Powered By Blogger

Monday 22 December 2014

त्याग और तपस्या की प्रतिमूर्ति एडवोकेट चौधरी शिवराज सिंह ''चौधरी साहब '' की 9 वीं पुण्यतिथि पर उनके चरणों में हमारा शत - शत नमन

कुछ चलते हैं पदचिन्हों पर ,कुछ औरों को राह दिखाते हैं।
हैं सूरमा वही इस धरती पर, जो पदचिन्ह नए बनाते  हैं।।

सादगी ,गंभीरता और समाज के हित में सोच की प्रवृति से ओत -प्रोत मानवीय मूल्यों के लिए किसी से भी समझौता न करनेवाले तवस्वी स्वर्गीय चौधरी शिवराज सिंह [एडवोकेट ] जी, आज के दिन 23 दिसम्बर ,2005 को इस लोक से अपनी जीवनयात्रा को पूर्ण करके परलोक धाम को चले गए। मेरे पिता तुल्य पूजनीय चौ. साहब के सानिध्य में मुझे कई वर्षों तक रहने और इस दुनिया को समझने ,जीने का अवसर मिला है। वो आज बेशक भौतिक रूप से हमारे साथ नहीं हैं, लेकिन अदृश्य रूप से अपनी मधुर स्मृतियों के साथ  हमारे मन -मष्तिक में हमेशा बने रहेंगे। आज भी जीवन की राह में आनेवाली कठिन परिस्थितिओं की  तपिश में उनका आशीर्वाद मुझे हवा के शीतल झोंके का अहसास करवाता रहता है ,जो मेरे को हर विकट और प्रतिकूल  परिस्थिति का और भी अधिक हौंसले के साथ सामना करने का साहस प्रदान करता है। मैं  आज उनकी 9 वीं पुण्यतिथि पर उनको अपना शत -२ नमन करता हूँ।मैं  ईश्वर से और दिवंगत आत्मा से भी यह प्रार्थना करता हूँ कि वह अपना स्नेह और आशीर्वाद हम पर हमेशा बनाये रहेंगे। 

            चौ. साहब नाम से पहचाने जानेवाले शिवराज जी ने हमेशा समाज कल्याण की सोच और मानवीय दृष्टिकोण को अपने से अलग नहीं होने दिया।  चौ. साहब लम्बे समय तक किसान नेता चौधरी चरण सिंह के निकट सहयोगी रहे और आपात्तकाल [ 1975 -1977 ] के दौरान  कारागार में भी रहे,लेकिन उन्होंने अपने सिद्धांतों से कोई समझौता नहीं किया।  उन्होंने आपात्तकाल के बाद 1977 के आम चुनाव में  जनता पार्टी के टिकट पर  लोकसभा सीट पर लड़ने के चौधरी चरणसिंह के  प्रस्ताव को स्वीकार न करके अपने निस्वार्थ सेवा भाव का जो अनूठा उदाहरण समाज के सामने रखा वह अतुलनीय है। उनके व्यक्तित्व का यह पक्ष  उनके अंतरमन में आसीन एक ऐसे तपस्वी का दर्शन समाज को करवाता है जो सिर्फ इस जीवन में त्याग की भावना को लेकर अपने कर्म मार्ग पर चलने में विश्वास रखता है।उनके सानिध्य में रहकर उन्होंने असंख्य अधिवक्ताओं को  क़ानूनी दांवपेंच बेशक सिखाये हों, परन्तु इसके साथ -२ उन्होंने समाज के  कमजोर और असहाय लोगों की सहायता करने की सीख भी दी। उनके पुत्र प्रवीण चौधरी वर्तमान में एक सफल अधिवक्ता हैं और शाहदरा बार एसोसिएशन के सचिव के रूप में कार्यरत हैं। स्वर्गीय चौधरी साहब के श्री चरणों में हमारा पुनः  शत -२ नमन।