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Saturday 8 August 2015

आतंकी याकूब की फांसी को महिमामंडित करनेवाले चैनलों को सरकार के दिए नोटिस पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA बेचैन क्यों ?

केंद्र  और कुछ राज्य सरकारों  ने कुछ न्यूज़ चैनल्स को आतंकवादी याकूब मेमन की फांसी की कवरेज देने पर क़ानूनी नोटिस जारी किया है। इनमें आजतक , एनडीटीवी और एबीपी  चैनल प्रमुख हैं। क्या आप सरकार द्वारा इनको दिए गए नोटिस से सहमत हैं ? हमारे अनुसार सरकार की यह कार्रवाई उचित है , क्योंकि इन मीडिया चैनलों ने याकूब को कवरेज देकर हीरो के रूप में प्रचारित करने में कोई कोर -कसर बाकि नहीं छोड़ी थी। याकूब की फांसी की कवरेज को लेकर तीन न्यूज चैनलों एबीपी न्यूज, आज तक और एनडीटीवी को नोटिस भेजने पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA ने चिंता जताई। चुनिंदा मीडिया संगठनों को केंद्र सरकार की ओर से नोटिस भेजे जाने पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA ने सवाल उठाया है। क्या आप सरकार द्वारा इनको दिए गए नोटिस से सहमत हैं ? क्या आप न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA द्वारा नोटिस पर सवाल उठाने को सही मानते हैं ? हमारा मानना है की सविंधान में बेशक किसी भी नागरिक को विचारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी मिली हुई है परन्तु यह अधिकार किसी भी हालत में देशहित को दरकिनार करने की छूट प्रदान नहीं करता।  इस अधिकार की आड़ में मीडिया चैनल, पत्रकार ,किसी भी बड़े ओहदे पर बैठे व्यक्ति विशेष को  देश की सुरक्षा  से खिलवाड़ करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने की छूट नहीं दी जा सकती। हद तो तब हो गई जब देश की न्यायपालिकासे फांसी की सज़ा पाये याकूब मेमन जैसे अपराधी और देशद्रोही को महिमामंडित करने कुछ न्यूज़ चैनल्स में होड़ सी लग गई । हमारा तो सुप्रीम कोर्ट से भी यह निवेदन है कि वह याकूब की फांसी का विरोध और उस पर सवाल खड़ा करनेवाले मीडिया चैनल और कथित बुद्धिजीवियों के विरुद्ध कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई भी शीघ्र करे ताकि लोगों का विश्वास देश की कानून व्यवस्था और न्यायपालिका में कायम रहे। साथ ही भविष्य में किसी की भी देशहित को दरकिनार करके किसी देशद्रोही और आतंकवादी को महिमा मंडित करने की हिम्मत ही न हो सके। क्या आप इससे सहमत हैं ?