार बन चुके हैं। विराट ने अधिकांश फीचर फिल्मों में खलनायक की सशक्त भूमिका अदा की है। अभिनय के साथ -साथ पंजाब युनिवेर्सिटी से पंजाबी में एम् ए विराट को कहानी लिखने में माहिर हैं। उनकी द्वारा लिखी कहानियों पर फीचर फिल्म बन चुकी हैं जो दर्शकों को काफी पसंद आई हैं। अमरो फिल्म की कहानी का लेखन विराट ने ही किया है। विराट कहते हैं कि अब तक विराट कहते हैं कि उन्होंने अब तक जितनी फीचर फिल्मों में भी काम किया है उनमें सब में से उनको उनकी निकट भविष्य में रिलीज होनेवाली फिल्म  कच्ची पहि दा गीत  फिल्म में उनकी मास्टर जगरूप की भूमिका सबसे अधिक मन को भायी है। यह फिल्म बूटा सिंह शाद जी  की लिखी कहानी पर कान फिल्म फेस्टिवल  में प्रदर्शित करने हेतु श्री सुखवीर सिंह जी के कुशल निर्देशन में बनाई जा रही है। और इसमें प्रसिद्ध पंजाबी कलाकार निर्मल ऋषि और नगिंदर गखड़ जी  मुख्य भूमिका निभा रहे हैं।  

                       विराट अभी तक कई फीचर फिल्मों में अभिनय के अलावा दूरदर्शन के लिए निर्मित टेली फिल्मों सहित टी वी के विज्ञापनौ में भी अपना महत्वपूर्ण रोल निभा चुके हैं। विराट देखने में जितने सुन्दर और आकर्षक हैं बात करने में भी उनकी वाणी उतनी ही मधुर और सौम्य है। उनकी फिल्मों में प्रमुख नाम हैं -अँखियाँ उडीक दियां ,बेस्ट फ्रेंड ,किन्ना करदे हाँ प्यार ,तवीत ,लाजो ,फौजी केहर सिंह। विराट ने बताया कि स्कूल टाइम में वो कबड्डी के खिलाडी थे और खाली समय में बच्चों का समूह बनाकर नाटक खेला करते थे। 

    विराट चाटुकारिता की बजाय अपनी मेहनत और काम के प्रति सच्ची निष्ठां को ही सफलता की कुंजी मानते हैं। वो कहते हैं कि व्यक्ति अगर ठान ले तो वो अपनी मेहनत के बल पर किसी भी मुश्किल से मुश्किल लक्ष्य को प्राप्त कर सकता है। उन्होंने बताया कि कुछ समय पहले एक दुर्घटना में उनकी एक टाँग टूट गयी थी और दूसरी बुरी तरह से जख्मी हो गयी थी लेकिन इस समय में भी उन्होंने हिम्मत नहीं हारी। अपनी प्रबल ईच्छा के बलबूते स्वस्थ होकर फिर अभिनय के क्षेत्र में सक्रिय हो गए। फिल्म अँखियाँ उडीक दियां  में मुख्य भूमिका लखविंदर वडाली ने निभाई थी जिसमें विराट ने उनके मित्र के रूप में में चरित भूमिका अदा की थी और इसके निर्देशक मुकेश गौतम थे।                                                      विराट कहते हैं कि उनको  फिल्म में खलनायक या किसी रौबिले  अर्थात दबंग चरित्र पात्र के रोल को करने में ज्यादा मजा आता है। वो कहते हैं कि उनको आर्ट मूवीज ज्यादा अच्छी लगती हैं और उनकी पसंदीदा अदाकारा शबाना आज़मी और तब्बू हैं और मनोज वाजपेयी का अभिनय उनको अच्छा लगता है। उनकी यह हार्दिक इच्छा भी है कि वो इन दोनों यानि शबाना और तब्बू के साथ किसी फिल्म में काम करें। 

बातचीत के अंत में विराट ने भी अपनी दिली इच्छा व्यक्त करते हुए कहा कि वो मुंबई जाकर हिंदी फिल्मों में काम करना चाहते हैं और इस बात की उन्हें पूरी उम्मीद ही नहीं विश्वास भी है की उनकी यह ईच्छा शीघ्र पूर्ण होगी। विराट हिन्दी के ऐसे धारावाहिक में भी काम करने के इच्छुक हैं जो राजा -महाराजा की कहानियों पर आधारित हों और उनका रोल राजसी वेश -भूषा वाला हो जो उनको बेहद पसंद है। वो आज के युवाओं को एक बात कहना नहीं भूलते कि उनको अपना लक्ष्य निर्धारित करने के उपरांत पूरी मेहनत और निष्ठा से उसको पाने के लिए संघर्ष करना चाहिए क्योंकि वर्तमान समय कड़ी पर्तिस्पर्धा का जमाना है जिसमें जुगाड़ या
चाटुकारिता के दम पर नहीं अपनी कौशलता और योग्यता से ही अपने लक्ष्य को पाया और उसपर टिका रहा 
जा सकता है। वो कहते हैं कि आज पंजाब की मूल संस्कृति को आधुनिक पाश्चात्य संस्कृति निगलती जा रही है जो चिंता का विषय है। विराट यह भी कहते हैं कि शहरों की तुलना में पंजाब के ग्रामीण परिवेश में अभी भी पुराणी संस्कृति और सभ्याचार देखने को मिल जाती है जो कि संतोष की बात है। 


Monday 20 November 2017

दिल्ली की चौपट होती कानून -व्यवस्था और अपराधियों के बढ़ते हौंसले को कौन संभालेगा ? गृहमंत्री राजनाथ जी।

      दिल्ली [अश्विनी भाटिया]  देश की राजधानी दिल्ली में पिछले कुछ समय से कानून -व्यवस्था बिगड़ती जा रही है। आये दिन लूटपाट ,चोरी और मारपीट की घटनाएं तो एक तरफ खुनी गैंगवार की घटनाएं का ग्राफ भी बहुत ऊपर की ओर चढ़ता जा रहा हैं। दिल्ली में पुलिस सीधे -सीधे उपराजयपाल के माध्यम से केंद्रीय गृहमंत्री के नियंत्रण में है।आश्चर्य की बात यह है कि गृहमत्री सहित देश का पूरा केंद्रीय शासन और प्रशासन भी दिल्ली में होने के बावजूद अपराधियों पर लगाम कसने में पुलिस तंत्र फ़ेल साबित हो रहा है। अगर देश की राजधानी में कानून -व्यवस्था चौपट हो रही है तो शेष देश के स्थिति कैसी होगी यह सहज अंदाजा लगाया जा सकता है। देश की आधे से ज्यादा समस्याएं पुलिस की दूषित और भ्रष्ट कार्यप्रणाली की दें हैं।  

            दिल्ली के पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक एक अनुभवी और कुशल पुलिस अधिकारी हैं और दिल्ली उनके लिए नई भी नहीं है. परन्तु इन सब के बावजूद कानून -व्यवस्था की स्थिति दयनीय होना चिंता का विषय है। आज हालात ऐसे बन चुके हैं कि लोग न तो अपने घरों में सुरक्षित हैं और न सड़क पर। यहां तक कि दिल्ली की अदालतों के अंदर भी अपराधी बिना किसी भय के गोलीबारी करके जिसे चाहे मौत के घाट उतार देते हैं। रोहणी कोर्ट में अभी पिछले सप्ताह ही खून की होली खेली गयी है। इससे पहले कड़कड़डूमा कोर्ट में जज के सामने गोलीबारी की घटना को अपराधियों ने अंजाम दिया था और उसमें जज साहब बच गए लेकिन एक पुलिस कर्मी बेचारा अपना फ़र्ज़ निभाते हुए शहीद हो गया था। 

          पुलिस अधिकारी दिल्ली में आबादी के हिसाब से पुलिस बल कम होने की बात करके अपनी सारी नाकामी पर पर्दा डालने की कोशिश करते हैं। यह ठीक है कि आबादी के हिसाब से दिल्ली में पुलिस बल कम है परन्तु जो बल मौजूद है वो कितनी ईमानदारी और जागरूकता से अपने कर्तव्य का पालन कर रहा है यह सोचने का विषय है।पुलिस कार्यों के जानकार तो यहां तक कहते हैं कई जब तक थानों में तैनात छोटे पुलिस कर्मियों के सर से उच्च अधिकारियों की फटीक की तलवार नहीं हटेगी तब तक दिल्ली में कोई भी माई का लाल अपराधियों को काबू कर ही नहीं सकता। दूसरे पोस्टिंग में भाई -भतीजावाद और सुविधा शुल्क की बीमारी जब तक खत्म नहीं होगी दिल्ली सुरक्षित हो नहीं सकती। सूत्रों का कहना है कि आज हालात यह है कि थानों के अधिकांश थाना प्रमुखों को सटोरियों से कई -कई लाख की मंथली मिलती है और दूसरे आय के स्रोत अलग से हैं। इसीलिए थाना पाने के लिए कई निरीक्षक जुगाड़ लगाने में व्यस्त रहते हैं। जिनको थाना मिल जाता है वो अपनी कुर्सी पर बने  रहने के लिए किसी न किसी उच्च अधिकारी का वरदहस्त अपने ऊपर बनाये रखने के लिए उसकी सेवा में सैदेव ततपर रहता है और उसकी सारी सुख -सुविधा का ध्यान भी रखता है। पुलिस आयुक्त जितने मर्ज़ी दावे करते रहें परन्तु यह हकीकत सारी जनता जानती है कि कोई भी मकान पुलिसवालों की सेवा किये बिना बन नहीं सकता। सूत्रों का कहना है कि बिल्डर लॉबी बिल्डिंग बनाने से पहले ही अपने थाने के मुखिया को भेंट देता है और यह भेंट प्रति लेंटर के हिसाब से तय होती है। सम्पत्ति -विवाद में भी कई पुलिस अधिकारी पूरी रूचि लेते हैं और अपनी भेंट लेकर दूसरे पक्ष के हितों पर कुलहड़ा चलाकर सिविल मामला बोलकर कोर्ट जाने का मशविरा देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ लेते हैं। यह कुछ बीमारी हैं जो पुलिस का अधिक समय अपने ऊपर खर्च करवा लेती हैं शेष समय नेताओं की सुरक्षा में व्यतीत होता है बचा समय कोर्ट - कचहरियों में लग जाता है। तो ऐसे में यह सोचा जा सकता है कि बेचारी पुलिस कानून -व्यवस्था को बनाये रखने का समय कैसे निकाले ?दिल्ली क्या पुरे देश की पुलिस व्यवस्था में आमूल -चूल बदलाव की आवश्यकता है जब तक ऊपर के स्तर पर परिवर्तन नहीं आएगा तब तक जनता के बीच रहकर काम करनेवाले निम्न पुलिस कर्मियों के व्यवहार को नहीं बदला जा सकता। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री राजनाथ सिंह अगर पुलिस को ही कुछ सुधार दें तो देश की बहुत सारी समस्याओं का निदान स्वत ही हो जायेगा। 


पूर्वी दिल्ली नगर निगम में करोड़ों की अवैध उगाही पर अधिकारी और पार्षद मौन क्यों ?

शाहदरा [ सजगवार्ता ] पूर्वी दिल्ली नगर निगम के अभियंताओं और अधिकारियों की खुली लूट के आगे जहां जनता विवश है वहीं निगम पार्षद नत मस्तक हुए पड़े हैं। इस स्थानीय निकाय के अंतर्गत शाहदरा उत्तरी और शाहदरा दक्षिणी जोन आते हैं और दोनों ही जोनो में कार्यरत अधिकारी मालामाल हैं जबकि दूसरी और सरकारी कोष में सफाई कर्मचारियों को वेतन देने के लिए भी पर्याप्त धन न होने का रोना लगातार रोया जा रहा है।  

नगर निगम के मलाईदार विभागों में सबसे ऊपर नाम भवन विभाग का आता है। इस विभाग में कार्यरत अधिकांश अभियंता तो करोड़ों रूपये की चल -अचल सम्पत्ति के स्वामी हैं ही इसके अलावा जो कर्मचारी अवैध रूप से वभवन बेलदार बनकर इलाकों में होनेवाले भवनों से उगाही का काम करते हैं वह भी करोड़ों की सम्पत्ति के स्वामी बन चुके हैं। बताया जाता है कि उगाही के काम के लिए अधिकारियों ने निगम के चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी हैं जिनमें -चौकीदार ,बेलदार ,नाला बेलदार ,मैट और कुछ सफाई कर्मी रखे हुए हैं।इनमें से कई तो ऐसे हैं जो पिछले कई वर्षों से उगाही का काम करके करोड़ों -अरबों की चल -अचल ,नामी -बेनामी सम्पत्ति के स्वामी बताये जाते हैं। जानकर सूत्रों का कहना है कि अगर सीबीआई से इन बेलदारों और अभियंताओं की जाँच करवाई जाये तो चौकाने वाले परिणाम सामने आ सकते हैं। कई उगाही करनेवालों ने दिल्ली /एनसीआर /उत्तराखंड / राजस्थान और यूपी में सम्पत्तियाँ खरीदी हुयी हैं। बताया  तो यह भी जाता है कि कई बेलदारों और अभियंताओं ने पैट्रोल पम्प /कृषि फार्म्स /होटल तक बना रखे हैं और यह साडी सम्न्नता इन्होने बिल्डर माफिया के साथ सांठ -गांठ करके पाई है। इस गोरखधंधे में निगम के उच्च अधिकारी और सत्ता के शीर्ष सोपानों पर बैठे पूर्व और वर्तमान जनप्रीतिनिधि बराबर के भागीदार बताये जाते हैं। इसीलिए सब कुछ जानते हुए भी इस अवैध उगाही को रोकने के लिए कोई भी ईच्छुक दिखाई नहीं देता। 
    शाहदरा वार्ड में बिल्डरों से उगाही का काम पिछले कई वर्षों से सुरेंद्र कुमार नाम का सफाई कर्मी करता है। इसकी डियूटी गीता कालोनी पुश्ते पर बताई जाती है। इस वार्ड से कई अभिनता आये और चले गए पर सुरेंद्र को कोई नहीं हटा स्का। अब वार्ड में तैनात कनिष्ठ अभियंता गोपाल लाल मीणा का भी सुरेंद्र खासमखास बना हुआ है। मजेदार बात यह है कि मीणा इसकी सेवा से इतना खुश है कि वो सुरेंद्र को अपने अधीनस्थ दूसरे वार्डों से भी उगाही का काम ले रहा है जिसमें विश्वास नगर वार्ड भी शामिल है। एक सौ गज के एक लेंटर का सुविधा शुल्क पचास हजार से लेकर अस्सी हज़ार तक बताया जा रहा है। जो गरीब आदमी अपने उपयोग के लिए भी छोटा -मोटा निर्माण भी कर  ले तो उसको निर्माण तोड़ने की धमकी देकर पैसा वसूल किया जा रहा है। इस वार्ड से पार्षद निर्मल जैन जो कि शाहदरा दक्षिणी जोनल कमेटी के चेयरमैन भी हैं उनकी जानकारी में यह सब है परन्तु न जाने किस कारण वो भी इसको गंभीरता से नहीं ले रहे। सजगवार्ता प्रतिनिधि ने उनसे इस बारे में पूछा कि सुरेन्द्र किस अधिकार से  उनके वार्ड से उगाही करता है तो उन्होंने बड़ा अटपटा सा  जवाब दिया की उनकी कोई सुनता ही नहीं है। सवाल यह उठता है कि जब उनकी कोई सुनता ही नहीं है तो वो चेयरमैन की कुर्सी पर क्यों जमे हुए हैं ?  
        अब गीता कालोनी  वार्ड की बात करते हैं। इस वार्ड से पार्षद नीमा भगत जी हैं और वह पहले भी इसी वार्ड की पार्षद रही हैं। निगम की समस्त कार्यप्रणाली को भलि भांति समझती हैं। सौभाग्य से वो अब पूर्वी दिल्ली नगर निगम की मेयर भी हैं। इनके वार्ड में कई वर्षों से महेश कुमार नाम का बेलदार उगाही का काम क्र रहा है और यह भी करोड़ों रूपये की चल -अचल सम्पत्ति का स्वामी बताया जाता है। इसकी ड्यूटी शाहदरा नार्थ जोन की किसी मेंट्नस डिवीजन में बताई जाती है। इसके बारे में सारी जानकारी मेयर महोदया को भी है परन्तु वो भी महेश को हटाने में या तो नाकाम हैं या उनकी सहमति है क्योंकि इसके बारे में इस प्रतिनिधि ने कई दिन पहले बताया था और उन्होंने इस मामले को देखने की बात भी कही थी ,लेकिन महेशजस का तस बना हुआ है और बेखौफ होकर बिल्डिंगों से उगाही कर रहा है। 
           साऊथ अनारकली वार्ड में उमेश नाम का बेलदार उगाही के काम को करने में जुटा हुआ है। उमेश की ड्यूटी शाहदरा साऊथ की ऍम -1 डिवीजन में है और यह अपनी हाजरी लगाकर साऊथ अनारकली वार्ड में बनने वाली बिल्डिंगों से उगाही का काम करता है। इसके बारे में जब ऍम -1 डिवीजन के अधिशाषी अभियंता गगन ख़न्ना से सजगवार्ता प्रतिनिधि ने पूछा तो पहले उन्होंने यह कह दिया कि उनको पता ही नहीं कि उमेश उनकी डिवीजन का कर्मचारी है। फिर कहा कि अगर ऐसा है तो वो इस पर एक्शन लेंगे। आश्चर्य की बात यह है कि उमेश के विरुद्ध अभी तक कोई एक्शन नहीं हुआ। उसके द्वारा उगाही का काम इस रिपोर्ट के लिखे जाने तक किया जा रहा है। 
          पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सभी वार्डस में बिल्डर माफिया पूरी तरह से सक्रिय है और हर वार्ड में बिल्डिंगों से उगाही के काम को अधिकारियों और जन प्रतिनिधियों के संरक्षण में  सभी नियमों -कानूनों को ताक पर रखकर अवैध बेलदारों से करवाने का गौरखधंधा चलाया जा रहा है। भ्रष्टाचार के इस हमाम में सभी नंगे दिखाई देते प्रतीत हो रहे हैं और ऐसा लगता है कि सारा काम भागीदारी योजना के तहत करोड़ों रूपये की अवैध उगाही का काम निरंतर जारी है। 

Sunday 19 November 2017

प्रथम स्वाधीनता संग्राम की महानायिका झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई

भारतीय इतिहास में स्वर्ण अक्षरों में दर्ज प्रथम स्वाधीनता संग्राम की महा नायिका खूब लड़ी मर्दानी झाँसी की रानी लक्ष्मी बाई का आज जन्म दिन [19 नवम्बर ,1835 ] है। इस अवसर पर इस वीरांगना के चरणों में हमारा शत -शत नमन। राष्ट्रिय  अस्मिता और अपनी जन्मभूमि की रक्षा के लिए भारत माँ की इस बहादुर पुत्री ने अंग्रेजी शासकों से लोहा लिया और लड़ते -लड़ते अपने प्राणों को भी न्योछावर कर दिया। सन 1857 में भारत की स्वतन्त्रता के लिए लड़े गए सशस्त्र संग्राम में झाँसी की रानी मुख्य भूमिका में थी। उसने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी। हम भारतियों को गर्व होना चाहिए ऐसी वीरांगनाओं पर जिन्होंने युद्ध भूमि में भी दुश्मनों के छक्के छुड़ा दिए।  भारत को आज़ाद करवाने के लिए असंख्य लोगों ने अपने जीवन का बलिदान दिया है हम उन सभी बलिदानियों के ऋणी हैं और हमेशा उनका नाम भारत के इतिहास में अजर -अमर बना रहेगा।

Saturday 18 November 2017

मॉडलिंग में कैरियर बनाने के लिए जी -तोड़ मेहनत कर रहा है कपिल जांगड़ा

पानीपत [अश्विनी भाटिया ] आजकल के युवाओं का रुझान अपनी बॉडी को आकर्षक बनाने और मॉडलिंग के क्षेत्र में जाने की ओर दिन प्रति दिन बढ़ता जा रहा है। इसी उद्देश्य को लिए आज के युवा जिम में घंटों वर्जिश करते हैं और अपना पसीना बहाते हैं। इसी तरह की महत्वाकांक्षा को मन में लिए यहां के कई युवा अपना पसीना जिम में बहा रहे हैं। समालखा का कपिल जांगड़ा भी इसी तरह के लक्ष्य के साथ अपनी बॉडी को मजबूत बनाकर रैम्प पर उतरने की तैयारी में लगा हुआ है। अभी मात्र 17 वर्ष की आयु में ही कपिल जिम में कड़ी मेहनत करता है और मॉडलिंग की दुनिया में प्रवेश करने का अपना सपना साकार करना चाहता है। हमारे संवाददाता से एक मुलाकात के दौरान उसने बताया कि वह मॉडलिंग में अपना कैरियर बनाना चाहता है और इसी लक्ष्य को सामने रखकर अपना पसीना जिम में बहाता है। कपिल का बड़ा सपना है और वह फ़िल्मी दुनिया का सफर भी  करने का इरादा भी दिल में पाले है। उसने बताया कि फ़िलहाल रैम्प पर उतरने की तैयारी में लगा हुआ है।वह  पहले भी एक प्रयास कर चुका है जिसमें असफल जरूर हुआ परन्तु उसको अब और अधिक लग्न से मेहनत करने का प्रोत्साहन मिला है। उसने कहा कि इस बार वह अवश्य कामयाब होगा उसको इस बात का पूर्ण विश्वास है। आगामी जनवरी में वह फिल्म नगरी मुंबई जाने की तैयारी कर रहा है जहां पर वह अभिनय की औपचारिक  ट्रेनिंग लेकर खुद में छिपी प्रतिभा को निखारकर अपने सपने को साकार बना सके।

Friday 3 November 2017

कांग्रेस ने मुस्लिम वोटों के लिए महाराणा प्रताप की बजाय अकबर को महान बनाया ।

आजकल कुछ राजपूत उस कांग्रेस की वकालत कर रहे हैं जिसने मुस्लिम वोटों की खातिर परम् देशभक्त और महाबलिदानी महाराणा प्रताप को इतिहास की पुस्तकों में कोई महत्व न देकर मुस्लिम आक्रांता के वंशज अकबर को महान बताया। भारत के राष्ट्र भक्तों को सम्मान देनेवाले प्रधानमंत्री मोदी और उनकी सरकार का का विरोध करते  हुए यह भी कह रहे हैं कि उनको हिन्दू -मुस्लिम से कुछ लेना -देना नहीं है सिर्फ रोटी -रोजी से ही मतलब है। ऐसे लोगों से मेरा तो यही कहना है कि या तो वो राजपूत ही नहीं हैं या उन्होंने राजपूतों का इतिहास ही नहीं पढ़ा है। उनको चाहिए कि वो पहले राजपूतों का सही इतिहास पढ़ लें और कांग्रेस की उसके जन्म से लेकर अब तक की कारगुजारिओं को भी अच्छी तरह से पढ़ -समझ लें। जो राजपूत सिर्फ रोटी -रोजी के लिए जी रहे हैं तो उन पर धिक्कार है क्योंकि राजपूत रोजी -रोटी और अपनी सुख -सुविधा से अधिक अहमियत अपने स्वाभिमान और राष्ट्र के सम्मान को देता है। जो ऐसा नहीं सोचता या तो वह राजपूत ही नहीं है या फिर उसमें राजपूती रक्त का भान ही नहीं है क्योंकि  राजपूत तो जीता ही अपने स्वभिमान और मां भारती के सम्मान की रक्षा के लिए है।  पेट तो कुत्ता भी भर लेता है लेकिन उसको स्वाभिमानी जीवन जीना नहीं आता। दर -दर भटकता है और दुत्कारा जाता है लेकिन फिर भी उन्ही दरवाजों पर बार -बार जाता है। सिर्फ अपनी रोजी -रोटी और ऐशो -आराम के लिए जीनेवाले लोग महाराणा प्रताप के वंशज हो ही नहीं सकते। हो सकता है ऐसी सोच रखनेवालों को मानसिंह और जयचंद से प्यार हो और उनका आदर्श यही लोग हों जिन्होंने अपने निजी स्वार्थ पूर्ति के लिए अपनी राजपूती आन -बान -शान और स्वाभिमान को तो रौंदा ही साथ ही अपनी मातृभूमि को भी विदेशी मुस्लिम आक्रांताओं के हवाले कर दिया था।इस बात का भी इतिहास गवाह है की अगर कुछ राजपूत अपने निजी द्वेष और स्वार्थपूर्ति के कारण अपनी ही कौम के विरुद्ध मुस्लिमों का साथ न देते तो यह महान देश भारत मुठीभर विदेशी मलेचछों का सदियों तक गुलाम नहीं बना रहता । महाराणा प्रताप भी अगर अपने निजी स्वार्थों की खातिर अकबर के कदमों में अपना स्वाभिमान गिरवी रख देते तो हो सकता है वो मानसिंह से भी बड़ा औहदा अकबर से प्राप्त कर लेते परन्तु उनकी रगों में दौड़ रहे राजपूती स्वाभिमानी राष्ट्रभक्त खून ने उनको यह नहीं करने दिया। उन्होंने अपनी सुख -सुविधाओं से अधिक अपने स्वाभिमान और मां भारती के सम्मान को अहमियत दी और अपना सब कुछ- राष्ट्र की मान -मर्यादा-मातृभूमि की रक्षा के लिए न्यौछावर कर दिया। हमें गर्व है कि हमारी रगों में आज भी ऐसे स्वाभिमानी महाबलिदानी क्षत्रिय का रक्त दौड़ता है न कि मुस्लिम आक्रांताओं की गुलामी करनेवाले मानसिंह जैसे स्वार्थी लोगों का और हमारा आदर्श पुरुष भी महाराणा प्रताप ही है कोई स्वार्थी पदलोलुप व्यक्ति नहीं। जहां तक कांग्रेस की बात है तो आज़ादी के बाद इसी की सरकार ने देश के राष्ट्र भक्त भारत मां के वीर सपूत महाराणा की कुर्बानी को नजरअंदाज करके विदेशी मुस्लिम आक्रांता अकबर को इतिहास की पुस्तकों में 'अकबर महान 'के रूप में दर्ज़ करवा दिया। आज हमें यह खुद सोचना पड़ेगा और फैंसला भी करना पड़ेगा कि हमारी रगों में स्वाभिमानी राष्ट्रप्रेमी वीर बलिदानी महाराणा का रक्त दौड़ता है या देश और कौम के स्वाभिमान को विदेशी आक्रांताओं के पास गिरवी रखकर अपने स्वार्थ की पूर्ति करनेवाले किसी देशद्रोही का। जय मां भवानी। [अश्विनी भाटीया ]     








 

Tuesday 5 September 2017

पुदिननि में अवैध निर्माणों से चल रहा करोड़ों का गोरखधंधा। निगम पार्षद हुए मौन क्यों ?

दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] पूर्वी दिल्ली नगर निगम में अधिकारियों की सांठगांठ से अवैध निर्माणों का धंधा पुरे जोर -शोर से चल रहा है और भ्रष्टाचार को मिटाने के संकल्प को लेकर जीतकर आये निगम पार्षद भी इस पर मौन धारण किये हुए हैं। कानून और भवन उपनियमोँ को ताक पर रखकर बिल्डर माफिया हर वार्ड में सक्रिय है और निगम के अधिकारी अपनी तिजौरियों को भरने में लगे हैं। बताया जाता है कि भवन विभाग सिर्फ उन्हीं अवैध बिल्डिंगों पर हथौड़ा चलाता है जिनसे उसको सुविधा शुल्क नहीँ मिलता या फिर जिसको गिराने के आदेश कोर्ट ने दिए हों। अफ़सोस की बात यह है कि एक ओर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी देश से कालेधन और भ्रष्टाचार को मिटाने का अभियान चलाये हुए हैं वहीं दिल्ली की नगर निगमों की सत्ता में आसीन उन्हीं की पार्टी भाजपा के लोग इस मुहिम की हवा निकालते नजर आ रहे हैं। 

अभी कुछ माह पहले ही निगम के चुनावों में भाजपा ने अपने लगभग सभी पार्षदों का टिकिट काटकर इस बार के चुनाव में नये चेहरों को उतारा था। शायद इसका कारण यह था कि पार्टी को उनका दामन पाक नहीं लगता था और पार्टी को उनके चुनाव मैदान में उतारने से हार जाने का अंदेशा भी था।जनता ने भी यह सोचकर भाजपा के लोगों को चुनावों में अपना समर्थन दे दिया कि इन नए लोगों को निगमों की कमान सौंपने से शायद भ्रष्टाचार में नाक तक डुबे इन स्थानीय निकायों को मुक्त किया जा सके ,परन्तु जनता और भाजपा हाईकमान की यह सोच अब साकार होती दिखाई नहीं दे रही। नगर निगमों में न तो भ्रष्टाचार खत्म हो पाया है और न ही भ्रष्ट अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध ही कोई ठोस कार्रवाई होती दिख रही है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आधिकारियों की कार्यप्रणाली में नये पार्षदों के आने के बाद भी कोई भी परिवर्तन नहीं आया। इससे जनता को भी निराशा का सामना करना पड़ रहा है। 

नगर निगम के भवन विभाग में अभी तक अधिकारियों और अभियंताओं ने सभी वार्डों को   कुछ शातिर किस्म के निगमकर्मियों को अवैध निर्माणों से उगाही करने के लिए ठेके पर दे दिया लगता है। नगर निगम में बेलदारों और निम्न कर्मचारियों की भारी भरकम फौज होने के बावजूद भवन विभाग में स्थाई रूप से बेलदार नहीं रखे हुए। बताया जाता है कि यह नीति शातिर किस्म के अधिकारियों के दिमाग की उपज है। अब अधिकारियों ने बेलदारों को रखने का काम अभियंताओं के ऊपर छोड़ रखा है जिसके परिणाम स्वरूप दूसरे विभागों में तैनात कुछ निगमकर्मियों को अवैध रूप से वार्डों में उगाही के काम के लिए अभियंताओं ने रख लिया है। कुछ अभियंताओं ने अपने निजी लोगों को भी इस काम में लगा रखा है। अब इन लोगों के हौंसले इतने बढ़ चुके हैं कि इनमे से कइयों ने तो वार्ड का ठेका ले रखा है और इक निश्चित रकम अभियंता को चुकाकर अपनी जागीर समझ कर उगाही कर रहे हैं। चाहे वार्ड में अभियंता कोई भी आ जाये लेकिन यह लोग टस से मस नहीं हो सकते। सूत्रों का कहना यह है कि सबसे  विचित्र बात तो यह है कि एक ओर जहां आर्थिक तंगी का रोना रोनेवाली पूर्वी दिल्ली नगर निगम अपने कर्मचारियों को वेतन देने के लिए पैसा न होने की दुहाई देती है वहीं अपने बेलदारों और लेबर की फौज को निठल्ला बैठाकर अवैध निर्माणों को तोड़ने के लिए बाहर के ठेकेदारों से लेबर लेकर करोड़ों की रकम चूका रही है। बाहर से लेबर लेने के गोरख धंधे में भी निगम के अधिकारी मोटी रकम का गोलमाल कर रहे हैं और निगम पार्षद सिर्फ गाल बजाने में लगे हुए हैं क्यों ?

मजेदार बात यह है कि उगाही के काम को करनेवाले इन अवैध कर्मियों में बेलदार ,मैट ,नाला बेलदार ,चपरासी और उपायुक्त कार्यालयों में तैनात पानी पिलाने और घंटी सुनने वाले चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी भी शामिल बताये जाते हैं। बताया यह भी जाता है कि यह सब कर्मचारी अपने मूल तैनाती की जगह से हाज़री लगा कर इलाकों में उगाही के काम पर निकल जाते हैं। सूत्रों का कहना है कि  उगाही करनेवाले इन लोगों में से कई तो ऐसे हैं जो पिछले कई वर्षों से इसी काम में लगे हुए हैं और यह चतुर्थ श्रेणी के कर्मचारी करोड़ों रूपये की नामी -बेनामी चल -अचल सम्पति के स्वामी बन चुके हैं। ज्ञात हुआ है कि इनमे से कई लोगों के पास  दिल्ली से बाहर उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में  फार्महाउस ,पैट्रोल पम्प ,होटल और कृषि भूमि है जो इन्होने यहीं उगाही के धंधे से बनाई हैं। कुछ उगाही करनेवालों ने अपने निकट संबंधियों के नाम से दिल्ली के पॉश इलाकों में भी कई -कई फ़्लैट भी खरीदे हुए हैं। 

अब देखना यह है कि नगर निगमों में चल रहे करोड़ों की उगाही के इस धंधे की जाँच की जाती है या नहीं ? वैसे इसकी जानकारी निगम को चलनेवाले शासकों -प्रशासकों को भी भली भांति है। 

Friday 1 September 2017

यह कत्ल है या कुर्बानी ? कुर्बानी हमेशा कमजोरों की ही दी जाती है,शेरों की नहीं।

इसे कुर्बानी कहे या कत्ल ?

 मेरी समझ मे यह नही आता कि हम बेजुबान  ,निरिह और मासूम जानवरो के बेरहमी से किए गए कत्ल को मुबारक कैसे माने ?किसी को भी किसी की जान लेने की इजाजत नहीं है फिर भी किसी को खुश करने के लिए एक ही दिन में करोड़ों  जानवरों को मौत के घाट उतार कर हम खुशी मनाते हें और इस काम को पुण्य कार्य  सम्झते हें।

 यह तो सार्वभौमिक सच्चाई है कि  कुर्बानी हमेशा से  कमजोरों की ही दी जाती रही  है। क्या कभी शेर की कुर्बानी देने की हिमाकत कोई कर सकता है? तो इसका जवाब न में ही होगा। कुर्बानी के नाम पर किए गए कत्लों को आप कुछ भी कहें लेकिन हम तो इसे कमजोर बेजुबान जीवों के प्रति किया गया अपराध ही कहेंगे। जो लोग और संगठन जीवों पर किए जाने वाले अत्याचार पर हो हल्ला मचाते हें और मीडिया भी दिवाली पर की गई आतिश्बाज़ी को वायु प्रदुषण कह कर शोर मचाता है, उन्हें बेजुबान जानवरों को कत्ल किए जाने पर उनको  साँप क्यों सूंघ जाता है ?

Wednesday 23 August 2017

अवैध उगाही से करोड़ोंपति बने बेलदारों के आगे पु.दि. न. नि. प्रशासन पंगु क्यो ?

शाहदरा /दिल्ली। अफ़सोस की बात है कि हर बात की जानकारी होने के बाद  भी पूर्वी दिल्ली नगर निगम शासन और  प्रशासन में आसीन अधिकारियों के कानों पर अभी तक जूँ नहीं रेंगी है।  अभी तक वार्डों में अवैध भवन निर्माणों  से ऊगाही के काम को करने में लगे अवैध निगम  कर्मियों को नहीं हटाया गया है। यह अवैध निगमकर्मी मजे से खुद और अपने साथियों के साथ मोटी रकमें उगाहने में लगें हुएे हैँ।  शाहदरा दक्षिनी और शाहदरा उत्तरी जोन में भवन विभाग में कार्य कर रहे अवैध बेलदारों और अन्य कर्मियों को हटाने को न तो निगम का प्रशासन और न ही निगम पार्षद ही तैयार दिखाई देते हैँ .इस बात  से अवैध धन्धे को संरक्षण देनेवालों की मानसिकता को भलि भांति समझा जा सकता है। मेयर महोदया के कार्यालय से भी कोई कार्यवाही न होना अच्छा संकेत नहीं है। सबसे आश्चर्य की बात यह है कि उनके अपने गीता कालोनी वार्ड में भी महेश कुमार नाम का बेलदार पिछले लम्बे समय से अवैध निर्माणों से उगाही करने में लगा हुआ  है। इससे निगम की कार्य प्रणाली को सहज ही समझा जा सकता है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की काले धन के विरुद्ध छेड़े गए अभियान पर उन्ही की पार्टी के निगम प्रशासन को चला रहे निगम पार्षदों की कोई अहमियत नहीं है। 
आज भी लक्षमी नगर में पिछले कई वर्षो से विनोद नामका एक निगमकर्मी अवैध निर्माण से ऊगाही करके उच्च अधिकारियों और अपने राजनैतिक  आकायों तक पहुँचाने में लगा हुआ  है। बताया जाता है कि त्यागी ना होते हुएे भी खुद को विनोद त्यागी कहने वाले इस निगमकर्मी के आगे पूरा निगम प्रशासन नत मस्तक है .इस कर्मी की ड्यूटी किसी दुसरे स्थान पर है लेकिन किसी की भी बड़े अधिकारी में इतनी  हिम्मत नहीं जोकि  इस चतुर्थ श्रेणी के कर्मी के विरुध कोई कदम उठा सकें। बताया जाता है कि इसने पश्चिमी यू पी स्थित अपने गांव और उसके आस -पास अन्य क्षेत्रों में  करोडों रूपये की चल -अचल सम्पति के एकत्र कर रखी है जिसमे बेनामी सम्प्पति भी शामिल है। करोड़ों की सम्पति के  मालिक बन चुके इस निम्न् श्रेणी के कर्मचारी के विरुध कौनसा उच्च श्रेणी का अधिकारी कार्यवाही करेगा देखने की बात है।
इसी तरह से गीता कालोनी में महेश कुमार ,कृष्णा नगर में सचिन और अशोक कुमार ,शाहदरा में सुरेंद्र कुमार भी इसी काम में बेखोंफ लगें हैँ और निगम प्रशासन इनके सामने पंगु बना हुआ  हैँ। 
अवैध उगाही से करोड़ों की सम्पति की नामी - बेनामी की सम्पति के स्वामी इन बेलदारों की उच्च स्तरीय जाँच हो तो यहां भी जमे कई यादव सिंह बेनकाब हो सकते हैं। मजेदार बात यह है कि कुछ माह पहले सम्पन्न हुए दिल्ली की तीनों नगर निगमों के चुनाव में सत्तारूढ़ भाजपा हाईकमान ने पिछली बार के लगभग सभी निगम पार्षदों को चुनाव में खड़ा नहीं किया था और निगम को स्वच्छ और भ्रष्टाचार रहित बनाने की सोच से नए लोगों को चुनाव लड़वाया। अच्छी बात यह हुयी कि दिल्ली की जनता ने भी पार्टी के इस निर्णय पर अपनी मोहर लगा दी और तीनो निगमों में भाजपा को सत्ता सौंप दी। अफ़सोस इस बात का है कि कुछ महीनों में ही निगमों में जीत कर आये नए पार्षदों ने भी अपने पूर्वर्ती पार्षदों की राह पर चलना ही अच्छा समझा और न तो निगमों से भ्रष्टाचार समाप्त हो पाया और न ही भ्रष्टतंत्र  पर कोई लगाम कसी जा सकी। 

Thursday 17 August 2017

दिल्ली की नगर निगमों के शासकों -प्रशासकों के यहां छापे कब लगवायोगे मोदी जी ?

दिल्ली।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां कालेधन से  भारत को मुक्त करने की मुहीम चलाये हुए हैं वहीं उनकी नाक  के नीचे दिल्ली की तीनों नगर निगमों में उन्हीं की पार्टी के लोगों पर इस मुहीम का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है और सत्ता में आसीन भाजपा के लोगों की रूचि भी शायद  इसको स्वच्छ करने में दिखाई नहीं देती है।  निगम को भ्रष्टाचार  से मुक्ति दिलाने में क्यों सत्तारूढ़ दल के लोगों की रूचि नहीं है इसका कारण आसानी से समझा  सकता है।

                   पू दि न निगम के दोनों जोनो -शाहदरा उत्तरी और दक्षिणी के भवन विभाग में करोड़ों रूपये की बंदरबांट पिछले लम्बे समय से चल रही है  इसमें शासन और प्रशासन में बैठे लोग बराबर के भागीदार बने हुए हैं। बताया जाता है कि अधिकांश निगम पार्षद भी  भ्रष्टाचार में पूरी तरह से भागीदारी निभा रहे हैं।भवन विभाग में ऊपर से लेकर नीचे तक अवैध निर्माणों से उगाही गयी रकम का बंटवारा पद के हिसाब से होता है। इस विभाग में सारा खेल कनिष्ठ अभियंता और उनके द्वारा अपने - अपने अधीनस्थ वार्डों में रखे गए अवैध बेलदारों के माध्यम से चलाया जाता है। नगर निगम के प्रशासन ने जानबूझ कर भवन विभाग में नियमित बेलदारों की नियुक्ति नहीं की हुयी है। इस नीति के कारण भवन विभाग के जे ई और ऐ ई अपनी मर्जी से जिसको चाहें उसको अपने क्षेत्र में बिल्डरों से उगाही करने के लिए बेलदारों को नियुक्त किये हुए हैं। इन अवैध नियुक्तियों में कई अधिकारीयों और पार्षदों ने अपने निजी लोगों को नियुक्त किया हुआ है जो प्रतिमाह करोड़ों रूपये की उगाही करके अपने आकाओं तक पहुंचा रहे हैं। इस तरह से निगम के शासक और प्रशासक प्रधानमंत्री के कालेधन के विरुद्ध चलाये गए अभियान को पलीता लगाने में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री अगर नगर निगमों के भवन विभाग अवैध बेलदारों की ही जाँच करवा लें तो हज़ारों करोड़ की चल -अचल सम्पत्ति बाहर आ सकती है। अभियंता ,अधिकारी और नगर सेवकों के पास इकठा हुआ काला धन तो इससे भी कहीं अधिक होगा। जारी ......    

गीता भवन राधा -कृष्ण मन्दिर में कृष्ण जनमोत्स्व पर भव्य आयोजन किया गया

शाहदरा [दिल्ली ]  यहां भोलानाथ नगर स्थित गीता भवन [श्री राधा कृष्ण ] मंदिर मेँ कृष्ण जन्माष्टमी को बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस आयोजन को मंदिर की संचालन समिति नव निर्मित गीता भवन सभा       [रजि।  ] द्वारा किया गया था। इस अवसर पर भगवान श्री कृष्ण की जीवन लीला से जुडी हुई सुन्दर झाँकियों को बनाया गया। एक झाँकी में सरदार भगत सिंह सुखदेव राजगुरु को फांसी देने की घटना को चित्रित किया गया। नेताजी सुभाष बोस की झाँकी देश के प्रति  त्याग के संदेश को देने का प्रयास किया गया। इस समारोह में हजारों की संख्या में लोगों म ने झाँकियों का अवलोकन किया और भगवान श्री कृष्ण के दर्शनों का लाभ प्राप्त किया। समारोह में वरिष्ठ अधिवक्ता राजीव कुमार राय , दिल्ली के पूर्व मंत्री डॉ नरेंद्र नाथ ,पूर्व विधायक शाहदरा जितेंद्र सिंह शंटी ,निगम पार्षद निर्मल जैन ,भाजपा नेता कमल कांत और उनकी निगम पार्षद पत्नी अंजू कमलकांत ,पंचानंद गुप्ता , समाजसेवी महेश अग्रवाल और अक्षय जी का मंदिर प्रबंध समिति अध्यक्ष अश्विनी भाटिया ने स्वागत किया।  इस अवसर पर अश्विनी भाटिया ने कहा  कि आज भी भगवान श्री कृष्ण की नीतियों पर चलकर हिन्दू धर्म पुरे विश्व में अपनी कीर्ति फैला सकता  है और भारत भी महा शक्ति के रूप में पुरे विश्व में अपना से उपस्थित भक्तों को भगवान श्री कृष्ण के दर्शन लाभ करवाया। अंत में सभी भक्तों में मक्खन मिस्थान बना सकता है।  समारोह के सफल आयोजन में सभा के उपाध्यक्ष सुभाष रंगा ,महासचिव बिजेंद्र गुप्ता ,  कोषाध्यक्ष टीटू सहगल ,सहसचिव शैलेन्द्र दत्त ,रमन भाटिया ,रवि आहूजा ,सुदर्शन बब्बू ,जयभगवान शर्मा ,रमेश ढींगरा ,जुगल सहगल ,रविंद्र नाथ और मंदिर के प्रबंधक प्रेम चंद गुप्ता ने अथक परिश्रम का योगदान रहा। मन्दिर  के पुजारी राजेश गौड़ ने कृष्ण जन्म से जुडी कथा सुनाकर  और भजन कीर्तन व् आरती श्री सहित प्रसाद  का वितरण किया गया।







Saturday 18 February 2017

पीड़ित सिपाही ने कोर्ट में दायर किया केस। गोकुलपुरी एस एच ओ व अन्य तीन एस आई को बनाया आरोपी

[दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ]
दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] भारत को अंग्रेजी गुलामी  से मुक्ति पाए बेशक 70  वर्ष होने को हैं परन्तु देश की पुलिस अंग्रेजी मानसिकता की आज भी गुलाम बनी हुयी है। अंग्रेजों ने पुलिस की स्थापना अपने विरुद्ध उठनेवाली जनता की हर आवाज़ को डंडे के बल पर दबाना और दमन चक्र चलाने के लिए किया था। साथ ही पुलिस के बड़े पदों पर अंग्रेज़ आसीन होते थे और निम्न पदों पर हिंदुस्तानियों को भर्ती किया जाता था। पुलिस के अंग्रेज़ अधिकारी छोटे कर्मचारियों [हिंदुस्तानियों ] से भी बहुत अपमान जनक व्यवहार करना अपना अधिकार समझते थे और गलियां देना तो उनकी ट्रेनिंग का ही एक जरूरी अध्याय ही होता था।देश से अंग्रेजी हकूमत तो चली गयी मगर उनकी बनाई पुलिस व्यवस्था आज भी कायम है जो कि हमारी लोकतान्त्रिक व्यवस्था पर बदनुमा दाग़ है।आज भी पुलिस जनता को दबाना ,मारना -पीटना अपना अपना जन्मसिद्ध अधिकार मानती है वहीं बड़े अधिकारी निम्न कर्मचारियों को अपना गुलाम मानते हुए उनको गाली देना और मानसिक -शारीरिक प्रताड़ना देने से भी बाज़ नहीँ आ रहे।
                देश की राजधानी दिल्ली में भी यहां की पुलिस खुद को जनता का सेवक और शांतिपूर्ण वातावरण में न्याय देने की बातें और दावे तो बड़े - बड़े करती है मगर सच्चाई इन दावों से कोसों दूर है। शांति -सेवा और न्याय देनेवाली दिल्ली दिल्ली पुलिस के दावे और स्लोगन को थाना गोकुलपुरी ने तार -तार करके खोखला साबित कर दिया है। पूरा प्रकरण इस प्रकार है -गत 11फरवरी को नन्दनगरी में तैनात सिपाही दिवाकर सिंह को जो कि अपने थाने से एच आर डी  [हाई रिस्क डिपार्टमेंट ] की ड्यूटी के तहत अन्य साथियों के साथ थाना गोकुल पूरी गया था और चेहरे पर दाने होने के कारण वह अपनी शेव नहीं करवा पाया था। शेव न करवा  पाने की मामूली सी बात पर थाना गोकुल पुरी के एस एच ओ हरीश कुमार और उनके तीन अधीनस्थ उप निरीक्षकों -अमित -राहुल और सुभाष ने उसको बुरी तरह से मारा -पीटा ,जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया और भद्दी -भद्दी माँ -बहन की गलियां दी भी और जब पीड़ित सिपाही दिवाकर ने उन अधिकारियों को इस बात का वास्ता दिया कि वो भी उन जैसा पुलिस कर्मी है उसके साथ यह व्यवहार ठीक नहीं है तो पीड़ित को अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर निलम्बित भी कर दिया  गया। आश्चर्य की बात यह है कि पीड़ित सिपाही द्धारा इस अपमान की शिकायत उच्च अधिकारियों से करने पर उच्च अधिकारियों ने भी  दोषी अधिकारियों के विरुद् कार्रवाई करने की बजाय उसी को नौकरी से बर्खास्तगी का भय दिखाकर चुप लगाने की हिदायत दे दी। बुरी तरह से अपमानित और लज्जित बाल्मीकि समुदाय के इस सिपाही से मारपीट ,गाली -गलौज करने और जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने के साथ ही  उसका फोन भी छीन लिया। जब उच्च पुलिसअधिकारियों ने भी पीड़ित सिपाही का दर्द नहीं सुना तो सिपाही ने अंततः  उत्तर पूर्वी जिला के अतिरिक्त मुख्य दण्डाधिकारी के न्यायालय में अपने अधिवक्ता प्रवीण चौधरी के माध्यम से दोषी एस एच ओ और तीनों उप निरीक्षकों के विरुद्ध आपराधिक परिवाद दाखिल कर खुद को न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होनी निश्चित हुई है।
 पीड़ित सिपाही दिवाकर ने भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 200 के अंतर्गत कोर्ट में दी गई याचिका में निवेदन किया है कि उसके साथ की गई मारपीट, जबरन रोकने,उसको अपनी सरकारी ड्यूटी करने में बाधा उतपन्न करने ,उसका फोन छीनने ,गम्भीर परिणाम भुगतने धमकी देने के साथ -साथ जाति सूचक शब्दों से प्रताड़ित करने के आपराधिक कृत्य के विरुद्ध आई पी सी की धारा 323 /332 /341 /342 /356 /379/506/34 के अंतर्गत आरोपियों को दण्डित करके इंसाफ दिलाने की गुहार की है।  इसके साथ ही पीड़ित सिपाही ने आपराधिक दंड प्रकिया संहिता की धारा 156 [3] का प्रार्थना पत्र देकर इस मामले की एफ आई आर करने और पुलिस के उच्च अधिकारी से समस्त मामले की निष्पक्ष जाँच करवाकर दोषी आरोपियों के विरुद्ध आई पी सी की उचित धारायों में केस चलाने की मांग भी की है।
             दिल्ली के नव नियुक्त आयुक्त श्री अमूल्य पटनायक ने अपना पद भार सम्भालने के बाद सभी थानाध्यक्षों और उपायुक्तों को चेतावनी भरे शब्दों में हिदायत दी थी कि किसी  भी अधिकारी को अपने कर्तव्य में कोताही बरतने पर नहीं बख्शा जायेगा । लगता है कि आयुक्त महोदय की इस चेतावनी का थाना गोकुल पुरी के थानाध्यक्ष हरीश कुमार और उनके अधीनस्थों पर कोई असर नहीं हुआ है। सिपाही दिवाकर के साथ घटित इस प्रकरण से इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जब पुलिस के अधिकारियों का व्यवहार अपने अधीनस्थ निम्न कर्मचारियों के साथ ही अमानवीय है तो वह आम जनता के साथ थानों में क्या सलूक करते होंगे ? 

Sunday 29 January 2017

काश हिन्दू कट्टर और आतंकी होता तो आज बहुत कुछ अलग होता।

 न ही अंग्रेजीकाश हिन्दू क्ट्टर और आतंकवादी होता तो देश और दुनिया का नक्शा कुछ अलग होता। भारत और हिन्दू एक हजार साल तक गुलाम न होता। न कोई मोहम्मद बिना कासिम ,महमुद गजनवी, मोहम्मद गौरी , तैमूर लंग , बाबर, अहमद शाह अब्दाली , नादिर शाह जैसे इस्लामिक  लूटेरे भारत में आकर लूटपाट और रक्तपा न ही मुगल साम्राज्य स्थापित होता ओर न ही औरांगजेब जैसा अत्याचारी शासक हिन्दूयों का नरसंहार करता। शासन भारत को अपना गुलाम बनाता। और न ही ऐ ओ ह्यूम जैसा विदेशी कांग्रेस की स्थापना करता। न ही गांधी- नेहरू- ज़िन्ना जैसे कथित नेता अंग्रेजों के इशारे पर भारत माँ का सीना चिरवाकर पाकिस्तानी नासूर पैदा करते  और न ही लाखों लोगों का कत्लेआम होता और न करोड़ों हिंदुओं को अपनी मातृभूमि को छोड़कर अपने ही देश में शरणार्थी कहलाते। अगर हिन्दू 1947 में भी कट्टर और आतंकी बन जाता तो इस देश में न ही कोई धर्मनिरेक्षता का राग गानेवाला होता और न  ही  देश में साम्प्रदायिकता के विरुद्ध एकजुट होने का नारे लगाने वाले नेता अपना सत्ता हथियाने का खेल खेल रहे होते। काश हिन्दू कट्टर होता तो यह सेकुलरवाद का कीड़ा भी कथित बुद्धिजीवीवियों के दिमाग में अपना घर बनाता।काश हिन्दू अब भी कट्टर और आतंकी हो जाये तो शायद भारत की साडी समस्याओं का हल निकल जाये। शायद ऐसा होता तो  संजय लीला भंसाली जैसा भांड और सिर्फ  पैसे को अपना धर्म -इमान बना चुके और खुद को अभिव्यक्ति का  स्वयंभू पूरोधा मान चुके यह हिन्दू विरोधी मानसिकता से ग्रस्त लोग  पद्मावती जैसी राजपूत वीरांगना के चरित्र का हनन करने की चेष्टा करना तो दूर ऐसी कल्पना भी नहीं कर पाते।  पर अफ़सोस हिन्दू ऐसा नहीं बना है परन्तु अगर हिंदुओं के प्रतिमानों और अस्मिता से कोई खिलवाड़ करेगा तो सदियों से शांति का मन्त्र जाप करनेवाला हिन्दू अब कट्टर और आतंकी बन जाने को मजबूर हो जायेगा।त करते।