दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] पंजाब के गुरदासपुर में आतंकी हमले में मारे गए बेगुनाह लोगों को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि। हमले में शहीद हुए पुलिस के जवानों को भी हमारा नमन। हमले में पुलिस अधीक्षक बलजीत सिंह भी शहीद हो गए हैं , जिन्होंने देश की सुरक्षा में आतंकवादिओं से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज देश को भारत माँ के इन शहीद हुए जवानों पर नाज़ है। इस आतंकी हमले के लिए आतंकवादी तो जिम्मेदार हैं ही साथ ही वो लोग भी बराबर के दो लगाकर न्यायपालिका की अवमानना और आतंकवाद को अपना समर्थन देकर देषी हैं जो आतंकवादी मेमन को न्यायालय द्वारा दी फांसी की सज़ा पर सवालिया निशानश की अस्मिता से खिलवाड़ कर रहे हैं। याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले चाहे वो राजनेता हों ,चाहे कथित बड़े पत्रकार या फिल्म उद्योग से जुड़े लोग सबके सब आतंकवाद को बढ़ावा देते दिख रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि कुछ मीडिया चैनल भी इस आतंकी को बचाने की मुहीम छेड़े हुए है। यह मीडिया वाले खुद को शायद स्वयं को देश की एकता और न्यायपालिका से भी ऊपर मने बैठे हुए हैं और अदालत के आदेश को गलत ठहराते हुए बहस चलाने को अपना धर्म समझ रहे हैं। लानत है ऐसे लोगों पर जो जानबूझ कर आतंकवादी को बचाने की नापाक हरकत करके देश के साथ द्रोह करने में जुटे हुए हैं। सांसद ओबैसी जैसे मजहबी सिरफिरे और कुछ अन्य कथित मुस्लिम बुद्धिजीवी मेमन की फांसी का विरोध उसके मस्लिम होने के कारण करके अपनी दूषित मानसिकता को भी उजागर कर रहे हैं ,जबकि वह कहते हैं की आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता।मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले एक तरह से इस बात को साबित करने में लगे हुए हैं कि आतंकवाद का भी मजहब होता है और वो भी इस्लाम ? अतः यह कहना किसी भी तरह से गलत नहीं होगा कि पंजाब में हुए आतंकी हमले के लिए आतंवादियों के साथ -साथ आतंकी याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले भी दोषी हैं, जो आतंकवाद का मजहब भी बताने में जुटे हैं।