
Monday, 10 August 2015
I S का 2020 तक भारत पर कब्ज़े का इरादा। किस मजहब का पैरोकार है I S , क्या कथित सेकुलर इसका जवाब देंगे ?

Sunday, 9 August 2015
भारतीय सेना ने लोकप्रियता के मैदान में भी बाजी मारी। शिखर पर गाड़े बुलंदी के झंडे।
युद्ध के मैदान में दुश्मनों के छक्के छुड़ाने में माहिर भारत की सेना अपनी लोकप्रियता के मैदान में भी पाकिस्तान तो क्या सीआईए, एफबीआई, नासा को पछाड़ कर एक बार फिर सोशल नेटवर्किंग साइट फेसबुक पर लोकप्रियता के शीर्ष पर पहुंच गई। भारतीय सेना का फेसबुक पन्ना लोकप्रियता के लिहाज से पीपुल टाकिंग एबाउट दैट (पीटीएटी) रैंकिंग में आ गया है। कुछ ही महीने के अंदर यह दूसरा मौका था जब भारतीय सेना का फेसबुक पन्ना शीर्ष पर पहुंचा। सेना सूत्रों ने कहा कि यह सेना के लिए सोशल मीडिया के लिहाज से बड़ी बात है। सिर्फ दो महीने पहले, हम पहली बार शीर्ष पर पहुंचे थे। इसने यह भी साबित किया कि हमारे पन्ने पर वास्तविक ‘लाइक’ हैं।
भारत माँ के इन सपूतों को हमारा शत -२ नमन। हमारी कामना है कि भारत की सेना हर चुनौती का सामना पूरी वीरता और अपने पराक्रम के बल पर हर क्षेत्र में अपने दुश्मनों सहित विश्व की महाशक्ति माने जानेवाले देशों को पछाड़कर अपना झंडा यूँही बुलंद रखे। भारतीय सेना ने लोकप्रियता के मैदान में भी बाजी मारी। शिखर पर गाड़े बुलंदी के झंडे।
भारत माँ के इन सपूतों को हमारा शत -२ नमन। हमारी कामना है कि भारत की सेना हर चुनौती का सामना पूरी वीरता और अपने पराक्रम के बल पर हर क्षेत्र में अपने दुश्मनों सहित विश्व की महाशक्ति माने जानेवाले देशों को पछाड़कर अपना झंडा यूँही बुलंद रखे। भारतीय सेना ने लोकप्रियता के मैदान में भी बाजी मारी। शिखर पर गाड़े बुलंदी के झंडे।
Saturday, 8 August 2015
आतंकी याकूब की फांसी को महिमामंडित करनेवाले चैनलों को सरकार के दिए नोटिस पर न्यूज चैनलों के संपादकों की संस्था BEA बेचैन क्यों ?

Wednesday, 5 August 2015
क्या हिन्दुओं में यह हिम्मत और हौंसला है कि वह अपने पड़ोसी देशों में हिन्दू -सिखों के अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद कर सकें ?
पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों का बहुत ही दयनीय हाल है , उनमें भी सबसे खस्ता हालत हिन्दुओं की है। हिन्दुओं की संख्या दिनोदिन कम होती जा रही है। वहां की सरकार भी इस पाप में बराबर की भागीदार है। क्या भारत सरकार इन दीन -हीन हिन्दुओं की रक्षा कर पायेगी ? यही हाल हिन्दुओं का बांग्लादेश में भी है और जब चाहे मुस्लिम कटटरपंथी हिन्दुओं पर खुनी हमले करते हैं और मंदिरों को भी ध्वस्त कर देते हैं और वहां की सरकार इन हमलों को नहीं रोकती। पूरी दुनिया में कहीं भी मुसलमानों की बात हो तो पुरे विश्व के मुस्लमान एकजुट होकर आवाज़ उठाते हैं चाहे वह समर्थन आतंकवादी को ही क्यों न देना हो , इस बात की परवाह मुस्लिम नहीं करते। क्या हिन्दुओं में यह हिम्मत और हौंसला है कि वह अपने पड़ोसी देशों में हिन्दू -सिखों के अस्तित्व को बचाने के लिए अपनी आवाज़ बुलंद कर सकें ?
Saturday, 1 August 2015
याकूब मेमन जैसे देशद्रोही आतंकवादी जिसे कानून ने फांसी दी हो ,के जनाज़े में शामिल होनेवालों को क्या माना जाए ? देशभक्त या आतंकवादी ?
आतंकवादी याकूब मेमन के जनाज़े में जो लोग शामिल हुए [ उसके निकट परीजनों को छोड़कर] क्या उन्हें देशभक्त माना जाये या देशद्रोही ?क्योंकि यह लोग एक देशद्रोही के जनाज़े में शामिल हुए जिसके मुंह पर 257 से भी ज्यादा बेकसूर लोगों की बम धमाकों में हुई मौत और हज़ारो लोगों के गंभीर घायल होने के गुनाह की कालिख पुती हुई थी और टाडा कोर्ट ने उसे दोषी मानते हुए मौत की सज़ा सुनाई जिसपर सुप्रीम कोर्ट ने भी अपनी मोहर लगा दी थी। क्या एक आतंकवादी ,देशद्रोही और मानवता के हत्यारे के जनाज़े में शामिल होनेवालों को देशभक्त समझा जाये या देशद्रोही या फिर आतंकवादी ? जो लोग यह कहते हैं कि आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता तो यह ज़नाज़ा क्या साबित कर रहा है ?जो लोग इस जनाज़े में शामिल हुए तो वह याकूब के मजहब के ही हैं न और याकूब का मजहब आतंकवाद है तो फिर यह कैसे न माना जाये कि याकूब के जनाज़े में शामिल होनेवाले लोग या तो आतंकवादी हैं या संभावित आतंकवादी हैं या फिर देशद्रोही हैं ?क्योंकि एक देशभक्त इंसान तो किसी आतंकवादी की अंतिमयात्रा का हिस्सेदार बनना नहीं चाहेगा। आप इस बारे में क्या सोचते हैं ? कृपया अपने विचार दें;
Thursday, 30 July 2015
आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी देने से क्यों बेहद दुःखी हैं शशि थरूर ? आतंकवादी घटना में मरे बेकसूर लोगों की हत्या से क्यों दुःखी नहीं हैं , क्या कारण है ?

आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी दिए जाने पर पूर्व मंत्री और कांग्रेस नेता शशि थरूर का कहना है कि '' सरकार ने एक इंसान को फांसी पर चढ़ा दिया मैं इससे बेहद दुखी हूँ। सरकार प्रायोजित हत्याएं हमें नीचा दिखा रही हैं ,जिसने हमें हत्यारों के स्तर तक ला दिया है।'' इस ट्वीट का क्या अर्थ निकलता है ? क्या वह सरकार को हत्यारी बताकर सीधे -2 आतंकवाद का समर्थन नहीं कर रहे हैं? क्या यह ट्वीट देश की सुप्रीम कोर्ट की अवमानना नहीं है ,क्योंकि यह फांसी सरकार के नहीं ,कोर्ट के आदेश पर दी गई है ? उन्हें किसकी नजरों में नीचा दिखा दिया गया और क्यों ? क्या इन जैसे नेताओं की मानसिकता यह नहीं दर्शाती कि इनका देश की न्यायपालिका में विश्वास नहीं है और न ही इन्हें आतंकवादी घटनाओं में मरनेवाले बेकसूर लोगों से कोई सहानुभूति है ,बल्कि इनकी सहानुभूति मानवता के हत्यारों याकूब मेमन जैसे आतंकवादिओं से है और वो आतंकवाद के आकाओं की नजरों में तो नहीं बड़े बना रहना चाहते ? आप इन नताओं के बारे में क्या राय है ? जो लोग आतंकवाद की घटना में मारे गए बेकसूर लोगों की मौत से दुःखी न होकर याकूब मेमन फांसी से दुखी हैं उन्हें क्या सज़ा मिलनी चाहिए ?
Wednesday, 29 July 2015
आतंकवादी याकूब की फांसी का विरोध करके क्या देशद्रोह का गुनाह नहीं कर रहे ? क्या सरकार को इन लोगों के विरुद्ध कानूनी कार्रवाई नहीं करनी चाहिए ?आपकी क्या राय है ?

Tuesday, 28 July 2015
मोदी सरकार कब तक यह बयानबाज़ी करती रहेगी कि 'पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का हम मुहँ तोड़ जवाब देंगे 'यह जवाब सरकार कब देगी ?
पंजाब के गुरदासपुर में पाकिस्तान से आये 3 घुसपैठियों ने ताबड़तोड़ फायरिंग एक पुलिस अधीक्षक , 3 पुलिस के जवानों सहित 7 बेकसूर लोगों को मौत के घाट उतार दिया और कई अन्य लोग घायल भी हो गए। हालाँकि पुलिस और स्वात कमांडों कार्रवाई में तीनों पाकिस्तानी घुसपैठिये भी मारे गए हैं।शहीद हो गए पुलिस जवानों की वीरता के प्रति पूरा देश नत मस्तक है । इस घटना के बाद फिर केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह का यह बयान आया है 'पाकिस्तान की इस नापाक हरकत का हम मुहँ तोड़ जवाब देंगे ' अब सवाल यह उठता है कि यह जवाब सरकार कब देगी ? हम इतने कमजोर क्यों बने हुए हैं कि पाकिस्तान को अभी तक ढंग से सबक नहीं सीखा पा रहे और पाकिस्तान बार -बार कभी सीमा पर फायरिंग करके निर्दोष नागरिकों को और कभी जवानों को मार डालता है? उसका दुःसाहस इतना बढ़ चूका है कि भारत के किसी भी क्षेत्र में अंदर तक अपने आतंकियों से भारतियों की लाशें बिछा रहा है और हमारे नपुंसक शासक सिर्फ बयानबाज़ी करके अपने कर्तव्यों की इतिश्री कर रहे हैं। बस, अब हम अपने और लोगों का लहू बहता नहीं देख सकते ,प्रधानमंत्री मोदी और गृहमंत्री राजनाथ सिंह बयानवीर बनने की बजाय कुछ ऐसा मुहं तोड़ जवाब पाकिस्तान जैसे धूर्त शैतान को दें कि उसकी आनेवाली पीढियां कभी भारत की तरफ देखने की हिम्मत न कर सके। अगर अब भी मोदी सरकार ने कोई ठोस कदम नहीं उठाये तो यह सरकार भी मनमोहन सरकार जैसी ही नपुंसक सरकार की श्रेणी में ही गिनी जाएगी ,इस बात को अब हमारे शासकों को भली भांति समझ लेना चाहिए कि काम सिर्फ बयानों से चलने वाला नहीं है,जनता एक्शन चाहती है सिर्फ और सिर्फ एक्शन।
Monday, 27 July 2015
पंजाब में आतंकी हमले के लिए आतंवादियों के साथ -साथ आतंकी याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले भी दोषी हैं जो आतंकवाद का मजहब भी बताने में जुटे हैं
दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] पंजाब के गुरदासपुर में आतंकी हमले में मारे गए बेगुनाह लोगों को हमारी भावभीनी श्रद्धांजलि। हमले में शहीद हुए पुलिस के जवानों को भी हमारा नमन। हमले में पुलिस अधीक्षक बलजीत सिंह भी शहीद हो गए हैं , जिन्होंने देश की सुरक्षा में आतंकवादिओं से लड़ते हुए अपने प्राणों की आहुति दे दी। आज देश को भारत माँ के इन शहीद हुए जवानों पर नाज़ है। इस आतंकी हमले के लिए आतंकवादी तो जिम्मेदार हैं ही साथ ही वो लोग भी बराबर के दो लगाकर न्यायपालिका की अवमानना और आतंकवाद को अपना समर्थन देकर देषी हैं जो आतंकवादी मेमन को न्यायालय द्वारा दी फांसी की सज़ा पर सवालिया निशानश की अस्मिता से खिलवाड़ कर रहे हैं। याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले चाहे वो राजनेता हों ,चाहे कथित बड़े पत्रकार या फिल्म उद्योग से जुड़े लोग सबके सब आतंकवाद को बढ़ावा देते दिख रहे हैं। आश्चर्य की बात यह है कि कुछ मीडिया चैनल भी इस आतंकी को बचाने की मुहीम छेड़े हुए है। यह मीडिया वाले खुद को शायद स्वयं को देश की एकता और न्यायपालिका से भी ऊपर मने बैठे हुए हैं और अदालत के आदेश को गलत ठहराते हुए बहस चलाने को अपना धर्म समझ रहे हैं। लानत है ऐसे लोगों पर जो जानबूझ कर आतंकवादी को बचाने की नापाक हरकत करके देश के साथ द्रोह करने में जुटे हुए हैं। सांसद ओबैसी जैसे मजहबी सिरफिरे और कुछ अन्य कथित मुस्लिम बुद्धिजीवी मेमन की फांसी का विरोध उसके मस्लिम होने के कारण करके अपनी दूषित मानसिकता को भी उजागर कर रहे हैं ,जबकि वह कहते हैं की आतंकवाद का कोई मजहब नहीं होता।मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले एक तरह से इस बात को साबित करने में लगे हुए हैं कि आतंकवाद का भी मजहब होता है और वो भी इस्लाम ? अतः यह कहना किसी भी तरह से गलत नहीं होगा कि पंजाब में हुए आतंकी हमले के लिए आतंवादियों के साथ -साथ आतंकी याकूब मेमन की फांसी का विरोध करनेवाले भी दोषी हैं, जो आतंकवाद का मजहब भी बताने में जुटे हैं।
Friday, 17 July 2015
कश्मीर में देश और मानवता के दुश्मन पाकिस्तान और आईएस आईएस के झंडे फहरनेवालों को क्यों कुचल नहीं पा रही मोदी सरकार? देश की जनता को चाहिए इसका जवाब।

दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] कश्मीर के अलगाववादी और खूंखार आतंकवादी भारतभूमि पर बार -बार पाकिस्तानी और आईएस आईएस के झंडे फहरा कर अपने नापाक इरादों को जाहिर करके हमारी अस्मिता को तो चुनौती दे ही रहे हैं, साथ ही विश्व पटल पर भारत को कमजोर देश साबित करने की कोशिश में भी लगे हुए हैं। मानवता के दुश्मन और दुनिया में आतंक वाद का जनक पाकिस्तान और सबसे खतरनाक आतंकी संगठन आईएसआईएस के झंडे फहराने वाले राष्ट्रघाती तत्वों की नकेल कसने में राज्य व केंद्र सरकार नाकाम साबित हो रही है। क्यों ? इस बात का जवाब देश की जनता मोदी सरकार से चाहती है। देश की जनता को मोदी सरकार से बहुत अपेक्षाएं हैं और इस बात का विश्वास भी है कि वह अपनी पूर्ववर्ती कांग्रेस सरकार की तरह देश की एकता -अखंडता और सुरक्षा को अपने अजेंडे में सबसे ऊपर रखेगी। ऐसी विश्वास को दिलो-दिमाग में रखकर ही पिछले वर्ष आम चुनाव में जनता ने भारी बहुमत से देश की बागडौर नरेंद्र मोदी के हाथों में सौंपी थी और कांग्रेस को केंद्र की सत्ता से बाहर का रास्ता दिखा दिया था। देश की बागडौर संभाले हुए मोदी जी को लगभग 14 महीने हो चुके हैं औरपिछले कई माह से जम्मू -कश्मीर में भी मुफ़्ती सरकार उनकी पार्टी बीजेपी की भागीदारी से चल रही है, परन्तु इस सबके बावजूद अलगाववादी संगठनों को कुचलने में सरकार का नाकाम रहना चिंता का गंभीर विषय है। देश की जनता देश की धरती पर पनपनेवाले सभी देश - विरोधी तत्वों का समूल विनाश चाहती है और अगर मोदी जी की सरकार इस काम को नहीं कर पा रही तो यह उनकी सबसे बड़ी विफलता साबित होगी और जनता के विश्वास के साथ भी बहुत बड़ा घात भी होगा। इस बात को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनकी सलाहकार मण्डली को अच्छी तरह से समझ लेना चाही। भारत की जनता कुछ भी बर्दाश्त कर सकती, लेकिन अब वो अपने देश की धरती पर किसी भी ऐसे संगठन और विचारधारा को सहन नही करेगी जो नापाक इरादे रखती हो और देश की एकता -अखंडता और सुरक्षा को चुनौती देती हो।
Sunday, 17 May 2015
Sunday, 12 April 2015
परम् श्रद्धेय चौधरी रामलाल भाटिया जी की 21 वीं पुण्यतिथि पर चरणों में हमारा शत -शत नमन , उनका आशीर्वाद ही हमारे लिए ईश्वर का वरदान है।
यादां विछड़े सजन दियां आइयां
अखियाँ चो मी वसदा।
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[परम पूजनीय पिता चौधरी रामलाल भाटिया] |
बीस वर्ष पूर्व आप आज के दिन 12 अप्रैल ,1995 को बेशक भौतिक रूप से हमसे दूर चले गए , परन्तु हमारे मन -मस्तिष्क मे बसी आपकी अमिट मधुर स्मृतियाँ समय -समय पर मुझे इस बात का अहसास कराती रहती हैं कि आप हमसे अलग होकर कहीं भी नहीं गए अपितु आप आज भी हमारे साथ ही हैं। जब कभी -भी किसी ऐसी विपत्ति ने मुझे घेरा जिसमें आपके मार्गदर्शन या सहयोग की आवश्यकता महसूस हुई तो आपने अदृश्य रूप में उस उलझन से निकलने का मार्गदर्शन देकर अपने पिताधर्म को निभाया।आपके द्वारा अन्याय और अत्याचार के विरुद्ध संघर्ष करने के बताए गए मार्ग पर मैं आज भी चल रहा हूँ । आपने हमेशा यही कहा कि 'विरोधी चाहे कितना भी शक्तिशाली और प्रभावशाली क्यों न हो अगर हमारे पास सच्चाई और अपने बड़े -बजुर्गों का आशीर्वाद है तो जीत हमें ही मिलनी तय है,'आपकी इसी सीख के कारण मैं भी समाज के पीड़ित वर्ग के कमजोर और असहाय व्यक्ति के साथ चट्टान की तरह खड़ा होकर उसकी पीड़ा को मुखर वाणी देकर सत्ता के शीर्ष पर बैठे शासकों तक पहुंचाकर उसकी समस्या का निदान करवाकर ही दम लेता हूँ और आपके आशीर्वाद से जीत हमेशा मेरे साथ आ खड़ी होती है। मेरी आपसे और ईश्वर से यही कामना है कि आपके स्नेह और आशीर्वाद की छत्रछाया सदैव हम पर बनी रहेगी। मैं आज भी आपके द्वारा दी गई जनहित में कार्य करने प्रेरणा के कारण ही चौ. रामलाल भाटिया चैरिटेबल ट्रस्ट के माध्यम से समाज के पिछड़े और कमजोर वर्ग के लोगों के हित में कार्य करने को अपना परम् सौभाग्य मानता हूँ। आपके चरणों में हम सदैव नतमस्तक रहेंगे,और आपके दिखाए रस्ते पर चलकर जीवन व्यतीत करने को ही अपना क्षत्रिय धर्म-कर्म मानते हैं।
Saturday, 4 April 2015
केंद्र सरकार राष्ट्र और मानवता के हित में सभी धर्मावलम्बियों से परिवार नियोजन का नियम सख्ती से लागू करवाए और इसको न माननेवालों से सभी सरकारी सुविधाएँ छीन ले।

Saturday, 28 March 2015
अगर हिन्दू चमत्कार और आडंबरों को त्यागकर अपने भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के द्वारा स्थापित सिद्धांतों को ही अपना लें तो उसकी हर समस्या का निदान हो सकता है।
भगवान श्री राम के जन्मोत्सव [रामनवमीं 28 मार्च ,2015 ] पर उनके चरणों में हमारा शत -शत नमन । भारतीय संस्कृति और अस्मिता की पहचान और सबसे बड़े अवतार मर्यादाप्रशोत्तम श्री राम के द्वारा स्थापित सिद्धांतों पर चलकर ही हिन्दू जनमानस अपनी सभी समस्याओं और चुनौतिओं का मुकाबला कर सकता हैं। हिन्दुओं की दुविधा ही यही है कि वह अपने भगवान की पूजा करने और उनसे चमत्कार करने पर ही विश्वास करते हैं , लेकिन वह [हिन्दू ] अपने भगवानों [राम-कृष्ण ] के बताये रास्ते पर चलने से परहेज करते हैं, हिन्दुओं की दुर्दशा होने का कारण ही यही है। अगर हिन्दू चमत्कार और आडंबरों को त्यागकर अपने भगवान श्री राम और श्री कृष्ण के द्वारा स्थापित सिद्धांतों को ही अपना लें तो उसकी हर समस्या का निदान हो सकता है। अफ़सोस इस बात का है कि आज हिन्दू समाज जिसमें विशेषतौर से महिलाएं अपने अवतारों से ज्यादा विश्वास मजारों - मुल्ला -मौलवियों ,पाखंडी बाबाओं और ज्योतषियों -तांत्रिकों में करके आर्थिक और शारीरिक शोषण का शिकार हो रहे हैं। हमारे अवतारों ने अन्याय और आततायी शक्तियों के विरुद्ध सशस्त्र युद्ध करके मानव जाति का उद्धार किया। लेकिन हिन्दुओं ने अपने सामने आनेवाली चुनौतियों का मुकाबला करने की बजाय अपने भगवानों से ही चमत्कार करने की गुहार की और गुलामी की बेड़ियों में बंध गए । हम हिन्दुओं ने लगभग एक हज़ार साल तक गुलाम रहने के बावजूद भी कोई सबक नहीं सीखा और आज भी पूर्व में की गई अपनी पीढ़ियों की गलती को दोहरा रहे हैं। आज भी अगर हम सचेत नहीं हुए और भगवानों की सिर्फ पूजा करने और कथा -कहानियाँ सुनने में ही लगे रहे तो हम भविष्य की गंभीर चुनौतियों का सामना नहीं कर पाएंगे। मगर हिन्दू समुदाय आज भी अपने अवतारों से मिले अन्याय और आततायी ताकतों विरुद्ध संघर्ष करने के सन्देश को भूलकर सिर्फ चमत्कारों और पूजा -पाठ में ही अपनी समस्यायों का निदान ढूंढ रहा है। ऐसा करके वह अपने भगवानों के साथ तो विश्वासघात करही रहे हैंसाथ ही अपनी आनेवाली पीढ़ियों के लिए भी गंभीर चुनौतियों और संकटों को पैदा कर रहे हैं।
Sunday, 22 March 2015
आज़ाद भारत की सरकारों ने आज़ादी का सारा श्रेय सिर्फ गांधी -नेहरू तक सीमित करके असंख्य भारत माँ के सपूतों के साथ अन्याय किया। शहीदी -दिवस पर भारत माँ सपूतों के चरणों में हमारा शत -2 नमन।

भगत सिंह का जन्म 28 सितम्बर, 1907 को गॉव बंगा जिला लायलपुर पंजाब [ अब पाकिस्तान ] में हुआ था। उनके पिता का नाम सरदार किशन सिंह और माता का नाम विद्यावती कौर था। यह एक सिख परिवार था जिसने आर्य समाज के विचार को अपना लिया था। उनके परिवार पर आर्य समाज व महर्षि दयानन्द की विचारधारा का गहरा प्रभाव था ! अधिकांश क्रांतिकारियों को देश प्रेम की प्रेरणा महर्षि दयानन्द के साहित्य व आर्य समाज से मिली ! अमृतसर में १३ अप्रैल १९१९ को हुए जलियाँवाला बाग हत्याकाण्ड ने भगत सिंह की सोच पर गहरा प्रभाव डाला था। लाहौर के नेशनल कॉलेज़ की पढ़ाई छोड़कर भगत सिंह ने भारत की आज़ादी के लिये नौजवान भारत सभा की स्थापना की थी।
भगत सिंह पहले एक किशोर के रूप में ब्रिटिश राज के खिलाफ क्रांतिकारी गतिविधियों में शामिल हुए था और क्रांति करने के लिएआज़ादी की लड़ाई में कूद पड़े। एक धर्म प्रयाण परिवार में जन्मे भगत सिंह बाद एक नास्तिक बन गए और यूरोपीय क्रांतिकारी आंदोलनों का अध्ययन करके वे अंग्रेजी साम्राज्य के विरुद्ध क्रांतिकारी आंदोलन की ओर आकर्षित हो गए । उन्होंने कई क्रांतिकारी संगठन में शामिल हो कर आज़ादी के संग्राम की अलख जगाने का अदभुत काम किया । भगत सिंह ने जब जेल में 64 दिन का उपवास किया।उन्होंने भारतीय और ब्रिटिश राजनीतिक कैदियों के लिए समान अधिकार की मांग की । उन्होंने कहा कि पुलिस लाठीचार्ज में वयोवृद्ध स्वतंत्रता सेनानी लाला लाजपत राय के निधन के प्रमुख आरोपी के जवाब में एक पुलिस अधिकारी की शूटिंग के लिए फांसी पर लटका दिया गया था। उनकी विरासत भारत में युवा प्रेरित भारतीय स्वतंत्रता के लिए लड़ाई शुरू करने और भारत में समाजवाद की वृद्धि करने के लिए योगदान दिया।भगत सिंह ने लिखा कि
हमें यह शौक है देखें, सितम की इन्तहा क्या है?
दहर से क्यों ख़फ़ा रहें, चर्ख का क्या ग़िला करें।
सारा जहाँ अदू सही, आओ! मुक़ाबला करें।।
सारा जहाँ अदू सही, आओ! मुक़ाबला करें।।
इन जोशीली पंक्तियों से उनके शौर्य का अनुमान लगाया जा सकता है। चन्द्रशेखर आजाद से पहली मुलाकात के समय जलती हुई मोमबती पर हाथ रखकर उन्होंने कसम खायी थी कि उनकी जिन्दगी देश पर ही कुर्बान होगी और उन्होंने अपनी वह कसम पूरी कर दिखायी।
Friday, 20 March 2015
Thursday, 19 March 2015
पानी के दाम बढ़ाकर दिल्ली की जनता से केजरीवाल सरकार ने क्यों किया धोखा ?अब क्यों बढ़ रही है दिल्ली में महंगाई ?
दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] क्या ऐसा नहीं लगता कि केजरीवाल सरकार ने पानी के दाम बढ़ा कर इस बात का दंड दिल्ली की जनता को दिया है कि उसने झूठ और धोखेबाज़ों के हाथ में प्रचंड बहुमत की सरकार क्यों सौंपी? विधानसभा चुनावों में जनता से बड़े -२ वायदे करनेवाली आप पार्टी अब सत्ता के नशे में चूर हो चुकी है ,इसीलिए वह अब अपनी मनमानी पर उत्तर आई लगती है। दिल्ली की जनता को मुफ्त पानी देने का वायदा करनेवाली 'आपकी' सरकार ने अब एक माह में 20 हज़ार लीटर से अधिक खर्च करनेवालों पर पानी के बिल में 10 प्रतिशत का सरचार्ज लगा कर यह सन्देश दे दिया है कि उसके असली इरादे क्या हैं ?आप पार्टी ने चुनाव में नारा दिया था 'बिजली हाफ और पानी माफ़ 'चुनाव जितने के बाद अपने कहे से पलटी मारकर सिर्फ 400 यूनिट तक के बिलों को रियायत का ऐलान किया गया और एक परिवार को प्रतिमाह 20 हज़ार लीटर पानी फ्री देने और इससे अधिक खर्च करनेवाले उपभोक्ताओं को पूरा बिल देने का निर्णय इस सरकार की धोखेबाज़ी का नमूना था। अभी लोगों को बिजली -पानी की छूटवाले बिल भी नही मिले हैं और सरकार ने पानी के दाम बढ़ाकर यह बता दिया है कि उनकी कथनी और करनी में अंतर है।कुर्सी पर जमने से पहले महंगाई का रोना रोनेवाले औरइसके लिए मोदी को दोषी ठहराने वाले केजरीवाल अब मुख्यमंत्री बन गए हैं फिर दिल्ली की जनता को महंगी सब्जियां क्यों खरीदनी पड़ रही हैं ? क्यों 'आप सरकार' इस ओर से आँखे चुराए हुए है ? इस बात का जवाब दिल्ली की जनता को चाहिए।
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