आज जिस तरह से यूपी के मुज्जफर नगर को साम्प्रदायिकता की आग ने घेर लिया है ,उसके लिए वहां कि समाजवादी सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की घटिया नीति जिम्मेदार है। इस सरकार ने जिस तरह से मुस्लिम समाज को अपना संरक्षण दिया हुआ है उसीके चलते मुज्जफर नगर में हिंसा का खुला तांडव हुआ। वैसे तो पूरा हिंदुस्तान ही मुस्लिम कट्टरता के कारण ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठा हुआ है मगर यूपी और बिहार में कुछ ज्यादा ही साम्प्रदायिकता की ज्वाला धधकाने का काम वहां की सरकारों द्वारा किया जा रहा है। यह दोनों प्रदेश आबादी और लोकसभा की सीटों के कारण भी भारत की राजनीती में अहम् रोल अदा करते हैं और वहां मुसलमानों की संख्या भी अच्छी -खासी है। इसीलिए दोनों राज्यों की सरकारें मुस्लिम मतों को पाने की लालसा में इनके गुनाहों पर पर्दा डालकर इन लोगों के होंसलें बढ़ा चुकी है और इसी कारण मुज्जफर नगर हिन्दू -मुस्लिम दंगों की आग में झुलस रहा है। अफ़सोस एस बात का है कि देश में साम्प्रदायिक -सौहार्द और सेकुलर वाद की दुहाई देनेवाले नेता व् राजनैतिक दल अपने बिलों में छुपे बैठे हैं क्योंकि उनको पूरा विश्वास है कि इस दंगे की आग में उनके वोटर हावी हैं।
क्या यह लोग शांति और प्रेम की भाषा को समझेंगे ? |