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Tuesday 18 August 2015

नेताजी की रहस्य को उजागर करने से क्यों डरती हैं सरकारें ? क्या मोदी जी यह साहस करेंगे ?

भारत माँ के वीर सपूत ,स्वाधीनता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पुन्यतिथि पर उनके चरणों में हमारा शत -शत नमन। अफ़सोस की बात यह है कि आज़ाद भारत के शासकों ने उनको वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह पात्र थे। हालाँकि उनकी मृत्यु को लेकर आज तक रहस्य बना हुआ है और आज़ाद भारत की सरकारों ने भी इस रहस्य से पर्दा हटाने में जानबूझकर कोई प्रयास नहीं किया। भारत की जनता अभी तक इस सच्चाई से वंचित है कि आखिर आज़ादी की लड़ाई के यह महान योद्धा अचानक  कैसे ,कहां और क्यों गायब हो गए ? क्या इसके पीछे कोई बहुत घिनौना राजनैतिक षड्यंत्र था या कोई सामान्य दुर्घटना थी ? क्या देश की वर्तमान राष्ट्रवादी और भारत की पुरातन संस्कृति की रक्षा करने और  महापुरषों को सम्मान दिलाने का दम्भ भरनेवाली नरेंद्र मोदी सरकार इस रहस्य से पर्दा उठाने का साहस करेगी कि आखिर नेताजी के साथ क्या हुआ और वह अचानक कहां लुप्त हो गए ? 

Sunday 16 August 2015

देश के बंटवारे और लाखों बेकसूरों की मौत के दोषी लोग ही आजाद भारत -पाकिस्तान के मसीहा बन गए ।

 दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] क्या हमने कभी इस बात को सोचा  कि अपनी आज़ादी  [15 अगस्त ] के दिन को पाने के लिए कितने लोगों ने अपनी जान को कुर्बान किया है ? शायद यह हमारी कल्पना से भी दूर की बात है कि आज़ादी के लिए कितने अभागे लाखों गुमनाम लोगों,जिन्हे इतिहास के किसी पन्ने पर भी कोई जगह नहीं मिल पाई है , ने अपने प्राणो की आहुति दे दी थी और वो इस दिन को भी नहीं देख पाये । इसके साथ -२ एक बात और है कि जहां भारत -पाकिस्तान की हकूमत पानेवाले लीडर जशन मनाने में व्यस्त हो गए वहीं देश के करोड़ों अभागे लोगों को अपने घरों से बाहर होना पड़ा था , इन लोगों को आज़ादी के दिन की बजाए एक भयानक संकट  ने घेर लिया और इनके सिर पर मौत अपना तांडव करने लगी। एक ही जमीन पर सदियों से रहनेवाले लोग मजहबी आधार [हिन्दू - मुसलमान ] पर हुक्मरानों द्वारा बाँट दिए गए और वह एक -दूसरे को कत्ल करने में जुट गए । इंसानियत ने शैतानियत का रूप धारण कर लिया और दोनों तरफ की सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठे रही। दोनों ओर मासूम बच्चों -बूढ़ों का खून पानी की तरह बहाया जाने लगा और वहशी दरिंदे अबोध लड़कियों और असहाय महिलाओं की इज्जत को तार - तार करने को अपना धर्म मानकर कुकर्म में जुट गए। 

  •     भारत का बंटवारा दुनिया की मानव निर्मित ऐसी पहली त्रासदी थी जिसमें हुक्मरानों की बजाए रियाया का तबादला किया गया। जनता की  इस अदला -बदली में लगभग 10 लाख से ज्यादा बेगुनाह लोगों को कत्ल कर दिया गया और करोड़ों लोगों को अपना सब कुछ छोड़कर अपने घरों से बेघर होना पड़ा । इस कत्ले -आम का कोई दोषी था तो वह उस वक्त के लीडर थे [चाहे वे मुस्लिम लीग के हों चाहे कांग्रेस पार्टी के ]  जिन्हें हकूमत को पाने की जल्दी थी और अपनी सत्तालोलुपता के वशीभूत होकर वह अपनी इंसानियत को भी भूल चुके थे। इस लालसा के कारण ही वह निरीह जनता को शैतानों के रहमो -करम  पर छोड़कर जश्ने -आज़ादी में डूब गए । सत्ता के लोभी लीडरों ने सत्ताभोगने के लिए भारत माँ का सीना चीर दिया  और उसके आँचल की छाँव में पलनेवाले उसके बेटों -बेटियों को एक -दूसरे के लहू का प्यासा बना दिया।भारत माँ के लाखों बेटे -बेटियों ने इन हुक्मरानों की सत्ता की हवस को पूरा करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।  इन अनाम शहीदों  के चरणों में हमारा शत - शत नमन। जिन लाखों बेकसूर लोगों को 1947 में बंटवारे के दौरान मौत के घाट उतार दिया गया उन बेकसूरों के प्राणों के बदले ही हमें यह आज़ादी  मिल पायी है। अफ़सोस इस बात का है कि आज़ाद भारत की समस्त सरकारों ने उन शहीदों को भुला दिया है।हम बंटवारे की भेंट चढ़े अपने लाखों बहन -भाइयों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 

     हिंदुस्तान को दो हिस्सों भारत -पाकिस्तान में बाँटने के और लाखों लोगों की मौत के जिम्मेदार अंग्रेजी हकूमत के साथ -साथ मुस्लिम लीग और कांग्रेस के लीडर भी हैं। इन सत्ता के भूखे  लीडरों को कुर्सी पाने की लालसा ने  इतना अँधा बना डाला था कि उन्हें लाखों लोगों की मौत और करोड़ों लोगों को बेघर करने की कीमत पर भी हकूमत पाने का सौदा सस्ता लगा और वह लोग आज़ाद भारत और पाकिस्तान के मसीहा बनकर अपने - अपने हिस्से में पुजने लगे। किसी को , राष्ट्रपिता किसी को  चाचा और किसी को कौम का बाबा की उपाधि से सुसोशोभित कर दिया गया ,  लेकिन भारत माँ अपने शरीर के दो हिस्से होने और अपनी लाखों संतानों की मौत के  दर्द से आज भी कराह रही है। क्या इस भयानक सच्चाई से हम भारत और पाकिस्तान के लोग कोई सबक ले पाए हैं ?इसका जवाब तलाशने पर नहीं में ही मिलता है। जय हिन्द।

Friday 14 August 2015

स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। देश के स्वतंत्रता -संग्राम में कुर्बान हुए शहीदों के चरणों में हमारा शत - शत नमन।

''वॉयस ऑफ़ भारत डॉट इन '' मीडिया परिवार की ओर से स्वाधीनता दिवस की समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। हम इस अवसर पर अपने उन असंख्य शहीदों को शत -२ नमन करते हैं जिनकी कुर्बानी के कारण हम आज खुली आज़ादी में साँस ले पा रहे हैं। देश की आज़ादी की कीमत हमें चुकाने के लिए भारत का विभाजन स्वीकार करना पड़ा। बड़े ही अफ़सोस  की बात है कि हमारे कुछ सत्तालोलुप नेताओं की  लालसा के कारण देश का एक बहुत बड़ा भाग भारत माँ के सीने को चीरकर पाकिस्तान जैसे  नासूर के रूप में स्वीकार करने को मजबूर होना पड़ा। पाकिस्तान जैसी आतंक की फैक्ट्री को  हमेशा के लिए पैदा करके हमारे देश के कुछ बड़े नेताओं की सत्तालोलुपता ठंडी हुई थी और यह नासूर रूपी नापाक देश  आज भी भारत के लिए एक बहुत बड़ा सिरदर्द बना हुआ  है । भारत विभाजन के कारण कई लाख बेकसूर भारत माँ के बच्चे -बूढ़े ,जवान ,लड़कियां और महिलाओं को अकारण क़त्ल कर दिया गया और करोड़ो लोगों के लिए आज़ादी की सुबह बहुत बड़ी तबाही और त्रासदी लेकर आई थी। देश विभाजन के दौरान मारे  गए लाखों बेकसूर लोगों को भी हमें याद रखना चाहिए और उनको भी अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देना नहीं भूलना चाहिए। आइए हम इतिहास में की गई अपने कथित बड़े नेताओं की भूलों से सबक लेते हुए , इस अवसर पर हम सब अपने भारत को  एक  शक्तिशाली ,गौरवशाली ,समृद्धशाली ,अखंड राष्ट्र और विश्वगुरु बनाने का संकल्प लें।

क्या ईमानवालों को काफिरों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने से ही मिलती है जन्नत ?


 ईमानवालों को काफिरों [गैरमुसलमान ]  की लड़कियों  के साथ बलात्कार करने से ही मिलती है जन्नत ? क्या इस्लाम में ऐसा करना गुनाह नहीं है और अगर यह ठीक है तो फिर यह मजहब कैसे प्रेम और भाईचारे का पैगाम देता है ? दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन ISIS की क्रूरता के एक और कहानी सामने आई है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक ISIS की चंगुल से छूटकर आई लड़कियों ने कुछ ऐसे खुलासे किए हैं जिसे सुनकर ऐसा लग है कि इस्लाम के नाम पर गुनाह करना पाप नहीं पुण्य कार्य है।  दुनिया के दुर्दांत आतंकी संगठन  ISIS के चंगुल से छुटकर आई एक 12 साल की लड़की ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि आतंकी लड़कियों के साथ रेप करते हैं और जब उनका विरोध करो तो कहते हैं कि इस्लाम के मुताबिक काफिरों का रेप करना गुनाह नहीं है।लड़की ने बताया कि आतंकी कहते हैं कि रेप करने से उन्हें जन्नत मिलेगी। गौरततलब है कि ISIS ने पिछले साल यजीदी समुदाय की 5000 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों को किडनैप कर लिया था। अफ़सोस की बात यह है आतंकी ऐसी करतूतें इस्लाम के नाम पर कर रहे हैं। क्या इस्लाम के पैरोकार और जानकार आईएस के द्वारा किये जा रहे इन कुकर्मों और उनको जायज़ ठहराने के लिए की जा रही बकवास का विरोध करने का साहस रखते हैं ? क्या  इस्लाम का मुसलमानों  के लिए यही पैगाम है कि काफिरों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने से ही उनको जन्नत मिलेगी ?  इस बारे में आपकी क्या राय है ?

Wednesday 12 August 2015

सत्ताविहीन होकर '' पानी बिन मीन '' जैसी तड़प रही कांग्रेस संसद को बंधक बनाकर कर रही है जनादेश का अपमान

क्या देश को कांग्रेस ने खोखला  नहीं किया ? करोड़ो के घोटाले करनेवाली कांग्रेस की सरकार को जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया,परन्तु सत्ता के बिना कांग्रेस की तड़प  ''बिन पानी के मछली ''जैसी नहीं हो गई है ? जो सवाल सुषमा स्वराज ने आज संसद में सोनिया -राहुल गांधी से पूछे हैं, क्या उनका जवाब जनता को नहीं मिलना चाहिए ? क्या कांग्रेससंसद को बंधक बनाकर मोदी सरकार को मिले जनादेश का अपमान नहीं कर रही ? इस पर आपकी क्या राय है ?

Tuesday 11 August 2015

महादेव से हमारी यही कामना है कि वह भारत में मौजूद अंदरुनी व बाहरी आसुरी ताकतों का सर्वनाश करें।

शिवरात्रि की सभी देशवासिओं को हार्दिक  शुभकामनाएं। इस अवसर पर महादेव से हमारी यही कामना है कि वह भारत में मौजूद अंदरुनी व बाहरी आसुरी ताकतों का सर्वनाश करें। इसके साथ ही वो अपने अनुयायिओं को भी इतनी ताकत दे कि हम अपने राष्ट्र ,संस्कृति और धर्म के अस्तित्व को चुनौती दे रही आततायी ताकतों का मुंहतोड़ जवाब दें सकें। आदिदेव -देवों के देव  -महादेव भगवान शिव से हमारी यही प्रार्थना है कि पुरे विश्व में सनातन धर्म का डंका  बजता रहे। ॐ  नमो शिवाय। 

Monday 10 August 2015

I S का 2020 तक भारत पर कब्ज़े का इरादा। किस मजहब का पैरोकार है I S , क्या कथित सेकुलर इसका जवाब देंगे ?

ऐसी खबरें मीडिया में आ रही हैं कि विश्व का सबसे खूंखार आतंकी संगठन आई एस  का यह नापाक सपना है कि 2020 तक वह भारत सहित दुनिया के बहुत बड़े भाग पर अपना अधिपत्य कायम कर लेगा। इस्लामिक स्टेट पर एक नयी पुस्तक में दिए एक नक्शे के मुताबिक इस दुर्दांत आतंकी संगठन की योजना दुनिया के बड़े हिस्से में अगले पांच साल में अपना प्रभुत्व कायम करने की है जिसमें लगभग समूचा भारतीय उपमहाद्वीप शामिल है भारत माँ के वीर सपूतों की रगों में जब तक खून की एक भी बून्द बाकी है तब तक  आई एस 5 वर्ष क्या 1000 साल तक भी अपने  इस नापाक इरादे को पूरा नहीं कर सकता। भारत भूमि इन नापाक लोगों की कब्रगाह बन जाएगी। परन्तु सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस पर भारत के कथित सेकुलर क्या अब भी यही कहेंगे कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता ? यह आईएस किस मजहब के नाम पर मानवता को लहूलुहान कर रहा है और ऐसा करने के पीछे आखिर उसका मकसद क्या है ?क्या धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देनेवाले और इस्लाम को प्रेम और भाईचारे का धर्म बतानेवाले इस्लाम के पैरोकार आईएस के इस इरादे के मुखालफत करने की कोई पहल करेंगे ? आईएस के  नक्शे के मुताबिक इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और सीरिया (आईएसआईएस) की योजना मध्य पूर्व, उत्तर अफ्रीका, अधिकांश भारतीय उप महाद्वीप और यूरोप के हिस्से पर अगले पांच साल के अंदर कब्जा कर अपना खिलाफत कायम करने की है।मिरर अखबार ने नक्शे का हवाला देते हुए बताया है कि खिलाफत..शरियत कानून द्वारा संचालित राज्य है जिसे आईएसआईएस कायम करना चाहता है। इसके दायरे में स्पेन से लेकर चीन तक को लाने का मंसूबा है। नक्शे के मुताबिक स्पेन, पुर्तगाल और फ्रांस के हिस्से को अरबी में ‘अंदालुस’ नाम दिया गया है जिस पर ‘मूरों’ ने आठवीं से 15 वीं सदी के बीच कब्जा किया था जबकि भारतीय उपमहाद्वीप को ‘खुरासान’ नाम दिया गया है। 


Sunday 9 August 2015

भारतीय सेना ने लोकप्रियता के मैदान में भी बाजी मारी। शिखर पर गाड़े बुलंदी के झंडे।

युद्ध के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में माहिर भारत की सेना अपनी लोकप्रियता के मैदान में भी पाकिस्तान तो क्या सीआईए, एफबीआई, नासा को पछाड़ कर एक बार फिर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंच गई। भारतीय सेना का फेसबुक पन्ना लोकप्रियता के लिहाज से पीपुल टाकिंग एबाउट दैट (पीटीएटी) रैंकिंग में आ गया है। कुछ ही महीने के अंदर यह दूसरा मौका था जब भारतीय सेना का फेसबुक पन्ना शीर्ष पर पहुंचा। सेना सूत्रों ने कहा कि यह सेना के लिए सोशल मीडिया के लिहाज से बड़ी बात है। सिर्फ दो महीने पहले, हम पहली बार शीर्ष पर पहुंचे थे। इसने यह भी साबित किया कि हमारे पन्ने पर वास्तविक ‘लाइक’ हैं।
भारत माँ के इन सपूतों को हमारा शत -२ नमन। हमारी कामना है कि भारत की सेना हर चुनौती का सामना पूरी वीरता और अपने पराक्रम के बल पर हर क्षेत्र में अपने दुश्मनों सहित विश्व की महाशक्ति माने  जानेवाले देशों को पछाड़कर  अपना झंडा यूँही बुलंद रखे। भारतीय सेना ने  लोकप्रियता के मैदान में भी बाजी मारी। शिखर पर गाड़े बुलंदी के झंडे। 

Saturday 8 August 2015

आतंकी याकूब की फांसी को महिमामंडित करनेवाले चैनलों को सरकार के दिए नोटिस पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA बेचैन क्यों ?

केंद्र  और कुछ राज्य सरकारों  ने कुछ न्यूज़ चैनल्स को आतंकवादी याकूब मेमन की फांसी की कवरेज देने पर क़ानूनी नोटिस जारी किया है। इनमें आजतक , एनडीटीवी और एबीपी  चैनल प्रमुख हैं। क्या आप सरकार द्वारा इनको दिए गए नोटिस से सहमत हैं ? हमारे अनुसार सरकार की यह कार्रवाई उचित है , क्योंकि इन मीडिया चैनलों ने याकूब को कवरेज देकर हीरो के रूप में प्रचारित करने में कोई कोर -कसर बाकि नहीं छोड़ी थी। याकूब की फांसी की कवरेज को लेकर तीन न्यूज चैनलों एबीपी न्यूज, आज तक और एनडीटीवी को नोटिस भेजने पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA ने चिंता जताई। चुनिंदा मीडिया संगठनों को केंद्र सरकार की ओर से नोटिस भेजे जाने पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA ने सवाल उठाया है। क्या आप सरकार द्वारा इनको दिए गए नोटिस से सहमत हैं ? क्या आप न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA द्वारा नोटिस पर सवाल उठाने को सही मानते हैं ? हमारा मानना है की सविंधान में बेशक किसी भी नागरिक को विचारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी मिली हुई है परन्तु यह अधिकार किसी भी हालत में देशहित को दरकिनार करने की छूट प्रदान नहीं करता।  इस अधिकार की आड़ में मीडिया चैनल, पत्रकार ,किसी भी बड़े ओहदे पर बैठे व्यक्ति विशेष को  देश की सुरक्षा  से खिलवाड़ करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने की छूट नहीं दी जा सकती। हद तो तब हो गई जब देश की न्यायपालिकासे फांसी की सज़ा पाये याकूब मेमन जैसे अपराधी और देशद्रोही को महिमामंडित करने कुछ न्यूज़ चैनल्स में होड़ सी लग गई । हमारा तो सुप्रीम कोर्ट से भी यह निवेदन है कि वह याकूब की फांसी का विरोध और उस पर सवाल खड़ा करनेवाले मीडिया चैनल और कथित बुद्धिजीवियों के विरुद्ध कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई भी शीघ्र करे ताकि लोगों का विश्वास देश की कानून व्यवस्था और न्यायपालिका में कायम रहे। साथ ही भविष्य में किसी की भी देशहित को दरकिनार करके किसी देशद्रोही और आतंकवादी को महिमा मंडित करने की हिम्मत ही न हो सके। क्या आप इससे सहमत हैं ?

Wednesday 5 August 2015

क्या हिन्दुओं में यह हिम्मत और हौंसला है कि वह अपने पड़ोसी देशों में हिन्दू -सिखों के अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद कर सकें ?

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का बहुत ही दयनीय हाल है , उनमें भी सबसे खस्ता हालत हिन्दुओं की है। हिन्दुओं की संख्या दिनोदिन कम होती जा रही है। वहां की सरकार भी इस पाप में बराबर की भागीदार है। क्या भारत सरकार इन दीन -हीन हिन्दुओं की रक्षा कर पायेगी ?  यही हाल  हिन्दुओं का बांग्लादेश में भी है और जब चाहे मुस्लिम कटटरपंथी हिन्दुओं पर खुनी हमले करते हैं और मंदिरों को भी ध्वस्त कर देते हैं और वहां की सरकार इन हमलों को नहीं रोकती।  पूरी दुनिया में कहीं भी मुसलमानों की बात हो तो पुरे विश्व के मुस्लमान एकजुट होकर आवाज़ उठाते हैं चाहे वह समर्थन आतंकवादी को ही क्यों न देना हो , इस बात की परवाह मुस्लिम नहीं करते। क्या हिन्दुओं में यह हिम्मत और हौंसला है कि वह अपने पड़ोसी देशों में हिन्दू -सिखों के अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद कर सकें ?

Saturday 1 August 2015

याकूब मेमन जैसे देशद्रोही आतंकवादी जिसे कानून ने फांसी दी हो ,के जनाज़े में शामिल होनेवालों को क्या माना जाए ? देशभक्त या आतंकवादी ?

आतंकवादी याकूब मेमन के जनाज़े में जो लोग शामिल हुए [ उसके निकट परीजनों को छोड़कर]  क्या उन्हें देशभक्त माना जाये या देशद्रोही ?क्योंकि यह लोग  एक देशद्रोही के जनाज़े में शामिल हुए जिसके मुंह पर 257 से भी ज्यादा बेकसूर लोगों की बम धमाकों में हुई  मौत और हज़ारो लोगों के गंभीर घायल होने के गुनाह की कालिख पुती हुई थी   और टाडा कोर्ट ने उसे दोषी मानते हुए  मौत की सज़ा सुनाई जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने  भी अपनी मोहर लगा दी थी।  क्या एक आतंकवादी ,देशद्रोही और मानवता के हत्यारे के जनाज़े में शामिल होनेवालों को देशभक्त समझा जाये या देशद्रोही या फिर आतंकवादी  ? जो लोग यह कहते हैं कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता तो यह ज़नाज़ा क्या साबित कर रहा है ?जो लोग इस जनाज़े में शामिल हुए तो वह याकूब के मजहब के ही हैं न और याकूब का मजहब आतंकवाद है तो फिर यह कैसे न माना जाये कि याकूब के जनाज़े में शामिल होनेवाले लोग या तो आतंकवादी हैं या संभावित आतंकवादी हैं या फिर देशद्रोही हैं ?क्योंकि एक देशभक्त इंसान तो किसी आतंकवादी की अंतिमयात्रा का हिस्सेदार बनना नहीं चाहेगा। आप इस बारे में क्या सोचते हैं ? कृपया अपने विचार दें; 

Thursday 30 July 2015

आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी देने से क्यों बेहद दुःखी हैं शशि थरूर ? आतंकवादी घटना में मरे बेकसूर लोगों की हत्या से क्यों दुःखी नहीं हैं , क्या कारण है ?


आतंकवादी याकूब मेमन   को फांसी दिए जाने  पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर का कहना है कि '' सरकार ने एक इंसान को फांसी पर चढ़ा दिया मैं इससे बेहद दुखी हूँ। सरकार प्रायोजित हत्याएं हमें नीचा दिखा रही हैं ,जिसने हमें हत्यारों के स्तर तक ला दिया है।''  इस ट्वीट का क्या अर्थ निकलता है  ? क्या वह  सरकार को हत्यारी बताकर सीधे -2 आतंकवाद का समर्थन नहीं  कर रहे हैं? क्या यह ट्वीट देश की सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं है ,क्योंकि यह फांसी सरकार के  नहीं ,कोर्ट के आदेश पर दी गई है ?  उन्हें किसकी नजरों में नीचा दिखा दिया गया और क्यों ? क्या इन जैसे नेताओं की मानसिकता यह नहीं दर्शाती कि इनका देश की न्यायपालिका में विश्वास नहीं है और न ही इन्हें आतंकवादी घटनाओं में मरनेवाले बेकसूर लोगों से कोई सहानुभूति है ,बल्कि इनकी सहानुभूति मानवता के हत्यारों याकूब मेमन जैसे आतंकवादिओं से है और वो आतंकवाद के आकाओं की नजरों में तो नहीं बड़े बना रहना चाहते ? आप इन नताओं के बारे में क्या राय है ? जो लोग आतंकवाद की घटना में मारे गए बेकसूर लोगों की मौत से दुःखी न होकर  याकूब मेमन  फांसी से दुखी हैं उन्हें क्या सज़ा मिलनी चाहिए ? 

Wednesday 29 July 2015

आतंकवादी याकूब की फांसी का विरोध करके क्या देशद्रोह का गुनाह नहीं कर रहे ? क्या सरकार को इन लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए ?आपकी क्या राय है ?

याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले क्या आतंकवाद की हिमायत नहीं कर रहे ? याकूब की  फांसी का विरोध करनेवाले सुप्रीम कोर्ट के फैंसले पर भी टीका -टिप्पणी करके क्या देश में साम्प्रदायिकता नहीं फैला रहे हैं ? देश की शांति को बिगड़ने और सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वाले कोर्ट की अवमानना के दोषी हैं। आतंकवादी याकूब की फांसी का विरोध  करके क्या देशद्रोह का गुनाह नहीं कर रहे ? क्या सरकार को इन लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए ?आपकी क्या राय है ?

Tuesday 28 July 2015

मोदी सरकार कब तक यह बयानबाज़ी करती रहेगी कि 'पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का हम मुहँ तोड़ जवाब देंगे 'यह जवाब सरकार कब देगी ?

 पंजाब के गुरदासपुर में पाकिस्तान से आये 3 घुसपैठियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग एक  पुलिस अधीक्षक , 3 पुलिस के जवानों सहित 7 बेकसूर लोगों   को मौत के घाट उतार दिया और कई अन्य लोग घायल भी हो गए। हालाँकि पुलिस और स्वात कमांडों कार्रवाई में तीनों पाकिस्तानी घुसपैठिये भी मारे गए हैं।शहीद हो गए पुलिस जवानों की वीरता  के प्रति पूरा देश नत मस्तक है । इस घटना के बाद फिर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान आया है 'पाकिस्तान की इस  नापाक हरकत का हम मुहँ तोड़ जवाब देंगे ' अब सवाल यह उठता है कि यह जवाब सरकार  कब देगी ? हम इतने कमजोर क्यों बने हुए  हैं कि पाकिस्तान को अभी तक ढंग से सबक नहीं सीखा पा रहे और पाकिस्तान बार -बार कभी सीमा पर फायरिंग करके निर्दोष नागरिकों को और कभी जवानों को मार डालता है? उसका दुःसाहस इतना बढ़ चूका है कि भारत के किसी भी क्षेत्र में अंदर तक अपने आतंकियों से भारतियों की लाशें बिछा रहा है और हमारे नपुंसक शासक सिर्फ बयानबाज़ी करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं। बस,  अब हम अपने और  लोगों का लहू बहता नहीं देख सकते ,प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह बयानवीर बनने की बजाय कुछ ऐसा मुहं तोड़ जवाब पाकिस्तान जैसे धूर्त शैतान को दें कि उसकी आनेवाली पीढियां कभी  भारत की तरफ देखने की हिम्मत न कर सके। अगर अब भी मोदी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाये तो यह सरकार भी मनमोहन सरकार जैसी ही नपुंसक सरकार की श्रेणी में ही गिनी जाएगी ,इस बात को अब हमारे शासकों को भली भांति समझ लेना चाहिए कि काम सिर्फ बयानों  से चलने वाला नहीं है,जनता एक्शन चाहती है सिर्फ और सिर्फ एक्शन।

Monday 27 July 2015

पंजाब में आतंकी हमले के लिए आतंवादियों के साथ -साथ आतंकी याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले भी दोषी हैं जो आतंकवाद का मजहब भी बताने में जुटे हैं

दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] पंजाब के गुरदासपुर में आतंकी हमले में मारे गए बेगुनाह लोगों को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि। हमले में शहीद हुए पुलिस के जवानों को भी हमारा नमन। हमले में पुलिस अधीक्षक बलजीत सिंह भी शहीद हो गए हैं , जिन्होंने देश की सुरक्षा में आतंकवादिओं से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज देश को भारत माँ के इन शहीद हुए जवानों पर नाज़ है। इस आतंकी हमले के लिए आतंकवादी तो जिम्मेदार हैं ही साथ ही वो लोग भी बराबर के दो लगाकर  न्यायपालिका की अवमानना   और आतंकवाद को अपना समर्थन देकर देषी हैं जो आतंकवादी  मेमन को न्यायालय द्वारा दी फांसी की सज़ा पर सवालिया निशानश की अस्मिता से खिलवाड़ कर रहे हैं। याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले चाहे वो राजनेता हों ,चाहे कथित बड़े पत्रकार या फिल्म उद्योग से जुड़े लोग सबके सब आतंकवाद को बढ़ावा देते दिख रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि कुछ मीडिया चैनल भी इस आतंकी को बचाने की मुहीम छेड़े हुए है। यह मीडिया वाले खुद को शायद स्वयं को देश की एकता और न्यायपालिका से भी ऊपर मने बैठे हुए हैं और अदालत के आदेश को गलत ठहराते हुए बहस चलाने को अपना धर्म समझ रहे हैं। लानत है ऐसे लोगों पर जो जानबूझ कर आतंकवादी को बचाने की नापाक हरकत करके देश के साथ द्रोह करने में जुटे हुए हैं। सांसद ओबैसी जैसे मजहबी सिरफिरे और कुछ अन्य कथित मुस्लिम बुद्धिजीवी  मेमन की फांसी का विरोध उसके मस्लिम होने के कारण करके अपनी दूषित मानसिकता को भी उजागर कर रहे हैं ,जबकि वह कहते हैं की आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता।मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले एक तरह से इस बात को साबित करने में लगे हुए हैं कि आतंकवाद का भी मजहब होता है और वो भी इस्लाम ? अतः यह कहना किसी भी तरह से गलत नहीं होगा कि पंजाब में हुए आतंकी हमले के लिए आतंवादियों के साथ -साथ आतंकी याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले भी दोषी हैं, जो आतंकवाद का मजहब भी बताने में जुटे हैं। 

Friday 17 July 2015

कश्मीर में देश और मानवता के दुश्मन पाकिस्तान और आईएस आईएस के झंडे फहरनेवालों को क्यों कुचल नहीं पा रही मोदी सरकार? देश की जनता को चाहिए इसका जवाब।


 दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] कश्मीर के अलगाववादी और खूंखार   आतंकवादी    भारतभूमि पर बार -बार पाकिस्तानी और आईएस आईएस के झंडे फहरा कर  अपने नापाक इरादों को जाहिर करके हमारी अस्मिता को तो चुनौती दे ही रहे हैं, साथ ही विश्व पटल पर भारत को कमजोर देश साबित करने की कोशिश में भी  लगे हुए हैं। मानवता के दुश्मन और दुनिया में आतंक  वाद का  जनक  पाकिस्तान और सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस के झंडे फहराने वाले राष्ट्रघाती तत्वों की नकेल कसने में  राज्य व केंद्र सरकार नाकाम साबित हो रही है। क्यों ? इस बात का जवाब देश की जनता मोदी सरकार से चाहती है।  देश की जनता को मोदी सरकार से बहुत अपेक्षाएं हैं और इस बात का विश्वास भी है कि वह अपनी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तरह देश की एकता -अखंडता और सुरक्षा को अपने अजेंडे में सबसे ऊपर रखेगी। ऐसी विश्वास को दिलो-दिमाग में रखकर ही पिछले वर्ष आम चुनाव में जनता ने भारी  बहुमत से देश की बागडौर नरेंद्र मोदी के हाथों में सौंपी थी और कांग्रेस को केंद्र की सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। देश  की बागडौर संभाले हुए मोदी जी को लगभग 14 महीने हो चुके हैं औरपिछले कई माह से  जम्मू -कश्मीर में भी  मुफ़्ती सरकार  उनकी पार्टी बीजेपी की भागीदारी से चल रही है, परन्तु इस सबके बावजूद अलगाववादी संगठनों को कुचलने में सरकार का नाकाम रहना चिंता का गंभीर विषय है। देश की जनता देश की धरती पर पनपनेवाले सभी देश - विरोधी तत्वों का समूल विनाश चाहती है और अगर मोदी जी की सरकार इस काम को नहीं कर पा  रही तो यह उनकी सबसे बड़ी विफलता साबित होगी और जनता के विश्वास के साथ भी  बहुत बड़ा घात भी होगा। इस बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सलाहकार मण्डली को अच्छी तरह से समझ लेना चाही। भारत की जनता कुछ भी बर्दाश्त कर सकती, लेकिन अब वो अपने देश की धरती पर किसी भी ऐसे संगठन और विचारधारा को सहन नही करेगी जो नापाक इरादे रखती हो और देश की एकता -अखंडता और सुरक्षा को चुनौती देती हो। 


Sunday 17 May 2015

अपनी सरकार की कमियों को छुपाने के लिए दिल्ली में सवैंधानिक -संकट पैदा करना चाहते हैं केजरीवाल

क्या अरविन्द केजरीवाल अपनी सरकार की  कमियों को छुपाने के लिए , उप- राज्यपाल  नजीब जंग से  विवाद पैदा करके जनता का ध्यान बाँटना चाहते हैं  ? 
आपकी क्या राय ?  कृपया हाँ या नहीं  में जवाब दें -

Sunday 12 April 2015

परम् श्रद्धेय चौधरी रामलाल भाटिया जी की 21 वीं पुण्यतिथि पर चरणों में हमारा शत -शत नमन , उनका आशीर्वाद ही हमारे लिए ईश्वर का वरदान है।

यादां विछड़े सजन दियां आइयां
अखियाँ चो मी वसदा। 


 [परम पूजनीय पिता चौधरी रामलाल भाटिया] 

    बीस वर्ष पूर्व आप आज के दिन 12 अप्रैल ,1995 को बेशक भौतिक रूप से हमसे दूर चले गए , परन्तु हमारे मन -मस्तिष्क मे  बसी आपकी अमिट मधुर स्मृतियाँ समय -समय पर मुझे इस बात का अहसास कराती रहती हैं कि  आप  हमसे अलग होकर कहीं भी नहीं गए अपितु आप आज भी हमारे साथ ही हैं। जब कभी -भी किसी ऐसी विपत्ति ने मुझे घेरा जिसमें आपके मार्गदर्शन या सहयोग की आवश्यकता  महसूस हुई तो  आपने अदृश्य रूप में उस उलझन से निकलने का  मार्गदर्शन देकर अपने  पिताधर्म को निभाया।आपके द्वारा अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध  संघर्ष करने के बताए गए मार्ग पर मैं आज भी चल रहा हूँ । आपने हमेशा यही कहा  कि 'विरोधी चाहे कितना भी शक्तिशाली और प्रभावशाली क्यों न हो अगर हमारे पास सच्चाई और अपने बड़े -बजुर्गों का आशीर्वाद है तो जीत हमें ही मिलनी तय है,'आपकी इसी सीख के कारण मैं  भी समाज के पीड़ित वर्ग के  कमजोर और असहाय व्यक्ति के साथ चट्टान की तरह खड़ा होकर उसकी पीड़ा को मुखर वाणी देकर सत्ता के शीर्ष पर बैठे शासकों तक पहुंचाकर उसकी समस्या का निदान करवाकर ही दम लेता हूँ और आपके आशीर्वाद से जीत हमेशा मेरे साथ आ खड़ी होती है। मेरी आपसे और ईश्वर से यही कामना है कि आपके  स्नेह और आशीर्वाद की छत्रछाया सदैव हम पर बनी रहेगी। मैं आज भी आपके द्वारा दी गई जनहित में कार्य करने प्रेरणा के कारण ही  चौ. रामलाल भाटिया चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से समाज के पिछड़े और कमजोर वर्ग के लोगों के हित में कार्य करने को अपना परम् सौभाग्य मानता हूँ। आपके चरणों में हम सदैव नतमस्तक रहेंगे,और आपके दिखाए रस्ते पर चलकर जीवन व्यतीत करने को ही अपना क्षत्रिय धर्म-कर्म मानते हैं। 

Saturday 4 April 2015

केंद्र सरकार राष्ट्र और मानवता के हित में सभी धर्मावलम्बियों से परिवार नियोजन का नियम सख्ती से लागू करवाए और इसको न माननेवालों से सभी सरकारी सुविधाएँ छीन ले।



 दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] दुनिया में जिस गति से मुस्लिम आबादी बढ़ रही है उसको लेकर कई अन्य धर्म को माननेवाले लोगों में यह चिंता का विषय है बनता जा रहा है, परन्तु धर्मनिरपेक्षता की बीमारी से ग्रस्त हिन्दू इससे सचेत नहीं हुआ। इतिहास साक्षी है कि मुस्लिम आक्रान्ताओं के जुल्मों और अत्याचारों  का  सबसे अधिक शिकार भारत और हिन्दू समाज ही हुआ है। इस चिंता का कारण भी जायज है ,क्योंकि जिस किसी भी क्षेत्र या देश में मुस्लिम बहुलता हुई वहां पर न तो लोकतंत्र ही जिन्दा रहा और न ही धर्मनिरपेक्षता नाम की कोई वस्तु शेष रही। इसका ताज़ा उदाहरण इराक ,ईरान, अफगानिस्तान और 1947 में भारत से काटकर अलग किये गए क्षेत्र जिसको पाकिस्तान का नाम दिया गया और 1971 में उससे अलग करके बने बांग्लादेश नामक इस्लामिक देश हैं। और तो और भारत के कश्मीर की हालत भी हमारे सामने है वहां मुस्लिम आबादी अधिक होने के कारण किस तरह से हिन्दू -सिखों को मारा गया और उनको अपने घरों से बेघर कर दिया गया। इन मुस्लिम देशों में कैसा लोकतंत्र है ?कैसी धर्मनिरपेक्षता है और कैसी सामाजिक शांति है? सभी भली -भांति जानते हैं। इन देशों में गैर मुस्लिमों की दुर्दशा का जीता -जगता प्रमाण आज इराक ,सीरिया ,पाकिस्तान और बांग्लादेश में देखा जा सकता है ?अफ़सोस है कि लगभग 700 वर्षों तक मुस्लिम आक्रांताओं की गुलामी में रहकर हिन्दुओं ने जिन अत्याचारों और आतंक को झेला उससे हिन्दू समाज ने कोई सबक नहीं सीखा है और लगभग 200 वर्षों तक अंग्रेजी शासकों की गुलामी के बाद भी हम सचेत नहीं हैं क्यों ?अगर आज कोई हिन्दू नेता हिन्दुओं को अधिक बच्चे पैदा करने की सलाह देता है तो सबसे पहले मीडिया हो -हल्ला मचाता है और उसके बाद धर्मनिरपेक्षता के कथित झंडाबरदार हंगामा करके अपने को देश के सबसे बड़े हितैषी होने का दावा करते हैं ,क्यों ? क्यों इनमें से कोई भी यह बात नहीं करता कि एक जेहादी एजेंडे के तहत दिन -रात बढ़ाई जा रही मुस्लिम बच्चों की पैदावार पर सरकार रोक लगाए ? आज़ाद भारत में समानता का ढोल पीटने वाले शासक और राजनैतिक -समाजिक -धार्मिक नेता यह बताएं कि सारी पाबंदियां हिन्दुओं पर ही क्यों ? आज ऐसे हिन्दुओं की भी कमी नहीं है जो सिर्फ पैसा कमाने और ऐशो -आराम के संसाधनों को एकत्र करने में ही जुटे हुए हैं। उन्हें इस बात से कोई सरोकार नहीं है कि आनेवाले दशकों में अगर मुस्लिम इसी गति से बच्चों की पैदावार करते रहे और हिन्दू सिर्फ एक -दो पर ही अटके रहे तो उनकी आनेवाली नस्लों का क्या होगा ?क्या भारत में भी सीरिया -इराक जैसे हालत पैदा होने से कोई रोक पायेगा ? क्या मुस्लिम बहुल होते ही भारत में लोकतंत्र और धर्मनिरपेक्षता बच पायेगी ? इस बात का चिंतन आज हिन्दुओं को करना होगा और भारत की सरकार पर यह दवाब बनाना होगा कि वह राष्ट्र और मानवता के हित में सभी धर्मावलम्बियों से परिवार नियोजन का नियम सख्ती से लागू करवाए और इसको न माननेवालों से सभी सरकारी सुविधाएँ छीन ले। अगर सरकार ऐसा कानून नहीं लागू करती  है तो हिन्दू भी एक -दो बच्चों को पैदा करने की मानसिकता को छोड़कर अपनी आनेवाली नस्लों ,अपने धर्म और अपने देश के भविष्य को खतरे में पड़ने से बचाने के लिए अधिक बच्चे पैदा करें।इसी में लोकतंत्र  और धर्मनिरपेक्षता की भलाई है और इसी में भारत में शांति कायम रह सकती है और उसका भविष्य भी  उज्जवल है।केंद्र