[दिल्ली पुलिस आयुक्त अमूल्य पटनायक ] |
देश की राजधानी दिल्ली में भी यहां की पुलिस खुद को जनता का सेवक और शांतिपूर्ण वातावरण में न्याय देने की बातें और दावे तो बड़े - बड़े करती है मगर सच्चाई इन दावों से कोसों दूर है। शांति -सेवा और न्याय देनेवाली दिल्ली दिल्ली पुलिस के दावे और स्लोगन को थाना गोकुलपुरी ने तार -तार करके खोखला साबित कर दिया है। पूरा प्रकरण इस प्रकार है -गत 11फरवरी को नन्दनगरी में तैनात सिपाही दिवाकर सिंह को जो कि अपने थाने से एच आर डी [हाई रिस्क डिपार्टमेंट ] की ड्यूटी के तहत अन्य साथियों के साथ थाना गोकुल पूरी गया था और चेहरे पर दाने होने के कारण वह अपनी शेव नहीं करवा पाया था। शेव न करवा पाने की मामूली सी बात पर थाना गोकुल पुरी के एस एच ओ हरीश कुमार और उनके तीन अधीनस्थ उप निरीक्षकों -अमित -राहुल और सुभाष ने उसको बुरी तरह से मारा -पीटा ,जातिसूचक शब्दों से अपमानित किया और भद्दी -भद्दी माँ -बहन की गलियां दी भी और जब पीड़ित सिपाही दिवाकर ने उन अधिकारियों को इस बात का वास्ता दिया कि वो भी उन जैसा पुलिस कर्मी है उसके साथ यह व्यवहार ठीक नहीं है तो पीड़ित को अनुशासनात्मक कार्रवाई के नाम पर निलम्बित भी कर दिया गया। आश्चर्य की बात यह है कि पीड़ित सिपाही द्धारा इस अपमान की शिकायत उच्च अधिकारियों से करने पर उच्च अधिकारियों ने भी दोषी अधिकारियों के विरुद् कार्रवाई करने की बजाय उसी को नौकरी से बर्खास्तगी का भय दिखाकर चुप लगाने की हिदायत दे दी। बुरी तरह से अपमानित और लज्जित बाल्मीकि समुदाय के इस सिपाही से मारपीट ,गाली -गलौज करने और जाति सूचक शब्दों से अपमानित करने के साथ ही उसका फोन भी छीन लिया। जब उच्च पुलिसअधिकारियों ने भी पीड़ित सिपाही का दर्द नहीं सुना तो सिपाही ने अंततः उत्तर पूर्वी जिला के अतिरिक्त मुख्य दण्डाधिकारी के न्यायालय में अपने अधिवक्ता प्रवीण चौधरी के माध्यम से दोषी एस एच ओ और तीनों उप निरीक्षकों के विरुद्ध आपराधिक परिवाद दाखिल कर खुद को न्याय दिलाने की गुहार लगाई है।मामले की अगली सुनवाई 20 फरवरी को होनी निश्चित हुई है।
पीड़ित सिपाही दिवाकर ने भारतीय दण्ड प्रक्रिया संहिता की धारा 200 के अंतर्गत कोर्ट में दी गई याचिका में निवेदन किया है कि उसके साथ की गई मारपीट, जबरन रोकने,उसको अपनी सरकारी ड्यूटी करने में बाधा उतपन्न करने ,उसका फोन छीनने ,गम्भीर परिणाम भुगतने धमकी देने के साथ -साथ जाति सूचक शब्दों से प्रताड़ित करने के आपराधिक कृत्य के विरुद्ध आई पी सी की धारा 323 /332 /341 /342 /356 /379/506/34 के अंतर्गत आरोपियों को दण्डित करके इंसाफ दिलाने की गुहार की है। इसके साथ ही पीड़ित सिपाही ने आपराधिक दंड प्रकिया संहिता की धारा 156 [3] का प्रार्थना पत्र देकर इस मामले की एफ आई आर करने और पुलिस के उच्च अधिकारी से समस्त मामले की निष्पक्ष जाँच करवाकर दोषी आरोपियों के विरुद्ध आई पी सी की उचित धारायों में केस चलाने की मांग भी की है।
दिल्ली के नव नियुक्त आयुक्त श्री अमूल्य पटनायक ने अपना पद भार सम्भालने के बाद सभी थानाध्यक्षों और उपायुक्तों को चेतावनी भरे शब्दों में हिदायत दी थी कि किसी भी अधिकारी को अपने कर्तव्य में कोताही बरतने पर नहीं बख्शा जायेगा । लगता है कि आयुक्त महोदय की इस चेतावनी का थाना गोकुल पुरी के थानाध्यक्ष हरीश कुमार और उनके अधीनस्थों पर कोई असर नहीं हुआ है। सिपाही दिवाकर के साथ घटित इस प्रकरण से इस बात का अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है कि जब पुलिस के अधिकारियों का व्यवहार अपने अधीनस्थ निम्न कर्मचारियों के साथ ही अमानवीय है तो वह आम जनता के साथ थानों में क्या सलूक करते होंगे ?