दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] क्या ऐसा नहीं लगता कि केजरीवाल सरकार ने पानी के दाम बढ़ा कर इस बात का दंड दिल्ली की जनता को दिया है कि उसने झूठ और धोखेबाज़ों के हाथ में प्रचंड बहुमत की सरकार क्यों सौंपी? विधानसभा चुनावों में जनता से बड़े -२ वायदे करनेवाली आप पार्टी अब सत्ता के नशे में चूर हो चुकी है ,इसीलिए वह अब अपनी मनमानी पर उत्तर आई लगती है। दिल्ली की जनता को मुफ्त पानी देने का वायदा करनेवाली 'आपकी' सरकार ने अब एक माह में 20 हज़ार लीटर से अधिक खर्च करनेवालों पर पानी के बिल में 10 प्रतिशत का सरचार्ज लगा कर यह सन्देश दे दिया है कि उसके असली इरादे क्या हैं ?आप पार्टी ने चुनाव में नारा दिया था 'बिजली हाफ और पानी माफ़ 'चुनाव जितने के बाद अपने कहे से पलटी मारकर सिर्फ 400 यूनिट तक के बिलों को रियायत का ऐलान किया गया और एक परिवार को प्रतिमाह 20 हज़ार लीटर पानी फ्री देने और इससे अधिक खर्च करनेवाले उपभोक्ताओं को पूरा बिल देने का निर्णय इस सरकार की धोखेबाज़ी का नमूना था। अभी लोगों को बिजली -पानी की छूटवाले बिल भी नही मिले हैं और सरकार ने पानी के दाम बढ़ाकर यह बता दिया है कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है।कुर्सी पर जमने से पहले महंगाई का रोना रोनेवाले औरइसके लिए मोदी को दोषी ठहराने वाले केजरीवाल अब मुख्यमंत्री बन गए हैं फिर दिल्ली की जनता को महंगी सब्जियां क्यों खरीदनी पड़ रही हैं ? क्यों 'आप सरकार' इस ओर से आँखे चुराए हुए है ? इस बात का जवाब दिल्ली की जनता को चाहिए।
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