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Tuesday 10 September 2013

क्या चाहता है इस्लामिक कट्टरवाद और क्यों बार -बार झुलसता है हिंदुस्तान ?

आज जिस तरह से यूपी के मुज्जफर नगर को साम्प्रदायिकता की आग ने घेर लिया है ,उसके लिए वहां कि समाजवादी सरकार की मुस्लिम तुष्टिकरण की घटिया नीति जिम्मेदार है। इस सरकार ने जिस तरह से मुस्लिम समाज को अपना संरक्षण दिया हुआ है उसीके चलते मुज्जफर नगर में हिंसा का खुला तांडव हुआ। वैसे तो पूरा हिंदुस्तान ही मुस्लिम कट्टरता के कारण ज्वालामुखी के मुहाने पर बैठा हुआ है मगर यूपी और बिहार में कुछ ज्यादा ही साम्प्रदायिकता की ज्वाला धधकाने का काम वहां की सरकारों द्वारा किया जा रहा है। यह दोनों प्रदेश आबादी और लोकसभा की सीटों के कारण भी भारत की राजनीती में अहम् रोल  अदा करते हैं और वहां मुसलमानों की संख्या भी अच्छी -खासी है। इसीलिए दोनों राज्यों की सरकारें मुस्लिम मतों को पाने की लालसा में इनके गुनाहों पर पर्दा डालकर इन लोगों के होंसलें बढ़ा चुकी है और इसी कारण मुज्जफर नगर हिन्दू -मुस्लिम दंगों की आग में झुलस रहा है। अफ़सोस एस बात का है कि देश में साम्प्रदायिक -सौहार्द और सेकुलर वाद की दुहाई देनेवाले नेता व् राजनैतिक दल अपने बिलों में छुपे बैठे हैं क्योंकि उनको पूरा विश्वास है कि इस दंगे की आग में उनके वोटर हावी हैं।

क्या यह लोग शांति और प्रेम की भाषा को समझेंगे ?

               हिन्दू समाज पिछले १००० वर्षों से इस्लामिक कट्टरवाद का शिकार है, परन्तु इसके बावजूद वह अभी तक पूरी तरह से न तो मुस्लिम मानसिकता को पढ़ पाया है और न ही अपना सहिष्णु सवभाव ही बदल पाया है जिसका खामियाजा वह पूर्व में भी भुगत चूका है और आज भी भुगत रहा है। 1947 में जिस मुस्लिम आक्रान्ता ने देश को विभाजित कर दिया था और उसकी आग में भारत का पंजाब -सिंध और बंगाल बुरी तरह से जल गया परन्तु इस आग की तपिश को शेष भारत के लोगों ने महसूस किया होता तो आज भारत की स्थिति कुछ और ही होती। जिन मुसलमानों को यूपी -बिहार के लोगों ने अपना भाई मानते हुए पाकिस्तान नहीं जाने दिया आज वही लोग उनके खून के प्यासे बनकर उनकी शांति को समाप्त क्र रहे हैं। काश उस समय हिन्दू मुस्लिम मानसिकता को अच्छी तरह से पढ़ लेते तो आज न कश्मीर से हिन्दू पंडितों को अपने घरों से बाहर होना पड़ता और नाहि मुज्जफरनगर को आग में जलना पड़ता। क्या चाहता है इस्लामिक कट्टरवाद और क्यों बार -बार झुलसता है हिंदुस्तान  ? क्या इसपर इस देश के शुभचिंतकों को सोचना नहीं चाहिय कि कैसे इस देश को आतंक और कट्टरता से मुक्त करवाया जा सकता है ?