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Saturday 16 July 2011

नपुंसक और नकारा नेता नही कर सकते देश और देशवासीओ की सुरक्षा

मुंबई में बॉम्ब ब्लास्ट करके एक बार फिर आतंकवादियों ने ये साबित कर दिया है कि भारत की बागडोर नपुंसक ओर नाकारा लीडरो के हाथ में है. हर बार की तरह इस बार भी सरकार चलानेवालों ने लोगों से संयम बरतने की अपील की ओर कुछ राहत राशि की घोषणा करने की रस्म अदायगी कर दी. प्रधान मनती और उनकी नकेल संभालने वाली सोनिया गाँधी ने भी अस्पताल में जाकर पीड़ितो का हाल पूछ कर देश की जनता पर बहुत बड़ा उपकार कर दिया. दूसरी ओर से देश की बागडोर संभालने के पूर्व अभ्यास में लगे कॉंग्रेस के स्वघोषित युवराज राहुल गाँधी ने देश की जनता को समझा दिया कि सरकार उनकी सुरक्षा हर वक़्त नही कर सकती. उन्होने कहा कि १-२ धमाके तो होंगे ही उसे हम नही रोक सकते. एक तरह से उन्होने सच ही कहा है क्योंकि उनकी इस नकारा ओर नपुंसक सरकार से सुरक्षा की उम्मीद करना भी बेकार की बात है क्योंकि  सुरक्षा की ज़रूरत जनता को नही इन नकारा ओर नपुंसक लीडरो को है और उसको देश के सुरक्षा बल करने में लगे ही हुए हैं. रही बात जनता की, तो, उसे तो मरना ही है, फिर चाहे वो भूख से मरे, अस्पताल से इलाज़ ना होने के कारण मरे, रेल दुर्घटना मे मरे या फिर पुलिस के हाथों मारी जाए उसे तो मरना ही पड़ेगा. अगर वो आंतकवादी हमलो में मारी जाए तो इस से इन सत्ताभोगिओं को क्या फ़र्क पड़ता है?