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Saturday 3 January 2015

शाहदरा विधानसभा क्षेत्र से शंटी को बहन प्रीति के चुनावी चुनौती देने से बिगड़ सकता है भाजपा का समीकरण और बाज़ी लग सकती है कांग्रेस के हाथ।

शाहदरा [अश्विनी भाटिया  ] दिल्ली विधानसभा के चुनावों का ऐलान बेशक अभी नहीं हुआ  है,लेकिन भाजपा सहित आप और कांग्रेस आदि दलों ने अपना अपना चुनावी बिगुल बजा दिया है। शाहदरा विधानसभा क्षेत्र से निवर्तमान विधायक जितेन्दर सिंह शंटी जो कि अभी एक वर्ष पहले विधानसभा चुनाव में अकाली -भाजपा गठबंधन के उम्मीदवार के तौर पर चुनाव जीते थे।इस बार चुनावी भंवर में फंसते नज़र आ रहे हैं ,उनके फंसने का कारण उनकी बहन प्रीती है जिसने इस क्षेत्र से चुनावी अभियान शरू कर दिया है और अपने भाई के सामने कड़ी चुनौती के रूप में आ खड़ी हुई है । बहन प्रीती विवेक विहार वार्ड 239 से निगम पार्षद है और वह भी विधानसभा चुनाव के रण में   आ डटी है।सूत्रों का कहना है कि वह  निर्दलीय प्रत्याशी के रूप से चुनाव लड़ेंगी।प्रीति अपने क्षेत्र में अपना मज़बूत आधार रखती हैं और निर्दलीय चुनाव जीतकर अपनी ताकत का अहसास सबको करवा चुकी हैं। बताया जाता है कि इसीलिए अपनी  बहन की गंभीर चुनौती से शंटी घबराए हुए हैं। सूत्रों का कहना है कि भाजपा हाईकमान भी इस बात से चिंतित है और उसको लगता है कि बहन -भाई के इस आपसी विवाद के कारण कहीं उनकी यह सीट उनके हाथ से निकालकर कांग्रेस की झोली में न चली जाए। इसीलिए सम्भावना यह भी है कि भाजपा शाहदरा सीट पर शंटी की जगह किसी दूसरे चेहरे  अपना उम्मीदवार बनाकर अपनी जीत को सुनिश्चित कर सकती है। प्रीति ने इलाके में जनसभाओं और जनसम्पर्क के माध्यम से चुनावी रणभेरी बजाकर अपने भाई शंटी की घंटी बजा दी है। वैसे  भाजपा ने अभी तक अपने उम्मीदवारों की घोषणा नहीं की है ,लेकिन शंटी अपने को अकाली -भाजपा का संयुक्त उम्मीदवार मानकर जोर -शोर से अपने आर्थिक संसाधनों के बल पर चुनावी महासमर में अपनी नाव को खेने में जुटे हुए हैं।  इस सीट पर पिछले लम्बे समय से विधायक होने का गौरव पानेवाले कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व मंत्री डा. नरेंद्र नाथ को एक वर्ष पहले हुए विधानसभा चुनाव में पराजय का सामना करना पड़ा था। कांग्रेस ने उन्हें इस बार फिर अपना उम्मीदवार घोषित कर दिया है और वह दिन -रात इलाके में पसीना बहाकर अपनी खोई हुई सीट को पाने के लिए जूझ रहे हैं। लोगों का कहना है कि अगर शंटी भाजपा- अकाली उम्मीदवार हुए और प्रीती मैदान में डटी रही तो यह सीट इस बार कांग्रेस के खाते में जा सकती है। इस सीट पर आप पार्टी ने अपना  उम्मीदवार रामनिवास गोयल को बनाया है। ज्ञात हो कि गोयल पहले भाजपा में थे और 1993 में इसी क्षेत्र से विधायक चुने गए थे। विधायक रहते हुए गोयल का व्यवहार जनता तो जनता अपनी पार्टी के कार्यकर्ताओं के प्रति भी अच्छा नहीं रहा। उन पर केस भी दर्ज़ हुए और अपने भाई के अनैतिक आचरण के कारण भी उनका दामन दागदार हो गया था। इसी कारण भाजपा ने उन्हें फिर कभी दोबारा   अपना  टिकट देना उचित नहीं समझा। लोगों में चर्चा है कि गोयल भले ही इस बार 'आप' उम्मीदवार हैं और अपनी  आर्थिक सम्पन्नता  के बल पर चुनाव में पैसा लगाएंगे, लेकिन उनका अतीत ही इस चुनाव में  उनकी हालत पतली करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करेगा। आज की स्थिति में अगर इस क्षेत्र से भाजपा से शंटी ,कांग्रेस से नरेंद्र नाथ ,आप पार्टी से रामनिवास गोयल और निर्दलीय प्रीति के बीच मुकाबला होता है तो भाजपा के मुकाबले बाज़ी कांग्रेस के हाथ लग सकती है।