Powered By Blogger

Wednesday 26 August 2015

परमाणु बम से कहीं ज्यादा घातक हो सकता है आरक्षण का हथियार । भारत को तोड़ने की हो सकती है विदेशी साजिश ?

आरक्षण का दानव धीरे -2 जिस तरह से अपने पैर पसार रहा है उससे यह लगने लगा है कि एक दिन यह बीमारी भारत के विनाश का कारण बन सकती है। हमारे देश के राजनैतिक दल अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए दिन -प्रतिदिन इस आरक्षण के झुनझुने को हिला कर नित नई जातिओं और समुदायों को आरक्षण का लालच देकर उकसाने में लगे हुए हैं। ऐसा लगता है की अब विदेशी ताकतें भारत के लोगों को आपसी झगड़ों में उलझाने के लिए आरक्षण के हथियार को आजमाने में जुट गई हैं। हमारे देश के सत्ता के लोभी नेताओं और दलों को भी सिर्फ और सिर्फ अपनी कुर्सी को बनाये रखने की चिंता है, चाहे इसके लिए देश की अंदरुनी शांति ही क्यों न बलिदान कर दी जाए। विदेशी ताकतों की हर संभव यही कोशिश वर्षों से रही है कि किसी भी तरह से भारत को कमजोर और खंडित किया जाए। अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए इन ताकतों ने अथाह धन -सम्पत्ति भी खर्च की है और इसको अनुदान के रूप में देश के अंदर काम करनेवाले कई गैर सरकारी संगठनों ने आर्थिक सहायता के रूप में  प्राप्त भी किया है। ऐसे कई संगठनों की मोदी सरकार ने जाँच भी की है और कई संगठनों का पंजीकरण भी रद्द किया जा चूका है। आजकल आरक्षण के नाम पर भारत में आपसी जातीय संघर्ष के बीज बोने का काम कुछ देश विरोधी ताकतों द्वारा किया जा रहा है। इसका ताज़ा उदाहरण शांत गुजरात में पटेल आरक्षण के नाम पर की जा रही हिंसा है ,जोकि किसी भी तरह से देश के हित में नहीं है। भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट किया जा चूका है कि  आरक्षण की सीमा  किसी भी स्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। अफ़सोस की बात यह है कि इसके बावजूद भी कुछ स्वार्थी नेता अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए जाति -समुदायों को आरक्षण देने की कवायद में लगकर देश के लोगों में आपसी प्रेम को वैमनस्यता में बदलने की नापाक कौशिश में लगे हुए हैं। जिस गुजरात में पिछले 13 वर्षों से हिंसा नहीं हुई थी और लोग प्रेम और शांति से अपना विकास कर रहे थे, उसको बर्बाद करने के प्रयास किये जा रहे हैं। गुजरात को पटेल आरक्षण के नाम पर कुछ ऐसे लोगों ने हिंसा की आग में धकेल दिया है जो कि देश विरोधी और समाज विरोधी ताकतों के हाथों में खेल रहे हैं।धर्म के आधार पर ,कभी भाषा के आधार पर और अब आरक्षण के आधार पर भारत को आंतरिक युद्ध में उलझाने की साजिश चरम पर पहुंच गई लगती है। लोगों को विशेष रूप से हिन्दुओं को अब जाति के आधार पर लड़ाने की भारत विरोधी साजिश चल रही है और उसका हथियार जाति -आरक्षण बनता जा रहा है। इस साजिश में जाने -अंजाने हार्दिक पटेल जैसे कई युवा बन रहे हैं जो कम समय और कम मेहनत करके अधिक से अधिक पाने की मानसिकता के हैं। इस मानसिकता के लोग किसी भी हद तक जाने की कोशिश करते हैं चाहे उनकी इस हरकत से देश या समाज खंडित ही क्यों न हो जाए। अब देश की सरकार को भी इस बात की तह तक जाना चाहिए कि किन ताकतों के बल पर एक 22 वर्ष का युवक हार्दिक पटेल गुजरात जैसे विकास के रोल मॉडल राज्य की हंसती -खेलती जनता को हिंसा के हवाले कर देता है ?चिंता इस बात की भी की जानी चाहिए कि कुछ विदेशी ताकतों के बल और पैसे से भारत के भीतर बैठे गद्दार किस्म के लोग देश में अराजकता का माहौल बनाने में कामयाब भी होते दिखाई दे रहे हैं। इस बात को हमें भली -भांति समझ लेना चाहिए कि भारत के लिए परमाणु बम से कहीं ज्यादा घातक हो सकता है आरक्षण का हथियार जिससे हमारा समाज ,लोकतंत्र ,धर्म -संस्कृति और एकता -अखंडता लहू -लुहान हो सकती है। इस आरक्षण के हथियार से सुगम तरीके से सत्ता पाने वाले हमारे राजनैतिक दलों को अपनी हरकतों से बाज़ आ जाना चाहिए अन्यथा इसी हथियार से विदेशी ताकतें भारत को विनाश की गर्त में धकेल सकती हैं जहां पर न तो सत्ता भोगने वाले स्वार्थी नेता और न ही नौकरी और तरक्की की लालसा में आरक्षण चाहनेवाली जातियां -समुदाय बचे होंगे।