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Thursday 17 August 2017

दिल्ली की नगर निगमों के शासकों -प्रशासकों के यहां छापे कब लगवायोगे मोदी जी ?

दिल्ली।देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जहां कालेधन से  भारत को मुक्त करने की मुहीम चलाये हुए हैं वहीं उनकी नाक  के नीचे दिल्ली की तीनों नगर निगमों में उन्हीं की पार्टी के लोगों पर इस मुहीम का कोई असर देखने को नहीं मिल रहा है। पूर्वी दिल्ली नगर निगम आकंठ भ्रष्टाचार में डूबा हुआ है और सत्ता में आसीन भाजपा के लोगों की रूचि भी शायद  इसको स्वच्छ करने में दिखाई नहीं देती है।  निगम को भ्रष्टाचार  से मुक्ति दिलाने में क्यों सत्तारूढ़ दल के लोगों की रूचि नहीं है इसका कारण आसानी से समझा  सकता है।

                   पू दि न निगम के दोनों जोनो -शाहदरा उत्तरी और दक्षिणी के भवन विभाग में करोड़ों रूपये की बंदरबांट पिछले लम्बे समय से चल रही है  इसमें शासन और प्रशासन में बैठे लोग बराबर के भागीदार बने हुए हैं। बताया जाता है कि अधिकांश निगम पार्षद भी  भ्रष्टाचार में पूरी तरह से भागीदारी निभा रहे हैं।भवन विभाग में ऊपर से लेकर नीचे तक अवैध निर्माणों से उगाही गयी रकम का बंटवारा पद के हिसाब से होता है। इस विभाग में सारा खेल कनिष्ठ अभियंता और उनके द्वारा अपने - अपने अधीनस्थ वार्डों में रखे गए अवैध बेलदारों के माध्यम से चलाया जाता है। नगर निगम के प्रशासन ने जानबूझ कर भवन विभाग में नियमित बेलदारों की नियुक्ति नहीं की हुयी है। इस नीति के कारण भवन विभाग के जे ई और ऐ ई अपनी मर्जी से जिसको चाहें उसको अपने क्षेत्र में बिल्डरों से उगाही करने के लिए बेलदारों को नियुक्त किये हुए हैं। इन अवैध नियुक्तियों में कई अधिकारीयों और पार्षदों ने अपने निजी लोगों को नियुक्त किया हुआ है जो प्रतिमाह करोड़ों रूपये की उगाही करके अपने आकाओं तक पहुंचा रहे हैं। इस तरह से निगम के शासक और प्रशासक प्रधानमंत्री के कालेधन के विरुद्ध चलाये गए अभियान को पलीता लगाने में लगे हुए हैं। प्रधानमंत्री अगर नगर निगमों के भवन विभाग अवैध बेलदारों की ही जाँच करवा लें तो हज़ारों करोड़ की चल -अचल सम्पत्ति बाहर आ सकती है। अभियंता ,अधिकारी और नगर सेवकों के पास इकठा हुआ काला धन तो इससे भी कहीं अधिक होगा। जारी ......    

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