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Monday, 21 September 2015

सरकारी षड्यंत्र का शिकार रही है हिंदी। भारत कब तक रहेगा विदेशी भाषा अंग्रेजी का गुलाम ?

भारत को आज़ाद हुए आज 68 वर्ष हो चुके हैं , लेकिन आज भी हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी विदेशी  अंग्रेजी के सामने बौनी बनी हुयी है। देश की आज़ादी के बाद जिन नेताओं ने भारत की बागडौर संभाली उनमें से  अधिकांश विदेशों में पढ़े -लिखे थे और उनकी सोच भी अंग्रेजी ही थी।अंग्रेज़ों की भांति ही इन नेताओं ने भी हिंदी को हेय समझा और अंगेज़ी को उच्च कुलीन वर्ग के सम्मान की भाषा माना। अपनी इसी दूषित सोच के  कारण उन्होंने भारत को अंग्रेज़ों से आज़ाद होने के बाद भी हिंदी भाषा को वह सम्मान नहीं दिया जो एक राष्ट्रभाषा को मिलना चाहिए था।अंग्रेज़ों के इन मानस पुत्रों ने  हिंदी को जानबूझ कर षड्यंत्र का शिकार बनाया  क्योंकि यह शासक वर्ग नहीं चाहता था कि शासितों और शासकों की भाषा एक ही हो। ऐसी कारण  हमें यह तो बताया गया कि भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी है , लेकिन हकीकत कुछ और ही थी जिसको आम जनमानस से छुपाया गया।आम आदमी के बच्चे जब हिंदी माध्यम से शिक्षित होकर रोजगार पाने के लिए निकले तो वहां अंग्रेजी ने उनको एक तरफ धकेल दिया ,अब हकीकत उन भोलेभाले लोगों के सामने आ गई कि भारत अंग्रेज़ों के शासन से बेशक आज़ाद हो गया है परन्तु उनकी भाषा अंगेज़ी की जंजीरों में अब भी जकड़ा हुआ हैऔर देश की  राष्ट्रभाषा हिंदी नहीं अंग्रेजी है। देश के कर्णधारों ने सोची -समझी साजिश के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले साधारण जनता के बच्चों को हिंदी भाषा पढ़ाने की नीति बनाई और अपने बच्चों को हिंदी से दूर रखकर कान्वेंट स्कूलों में अंग्रेजी भाषा की शिक्षा दी ताकि आगे चलकर वह भी उनकी ही तरह देश पर अपना वर्चस्व बनाए रखे और शासक की भूमिका निभाते रहें।सबसे अफ़सोस की बात यह है कि आज़ाद भारत की सरकारों ने हिंदी को इतना दयनीय बना दिया कि हिंदी परिवेश में पले  -बढ़े और उच्च शिक्षित लोगों को भी मामूली कामचलाऊ अंग्रेजी बोलने वालों के सम्मुख बौना बनाकर खड़ा कर दिया गया।शिक्षा नीति निर्धारकों ने जहां हिंदी सिखने वालों के लिए शुरुवात ही 'क से कबूतर ,ख से खरगोश और ग से गधा 'सिखाकर करवाई वहीं   अंग्रेजी की शुरुवात ही 'A से Apple और B से Boy और से Cat ' करके हिंदी को अंग्रेजी की तुलना में हीन बना दिया और हिंदी सिखने वाले को बौना।आज पूरे देश के शासन -प्रशासन के दफ्तरों से लेकर कोर्ट -कचहरी तक सब ओर हिंदी नदारद है और अंग्रेजी का वर्चस्व ही कायम  है। यह सोचने की बात है कि अगर भारत के शासन को अंग्रेजी तौर -तरीकों से ही चलाना था तो आम जनता को हिंदी का जाप क्यों रटाया गया ? शासकों ने क्यों अंग्रेजी को राष्ट्रभाषा के रूप में अघोषित रूप से आज तक लागु किया हुआ है?  क्या यह आम आदमी के साथ सरकारी षड्यंत्र नहीं है कि राग गाया जाये हिंदी का और सारा काम चलाया जाये अंग्रेजी में ,ऐसा क्यों, क्या इसके पीछे कोई षड्यंत्र तो नहीं है ? इसका  कारण यही है कि शासक नहीं चाहते कि शासित भी उन्हीं की तरह अंग्रेजी पढ़कर उच्च पदों पर आसीन हो जाएं। जनता को हिंदी में उलझाकर अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित करके नेताओं ने सभी सरकारी -गैर सरकारी उच्च पदों पर आसीन करके सभी सत्ता सोपानों पर अधिपत्य जमा लिया है। आज भी देश के उच्च और सर्वोच्य न्यायालय  में सिर्फ अंग्रेजी में ही न्याय मिल सकता है , हिंदी या किसी अन्य भाषा में नहीं। यह है हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी की वास्तविक स्थिति। उच्च न्यायालयों में अगर कोई राष्ट्रभाषा हिंदी में अपनी फरियाद रखना चाहे तो उसको अंग्रेजी का अनुवाद भी देना अनिवार्य है क्योंकि हमारी न्याय की मूर्तियां हिंदी नहीं अंग्रेजी परिवेश में पली -बढ़ी हैं और उनकी सोचने की शक्ति अंग्रेजी में ही अधिक प्रखर होती है।सरकार भी साल के  365 दिन में से मात्र 14 दिन का एक पखवाड़ा हिंदी -दिवस के नाम पर मनाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करने की लीक पीटती आ रही है। कितनेअफ़सोस की बात है कि राष्ट्रभाषा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करके सिर्फ खानापूर्ति ही की जाती है और व्यवहार में गुलामी की प्रतीक अंग्रेजी को अहमियत दी जाती है। आज जब से नरेंद्र मोदी की सरकार देश की सत्ता पर काबिज़ हुई है तब से राष्ट्रभाषा हिंदी को उसका सम्मान देने की चर्चा जोरों पर चल पड़ी है और सरकार इस पर कुछ गंभीर होती भी  प्रतीत हो रही है। अगर हमारी सरकार वास्तव में ही भारत को विश्व में महान राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का सपना अपने मन में संजो चुकी है तो उसको पूरी ताकत से सर्वप्रथम राष्ट्र भाषा हिंदी को जनमानस की भाषा से शासन -प्रशासन की सरकारी भाषा बनाने का कार्य करना होगा , ऐसा करने के बाद ही भारत महान बन सकता है।यह प्रमाण हमारे सामने हैं कि विश्व के वही  देश आज महान और शक्तिशाली बन पाएं हैं  जिनकी अपनी राष्ट्रभाषा है। आज विश्व का  कोई भी ऐसा विकसित देश चाहे वह जापान ,चीन ,रूस ,जर्मनी ही क्यों न हो इनको देखें तो यही साबित होता है कि इन देशों ने अपनी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाकर अपने देश को महान देशों की कतार में खड़ा किया न कि  गुलामी की प्रतीक किसी विदेशी भाषा को अपनी राष्ट्रभाषा के रूप में अघोषित रूप से जनता पर थोपकर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश का जनमानस  यह अपेक्षा करता है और यह विश्वास भी है कि वह देश के जनमानस में रची -बसी  हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को उसका उचित गौरव दिलाकर हिंदी को दीन  -हीन  नहीं बना रहने दें हिंदी को शासन -प्रशासन के कामकाज की सरकारी भाषा बनवाएं और देश की जनता को उन्हीं की भाषा में न्यायालयों से  भी न्याय दिलाने की व्यवस्था प्रदान करें। ऐसा होने पर हमें फिर हिंदी -दिवस मनाने की नहीं अपितु अंग्रेजी के प्रेमियों को अंग्रेजी -दिवस मनाने की जरुरत पड़ेगी। क्योंकि राष्ट्रभाषा हिंदी तो  हर पल हर स्थान पर उपस्थित होगी और इस भाषा को आत्मसात करके भारत के लोग स्वयं को गौरान्वित तो महसूस करेंगे ही साथ ही हमारा देश भी विश्व पटल पर अपनी राष्ट्रभाषा के ताज को पहनकर महान और स्वाभिमानी स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना सकेगा। जय हिन्द ,जय हिंदी। 

Saturday, 12 September 2015

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं मोदी के साथ। एबीवीपी ने फहराया एकबार फिर जीत का परचम।



दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में  लगातार दूसरी बार बीजेपी से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने सभी सीटों (चार) पर पुनः कब्जा जमा लिया है । यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर देश की राजधानी दिल्ली के युवा शक्ति के समर्थन की मोहर मानी जा रही है।दिल्ली छात्र संघ के इन नतीज़ों का सन्देश पुरे देश में जायेगा और बिहार विधानसभा चुनावों से पहले इस चुनाव में मिली जीत से बीजेपी गद -गद है। इन नतीज़ों का असर बिहार के चुनावों पर पड़ना लाजमी है क्योंकि  दिल्ली में बिहार के छात्रों की बहुत बड़ी संख्या है। यह जीत एक तरह से मोदी सरकार की नीतियों की जीत मानी जा सकती है और विरोधिओं के लिए खतरे की घंटी। इन चुनावों ने इस बात को भी उजागर कर दिया है कि दिल्ली का युथ अरविन्द केजरीवाल के साथ नहीं है और वह आप सरकार की नीतियों के विरुद्ध है। यह चुनाव परिणाम केजरीवाल के लिए आनेवाले दिनों के लिए शुभ संकेत नहीं है।  
       कांग्रेस से जुड़ी एनयूसीवाई दूसरे नंबर पर रही। दिल्ली में 67 सीटों के साथ सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट यूनिट सीवाईएसएस कोई कमाल नहीं कर पाई। ज्ञात हो कि इस बार अरविंद केजरीवाल की पार्टी की स्टूडेंट यूनिट ने पहली बार दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लिया था। छात्र संघ के अध्यक्ष सतेंदर अवाना , उपाध्यक्ष सनी डेढ़ा , अंजली राना सचिव और छत्रपाल यादव ने सहसचिव के पद पर जीत विजय हांसिल की है । चुनाव नतीजे के एलान के साथ ही एबीवीपी समर्थकों ने जश्न मानना शुरू कर दिया है। बीजेपी दफ्तर के बाहर भी जश्न का माहौल है। इस बार DUSU इलेक्शन में सीवाईएसएस को गेम चेंजर के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन नतीजों में वह तीसरे नंबर पर लटक गई।

Tuesday, 1 September 2015

क्या उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का आरोप संकीर्ण सोच से ग्रस्त है ? इससे भारत की छवि को ठेस नहीं पहुंचेगी ?



नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने मोदी सरकार से मुस्लिम समाज से भेदभाव की गलती सुधारने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि भारतीय मुस्लिमों को अपनी पहचान, सुरक्षा, शिक्षा एवं सशक्तीकरण बरकरार रखने में समस्या आ रही है। और मुस्लिमों को आ रही समस्याओं पर सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए और इसे दूर करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। उप राष्ट्रपति हामिद ने मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास की तर्ज पर मुस्लिमों की पहचान एवं सुरक्षा को मजबूत करने की मांग की है।क्या अंसारी जी का मोदी सरकार पर यह आरोप सही है या किसी सोची -समझी रणनीति का हिस्सा है ? देश के उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन हामिद अंसारी का यह बयान किस सोच को प्रदर्शित करता है ? क्या इस बयान का यह अर्थ नहीं निकलता कि भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है और उनकी पहचान और सुरक्षा खतरे में है। यह कहना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंसारी जी की सोच संकीर्ण मानसिकता को प्रदर्शन करती प्रतीत होती है। ऐसा क्यों है कि कोई ऐसा व्यक्ति जो उपराष्ट्रपति हो और वह सरकार पर एक धर्म के अनुयायिओं के साथ भेदभाव करने का  गंभीर आरोप लगाए तो यह सोचना पड़ेगा ही कि या तो वास्तव में ऐसा हो रहा है या फिर जानबूझकर संकीर्ण मानसिकता के कारण साम्प्रदायिक सोच  को उजागर किया जा रहा है ? यहां एक बात तो सत्य है कि भारत के मुसलमान किसी भी अन्य इस्लामिक देश के मुसलमानों से अधिक भारत में अपनी पहचान को मजबूती से बनाए हुए हैं और बहुत अधिक सुरक्षित हैं। और तो और यहां यह भी कहना किसी भी तरह से असत्य नहीं है कि कांग्रेस ने अपनी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के तहत ही हामिद अंसारी जी को उपराष्ट्रपति पद पर आसीन किया अन्यथा और बहुत से योग्य व बुद्धिजीवी विद्वान देश में उपस्थित थे जो इस पद पर आसीन हो सकते थे। क्या हामिद अंसारी ने ऐसा कहकर मुस्लिम तुष्टिकरण की उस नीति का उदाहरण पेश किया है जिसको कांग्रेस और अन्य दल मुस्लिम वोटों की खातिर अपनाकर देश की सत्ता पर काबिज़ रहे हैं। इसी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति की प्रतिक्रिया में नरेंद्र मोदी  2014 के आम चुनाव में भारी बहुमत से जीतकर  देश की सत्ता पर काबिज़ हुए हैं और यह परिवर्तन बहुत से साम्प्रदायिक सोच वाले नेताओं ,संगठनों ,और कथित धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदारों के गले से अभी तक  नीचे नहीं उत्तर रहा है और शायद उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी जी भी उनमें से ही एक हैं। एक जिम्मेदार पद पर बैठे मुस्लिम महानुभाव की यह बहुत ही आपत्तिजनक बयानबाज़ी है जो विश्व में भारत की सर्वधर्म सदभाव की छवि को नुकसान पंहुचाने का काम कर सकती है। अच्छा होता कि महामहिम हामिद अंसारी मुसलमानों से यह अपील करते कि वह सब भारत की संस्कृति को आत्मसात करके अपनी अलग पहचान की कुत्सित मानसिकता का त्याग करके देश की मजबूती को कायम करने का काम करें। अफ़सोस की बात है कि कुछ लोग चाहे कितने भी बड़े क्यों न बन जाएं परन्तु उनकी छोटी सोच बड़ी नहीं बन पाती।

Sunday, 30 August 2015

बिहार में सत्ता के स्वार्थी नेताओं का महा गठबंधन या महा ठगबंधन ?

बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रिय जनतादल के   लालूयादव ,नितीश कुमार ,समाजवादी के मुलायम सिंह और कांग्रेस के सोनिया - राहुल गांधी जैसे लोगों ने मिलकर महागठबंधन बनाया है। क्या यह महागठबंधन महाठगबंधन नहीं है ? जिस  भानुमति के कुनबे में पशुओं का चारा खानेवाले लालू यादव जैसे चाराचोर , घोटालों के महानायक  और सत्ता के बिना मछली की भांति छटपटा रहे सोनिया -राहुल  , बिहार में कुशाशन के प्रणेता सत्ता लोभी  नितीश कुमार जो सत्ता की लोलुपता के लिए किसी से भी हाथ मिलाने से परहेज नहीं कर रहे और यूपी में अराजकता और गुंडाराज कायम रखनेवाले सपाई मुलायम सिंह एंड कम्पनी शामिल है , उस गठबंधन को महाठग बंधन क्यों नहीं कहा  जाए ? इस गठबंधन में शामिल सभी लोगों का न तो कोई सिद्धांत है और न ही कोई स्पष्ट नीति है , इसलिए यह स्वार्थी लोगों का एक गिरोह है जो सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से भयभीत होकर अपने वर्चस्व को बचाने  और सत्ता हथियाने का अंतिम प्रयास कर रहा है। और सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि इनके साथ आज के बड़े सबसे कथित ईमानदार नेता और स्वच्छ राजनीती के कथित पुरोधा अरविन्द केजरीवाल भी शामिल होकर बिहार की जनता को गुमराह करके ठगने का प्रयास कर रहे हैं।

Wednesday, 26 August 2015

परमाणु बम से कहीं ज्यादा घातक हो सकता है आरक्षण का हथियार । भारत को तोड़ने की हो सकती है विदेशी साजिश ?

आरक्षण का दानव धीरे -2 जिस तरह से अपने पैर पसार रहा है उससे यह लगने लगा है कि एक दिन यह बीमारी भारत के विनाश का कारण बन सकती है। हमारे देश के राजनैतिक दल अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए दिन -प्रतिदिन इस आरक्षण के झुनझुने को हिला कर नित नई जातिओं और समुदायों को आरक्षण का लालच देकर उकसाने में लगे हुए हैं। ऐसा लगता है की अब विदेशी ताकतें भारत के लोगों को आपसी झगड़ों में उलझाने के लिए आरक्षण के हथियार को आजमाने में जुट गई हैं। हमारे देश के सत्ता के लोभी नेताओं और दलों को भी सिर्फ और सिर्फ अपनी कुर्सी को बनाये रखने की चिंता है, चाहे इसके लिए देश की अंदरुनी शांति ही क्यों न बलिदान कर दी जाए। विदेशी ताकतों की हर संभव यही कोशिश वर्षों से रही है कि किसी भी तरह से भारत को कमजोर और खंडित किया जाए। अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए इन ताकतों ने अथाह धन -सम्पत्ति भी खर्च की है और इसको अनुदान के रूप में देश के अंदर काम करनेवाले कई गैर सरकारी संगठनों ने आर्थिक सहायता के रूप में  प्राप्त भी किया है। ऐसे कई संगठनों की मोदी सरकार ने जाँच भी की है और कई संगठनों का पंजीकरण भी रद्द किया जा चूका है। आजकल आरक्षण के नाम पर भारत में आपसी जातीय संघर्ष के बीज बोने का काम कुछ देश विरोधी ताकतों द्वारा किया जा रहा है। इसका ताज़ा उदाहरण शांत गुजरात में पटेल आरक्षण के नाम पर की जा रही हिंसा है ,जोकि किसी भी तरह से देश के हित में नहीं है। भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट किया जा चूका है कि  आरक्षण की सीमा  किसी भी स्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। अफ़सोस की बात यह है कि इसके बावजूद भी कुछ स्वार्थी नेता अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए जाति -समुदायों को आरक्षण देने की कवायद में लगकर देश के लोगों में आपसी प्रेम को वैमनस्यता में बदलने की नापाक कौशिश में लगे हुए हैं। जिस गुजरात में पिछले 13 वर्षों से हिंसा नहीं हुई थी और लोग प्रेम और शांति से अपना विकास कर रहे थे, उसको बर्बाद करने के प्रयास किये जा रहे हैं। गुजरात को पटेल आरक्षण के नाम पर कुछ ऐसे लोगों ने हिंसा की आग में धकेल दिया है जो कि देश विरोधी और समाज विरोधी ताकतों के हाथों में खेल रहे हैं।धर्म के आधार पर ,कभी भाषा के आधार पर और अब आरक्षण के आधार पर भारत को आंतरिक युद्ध में उलझाने की साजिश चरम पर पहुंच गई लगती है। लोगों को विशेष रूप से हिन्दुओं को अब जाति के आधार पर लड़ाने की भारत विरोधी साजिश चल रही है और उसका हथियार जाति -आरक्षण बनता जा रहा है। इस साजिश में जाने -अंजाने हार्दिक पटेल जैसे कई युवा बन रहे हैं जो कम समय और कम मेहनत करके अधिक से अधिक पाने की मानसिकता के हैं। इस मानसिकता के लोग किसी भी हद तक जाने की कोशिश करते हैं चाहे उनकी इस हरकत से देश या समाज खंडित ही क्यों न हो जाए। अब देश की सरकार को भी इस बात की तह तक जाना चाहिए कि किन ताकतों के बल पर एक 22 वर्ष का युवक हार्दिक पटेल गुजरात जैसे विकास के रोल मॉडल राज्य की हंसती -खेलती जनता को हिंसा के हवाले कर देता है ?चिंता इस बात की भी की जानी चाहिए कि कुछ विदेशी ताकतों के बल और पैसे से भारत के भीतर बैठे गद्दार किस्म के लोग देश में अराजकता का माहौल बनाने में कामयाब भी होते दिखाई दे रहे हैं। इस बात को हमें भली -भांति समझ लेना चाहिए कि भारत के लिए परमाणु बम से कहीं ज्यादा घातक हो सकता है आरक्षण का हथियार जिससे हमारा समाज ,लोकतंत्र ,धर्म -संस्कृति और एकता -अखंडता लहू -लुहान हो सकती है। इस आरक्षण के हथियार से सुगम तरीके से सत्ता पाने वाले हमारे राजनैतिक दलों को अपनी हरकतों से बाज़ आ जाना चाहिए अन्यथा इसी हथियार से विदेशी ताकतें भारत को विनाश की गर्त में धकेल सकती हैं जहां पर न तो सत्ता भोगने वाले स्वार्थी नेता और न ही नौकरी और तरक्की की लालसा में आरक्षण चाहनेवाली जातियां -समुदाय बचे होंगे।

Monday, 24 August 2015

भारत को बार -बार परमाणु बम की धमकी देकर अपने अंत को बुलावा दे रहा है पाकिस्तान।

 पाकिस्तान के नेता और फौजी कमांडर बार - बार भारत को अपने परमाणु बम की धमकी देकर क्या युद्ध के लिए उकसा  रहे हैं ? हमारा कहना  तो यह है कि पाकिस्तान इस गीदड़  भभकी को देकर  अपने अंत को निमंत्रण दे रहा है। वास्तविकता यह है कि इस बार भारत -पाक युद्ध हुआ तो  पाकिस्तान नामो -निशान दुनिया के नक़्शे से मिट जायेगा और उसका नाम लेवा भी नहीं बचेगा। पाकिस्तानी नेताओं और सेना की यह गीदड़ भभकी का जवाब भारत अवश्य देगा ,लेकिन वह  थोड़ा सा समय का इंतज़ार करें। इस बार का युद्ध पहले के युद्धों से भयंकर होगा जिसका स्पष्ट परिणाम निकलेगा।
    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्‍तर की बाचचीत रद्द होने के बाद पाकिस्तान ने फिर भारत को धमकी दी है। इस बातचीत के कैंसिल होने के बाद पाक में बौखलाहट शुरू हो गई है। पाकिस्‍तान ने अब इशारों में परमाणु बम की धमकी दी है।सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने कहा है कि हम खुद परमाणु संपन्न देश हैं और हम जानते हैं कि खुद की रक्षा कैसे करनी है। हमारे पास एटम बम है और हम अपनी हिफाजत कर सकते हैं। अपनी हिफाजत करना हमें आता है।यह पाकिस्तान की बौखलाहट ही है कि वहां के शासक यह जानते हुए भी कि वह भारत से आमने -सामने के  मुकाबले में कहीं भी नहीं ठहर सकते , लेकिन वह आतंक के हथियार से हमारा मुकाबला करना चाहते हैं। पाकिस्तानी आतंक के इसी हथियार से कई बार हमारे देश को जख्मी कर चुके हैं और अभी भी दिन -रात इसी काम में लगे हुए हैं।भारत से पाकिस्तान पूर्व में 4 युद्ध लड़ चूका है और हर बार मुंह की खा चूका है लेकिन उसके शासक और फ़ौज़ अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे।अब भारत के संयम की परीक्षा लेना पाकिस्तान को महंगा पड़ेगा।उनको यह बात समझ लेनी चाहिए कि भारत के पास भी परमाणु शस्त्र हैं और उनको भी अपनी रक्षा के लिए भारत हर हाल में इस्तेमाल करके रहेगा। इस भुलावे में शायद पाकिस्तान के लोग हैं कि भारत परमाणु बम को इस्तेमाल नहीं करेगा और उन्हें [पाक ] ऐसा करने की छूट देगा। भारत -पाकिस्तान  के बीच लड़ा जाने वाला  अबकी बार का युद्ध पाकिस्तान के खात्मे की कहानी लिखेगा , यह पाकिस्तान और उसके प्रेमियों को भली -भांति समझ में आ जाना चाहिए । पाकिस्तान की इस धमकी के बारे में आपकी क्या राय है ?   

Saturday, 22 August 2015

मोदी जी अब वार्ता नहीं युद्ध करो। पाकिस्तान हमारा है और अब हम उसको लेकर रहेंगे।

  • भारत को अब और समय बर्बाद किये बिना आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान को सबक सीखा देना चाहिए क्योंकि अब एकमात्र यही विकल्प शेष है जिससे भारत की सीमाओं और बेकसूर नागरिकों की रक्षा की जा सकती है। भारत के नागरिकों की जान की कीमत पर हमें शांति नहीं चाहिए इस बात को हमारे शासकों को भी अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। पाकिस्तानी सरकार की हरकतों का जवाब भारत को अब पूरी ताकत से देना चाहिए ,क्योंकि इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान उस कुत्ते की तरह से है जिसकी दम 12 साल तक नलकी में रखी जाये फिर भी वह सीधी नहीं होनेवाली ? भारत की भूमि को छीनकर बने इस नापाक देश को जितना भी प्यार से समझा लो इसकी समझ में आनेवाला कुछ नहीं है। यह शैतान और आतंकी देश सिर्फ और सिर्फ ताकत की भाषा ही समझता है और अब समय आ गया है कि इसको युद्ध के द्वारा नेस्तनाबूद कर दिया जाए। पाकिस्तान को यह बताने का वक्त आ गया है कि अधिकृत कश्मीर ही नहीं पूरा का पूरा पाकिस्तान ही हमारा है और अब हम उसको हर कीमत पर लेकर रहेंगे। भाड़ में गई वार्ता और बातचीत क्योंकि यह इन सब चीज़ों को समझनेवाला देश नहीं है। हकीकत यह है कि पाकिस्तानी हुक्मरानों को यह भलीभांति यकीन हो चूका है कि भारत के शासक बातचीत में ज्यादा विश्वास रखते हैं और इनको अपने देश से ज्यादा चिंता इस बात की चिंता है कि उनके बारे में विश्व की क्या राय है ? अब देश इस बात को और अधिक दिन तक सहन नहीं कर सकता कि पाकिस्तान के घुसपैंठिये जब चाहे भारत में आकर बेकसूर लोगों को अपना शिकार बनाएं और आये दिन सीमा पर गोलीबारी करके जवानों को भी मौत के घाट उतारते रहें। इसके साथ ही कश्मीर के अलगाववादी लोगों को भी चाहे वो हुर्रियत हो या कोई और देश से गद्दारी की कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। अगर भारत की सरकार अब भी यह सोच रही है कि पाकिस्तान से वार्ता करके आतंक और सीमा के उल्लंघन की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी तो यह उसकी गलतफहमी है और इससे  भारत को भविष्य में बड़ा नुकसान हो सकता है। 

Tuesday, 18 August 2015

नेताजी की रहस्य को उजागर करने से क्यों डरती हैं सरकारें ? क्या मोदी जी यह साहस करेंगे ?

भारत माँ के वीर सपूत ,स्वाधीनता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पुन्यतिथि पर उनके चरणों में हमारा शत -शत नमन। अफ़सोस की बात यह है कि आज़ाद भारत के शासकों ने उनको वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह पात्र थे। हालाँकि उनकी मृत्यु को लेकर आज तक रहस्य बना हुआ है और आज़ाद भारत की सरकारों ने भी इस रहस्य से पर्दा हटाने में जानबूझकर कोई प्रयास नहीं किया। भारत की जनता अभी तक इस सच्चाई से वंचित है कि आखिर आज़ादी की लड़ाई के यह महान योद्धा अचानक  कैसे ,कहां और क्यों गायब हो गए ? क्या इसके पीछे कोई बहुत घिनौना राजनैतिक षड्यंत्र था या कोई सामान्य दुर्घटना थी ? क्या देश की वर्तमान राष्ट्रवादी और भारत की पुरातन संस्कृति की रक्षा करने और  महापुरषों को सम्मान दिलाने का दम्भ भरनेवाली नरेंद्र मोदी सरकार इस रहस्य से पर्दा उठाने का साहस करेगी कि आखिर नेताजी के साथ क्या हुआ और वह अचानक कहां लुप्त हो गए ? 

Sunday, 16 August 2015

देश के बंटवारे और लाखों बेकसूरों की मौत के दोषी लोग ही आजाद भारत -पाकिस्तान के मसीहा बन गए ।

 दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] क्या हमने कभी इस बात को सोचा  कि अपनी आज़ादी  [15 अगस्त ] के दिन को पाने के लिए कितने लोगों ने अपनी जान को कुर्बान किया है ? शायद यह हमारी कल्पना से भी दूर की बात है कि आज़ादी के लिए कितने अभागे लाखों गुमनाम लोगों,जिन्हे इतिहास के किसी पन्ने पर भी कोई जगह नहीं मिल पाई है , ने अपने प्राणो की आहुति दे दी थी और वो इस दिन को भी नहीं देख पाये । इसके साथ -२ एक बात और है कि जहां भारत -पाकिस्तान की हकूमत पानेवाले लीडर जशन मनाने में व्यस्त हो गए वहीं देश के करोड़ों अभागे लोगों को अपने घरों से बाहर होना पड़ा था , इन लोगों को आज़ादी के दिन की बजाए एक भयानक संकट  ने घेर लिया और इनके सिर पर मौत अपना तांडव करने लगी। एक ही जमीन पर सदियों से रहनेवाले लोग मजहबी आधार [हिन्दू - मुसलमान ] पर हुक्मरानों द्वारा बाँट दिए गए और वह एक -दूसरे को कत्ल करने में जुट गए । इंसानियत ने शैतानियत का रूप धारण कर लिया और दोनों तरफ की सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठे रही। दोनों ओर मासूम बच्चों -बूढ़ों का खून पानी की तरह बहाया जाने लगा और वहशी दरिंदे अबोध लड़कियों और असहाय महिलाओं की इज्जत को तार - तार करने को अपना धर्म मानकर कुकर्म में जुट गए। 

  •     भारत का बंटवारा दुनिया की मानव निर्मित ऐसी पहली त्रासदी थी जिसमें हुक्मरानों की बजाए रियाया का तबादला किया गया। जनता की  इस अदला -बदली में लगभग 10 लाख से ज्यादा बेगुनाह लोगों को कत्ल कर दिया गया और करोड़ों लोगों को अपना सब कुछ छोड़कर अपने घरों से बेघर होना पड़ा । इस कत्ले -आम का कोई दोषी था तो वह उस वक्त के लीडर थे [चाहे वे मुस्लिम लीग के हों चाहे कांग्रेस पार्टी के ]  जिन्हें हकूमत को पाने की जल्दी थी और अपनी सत्तालोलुपता के वशीभूत होकर वह अपनी इंसानियत को भी भूल चुके थे। इस लालसा के कारण ही वह निरीह जनता को शैतानों के रहमो -करम  पर छोड़कर जश्ने -आज़ादी में डूब गए । सत्ता के लोभी लीडरों ने सत्ताभोगने के लिए भारत माँ का सीना चीर दिया  और उसके आँचल की छाँव में पलनेवाले उसके बेटों -बेटियों को एक -दूसरे के लहू का प्यासा बना दिया।भारत माँ के लाखों बेटे -बेटियों ने इन हुक्मरानों की सत्ता की हवस को पूरा करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।  इन अनाम शहीदों  के चरणों में हमारा शत - शत नमन। जिन लाखों बेकसूर लोगों को 1947 में बंटवारे के दौरान मौत के घाट उतार दिया गया उन बेकसूरों के प्राणों के बदले ही हमें यह आज़ादी  मिल पायी है। अफ़सोस इस बात का है कि आज़ाद भारत की समस्त सरकारों ने उन शहीदों को भुला दिया है।हम बंटवारे की भेंट चढ़े अपने लाखों बहन -भाइयों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 

     हिंदुस्तान को दो हिस्सों भारत -पाकिस्तान में बाँटने के और लाखों लोगों की मौत के जिम्मेदार अंग्रेजी हकूमत के साथ -साथ मुस्लिम लीग और कांग्रेस के लीडर भी हैं। इन सत्ता के भूखे  लीडरों को कुर्सी पाने की लालसा ने  इतना अँधा बना डाला था कि उन्हें लाखों लोगों की मौत और करोड़ों लोगों को बेघर करने की कीमत पर भी हकूमत पाने का सौदा सस्ता लगा और वह लोग आज़ाद भारत और पाकिस्तान के मसीहा बनकर अपने - अपने हिस्से में पुजने लगे। किसी को , राष्ट्रपिता किसी को  चाचा और किसी को कौम का बाबा की उपाधि से सुसोशोभित कर दिया गया ,  लेकिन भारत माँ अपने शरीर के दो हिस्से होने और अपनी लाखों संतानों की मौत के  दर्द से आज भी कराह रही है। क्या इस भयानक सच्चाई से हम भारत और पाकिस्तान के लोग कोई सबक ले पाए हैं ?इसका जवाब तलाशने पर नहीं में ही मिलता है। जय हिन्द।

Friday, 14 August 2015

स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। देश के स्वतंत्रता -संग्राम में कुर्बान हुए शहीदों के चरणों में हमारा शत - शत नमन।

''वॉयस ऑफ़ भारत डॉट इन '' मीडिया परिवार की ओर से स्वाधीनता दिवस की समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। हम इस अवसर पर अपने उन असंख्य शहीदों को शत -२ नमन करते हैं जिनकी कुर्बानी के कारण हम आज खुली आज़ादी में साँस ले पा रहे हैं। देश की आज़ादी की कीमत हमें चुकाने के लिए भारत का विभाजन स्वीकार करना पड़ा। बड़े ही अफ़सोस  की बात है कि हमारे कुछ सत्तालोलुप नेताओं की  लालसा के कारण देश का एक बहुत बड़ा भाग भारत माँ के सीने को चीरकर पाकिस्तान जैसे  नासूर के रूप में स्वीकार करने को मजबूर होना पड़ा। पाकिस्तान जैसी आतंक की फैक्ट्री को  हमेशा के लिए पैदा करके हमारे देश के कुछ बड़े नेताओं की सत्तालोलुपता ठंडी हुई थी और यह नासूर रूपी नापाक देश  आज भी भारत के लिए एक बहुत बड़ा सिरदर्द बना हुआ  है । भारत विभाजन के कारण कई लाख बेकसूर भारत माँ के बच्चे -बूढ़े ,जवान ,लड़कियां और महिलाओं को अकारण क़त्ल कर दिया गया और करोड़ो लोगों के लिए आज़ादी की सुबह बहुत बड़ी तबाही और त्रासदी लेकर आई थी। देश विभाजन के दौरान मारे  गए लाखों बेकसूर लोगों को भी हमें याद रखना चाहिए और उनको भी अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देना नहीं भूलना चाहिए। आइए हम इतिहास में की गई अपने कथित बड़े नेताओं की भूलों से सबक लेते हुए , इस अवसर पर हम सब अपने भारत को  एक  शक्तिशाली ,गौरवशाली ,समृद्धशाली ,अखंड राष्ट्र और विश्वगुरु बनाने का संकल्प लें।

क्या ईमानवालों को काफिरों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने से ही मिलती है जन्नत ?


 ईमानवालों को काफिरों [गैरमुसलमान ]  की लड़कियों  के साथ बलात्कार करने से ही मिलती है जन्नत ? क्या इस्लाम में ऐसा करना गुनाह नहीं है और अगर यह ठीक है तो फिर यह मजहब कैसे प्रेम और भाईचारे का पैगाम देता है ? दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन ISIS की क्रूरता के एक और कहानी सामने आई है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक ISIS की चंगुल से छूटकर आई लड़कियों ने कुछ ऐसे खुलासे किए हैं जिसे सुनकर ऐसा लग है कि इस्लाम के नाम पर गुनाह करना पाप नहीं पुण्य कार्य है।  दुनिया के दुर्दांत आतंकी संगठन  ISIS के चंगुल से छुटकर आई एक 12 साल की लड़की ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि आतंकी लड़कियों के साथ रेप करते हैं और जब उनका विरोध करो तो कहते हैं कि इस्लाम के मुताबिक काफिरों का रेप करना गुनाह नहीं है।लड़की ने बताया कि आतंकी कहते हैं कि रेप करने से उन्हें जन्नत मिलेगी। गौरततलब है कि ISIS ने पिछले साल यजीदी समुदाय की 5000 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों को किडनैप कर लिया था। अफ़सोस की बात यह है आतंकी ऐसी करतूतें इस्लाम के नाम पर कर रहे हैं। क्या इस्लाम के पैरोकार और जानकार आईएस के द्वारा किये जा रहे इन कुकर्मों और उनको जायज़ ठहराने के लिए की जा रही बकवास का विरोध करने का साहस रखते हैं ? क्या  इस्लाम का मुसलमानों  के लिए यही पैगाम है कि काफिरों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने से ही उनको जन्नत मिलेगी ?  इस बारे में आपकी क्या राय है ?

Wednesday, 12 August 2015

सत्ताविहीन होकर '' पानी बिन मीन '' जैसी तड़प रही कांग्रेस संसद को बंधक बनाकर कर रही है जनादेश का अपमान

क्या देश को कांग्रेस ने खोखला  नहीं किया ? करोड़ो के घोटाले करनेवाली कांग्रेस की सरकार को जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया,परन्तु सत्ता के बिना कांग्रेस की तड़प  ''बिन पानी के मछली ''जैसी नहीं हो गई है ? जो सवाल सुषमा स्वराज ने आज संसद में सोनिया -राहुल गांधी से पूछे हैं, क्या उनका जवाब जनता को नहीं मिलना चाहिए ? क्या कांग्रेससंसद को बंधक बनाकर मोदी सरकार को मिले जनादेश का अपमान नहीं कर रही ? इस पर आपकी क्या राय है ?

Tuesday, 11 August 2015

महादेव से हमारी यही कामना है कि वह भारत में मौजूद अंदरुनी व बाहरी आसुरी ताकतों का सर्वनाश करें।

शिवरात्रि की सभी देशवासिओं को हार्दिक  शुभकामनाएं। इस अवसर पर महादेव से हमारी यही कामना है कि वह भारत में मौजूद अंदरुनी व बाहरी आसुरी ताकतों का सर्वनाश करें। इसके साथ ही वो अपने अनुयायिओं को भी इतनी ताकत दे कि हम अपने राष्ट्र ,संस्कृति और धर्म के अस्तित्व को चुनौती दे रही आततायी ताकतों का मुंहतोड़ जवाब दें सकें। आदिदेव -देवों के देव  -महादेव भगवान शिव से हमारी यही प्रार्थना है कि पुरे विश्व में सनातन धर्म का डंका  बजता रहे। ॐ  नमो शिवाय। 

Monday, 10 August 2015

I S का 2020 तक भारत पर कब्ज़े का इरादा। किस मजहब का पैरोकार है I S , क्या कथित सेकुलर इसका जवाब देंगे ?

ऐसी खबरें मीडिया में आ रही हैं कि विश्व का सबसे खूंखार आतंकी संगठन आई एस  का यह नापाक सपना है कि 2020 तक वह भारत सहित दुनिया के बहुत बड़े भाग पर अपना अधिपत्य कायम कर लेगा। इस्लामिक स्टेट पर एक नयी पुस्तक में दिए एक नक्शे के मुताबिक इस दुर्दांत आतंकी संगठन की योजना दुनिया के बड़े हिस्से में अगले पांच साल में अपना प्रभुत्व कायम करने की है जिसमें लगभग समूचा भारतीय उपमहाद्वीप शामिल है भारत माँ के वीर सपूतों की रगों में जब तक खून की एक भी बून्द बाकी है तब तक  आई एस 5 वर्ष क्या 1000 साल तक भी अपने  इस नापाक इरादे को पूरा नहीं कर सकता। भारत भूमि इन नापाक लोगों की कब्रगाह बन जाएगी। परन्तु सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस पर भारत के कथित सेकुलर क्या अब भी यही कहेंगे कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता ? यह आईएस किस मजहब के नाम पर मानवता को लहूलुहान कर रहा है और ऐसा करने के पीछे आखिर उसका मकसद क्या है ?क्या धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देनेवाले और इस्लाम को प्रेम और भाईचारे का धर्म बतानेवाले इस्लाम के पैरोकार आईएस के इस इरादे के मुखालफत करने की कोई पहल करेंगे ? आईएस के  नक्शे के मुताबिक इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और सीरिया (आईएसआईएस) की योजना मध्य पूर्व, उत्तर अफ्रीका, अधिकांश भारतीय उप महाद्वीप और यूरोप के हिस्से पर अगले पांच साल के अंदर कब्जा कर अपना खिलाफत कायम करने की है।मिरर अखबार ने नक्शे का हवाला देते हुए बताया है कि खिलाफत..शरियत कानून द्वारा संचालित राज्य है जिसे आईएसआईएस कायम करना चाहता है। इसके दायरे में स्पेन से लेकर चीन तक को लाने का मंसूबा है। नक्शे के मुताबिक स्पेन, पुर्तगाल और फ्रांस के हिस्से को अरबी में ‘अंदालुस’ नाम दिया गया है जिस पर ‘मूरों’ ने आठवीं से 15 वीं सदी के बीच कब्जा किया था जबकि भारतीय उपमहाद्वीप को ‘खुरासान’ नाम दिया गया है। 


Sunday, 9 August 2015

भारतीय सेना ने लोकप्रियता के मैदान में भी बाजी मारी। शिखर पर गाड़े बुलंदी के झंडे।

युद्ध के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में माहिर भारत की सेना अपनी लोकप्रियता के मैदान में भी पाकिस्तान तो क्या सीआईए, एफबीआई, नासा को पछाड़ कर एक बार फिर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंच गई। भारतीय सेना का फेसबुक पन्ना लोकप्रियता के लिहाज से पीपुल टाकिंग एबाउट दैट (पीटीएटी) रैंकिंग में आ गया है। कुछ ही महीने के अंदर यह दूसरा मौका था जब भारतीय सेना का फेसबुक पन्ना शीर्ष पर पहुंचा। सेना सूत्रों ने कहा कि यह सेना के लिए सोशल मीडिया के लिहाज से बड़ी बात है। सिर्फ दो महीने पहले, हम पहली बार शीर्ष पर पहुंचे थे। इसने यह भी साबित किया कि हमारे पन्ने पर वास्तविक ‘लाइक’ हैं।
भारत माँ के इन सपूतों को हमारा शत -२ नमन। हमारी कामना है कि भारत की सेना हर चुनौती का सामना पूरी वीरता और अपने पराक्रम के बल पर हर क्षेत्र में अपने दुश्मनों सहित विश्व की महाशक्ति माने  जानेवाले देशों को पछाड़कर  अपना झंडा यूँही बुलंद रखे। भारतीय सेना ने  लोकप्रियता के मैदान में भी बाजी मारी। शिखर पर गाड़े बुलंदी के झंडे।