ओबामा की यात्रा से अमेरिका - भारत के बीच दोस्ती और विश्वास की डोर और भी अधिक होगी मजबूत। 6 साल से लटकी परमाणु संधि पर लगी मोहर ।
दिल्ली। [अश्विनी भाटिया ] इस बार भारत के गणतंत्र दिवस समारोह [ 26 जनवरी ,2015 ] में मुख्य अतिथि अमेरिका के राष्ट्रपति बराक ओबामा के आज भारत आगमन पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं जाकर स्वागत किया।ओबामा के साथ अमरीका का एक उच्च स्तरीय शिष्टमंडल और उनकी पत्नी मिशेल ओबामा भी यात्रा पर आई हैं। ओबामा ऐसे पहले अमरीकी राष्ट्रपति हैं जो भारतीय गणतंत्र दिवस समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में शामिल होंगे।प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के अमेरिका दौरे के दौरान उनसे विशेष आग्रह किया था जिसको स्वीकार करके ओबामा ने भारत के गणतंत्र दिवस पर मुख्य अतिथि बनने का गौरव प्राप्त किया है। ऐसी सम्भावना है कि दुनिया के सबसे पुराने लोकतंत्र अमेरिका और सबसे बड़े लोकतंत्र भारत के दोनों नेताओं की मुलाकात के दौरान अमेरिका -भारत के बीच कई महत्वपूर्ण समझौतों पर हस्ताक्षर भी होंगे। ओबामा की इस यात्रा को लेकर पूरे विश्व की निगाहें लगी हुई हैं।भारत के धुर विरोधी पाकिस्तान में भी इस यात्रा को लेकर अजीब सी बैचेनी देखी जा रही है,क्योंकि कभी अमेरिका के सबसे खास चम्पू रहते हुए पाक ने हमेशा भारत को घाव देने का ही अपना अभियान जारी रखा हुआ था।ओबामा और मोदी ने पूर्व में अमेरिका और भारत के बीच हुए परमाणु सहयोग संधि पर भी मोहर लगाकर एक महत्वपूर्ण कदम को आगे बढ़ाकर पूरे विश्व को यह सन्देश दे दिया है कि अब अमेरिका -भारत दोस्ती का नया अध्याय शुरू किया जा चूका है।
पिछले कुछ वर्षों में विश्व में बढ़ती इस्लामिक आतंकवाद की आग ने जब अमेरिका को भी झुलसाया तो अमेरिका को पाकिस्तान को लेकर अपनी पुरानी नीति में परिवर्तन करना पड़ा। अमेरिकी -प्रशासन ने आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई को लेकर पाक की कथनी और करनी में जब अंतर देखा तो उसके कान खड़े हो गए। पाकिस्तान ने अमेरिका से मिली मोती सहयोग राशि को आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई में खर्च करने की बजाय उसे आतंकवाद बढ़ावा देने में लगाया।इससे अमेरिका ने अपनी पहले की नीति को बदलकर पाकिस्तान की बजाय भारत को अपना अधिक विश्वसनीय और पारदर्शी सहयोगी समझा है।अमेरिका ने सहयोग और विश्वास के साथ भारत के साथ मित्रता का हाथ बढ़ाया, भारत ने भी इस पहल का दिल से स्वागत किया। ओबामा की यह यात्रा इसलिए भी अहम बन गई है कि यह पहली बार हो रहा है कि ओबामा पहले ऐसे अमेरिकी राष्ट्रपति हैं,जो सिर्फ भारत की यात्रा कर रहे हैं। इससे पूर्व जो भी राष्ट्रपति यहां आये वो भारत के साथ -२ अन्य एशियाई देशों की यात्रा संयुक्त रूप से करते थे। इस यात्रा से भारत को कितना लाभ होगा यह तो ओबामा-मोदी के बीच समझोते होने की घोषणा से ही पता चलेगा ,वैसे भारत को इस यात्रा से काफी उम्मीदें लगी हुईं हैं।
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