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Sunday 30 August 2015

बिहार में सत्ता के स्वार्थी नेताओं का महा गठबंधन या महा ठगबंधन ?

बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रिय जनतादल के   लालूयादव ,नितीश कुमार ,समाजवादी के मुलायम सिंह और कांग्रेस के सोनिया - राहुल गांधी जैसे लोगों ने मिलकर महागठबंधन बनाया है। क्या यह महागठबंधन महाठगबंधन नहीं है ? जिस  भानुमति के कुनबे में पशुओं का चारा खानेवाले लालू यादव जैसे चाराचोर , घोटालों के महानायक  और सत्ता के बिना मछली की भांति छटपटा रहे सोनिया -राहुल  , बिहार में कुशाशन के प्रणेता सत्ता लोभी  नितीश कुमार जो सत्ता की लोलुपता के लिए किसी से भी हाथ मिलाने से परहेज नहीं कर रहे और यूपी में अराजकता और गुंडाराज कायम रखनेवाले सपाई मुलायम सिंह एंड कम्पनी शामिल है , उस गठबंधन को महाठग बंधन क्यों नहीं कहा  जाए ? इस गठबंधन में शामिल सभी लोगों का न तो कोई सिद्धांत है और न ही कोई स्पष्ट नीति है , इसलिए यह स्वार्थी लोगों का एक गिरोह है जो सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से भयभीत होकर अपने वर्चस्व को बचाने  और सत्ता हथियाने का अंतिम प्रयास कर रहा है। और सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि इनके साथ आज के बड़े सबसे कथित ईमानदार नेता और स्वच्छ राजनीती के कथित पुरोधा अरविन्द केजरीवाल भी शामिल होकर बिहार की जनता को गुमराह करके ठगने का प्रयास कर रहे हैं।

Wednesday 26 August 2015

परमाणु बम से कहीं ज्यादा घातक हो सकता है आरक्षण का हथियार । भारत को तोड़ने की हो सकती है विदेशी साजिश ?

आरक्षण का दानव धीरे -2 जिस तरह से अपने पैर पसार रहा है उससे यह लगने लगा है कि एक दिन यह बीमारी भारत के विनाश का कारण बन सकती है। हमारे देश के राजनैतिक दल अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए दिन -प्रतिदिन इस आरक्षण के झुनझुने को हिला कर नित नई जातिओं और समुदायों को आरक्षण का लालच देकर उकसाने में लगे हुए हैं। ऐसा लगता है की अब विदेशी ताकतें भारत के लोगों को आपसी झगड़ों में उलझाने के लिए आरक्षण के हथियार को आजमाने में जुट गई हैं। हमारे देश के सत्ता के लोभी नेताओं और दलों को भी सिर्फ और सिर्फ अपनी कुर्सी को बनाये रखने की चिंता है, चाहे इसके लिए देश की अंदरुनी शांति ही क्यों न बलिदान कर दी जाए। विदेशी ताकतों की हर संभव यही कोशिश वर्षों से रही है कि किसी भी तरह से भारत को कमजोर और खंडित किया जाए। अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए इन ताकतों ने अथाह धन -सम्पत्ति भी खर्च की है और इसको अनुदान के रूप में देश के अंदर काम करनेवाले कई गैर सरकारी संगठनों ने आर्थिक सहायता के रूप में  प्राप्त भी किया है। ऐसे कई संगठनों की मोदी सरकार ने जाँच भी की है और कई संगठनों का पंजीकरण भी रद्द किया जा चूका है। आजकल आरक्षण के नाम पर भारत में आपसी जातीय संघर्ष के बीज बोने का काम कुछ देश विरोधी ताकतों द्वारा किया जा रहा है। इसका ताज़ा उदाहरण शांत गुजरात में पटेल आरक्षण के नाम पर की जा रही हिंसा है ,जोकि किसी भी तरह से देश के हित में नहीं है। भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट किया जा चूका है कि  आरक्षण की सीमा  किसी भी स्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। अफ़सोस की बात यह है कि इसके बावजूद भी कुछ स्वार्थी नेता अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए जाति -समुदायों को आरक्षण देने की कवायद में लगकर देश के लोगों में आपसी प्रेम को वैमनस्यता में बदलने की नापाक कौशिश में लगे हुए हैं। जिस गुजरात में पिछले 13 वर्षों से हिंसा नहीं हुई थी और लोग प्रेम और शांति से अपना विकास कर रहे थे, उसको बर्बाद करने के प्रयास किये जा रहे हैं। गुजरात को पटेल आरक्षण के नाम पर कुछ ऐसे लोगों ने हिंसा की आग में धकेल दिया है जो कि देश विरोधी और समाज विरोधी ताकतों के हाथों में खेल रहे हैं।धर्म के आधार पर ,कभी भाषा के आधार पर और अब आरक्षण के आधार पर भारत को आंतरिक युद्ध में उलझाने की साजिश चरम पर पहुंच गई लगती है। लोगों को विशेष रूप से हिन्दुओं को अब जाति के आधार पर लड़ाने की भारत विरोधी साजिश चल रही है और उसका हथियार जाति -आरक्षण बनता जा रहा है। इस साजिश में जाने -अंजाने हार्दिक पटेल जैसे कई युवा बन रहे हैं जो कम समय और कम मेहनत करके अधिक से अधिक पाने की मानसिकता के हैं। इस मानसिकता के लोग किसी भी हद तक जाने की कोशिश करते हैं चाहे उनकी इस हरकत से देश या समाज खंडित ही क्यों न हो जाए। अब देश की सरकार को भी इस बात की तह तक जाना चाहिए कि किन ताकतों के बल पर एक 22 वर्ष का युवक हार्दिक पटेल गुजरात जैसे विकास के रोल मॉडल राज्य की हंसती -खेलती जनता को हिंसा के हवाले कर देता है ?चिंता इस बात की भी की जानी चाहिए कि कुछ विदेशी ताकतों के बल और पैसे से भारत के भीतर बैठे गद्दार किस्म के लोग देश में अराजकता का माहौल बनाने में कामयाब भी होते दिखाई दे रहे हैं। इस बात को हमें भली -भांति समझ लेना चाहिए कि भारत के लिए परमाणु बम से कहीं ज्यादा घातक हो सकता है आरक्षण का हथियार जिससे हमारा समाज ,लोकतंत्र ,धर्म -संस्कृति और एकता -अखंडता लहू -लुहान हो सकती है। इस आरक्षण के हथियार से सुगम तरीके से सत्ता पाने वाले हमारे राजनैतिक दलों को अपनी हरकतों से बाज़ आ जाना चाहिए अन्यथा इसी हथियार से विदेशी ताकतें भारत को विनाश की गर्त में धकेल सकती हैं जहां पर न तो सत्ता भोगने वाले स्वार्थी नेता और न ही नौकरी और तरक्की की लालसा में आरक्षण चाहनेवाली जातियां -समुदाय बचे होंगे।

Monday 24 August 2015

भारत को बार -बार परमाणु बम की धमकी देकर अपने अंत को बुलावा दे रहा है पाकिस्तान।

 पाकिस्तान के नेता और फौजी कमांडर बार - बार भारत को अपने परमाणु बम की धमकी देकर क्या युद्ध के लिए उकसा  रहे हैं ? हमारा कहना  तो यह है कि पाकिस्तान इस गीदड़  भभकी को देकर  अपने अंत को निमंत्रण दे रहा है। वास्तविकता यह है कि इस बार भारत -पाक युद्ध हुआ तो  पाकिस्तान नामो -निशान दुनिया के नक़्शे से मिट जायेगा और उसका नाम लेवा भी नहीं बचेगा। पाकिस्तानी नेताओं और सेना की यह गीदड़ भभकी का जवाब भारत अवश्य देगा ,लेकिन वह  थोड़ा सा समय का इंतज़ार करें। इस बार का युद्ध पहले के युद्धों से भयंकर होगा जिसका स्पष्ट परिणाम निकलेगा।
    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्‍तर की बाचचीत रद्द होने के बाद पाकिस्तान ने फिर भारत को धमकी दी है। इस बातचीत के कैंसिल होने के बाद पाक में बौखलाहट शुरू हो गई है। पाकिस्‍तान ने अब इशारों में परमाणु बम की धमकी दी है।सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने कहा है कि हम खुद परमाणु संपन्न देश हैं और हम जानते हैं कि खुद की रक्षा कैसे करनी है। हमारे पास एटम बम है और हम अपनी हिफाजत कर सकते हैं। अपनी हिफाजत करना हमें आता है।यह पाकिस्तान की बौखलाहट ही है कि वहां के शासक यह जानते हुए भी कि वह भारत से आमने -सामने के  मुकाबले में कहीं भी नहीं ठहर सकते , लेकिन वह आतंक के हथियार से हमारा मुकाबला करना चाहते हैं। पाकिस्तानी आतंक के इसी हथियार से कई बार हमारे देश को जख्मी कर चुके हैं और अभी भी दिन -रात इसी काम में लगे हुए हैं।भारत से पाकिस्तान पूर्व में 4 युद्ध लड़ चूका है और हर बार मुंह की खा चूका है लेकिन उसके शासक और फ़ौज़ अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे।अब भारत के संयम की परीक्षा लेना पाकिस्तान को महंगा पड़ेगा।उनको यह बात समझ लेनी चाहिए कि भारत के पास भी परमाणु शस्त्र हैं और उनको भी अपनी रक्षा के लिए भारत हर हाल में इस्तेमाल करके रहेगा। इस भुलावे में शायद पाकिस्तान के लोग हैं कि भारत परमाणु बम को इस्तेमाल नहीं करेगा और उन्हें [पाक ] ऐसा करने की छूट देगा। भारत -पाकिस्तान  के बीच लड़ा जाने वाला  अबकी बार का युद्ध पाकिस्तान के खात्मे की कहानी लिखेगा , यह पाकिस्तान और उसके प्रेमियों को भली -भांति समझ में आ जाना चाहिए । पाकिस्तान की इस धमकी के बारे में आपकी क्या राय है ?   

Saturday 22 August 2015

मोदी जी अब वार्ता नहीं युद्ध करो। पाकिस्तान हमारा है और अब हम उसको लेकर रहेंगे।

  • भारत को अब और समय बर्बाद किये बिना आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान को सबक सीखा देना चाहिए क्योंकि अब एकमात्र यही विकल्प शेष है जिससे भारत की सीमाओं और बेकसूर नागरिकों की रक्षा की जा सकती है। भारत के नागरिकों की जान की कीमत पर हमें शांति नहीं चाहिए इस बात को हमारे शासकों को भी अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। पाकिस्तानी सरकार की हरकतों का जवाब भारत को अब पूरी ताकत से देना चाहिए ,क्योंकि इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान उस कुत्ते की तरह से है जिसकी दम 12 साल तक नलकी में रखी जाये फिर भी वह सीधी नहीं होनेवाली ? भारत की भूमि को छीनकर बने इस नापाक देश को जितना भी प्यार से समझा लो इसकी समझ में आनेवाला कुछ नहीं है। यह शैतान और आतंकी देश सिर्फ और सिर्फ ताकत की भाषा ही समझता है और अब समय आ गया है कि इसको युद्ध के द्वारा नेस्तनाबूद कर दिया जाए। पाकिस्तान को यह बताने का वक्त आ गया है कि अधिकृत कश्मीर ही नहीं पूरा का पूरा पाकिस्तान ही हमारा है और अब हम उसको हर कीमत पर लेकर रहेंगे। भाड़ में गई वार्ता और बातचीत क्योंकि यह इन सब चीज़ों को समझनेवाला देश नहीं है। हकीकत यह है कि पाकिस्तानी हुक्मरानों को यह भलीभांति यकीन हो चूका है कि भारत के शासक बातचीत में ज्यादा विश्वास रखते हैं और इनको अपने देश से ज्यादा चिंता इस बात की चिंता है कि उनके बारे में विश्व की क्या राय है ? अब देश इस बात को और अधिक दिन तक सहन नहीं कर सकता कि पाकिस्तान के घुसपैंठिये जब चाहे भारत में आकर बेकसूर लोगों को अपना शिकार बनाएं और आये दिन सीमा पर गोलीबारी करके जवानों को भी मौत के घाट उतारते रहें। इसके साथ ही कश्मीर के अलगाववादी लोगों को भी चाहे वो हुर्रियत हो या कोई और देश से गद्दारी की कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। अगर भारत की सरकार अब भी यह सोच रही है कि पाकिस्तान से वार्ता करके आतंक और सीमा के उल्लंघन की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी तो यह उसकी गलतफहमी है और इससे  भारत को भविष्य में बड़ा नुकसान हो सकता है। 

Tuesday 18 August 2015

नेताजी की रहस्य को उजागर करने से क्यों डरती हैं सरकारें ? क्या मोदी जी यह साहस करेंगे ?

भारत माँ के वीर सपूत ,स्वाधीनता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पुन्यतिथि पर उनके चरणों में हमारा शत -शत नमन। अफ़सोस की बात यह है कि आज़ाद भारत के शासकों ने उनको वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह पात्र थे। हालाँकि उनकी मृत्यु को लेकर आज तक रहस्य बना हुआ है और आज़ाद भारत की सरकारों ने भी इस रहस्य से पर्दा हटाने में जानबूझकर कोई प्रयास नहीं किया। भारत की जनता अभी तक इस सच्चाई से वंचित है कि आखिर आज़ादी की लड़ाई के यह महान योद्धा अचानक  कैसे ,कहां और क्यों गायब हो गए ? क्या इसके पीछे कोई बहुत घिनौना राजनैतिक षड्यंत्र था या कोई सामान्य दुर्घटना थी ? क्या देश की वर्तमान राष्ट्रवादी और भारत की पुरातन संस्कृति की रक्षा करने और  महापुरषों को सम्मान दिलाने का दम्भ भरनेवाली नरेंद्र मोदी सरकार इस रहस्य से पर्दा उठाने का साहस करेगी कि आखिर नेताजी के साथ क्या हुआ और वह अचानक कहां लुप्त हो गए ? 

Sunday 16 August 2015

देश के बंटवारे और लाखों बेकसूरों की मौत के दोषी लोग ही आजाद भारत -पाकिस्तान के मसीहा बन गए ।

 दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] क्या हमने कभी इस बात को सोचा  कि अपनी आज़ादी  [15 अगस्त ] के दिन को पाने के लिए कितने लोगों ने अपनी जान को कुर्बान किया है ? शायद यह हमारी कल्पना से भी दूर की बात है कि आज़ादी के लिए कितने अभागे लाखों गुमनाम लोगों,जिन्हे इतिहास के किसी पन्ने पर भी कोई जगह नहीं मिल पाई है , ने अपने प्राणो की आहुति दे दी थी और वो इस दिन को भी नहीं देख पाये । इसके साथ -२ एक बात और है कि जहां भारत -पाकिस्तान की हकूमत पानेवाले लीडर जशन मनाने में व्यस्त हो गए वहीं देश के करोड़ों अभागे लोगों को अपने घरों से बाहर होना पड़ा था , इन लोगों को आज़ादी के दिन की बजाए एक भयानक संकट  ने घेर लिया और इनके सिर पर मौत अपना तांडव करने लगी। एक ही जमीन पर सदियों से रहनेवाले लोग मजहबी आधार [हिन्दू - मुसलमान ] पर हुक्मरानों द्वारा बाँट दिए गए और वह एक -दूसरे को कत्ल करने में जुट गए । इंसानियत ने शैतानियत का रूप धारण कर लिया और दोनों तरफ की सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठे रही। दोनों ओर मासूम बच्चों -बूढ़ों का खून पानी की तरह बहाया जाने लगा और वहशी दरिंदे अबोध लड़कियों और असहाय महिलाओं की इज्जत को तार - तार करने को अपना धर्म मानकर कुकर्म में जुट गए। 

  •     भारत का बंटवारा दुनिया की मानव निर्मित ऐसी पहली त्रासदी थी जिसमें हुक्मरानों की बजाए रियाया का तबादला किया गया। जनता की  इस अदला -बदली में लगभग 10 लाख से ज्यादा बेगुनाह लोगों को कत्ल कर दिया गया और करोड़ों लोगों को अपना सब कुछ छोड़कर अपने घरों से बेघर होना पड़ा । इस कत्ले -आम का कोई दोषी था तो वह उस वक्त के लीडर थे [चाहे वे मुस्लिम लीग के हों चाहे कांग्रेस पार्टी के ]  जिन्हें हकूमत को पाने की जल्दी थी और अपनी सत्तालोलुपता के वशीभूत होकर वह अपनी इंसानियत को भी भूल चुके थे। इस लालसा के कारण ही वह निरीह जनता को शैतानों के रहमो -करम  पर छोड़कर जश्ने -आज़ादी में डूब गए । सत्ता के लोभी लीडरों ने सत्ताभोगने के लिए भारत माँ का सीना चीर दिया  और उसके आँचल की छाँव में पलनेवाले उसके बेटों -बेटियों को एक -दूसरे के लहू का प्यासा बना दिया।भारत माँ के लाखों बेटे -बेटियों ने इन हुक्मरानों की सत्ता की हवस को पूरा करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।  इन अनाम शहीदों  के चरणों में हमारा शत - शत नमन। जिन लाखों बेकसूर लोगों को 1947 में बंटवारे के दौरान मौत के घाट उतार दिया गया उन बेकसूरों के प्राणों के बदले ही हमें यह आज़ादी  मिल पायी है। अफ़सोस इस बात का है कि आज़ाद भारत की समस्त सरकारों ने उन शहीदों को भुला दिया है।हम बंटवारे की भेंट चढ़े अपने लाखों बहन -भाइयों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 

     हिंदुस्तान को दो हिस्सों भारत -पाकिस्तान में बाँटने के और लाखों लोगों की मौत के जिम्मेदार अंग्रेजी हकूमत के साथ -साथ मुस्लिम लीग और कांग्रेस के लीडर भी हैं। इन सत्ता के भूखे  लीडरों को कुर्सी पाने की लालसा ने  इतना अँधा बना डाला था कि उन्हें लाखों लोगों की मौत और करोड़ों लोगों को बेघर करने की कीमत पर भी हकूमत पाने का सौदा सस्ता लगा और वह लोग आज़ाद भारत और पाकिस्तान के मसीहा बनकर अपने - अपने हिस्से में पुजने लगे। किसी को , राष्ट्रपिता किसी को  चाचा और किसी को कौम का बाबा की उपाधि से सुसोशोभित कर दिया गया ,  लेकिन भारत माँ अपने शरीर के दो हिस्से होने और अपनी लाखों संतानों की मौत के  दर्द से आज भी कराह रही है। क्या इस भयानक सच्चाई से हम भारत और पाकिस्तान के लोग कोई सबक ले पाए हैं ?इसका जवाब तलाशने पर नहीं में ही मिलता है। जय हिन्द।

Friday 14 August 2015

स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। देश के स्वतंत्रता -संग्राम में कुर्बान हुए शहीदों के चरणों में हमारा शत - शत नमन।

''वॉयस ऑफ़ भारत डॉट इन '' मीडिया परिवार की ओर से स्वाधीनता दिवस की समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। हम इस अवसर पर अपने उन असंख्य शहीदों को शत -२ नमन करते हैं जिनकी कुर्बानी के कारण हम आज खुली आज़ादी में साँस ले पा रहे हैं। देश की आज़ादी की कीमत हमें चुकाने के लिए भारत का विभाजन स्वीकार करना पड़ा। बड़े ही अफ़सोस  की बात है कि हमारे कुछ सत्तालोलुप नेताओं की  लालसा के कारण देश का एक बहुत बड़ा भाग भारत माँ के सीने को चीरकर पाकिस्तान जैसे  नासूर के रूप में स्वीकार करने को मजबूर होना पड़ा। पाकिस्तान जैसी आतंक की फैक्ट्री को  हमेशा के लिए पैदा करके हमारे देश के कुछ बड़े नेताओं की सत्तालोलुपता ठंडी हुई थी और यह नासूर रूपी नापाक देश  आज भी भारत के लिए एक बहुत बड़ा सिरदर्द बना हुआ  है । भारत विभाजन के कारण कई लाख बेकसूर भारत माँ के बच्चे -बूढ़े ,जवान ,लड़कियां और महिलाओं को अकारण क़त्ल कर दिया गया और करोड़ो लोगों के लिए आज़ादी की सुबह बहुत बड़ी तबाही और त्रासदी लेकर आई थी। देश विभाजन के दौरान मारे  गए लाखों बेकसूर लोगों को भी हमें याद रखना चाहिए और उनको भी अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देना नहीं भूलना चाहिए। आइए हम इतिहास में की गई अपने कथित बड़े नेताओं की भूलों से सबक लेते हुए , इस अवसर पर हम सब अपने भारत को  एक  शक्तिशाली ,गौरवशाली ,समृद्धशाली ,अखंड राष्ट्र और विश्वगुरु बनाने का संकल्प लें।

क्या ईमानवालों को काफिरों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने से ही मिलती है जन्नत ?


 ईमानवालों को काफिरों [गैरमुसलमान ]  की लड़कियों  के साथ बलात्कार करने से ही मिलती है जन्नत ? क्या इस्लाम में ऐसा करना गुनाह नहीं है और अगर यह ठीक है तो फिर यह मजहब कैसे प्रेम और भाईचारे का पैगाम देता है ? दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन ISIS की क्रूरता के एक और कहानी सामने आई है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक ISIS की चंगुल से छूटकर आई लड़कियों ने कुछ ऐसे खुलासे किए हैं जिसे सुनकर ऐसा लग है कि इस्लाम के नाम पर गुनाह करना पाप नहीं पुण्य कार्य है।  दुनिया के दुर्दांत आतंकी संगठन  ISIS के चंगुल से छुटकर आई एक 12 साल की लड़की ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि आतंकी लड़कियों के साथ रेप करते हैं और जब उनका विरोध करो तो कहते हैं कि इस्लाम के मुताबिक काफिरों का रेप करना गुनाह नहीं है।लड़की ने बताया कि आतंकी कहते हैं कि रेप करने से उन्हें जन्नत मिलेगी। गौरततलब है कि ISIS ने पिछले साल यजीदी समुदाय की 5000 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों को किडनैप कर लिया था। अफ़सोस की बात यह है आतंकी ऐसी करतूतें इस्लाम के नाम पर कर रहे हैं। क्या इस्लाम के पैरोकार और जानकार आईएस के द्वारा किये जा रहे इन कुकर्मों और उनको जायज़ ठहराने के लिए की जा रही बकवास का विरोध करने का साहस रखते हैं ? क्या  इस्लाम का मुसलमानों  के लिए यही पैगाम है कि काफिरों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने से ही उनको जन्नत मिलेगी ?  इस बारे में आपकी क्या राय है ?

Wednesday 12 August 2015

सत्ताविहीन होकर '' पानी बिन मीन '' जैसी तड़प रही कांग्रेस संसद को बंधक बनाकर कर रही है जनादेश का अपमान

क्या देश को कांग्रेस ने खोखला  नहीं किया ? करोड़ो के घोटाले करनेवाली कांग्रेस की सरकार को जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया,परन्तु सत्ता के बिना कांग्रेस की तड़प  ''बिन पानी के मछली ''जैसी नहीं हो गई है ? जो सवाल सुषमा स्वराज ने आज संसद में सोनिया -राहुल गांधी से पूछे हैं, क्या उनका जवाब जनता को नहीं मिलना चाहिए ? क्या कांग्रेससंसद को बंधक बनाकर मोदी सरकार को मिले जनादेश का अपमान नहीं कर रही ? इस पर आपकी क्या राय है ?

Tuesday 11 August 2015

महादेव से हमारी यही कामना है कि वह भारत में मौजूद अंदरुनी व बाहरी आसुरी ताकतों का सर्वनाश करें।

शिवरात्रि की सभी देशवासिओं को हार्दिक  शुभकामनाएं। इस अवसर पर महादेव से हमारी यही कामना है कि वह भारत में मौजूद अंदरुनी व बाहरी आसुरी ताकतों का सर्वनाश करें। इसके साथ ही वो अपने अनुयायिओं को भी इतनी ताकत दे कि हम अपने राष्ट्र ,संस्कृति और धर्म के अस्तित्व को चुनौती दे रही आततायी ताकतों का मुंहतोड़ जवाब दें सकें। आदिदेव -देवों के देव  -महादेव भगवान शिव से हमारी यही प्रार्थना है कि पुरे विश्व में सनातन धर्म का डंका  बजता रहे। ॐ  नमो शिवाय। 

Monday 10 August 2015

I S का 2020 तक भारत पर कब्ज़े का इरादा। किस मजहब का पैरोकार है I S , क्या कथित सेकुलर इसका जवाब देंगे ?

ऐसी खबरें मीडिया में आ रही हैं कि विश्व का सबसे खूंखार आतंकी संगठन आई एस  का यह नापाक सपना है कि 2020 तक वह भारत सहित दुनिया के बहुत बड़े भाग पर अपना अधिपत्य कायम कर लेगा। इस्लामिक स्टेट पर एक नयी पुस्तक में दिए एक नक्शे के मुताबिक इस दुर्दांत आतंकी संगठन की योजना दुनिया के बड़े हिस्से में अगले पांच साल में अपना प्रभुत्व कायम करने की है जिसमें लगभग समूचा भारतीय उपमहाद्वीप शामिल है भारत माँ के वीर सपूतों की रगों में जब तक खून की एक भी बून्द बाकी है तब तक  आई एस 5 वर्ष क्या 1000 साल तक भी अपने  इस नापाक इरादे को पूरा नहीं कर सकता। भारत भूमि इन नापाक लोगों की कब्रगाह बन जाएगी। परन्तु सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस पर भारत के कथित सेकुलर क्या अब भी यही कहेंगे कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता ? यह आईएस किस मजहब के नाम पर मानवता को लहूलुहान कर रहा है और ऐसा करने के पीछे आखिर उसका मकसद क्या है ?क्या धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देनेवाले और इस्लाम को प्रेम और भाईचारे का धर्म बतानेवाले इस्लाम के पैरोकार आईएस के इस इरादे के मुखालफत करने की कोई पहल करेंगे ? आईएस के  नक्शे के मुताबिक इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और सीरिया (आईएसआईएस) की योजना मध्य पूर्व, उत्तर अफ्रीका, अधिकांश भारतीय उप महाद्वीप और यूरोप के हिस्से पर अगले पांच साल के अंदर कब्जा कर अपना खिलाफत कायम करने की है।मिरर अखबार ने नक्शे का हवाला देते हुए बताया है कि खिलाफत..शरियत कानून द्वारा संचालित राज्य है जिसे आईएसआईएस कायम करना चाहता है। इसके दायरे में स्पेन से लेकर चीन तक को लाने का मंसूबा है। नक्शे के मुताबिक स्पेन, पुर्तगाल और फ्रांस के हिस्से को अरबी में ‘अंदालुस’ नाम दिया गया है जिस पर ‘मूरों’ ने आठवीं से 15 वीं सदी के बीच कब्जा किया था जबकि भारतीय उपमहाद्वीप को ‘खुरासान’ नाम दिया गया है। 


Sunday 9 August 2015

भारतीय सेना ने लोकप्रियता के मैदान में भी बाजी मारी। शिखर पर गाड़े बुलंदी के झंडे।

युद्ध के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में माहिर भारत की सेना अपनी लोकप्रियता के मैदान में भी पाकिस्तान तो क्या सीआईए, एफबीआई, नासा को पछाड़ कर एक बार फिर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंच गई। भारतीय सेना का फेसबुक पन्ना लोकप्रियता के लिहाज से पीपुल टाकिंग एबाउट दैट (पीटीएटी) रैंकिंग में आ गया है। कुछ ही महीने के अंदर यह दूसरा मौका था जब भारतीय सेना का फेसबुक पन्ना शीर्ष पर पहुंचा। सेना सूत्रों ने कहा कि यह सेना के लिए सोशल मीडिया के लिहाज से बड़ी बात है। सिर्फ दो महीने पहले, हम पहली बार शीर्ष पर पहुंचे थे। इसने यह भी साबित किया कि हमारे पन्ने पर वास्तविक ‘लाइक’ हैं।
भारत माँ के इन सपूतों को हमारा शत -२ नमन। हमारी कामना है कि भारत की सेना हर चुनौती का सामना पूरी वीरता और अपने पराक्रम के बल पर हर क्षेत्र में अपने दुश्मनों सहित विश्व की महाशक्ति माने  जानेवाले देशों को पछाड़कर  अपना झंडा यूँही बुलंद रखे। भारतीय सेना ने  लोकप्रियता के मैदान में भी बाजी मारी। शिखर पर गाड़े बुलंदी के झंडे। 

Saturday 8 August 2015

आतंकी याकूब की फांसी को महिमामंडित करनेवाले चैनलों को सरकार के दिए नोटिस पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA बेचैन क्यों ?

केंद्र  और कुछ राज्य सरकारों  ने कुछ न्यूज़ चैनल्स को आतंकवादी याकूब मेमन की फांसी की कवरेज देने पर क़ानूनी नोटिस जारी किया है। इनमें आजतक , एनडीटीवी और एबीपी  चैनल प्रमुख हैं। क्या आप सरकार द्वारा इनको दिए गए नोटिस से सहमत हैं ? हमारे अनुसार सरकार की यह कार्रवाई उचित है , क्योंकि इन मीडिया चैनलों ने याकूब को कवरेज देकर हीरो के रूप में प्रचारित करने में कोई कोर -कसर बाकि नहीं छोड़ी थी। याकूब की फांसी की कवरेज को लेकर तीन न्यूज चैनलों एबीपी न्यूज, आज तक और एनडीटीवी को नोटिस भेजने पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA ने चिंता जताई। चुनिंदा मीडिया संगठनों को केंद्र सरकार की ओर से नोटिस भेजे जाने पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA ने सवाल उठाया है। क्या आप सरकार द्वारा इनको दिए गए नोटिस से सहमत हैं ? क्या आप न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA द्वारा नोटिस पर सवाल उठाने को सही मानते हैं ? हमारा मानना है की सविंधान में बेशक किसी भी नागरिक को विचारों की अभिव्यक्ति की आज़ादी मिली हुई है परन्तु यह अधिकार किसी भी हालत में देशहित को दरकिनार करने की छूट प्रदान नहीं करता।  इस अधिकार की आड़ में मीडिया चैनल, पत्रकार ,किसी भी बड़े ओहदे पर बैठे व्यक्ति विशेष को  देश की सुरक्षा  से खिलवाड़ करने और आतंकवाद को बढ़ावा देने की छूट नहीं दी जा सकती। हद तो तब हो गई जब देश की न्यायपालिकासे फांसी की सज़ा पाये याकूब मेमन जैसे अपराधी और देशद्रोही को महिमामंडित करने कुछ न्यूज़ चैनल्स में होड़ सी लग गई । हमारा तो सुप्रीम कोर्ट से भी यह निवेदन है कि वह याकूब की फांसी का विरोध और उस पर सवाल खड़ा करनेवाले मीडिया चैनल और कथित बुद्धिजीवियों के विरुद्ध कोर्ट की अवमानना की कार्रवाई भी शीघ्र करे ताकि लोगों का विश्वास देश की कानून व्यवस्था और न्यायपालिका में कायम रहे। साथ ही भविष्य में किसी की भी देशहित को दरकिनार करके किसी देशद्रोही और आतंकवादी को महिमा मंडित करने की हिम्मत ही न हो सके। क्या आप इससे सहमत हैं ?

Wednesday 5 August 2015

क्या हिन्दुओं में यह हिम्मत और हौंसला है कि वह अपने पड़ोसी देशों में हिन्दू -सिखों के अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद कर सकें ?

पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का बहुत ही दयनीय हाल है , उनमें भी सबसे खस्ता हालत हिन्दुओं की है। हिन्दुओं की संख्या दिनोदिन कम होती जा रही है। वहां की सरकार भी इस पाप में बराबर की भागीदार है। क्या भारत सरकार इन दीन -हीन हिन्दुओं की रक्षा कर पायेगी ?  यही हाल  हिन्दुओं का बांग्लादेश में भी है और जब चाहे मुस्लिम कटटरपंथी हिन्दुओं पर खुनी हमले करते हैं और मंदिरों को भी ध्वस्त कर देते हैं और वहां की सरकार इन हमलों को नहीं रोकती।  पूरी दुनिया में कहीं भी मुसलमानों की बात हो तो पुरे विश्व के मुस्लमान एकजुट होकर आवाज़ उठाते हैं चाहे वह समर्थन आतंकवादी को ही क्यों न देना हो , इस बात की परवाह मुस्लिम नहीं करते। क्या हिन्दुओं में यह हिम्मत और हौंसला है कि वह अपने पड़ोसी देशों में हिन्दू -सिखों के अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद कर सकें ?

Saturday 1 August 2015

याकूब मेमन जैसे देशद्रोही आतंकवादी जिसे कानून ने फांसी दी हो ,के जनाज़े में शामिल होनेवालों को क्या माना जाए ? देशभक्त या आतंकवादी ?

आतंकवादी याकूब मेमन के जनाज़े में जो लोग शामिल हुए [ उसके निकट परीजनों को छोड़कर]  क्या उन्हें देशभक्त माना जाये या देशद्रोही ?क्योंकि यह लोग  एक देशद्रोही के जनाज़े में शामिल हुए जिसके मुंह पर 257 से भी ज्यादा बेकसूर लोगों की बम धमाकों में हुई  मौत और हज़ारो लोगों के गंभीर घायल होने के गुनाह की कालिख पुती हुई थी   और टाडा कोर्ट ने उसे दोषी मानते हुए  मौत की सज़ा सुनाई जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने  भी अपनी मोहर लगा दी थी।  क्या एक आतंकवादी ,देशद्रोही और मानवता के हत्यारे के जनाज़े में शामिल होनेवालों को देशभक्त समझा जाये या देशद्रोही या फिर आतंकवादी  ? जो लोग यह कहते हैं कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता तो यह ज़नाज़ा क्या साबित कर रहा है ?जो लोग इस जनाज़े में शामिल हुए तो वह याकूब के मजहब के ही हैं न और याकूब का मजहब आतंकवाद है तो फिर यह कैसे न माना जाये कि याकूब के जनाज़े में शामिल होनेवाले लोग या तो आतंकवादी हैं या संभावित आतंकवादी हैं या फिर देशद्रोही हैं ?क्योंकि एक देशभक्त इंसान तो किसी आतंकवादी की अंतिमयात्रा का हिस्सेदार बनना नहीं चाहेगा। आप इस बारे में क्या सोचते हैं ? कृपया अपने विचार दें; 

Thursday 30 July 2015

आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी देने से क्यों बेहद दुःखी हैं शशि थरूर ? आतंकवादी घटना में मरे बेकसूर लोगों की हत्या से क्यों दुःखी नहीं हैं , क्या कारण है ?


आतंकवादी याकूब मेमन   को फांसी दिए जाने  पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर का कहना है कि '' सरकार ने एक इंसान को फांसी पर चढ़ा दिया मैं इससे बेहद दुखी हूँ। सरकार प्रायोजित हत्याएं हमें नीचा दिखा रही हैं ,जिसने हमें हत्यारों के स्तर तक ला दिया है।''  इस ट्वीट का क्या अर्थ निकलता है  ? क्या वह  सरकार को हत्यारी बताकर सीधे -2 आतंकवाद का समर्थन नहीं  कर रहे हैं? क्या यह ट्वीट देश की सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं है ,क्योंकि यह फांसी सरकार के  नहीं ,कोर्ट के आदेश पर दी गई है ?  उन्हें किसकी नजरों में नीचा दिखा दिया गया और क्यों ? क्या इन जैसे नेताओं की मानसिकता यह नहीं दर्शाती कि इनका देश की न्यायपालिका में विश्वास नहीं है और न ही इन्हें आतंकवादी घटनाओं में मरनेवाले बेकसूर लोगों से कोई सहानुभूति है ,बल्कि इनकी सहानुभूति मानवता के हत्यारों याकूब मेमन जैसे आतंकवादिओं से है और वो आतंकवाद के आकाओं की नजरों में तो नहीं बड़े बना रहना चाहते ? आप इन नताओं के बारे में क्या राय है ? जो लोग आतंकवाद की घटना में मारे गए बेकसूर लोगों की मौत से दुःखी न होकर  याकूब मेमन  फांसी से दुखी हैं उन्हें क्या सज़ा मिलनी चाहिए ? 

Wednesday 29 July 2015

आतंकवादी याकूब की फांसी का विरोध करके क्या देशद्रोह का गुनाह नहीं कर रहे ? क्या सरकार को इन लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए ?आपकी क्या राय है ?

याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले क्या आतंकवाद की हिमायत नहीं कर रहे ? याकूब की  फांसी का विरोध करनेवाले सुप्रीम कोर्ट के फैंसले पर भी टीका -टिप्पणी करके क्या देश में साम्प्रदायिकता नहीं फैला रहे हैं ? देश की शांति को बिगड़ने और सुप्रीम कोर्ट की आलोचना करने वाले कोर्ट की अवमानना के दोषी हैं। आतंकवादी याकूब की फांसी का विरोध  करके क्या देशद्रोह का गुनाह नहीं कर रहे ? क्या सरकार को इन लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए ?आपकी क्या राय है ?

Tuesday 28 July 2015

मोदी सरकार कब तक यह बयानबाज़ी करती रहेगी कि 'पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का हम मुहँ तोड़ जवाब देंगे 'यह जवाब सरकार कब देगी ?

 पंजाब के गुरदासपुर में पाकिस्तान से आये 3 घुसपैठियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग एक  पुलिस अधीक्षक , 3 पुलिस के जवानों सहित 7 बेकसूर लोगों   को मौत के घाट उतार दिया और कई अन्य लोग घायल भी हो गए। हालाँकि पुलिस और स्वात कमांडों कार्रवाई में तीनों पाकिस्तानी घुसपैठिये भी मारे गए हैं।शहीद हो गए पुलिस जवानों की वीरता  के प्रति पूरा देश नत मस्तक है । इस घटना के बाद फिर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान आया है 'पाकिस्तान की इस  नापाक हरकत का हम मुहँ तोड़ जवाब देंगे ' अब सवाल यह उठता है कि यह जवाब सरकार  कब देगी ? हम इतने कमजोर क्यों बने हुए  हैं कि पाकिस्तान को अभी तक ढंग से सबक नहीं सीखा पा रहे और पाकिस्तान बार -बार कभी सीमा पर फायरिंग करके निर्दोष नागरिकों को और कभी जवानों को मार डालता है? उसका दुःसाहस इतना बढ़ चूका है कि भारत के किसी भी क्षेत्र में अंदर तक अपने आतंकियों से भारतियों की लाशें बिछा रहा है और हमारे नपुंसक शासक सिर्फ बयानबाज़ी करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं। बस,  अब हम अपने और  लोगों का लहू बहता नहीं देख सकते ,प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह बयानवीर बनने की बजाय कुछ ऐसा मुहं तोड़ जवाब पाकिस्तान जैसे धूर्त शैतान को दें कि उसकी आनेवाली पीढियां कभी  भारत की तरफ देखने की हिम्मत न कर सके। अगर अब भी मोदी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाये तो यह सरकार भी मनमोहन सरकार जैसी ही नपुंसक सरकार की श्रेणी में ही गिनी जाएगी ,इस बात को अब हमारे शासकों को भली भांति समझ लेना चाहिए कि काम सिर्फ बयानों  से चलने वाला नहीं है,जनता एक्शन चाहती है सिर्फ और सिर्फ एक्शन।