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Monday 22 February 2016

हरियाणा में जाटों ने आरक्षण को पाने की लालसा में विश्वास की पूंजी खो दी

हरियाणा में जाट आरक्षण आंदोलन के नाम पर हिंसा लूटपाट और आगजनी का जो नंगा नाच हुआ उसकी आग बेशक अभी तो शांत हो जाए लेकिन इसकी चिंगारी समाज के दूसरे समुदायों के दिलों में काफी लम्बे समय तक नहीं बुझ पायेगी। आंदोलन की आढ़ में जाटों ने  दूसरे समुदाय के लोगों के व्यावसायिक  प्रतिष्ठानो को जमकर लूटा और बाद में आग के हवाले करके अपनी वहशीपन  को  शांत किया । इस हिंसा लूटपाट और आगजनी को पुलिसवाले ने   भी यह सोचकर रोकना उचित  नहीं समझा क्योंकि एक तो वह लुटरे उनके जातिभाई हैं और इसकी सफलता में उनकी वर्तमान और भावी संतानों की सम्पन्नता और  उद्धार का मार्ग भी प्रशस्त होना है।  अब  आंदोलनकारी जाटों का यह कहना कि यह लूटपाट और आगजनी उन्होंने नहीं की बल्कि यह सब बाहर से आये लोगों ने किया है।जबकि उन लोगों ने  सारे  रास्ते अपने कब्ज़े में कर रखे थे और आर्मी तक को जाने के लिए हवाई मार्ग चुनना पड़ा  तो यह हिंसा करनेवाले लुटेरे कहां से और कैसे वहां पहुँच गए ? दुकानों को  लुटकर जलानेवाले और हिंसा करनेवाले जाट नहीं थे तो क्या उन्हें इस बात की जानकारी थी कि कौनसी दुकानें गैरजाटों की हैं और सिर्फ उन्हें ही आग के हवाले करना है ? तो क्या यह लुटरे और वहशी दरिन्दे तालिबानी थे ? क्या वो तालिबान या पाकिस्तान  या इराक या सीरिया से आकर यह तबाही का मंजर बना गए ? केंद्र सरकार लाख दावे करती रहे कि आर्मी को हरियाणा में तैनात करने में कोई देरी नहीं की गई लेकिन इसका लाभ क्या हुआ क्योंकि आर्मी के हाथ बांधकर हां  भेजा गया था।उसका भी एक सीधा सा राजनैतिक कारण यह दिखता है कि अगले साल  उत्तरप्रदेश के होनेवाले विधानसभा चुनावों में पश्चिमी  पट्टी के जाटों के वोट प्राप्त करने की लालसा। इस सारे घटनाक्रम के पीछे एक कारण  यह है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर का पंजाबी समुदाय से होना।हरियाणा के गठन 1966 से ही जाटों के दिमाग में यह बात बैठा दी गई है  कि हरियाणा सिर्फ उनका है और यहां पर राज करने का एकमात्र अधिकारभी  उन्हीं को प्राप्त है।और इसी सोच को कांग्रेस ने जाट नेता को सीएम की कुर्सी पर बार -बार बैठाकर हमेशा -हमेशा के लिए पुख्ता कर दिया। इसीलिए जाटों की इस सबसे बड़ी दिमागी फितरत और टीस ने विशेषतौर से पंजाबी समुदाय को ही अपना मुख्य निशाना बनाया। इस काम में हरियाणा की सभी राजनैतिक दलों की  जाट लॉबी ने प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से एकजुट होकर  सहयोग दिया और स्थानीय प्रशासन ने भी अपना कर्तव्य भूलकर संकुचित सोच के साथ आंदोलनकारियों का साथ दिया । इस हिंसात्मक आंदोलन के कारण भारी मात्रा में जानमाल का नुकसान झेलनेवालों की क्षतिपूर्ति अब कौन करेगा ?मेहनत --मजदूरी से कमाई जीवनभर की  पूंजी को अपनी आँखों से लुटता  देखनेवाली आँखों में क्या आरक्षण का लाभ लेनेवाले समुदाय  ने अपनी विश्वास की पूंजी को  नहीं लुटा दिया  ? 


Sunday 21 February 2016

देशद्रोहियों को संरक्षण देने के दोषी जेएनयू प्रशासन के खिलाफ भी हो कार्रवाई


हरियाणा के सीएम खट्टर राजनैतिक साज़िश का शिकार अपने भी हैं शामिल

 हरियाणा की स्थिति आर्मी जाने के बावजूद सामान्य नहीं हो पा रही। बताया  जा रहा है कि आर्मी मूकदर्शक बनी हुयी है और दंगाई बेखौंफ होकर अपनी मनमानी कर रहे हैं। रोहतक जिले के हालात बहुत ही गंभीर बने हुए हैं। यहां गैर जाटों को अराजक तत्व चुन -चुनकर अपनी हिंसा  का शिकार बना रहे हैं। दंगाइयों द्वारा स्थिति इतनी भयावह बना दी गई है कि यहां के लोग आर्मी की उपस्थिति के बावजूद अपने को असुरक्षित मान रहे हैं और दहशत के साये में जीने  मजबूर हैं। कहा यह जा रहा है कि कोई अदृश्य केंद्रीय प्रशासनिकशक्ति  आर्मी को ऐक्शन लेने से  रोके हुए है । कहा  तो यहां तक जा रहा है कि सीएम खट्टर के आदेशों के  बावजूद रोहतक के डीसी को आर्मी के दंगाई के विरुद्ध ऐक्शन लेने से केंद्रीय गृह मंत्रालय के उच्च अधिकारी रोके हुए हैं। अगर यह बात सत्य है तो यह बहुत बड़ी राजनीती हो रही है जो वोटों की खातिर एक समुदाय को दूसरे समुदाय से लूटपाट करने और हिंसा की छूट प्रदान किये हुए है। इस तरह से एक ओर सीएम खट्टर चाहते हुए भी हिंसा पर काबू नहीं कर पा रहे और दूसरी ओर अपने समुदाय पंजाबियों की नज़र में भी नकारा साबित हो जायेंगे। यह है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के चहेते हरियाणा के सीएम की कुर्सी पर बैठे श्री मनोहरलाल खट्टर को असफल करने की राजनैतिक साज़िश। सूत्रों का कहना तो यह भी है कि हरियाणा के भाजपा के जाट नेता भी इस हिंसा को परदे के पीछे से पूरा आशीर्वाद प्रदान किये हुए हैं क्योंकि उन्हें भी सीएम की कुर्सी पर किसी जाट के न होने की छटपटाहट खाए जा रही है और  इसीलिए  सीएम  मनोहर लाल खट्टर को एक नाकारा प्रशासक साबित करके कुर्सी से चलता करने राजनैतिक साज़िश।सूत्रों की माने तो इस साजिश में अपने को पाक -साफ दर्शाने के तहत ही कैप्टन अभिमन्यु के घर पर आगजनी करवाई गयी है। दूसरी और हरियाणा को आग के हवाले करवाकर कांग्रेस के पूर्व सीएम हुड्डा दिल्ली में जंतर -मंतर पर आकर भूख हड़ताल पर बैठ कर अपने को शांति का मसीहा बनाने की कवायद में जुट गए हैं जबकि रोहतक उनका अपना गृह जिला है और उनका घर भी वहां है लेकिन किसी भी दंगाई ने उस तरफ टेडी नज़र करने की कोशिश नहीं की। हकीकत तो यह है कि हरियाणा के सभी दलों के जाट नेता इस हालात में बराबर के और  भागीदार हैं और खुद को भविष्य में होनेवाली किसी जाँच से बचने की रणनीति। जो भी हो लेकिन अगर हरियाणा की इस  भयानक स्थिति पर शीघ्र ही नियंत्रण नहीं किया तो में यहां के हालात बहुत ही विस्फोटक हो जायेंगे तब उनका नियंत्रित करना बिलकुल आसान नही होगा।




Saturday 20 February 2016

खट्टर सरकार हिंसक जाट आरक्षण आंदोलन का अब कड़ाई से करेगी दमन ?

हरियाणा में जिस बात की आशंका थी वही हो गई आख़िरकार जाटों के आरक्षण आंदोलन ने हिंसात्मक रूप धारण कर ही लिया है और पूरा  हरियाणा धूं -धूं करके  जलने लगा है। इस बात की आशंका हमने पहले ही व्यक्त की थी और 18 फ़रवरी को ही अपनी एक रिपोर्ट में आंदोलनकारियों से अपील भी  की थी कि यह टाइम आंदोलन के लिए उचित नहीं है क्योंकि इस समय देश में बैठे बहुत से देशद्रोही विदेशी आकाओं के निर्देश पर देश के अधिकांश हिस्सों में 
उपद्रव फ़ैलाने की फ़िराक में हैं। इसकी संभावना जेएनयू की घटना के बाद और बढ़ चुकी है। और हमने यह  आशंका भी व्यक्त की थी कि यह अराजक तत्व आंदोलन में घुसकर हिंसा फैला सकते हैं जिसके कारण यह आंदोलन दागदार हो सकता है परन्तु आंदोलनकारियों को यह अपील रास नहीं आई और आख़िरकार उनके आंदोलन को अराजक तत्वों ने हाईजैक कर ही लिया है। अब पुरे राज्य में हिंसा फ़ैल चुकी है और मजबूरन सरकार को सेना को भी बुलाना पड़ा है। आगजनी और गोली चलने की घटना भी रोहतक में घट चुकी हैजिसमें बीएसफ के एक जवान के जख्मी होने और कुछ अन्य लोगों की मौत होने की भी खबर है। अब यह पूरी तरह से निश्चित हो गया है कि प्रशासन को न चाहते हुए भी इस आंदोलन का दमन ताकत से करना ही पड़ेगा क्योंकि कानून व्यवस्था को किसी भी तरह से बनाये रखना सरकार की पहली जिम्मेदारी होती है।  किसी भी व्यक्ति या समुदाय को अपनी मांग के लिए आंदोलन करने का अधिकार लोकतंत्र में है लेकिन किसी को भी हिंसा करने ,आगजनी करने और लूटपाट करने की छूट नहीं दी जानी चाहिए। अफ़सोस की बात है कि हरियाणा में इस समय जाट आरक्षण आंदोलन हिंसात्मक हो चुका है और पुरे प्रदेश में आगजनी ,हिंसा और लूटपाट का नंगा नाच असमाजिक तत्वों द्वारा किया जा  रहा है।  इस आंदोलन की हिंसा की भेंट करोड़ों रूपये की सरकारी और गैरसरकारी सम्पति आग में जलाकर स्वाहा कर दी गई है जिसकी जिम्मेदारी पूरी तरह से आंदोलनकारियों की ही मानी जाएगी ।यह सर्वोच्च न्यायलय का  स्पष्ट निर्देश सरकारों को है कि किसी भी आंदोलन के दौरान हुई सरकारी और गैरसरकारी सम्पति के नुकसान की भरपाई आंदोलनकारियों से करवाई जाए। हरियाणा सरकार को अब इस हिंसा को पूरी ताकत से काबू में करना चाहिए क्योंकि किसी भी आंदोलन को जब हिंसक तत्व अपने कब्ज़े में कर लें तो उसका दमन जरूरी होता है यह दमन सिर्फ और सिर्फ कड़ाई बरत कर ही किया जा सकता है और अब यह समय आ गया है। अगर हरियाणा सरकार अब भी नरमी बरतती है तो वो आम नागरिक के जनोमाल की सुरक्षा करने में असफल मानी जाएगी । आंदोलन का मतलब यह नहीं होना चाहिए कि सड़कों को अवरुद्ध  कर दिया जाये, रेल की पटरियों पर कब्ज़ा करके सरकारी और निजी सम्पति को तहस -नहस कर दिया जाए। इस बात को जाटों को भी समझना चाहिए कि वो अपनी मांग के लिए दूसरे लोगों को परेशान करेंगे तो उन्हें कुछ हांसिल नहीं होनेवाला। यह आंदोलन अब उपद्रव में तब्दील हो चूका है और इसको नहीं काबू किया गया तो इसमें सभी का ही नुकसान होना निश्चित है। हमें तो यह प्रतीत होता है कि इस आंदोलन के हिंसात्मक होने के पीछे एक और फैक्टर भी काम कर रहा है और वो यह  है कि हरियाणा के मुख्यमंत्री की कुर्सी पर किसी गैरजाट समुदाय के व्यक्ति का बैठना और यह बात कई जातिवादी लोगों के गले से नीचे नहीं उतरना। इन जातिवादी लोगों के दिलों में इस बात की टीस है कि पंजाबी  मनोहरलाल खट्टर मुख्यमंत्री के पद पर क्यों बैठ गए हैं ? जब से हरियाणा राज्य [1966 ]बना है तब से अधिकांश समय जाट समुदाय का व्यक्ति ही इस प्रदेश का मुख्यमंत्री बना है। और आश्चर्य का विषय यह है कि इस सब के बावजूद जाट अपने पिछड़ेपन से छुटकारा पाने को तैयार नहीं हैं क्यों?इस परम्परा को कांग्रेस ने ही शुरू किया था जिससे प्रदेश की दूसरी जातियों में रोष भी बना रहता था । राज्य में पहली बार भाजपा की पूर्ण बहुमत से सरकार आई और मोदी जी ने सीएम के पद पर पंजाबी समुदाय के मनोहर लाल खट्टर को आसीन करवाकर प्रदेश के दूसरे समुदायों को भी यह संदेश दिया कि राज्य में उनकी भी बराबर की भागीदारी है। लेकिन जाट समुदाय को यह बात अभी तक हज़म नहीं होती दिखाई देती और वो हरियाणा पर सिर्फ और सिर्फ अपना एकाधिकार समझते हैं ,जिसका रोष उनके दिलों में पनपता रहा और इस आंदोलन की आढ़ में इस रोष को भी बहुत से लोग हिंसा फैलाकर व्यक्त करने का सुनहरा अवसर मान बैठे हैं। सूत्रों से यह भी ज्ञात हुआ है कि इस आंदोलन को हिंसक बनाने में कई विपक्षी और सत्तापक्ष के जाट नेताओं का भी परदे के पीछे से समर्थन मिला हुआ है। इन लोगों का एक ही लक्ष्य है कि मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर को किसी भी तरह से फेल किया जाये। अब देखना यह है कि खट्टर किस तरह से इस राजनैतिक चक्रव्यहू से कामयाब होकर निकल पाते हैं। [अश्विनी भाटिया ]

Wednesday 17 February 2016

संकट के आंदोलन समय आंदोलन उचित नहीं जाटों से आंदोलन स्थगित करने की अपील

इस समय देश पर देशविरोधी ताकतों की टेढ़ी नजर है और देश की एकता -अखंडता और शांति -सदभाव पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। अतः यह समय आंदोलन के लिए उचित नहीं है  हरियाणा के   आंदोलनकारी जाटों से देशहित में आंदोलन स्थगित करने की अपील। देश के वर्तमान हालात इस समय अच्छे नहीं हैं। कुछ विदेशी ताकतों के इशारे पर देश के अंदर ही कुछ अलगाववादी लोग देश को बर्बाद करने की साजिशों में लगे हुए हैं और इनको कुछ राजनैतिक लोग भी अपना खुला समर्थन देकर भारत की एकता -अखंडता के लिए गंभीर चुनौती खड़ी कर रहे हैं। इस दौर में भारत के सभी राष्ट्रभक्त नागरिकों का यह
कर्तव्य बनता ही कि वो एकजुट होकर देशद्रोहियों के मंसूबों पर पूरी ताकत से प्रहार करे और अपने राष्ट्र की रक्षा करें। ऐसे दौर में जाट भाईओं के आरक्षण आंदोलन से कुछ राष्ट्रविरोधी तत्व नाज़ायज़ लाभ उठाकर देश की शांति -व्यवस्था को खराब कर सकते हैं।हमारे जाट भाईओं ने हमेशा ही देश के लिए बढ़चढ़कर कुर्बानी की है और इस राष्ट्र को मजबूत करने में अपना खून -पसीना एक किया है। चाहे देश को अनाज के मामले में आत्मनिर्भर बनाना हो या  सीमा पर दुश्मनों से देश को बचाना हो हर मोर्चे पर इन लोगों ने डटकर मुकाबला किया और देश का सम्मान बचाया। इस वीर जाति का हम सम्मान करते हैं और उनकी देशप्रेम की भावना को भी नत मस्तक हैं। उनके आरक्षण की मांग जायज़ हो सकती है पर यह समय आंदोलन का नहीं है क्योंकि देश में राष्ट्रविरोधी ताकतें अपना सर उठा रही हैं और इनको कुचलना सरकार की और हम सब देशवासियों की भी पहली प्राथमिकता बनती है। आंदोलन तो बाद में भी किया जा सकता है क्योंकि अपनी जायज़ मांग रखने का अधिकार हम सभी को हमारे सविंधान से मिला हुआ है। इतिहास गवाह है कि जब भी भारत माँ के सम्मान को किसी आततायी या गद्दार ने ठेस पहुंचाने का दुस्साहस किया उसका जाट जाति के शूरवीरों ने आगे बढ़कर नामोनिशान मिटा दिया और अपना बलिदान देना भी अपना सौभाग्य ही माना। देश पर अपना बलिदान देनेवाले भारत माँ के वीर सपूतों को हमारा शत -शत नमन है। जाट आंदोलनकारी नेताओं से हम  यह अनुरोध करते  हैं कि भारत माँ के दामन को बचाने के लिए अपना बलिदान देनेवाले असंख्य वीर सपूतों की कुर्बानी को दिलो -दिमाग में रखते हुए इस संकट के समय में अपना आंदोलन वापिस ले लें। यही जाट बंधुयों की ओर से उन भारत  बलिदानी पुत्रों को सच्ची श्रद्धांजलि होगी। जय भारत माता की। जय भवानी।[अश्विनी भाटिया ]


Tuesday 16 February 2016

देशद्रोहियों और उनके समर्थकों की धुलाई करके वकीलों ने निभाया अपना राष्ट्रधर्म


  • क बार देश के वकीलों ने यह साबित कर दिया है कि वो लोग किसी भी देशद्रोही को सबक सिखाने से पीछे नहीं हैं।जेएनयू में भारत विरोधी और आतंकवादियों के पक्ष में नारेबाजी करनेवाले देशद्रोहियों और उनके समर्थकों की दिल्ली की पटियाला हाऊस कोर्ट में वकीलों ने जमकर धुलाई करके अपने राष्ट्रधर्म को ही निभाया है।देश की आज़ादी की लड़ाई के दौरान भी वकीलों ने आगे बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया था और अपनी कुर्बानियां भी दी थी।अंग्रेजी हकूमत से कड़ी टककर लेकर वकीलों ने भारत के स्वतंत्रता आंदोलन की मशाल को जलाए रखा। वकीलों के देशप्रेम को हम शत -२ नमन करते हैं।देश के स्वाभिमान पर जब भी कोई आंच आई वकील समुदाय ने आगे बढ़कर उसका मुकाबला किया। जहां देश के कई बुद्धिजीवी सेकुलरता का लबादा ओढ़ कर देशद्रोहियों का समर्थन कर रहे हैं वहीं वकीलों ने देशद्रोह के आरोपियों और उनके समर्थकों द्वारा भारत विरोधी नारेबाजी करने पर उन गद्दारों का मुंह तोड़ जवाब दिया। देश की स्वाभिमानी जनता अपने राष्ट्रभक्त वकीलों पर गर्व करती है और उन लोगों को जो देशद्रोहियों के पक्ष में कहीं भी खड़े होते हैं उनको भी देशद्रोही ही मानती है। देशद्रोहियों की धुलाई करके वकीलों ने निभाया है अपना राष्ट्रधर्म। जहां पत्रकारिता की आढ़ में कुछ पत्रकार विदेशी एजेंडे के तहत देशद्रोहियों का साथ दे रहे हैं और राष्ट्र धर्म निभाने की बजाय देश के साथ धोखा कर रहे हैं वहीं वकील समुदाय देश के स्वाभिमान के लिए पूरी मजबूती के साथ अपनी आवाज़ बुलंद किये हुए हैं। हालाँकि वकीलों में भी कुछ ऐसे लोग मौजूद है जिनकी सहानुभूति आतंकवादियों और देशद्रोहियों की पैरवी करने में रही है परन्तु इनको अपने समुदाय में कोई सम्मान की दृष्टि से नहीं देखता है।भारत माँ को अपने ऐसे पुत्रों पर गर्व है जो अपनी माँ की लाज बचाने  हमेशा तत्पर रहते हैं।                                                         

राष्ट्र से ऊपर नहीं कथित बड़े पत्रकार। विदेशी एजेंडे और पैरोल पर काम करनेवाले की भी हो जाँच।

Monday 15 February 2016

जो सज़ा देश से गद्दारी करनेवालों की होती है वही सज़ा उनका समर्थन करने वालों की भी होनी चाहिए।

 जो लोग देशद्रोहियों के समर्थन में हैं और अफजलगुरू जैसे आतंकवादियों के जिंदाबाद करनेवालों के पक्ष में हैं वो सब भारत के गद्दार हैं ,मैं ऐसे सभी लोगों से कहता हूँ कि वो सब मेरे  देश के दुश्मन हैं और ऐसे देशद्रोहियों को  भारत की पवित्र भूमि पर भी कोई रहने की जगह नहीं मिलनी चाहिए। जे एन यू में जिस तरह से देशविरोधी नारेबाजी हुयी है और उन देशद्रोही छात्रों की गिरफ्तारी का विरोध करनेवाले नेता चाहे वो वामपंथी नेता हों , आपके नेता  हों ,जे डी यू के  नेता हो या कांग्रेस के राहुल गांधी ,यह सभी देश की एकता को चुनौती दे रहे हैं। जो भी देश के विरुद्ध बोलने वाले गद्दारों  और अफज़ल गुरु जैसे आतंकवादियों के जिंदाबाद के नारे लगानेवालों की गिरफ्तारी के विरुद्ध भौंक रहे हैं , इन सब के विरुद्ध देशद्रोह का मुकदमा चलना चाहिए। गद्दारों को बिलकुल सहन नहीं किया जा सकता चाहे वो कोई भी क्यों न हो। देशद्रोही छात्रों की गिरफ्तारी का विरोध करनेवालों की गिरफ्तारी की मांग हम करते हैं और अगर  के दुश्मनो को सबक सिखाने के लिए देशहित में सरकार को  कड़ी करवाई करनी होगी और अगर इमरजेंसी भी लगानी पड़े तो भी पीछे नहीं हटना चाहिए क्योंकि देश सबसे पहले है और इसका विरोध करनेवालों को किसी भी तरह की कोई सवैंधानिक छूट नहीं मिलनी चाहिए। आज इस बात की आवश्यकता भी  है कि हम  अपनी आँखें खोलकर चिर निंद्रा से जाग जाएँ चाहिए ताकि देश को फिर न कोई  दुश्मन किसी गहरी साजिश का शिकार बना ले।हमें यह भी समझ आ जाना चाहिए कि देश की हालत  वोट के भूखे सेक्युलर  नेताओं ने  क्या कर दी है जिसमें देश के गद्दार खुलकर भौकने लगे हैं।यह वोट के भूखे भेड़िये अब देश को भी दांव पर लगाने पर उत्तर आये हैं।आज आवश्यकता इस बात की भी है कि जो लोग खुलेआम देश की एकता -अखंडता को चुनौती देकर अफज़ल गुरु जैसे आतंकवादियों की जिंदाबाद करनेवालों की गिरफ्तारी पर सरकार की आलोचना कर रहे हैं ,वो कौन हैं और किस राजनैतिक दल से जुड़े हुए हैं ,इनको अच्छी तरह से पहचान कर अच्छा सबक सिखाया जाये।

Friday 12 February 2016

सेकुलरता के नाम पर और पत्रकारिता की आढ़ में देश से गद्दारी करनेवालों को गिरफ्तार किया जाए

देश के अंदर रहकर जो लोग देश के साथ गद्दारी कर रहे हैं वह तो विदेशी  दुश्मन से भी ज्यादा खतरनाक हैं और इनको कुचलने की कारगर नीति सरकार को बनानी चाहिए। देश के कथित सेकुलरता के झंडाबरदार नेता अपने कृत्यों से देश विरोधी ताकतों को अपना समर्थन देकर उनके हौंसले बुलंद किए हुए हैं ,ऐसे नेताओं को भी वही सज़ा मिलनी चाहिए जो देश के साथ द्रोह करनेवालों की होती है।यह वही लोग हैं जो आतंकियों का समर्थन करते हैं और उनके मारे जाने पर अपनी छाती पीट -पीट कर बुरा हाल कर लेते हैं और कोई आतंकी महिला को अपनी बेटी बताता है और कोई उसे अपनी बहन। सबसे खतरनाक बात तो यह है कि मीडिया के भी कई लोग भी विदेशी ताकतों के पेरोल पर देश में अलगाववाद को हवा देने का गुनाह कर रहे हैं।यह किसी भी आतंकी के सुरक्षाबलों के हाथों मारे जाने या कोर्ट से सज़ा मिलने पर भी विधवा विलाप करके देश का नाम बदनाम करते हैं। यह गद्दार कथित पत्रकार देश में पत्रकारिता के नाम पर आतंकवाद और अलगाववाद को बढ़ाने में जुटे हुए हैं। अब समय आ चूका है कि देश के अंदर बैठे ऐसे  गद्दारों को ,जो सेकुलरता की आढ़ लेकर और पत्रकारिता का लबादा पहनकर देश के अंदर देशविरोधी कामों में जुटे हुए हैं , को अविलम्ब  गिरफ्तार किया जाए और कड़ी से कड़ी सज़ा दिलवाई जाए।अगर मोदी सरकार ने भी अब इस आग पर काबू नहीं पाया गया तो बहुत देर हो जाएगी और फिर इस पर काबू पाना भी आसान  नहीं होगा और यह सरका भी देश की पूर्वर्ती सरकार की तरह नपुंसकता के रोग से ग्रस्त ही समझी जाएगी 

Saturday 30 January 2016

चौ. रामलाल भाटिया चैरिटेबल ट्रस्ट की ओर से ग्रामीण अंचल के निर्धन बच्चों को गर्म जर्सी का वितरण

 अलवर जिले की रामगढ तहसील के गढ़ी गांव के राजकीय उच्च [सीनियर सेकेंड्री ] विद्यालय में इस बार गणतंत्र दिवस बड़ी धूमधाम से मनाया गया। इस समारोह में चौ. रामलाल भाटिया चैरिटेबल ट्रस्ट के अध्यक्ष श्री अश्विनी भाटिया  मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। इस अवसर पर  श्री भाटिया ने अपने ट्रस्ट की ओर से  विधालय में पढ़नेवाले निर्धन वर्ग के  90  छात्र -छात्राओं को गर्म जर्सी का वितरण  किया। इस अवसर पर विधालय के  प्रधानाचार्य श्री कैलाश राम मीणा ने कार्यक्रम की अध्यक्षता की और राष्ट्रिय ध्वज तिरंगा फहरा कर समारोह का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम का मंच संचालन वरिष्ठ अध्यापक श्री ताराचन्द जी ने किया।  प्रधानाचार्य श्री कैलाश राम मीणा ने मुख्य अतिथि अश्विनी भाटिया का स्वागत करते हुए उनका धन्यवाद किया और कहा कि  उन्हें इस बात की ख़ुशी है कि भाटिया जी ने इस राष्ट्रिय पर्व पर निर्धन व् कमजोर वर्ग के बच्चों को गर्म जर्सी देकर उनके विधालय का मान बढ़ाया है जिसके लिए वह अपने विधालय की और से उनका आभार व्यक्त करते हैं।


  कार्यक्रम में विधालय के छात्र -छात्राओं ने राष्ट्र भक्ति से ओतप्रोत सांस्कृतिक कार्यक्रमों की सुन्दर प्रस्तुति रखी और देश की आज़ादी के संघर्ष में अपना बलिदान देनेवाले असंख्य भारत माँ के वीर -सपूतों  को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित की। समारोह में अपने विचार  हुए अश्विनी भाटिया ने कहा कि उन्हें इस बात की ख़ुशी है कि इस गॉव अन्न -जल उनकी रगों में हमेशा दौड़ता रहता है और शारीरिक रूप से उनको गॉव से दूर रहने पर भी हमेशा उनके मन -मस्तिष्क के नज़दीक होने का अहसास करवाता रहता है।उन्होंने कहा कि उन्हें इस बात का गर्व है कि  इस गांव की बुनियाद उनके दादा चौ.वधाया राम ने भारत विभाजन के बाद पंजाब के सरगोधा जिले से विस्थापित होने के बाद रखी थी और इस मिट्टी को अपनी कर्मभूमि बनाया ,इस नाते इस गॉव के सुःख -दुःख में उपस्थित रहना उनका पहला कर्तव्य है।चौ. रामलाल भाटिया चैरिटेबल ट्रस्ट का मुख्य धेय ही ग्रामीण अंचल के निर्धन और असहाय लोगों की सेवा करना है। श्री भाटिया ने इस अवसर पर घोषणा की कि शीघ्र ही इस विधालय में गरीब छात्राओं और महिलाओं के लिए निःशुल्क सिलाई -कढ़ाई केंद्र ट्रस्ट की ओर से स्थापित किया जा रहा है। ज्ञातव्य हो कि अश्विनी भाटिया की ओर से पिछले कई वर्षों से विधालय के 4 मेधावी बच्चों को चौ.रामलाल भाटिया ,चौ. वधाया राम भाटिया एवं पुष्पा भाटिया के नाम से अवार्ड दिया जाता है। 
            समारोह में स्वर्गीय मास्टर आज्ञा राम भाटिया के परिवार की ओर से7  मेधावी छात्र -छात्राओं को भी पुरस्कृत किया गया। गॉव के कई अन्य लोगों ने भी बच्चों को प्रोत्साहन के लिए नकद राशि दी।  गॉव के समस्त गण -मान्य लोगों में गढ़ी -धनेटा ग्राम पंचायत की सरपंच अफ़साना ,पूर्व सरपंच अयूब खान ,सरदार प्यार सिंह भाटिया ,पंच पृथ्वीराज भाटिया ,कुलवंत सिंह भाटिया ,रणजीत भाटिया ,राकेश भाटिया ,प्रेम भाटिया ,सतपाल  भाटिया ,धर्मपाल भाटिया ,सुशील भाटिया ,सूरज भाटिया ,चानन सहित बड़ी संख्या में महिला -पुरुष भी सम्मिलित हुए। 

Monday 4 January 2016

मोदी जी अब वार्ता नहीं युद्ध करो। भारत के नागरिकों की जान की कीमत पर हमें शांति नहीं चाहिए

भारत को अब और समय बर्बाद किये बिना आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान को सबक सीखा देना चाहिए क्योंकि अब एकमात्र यही विकल्प शेष है जिससे भारत की सीमाओं और बेकसूर नागरिकों की रक्षा की जा सकती है। भारत के नागरिकों की जान की कीमत पर हमें शांति नहीं चाहिए इस बात को हमारे शासकों को भी अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। पाकिस्तानी सरकार की हरकतों का जवाब भारत को अब पूरी ताकत से देना चाहिए ,क्योंकि इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान उस कुत्ते की तरह से है जिसकी दम 12 साल तक नलकी में रखी जाये फिर भी वह सीधी नहीं होनेवाली ? भारत की भूमि को छीनकर बने इस नापाक देश को जितना भी प्यार से समझा लो इसकी समझ में आनेवाला कुछ नहीं है।
 यह शैतान और आतंकी देश सिर्फ और सिर्फ ताकत की भाषा ही समझता है और अब समय आ गया है कि इसको युद्ध के द्वारा नेस्तनाबूद कर दिया जाए। पाकिस्तान को यह बताने का वक्त आ गया है कि अधिकृत कश्मीर ही नहीं पूरा का पूरा पाकिस्तान ही हमारा है और अब हम उसको हर कीमत पर लेकर रहेंगे। भाड़ में गई वार्ता और बातचीत क्योंकि यह इन सब चीज़ों को समझनेवाला देश नहीं है। हकीकत यह है कि पाकिस्तानी हुक्मरानों को यह भलीभांति यकीन हो चूका है कि भारत के शासक बातचीत में ज्यादा विश्वास रखते हैं और इनको अपने देश से ज्यादा चिंता इस बात की चिंता है कि उनके बारे में विश्व की क्या राय है ? अब देश इस बात को और अधिक दिन तक सहन नहीं कर सकता कि पाकिस्तान के घुसपैंठिये जब चाहे भारत में आकर बेकसूर लोगों को अपना शिकार बनाएं और आये दिन सीमा पर गोलीबारी करके जवानों को भी मौत के घाट उतारते रहें। इसके साथ ही कश्मीर के अलगाववादी लोगों को भी चाहे वो हुर्रियत हो या कोई और देश से गद्दारी की कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। अगर भारत की सरकार अब भी यह सोच रही है कि पाकिस्तान से वार्ता करके आतंक और सीमा के उल्लंघन की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी तो यह उसकी गलतफहमी है और इससे  भारत को भविष्य में बड़ा नुकसान हो सकता है। 

Thursday 22 October 2015

विजयदशमी के अवसर पर आतंकवाद के खात्मे का संकल्प ही श्री राम के प्रति हमारी सच्ची भक्ति है ।

सभी देशवासिओं को विजयदशमी पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। हम सब इस पर्व पर अपने आराध्य मर्यादा पुरषोत्तम भगवान श्री  राम के चरणों में अपना शत -2 नमन करते हैं। आइए हम भगवान राम के द्वारा स्थापित  सिद्धांतों और दिखाए गए मार्ग पर चलकर अपने राष्ट्र और धर्म के सामने चुनौती के रूप में खड़ी आतताई शक्तियों के समूल विनाश की शपथ लें,ताकि मानवजाति को विनाश की गर्त में जाने से बचाया जा सके। हमारा यही संकल्प ही हमारे द्वारा अपने भगवान श्री राम के प्रति सच्ची आस्था और भक्ति का सूचक होगी। जय श्री राम। 

Tuesday 13 October 2015

हमें अपने देवी - देवताओं की पूजा के साथ -साथ उनके सिद्धांतों को अपनाने से परहेज क्यों ?

सभी देशवासिओं को नवरात्रि के पावन पर्व की हार्दिक शुभकामनाएं। हम इन दिनों में माँ दुर्गा के 9 स्वरूपों की आराधना करते हैं और अन्न का त्याग करके उपवास भी रखते हैं। इन उपवासों का धार्मिक महत्व तो है ही लेकिन वैज्ञानिक महत्व भी कम नहीं है, क्योंकि यह चिकित्सा विज्ञानं भी कहता है कि जब मौसम बदल रहा हो तब हमें कम खाना चाहिए, इससे हम स्वस्थ बने रहते हैं।वर्ष में 2 बार नवरात्रि का पर्व आता है - एक बार जब ग्रीष्म ऋतु जा रही होती है और शरद ऋतू का आगमनहो रहा होता है अर्थात अक्टूबर में औरदूसरी बार जब शीत ऋतू जाने और ग्रीष्म ऋतू आगमन यानि अप्रैल माह में-इस तरह मौसम परिवर्तन के दौरान ही उपवास रखने और कम खाने की परम्परा हमारे धर्म की मान्यता है। धार्मिक आधार से भी  इस पर्व को आदिकाल से मनाने की परम्परा चलती आ रही है क्योंकि इन दिनों में की गई तपस्या और उपवास रखने से हमें नई ऊर्जा और विपरीत परिस्थितियों से लड़ने की प्रेरणा भी मिलती हैनवरात्रों में हम भवानी की आराधना करके अपने लिए सुखद और समृद्ध जीवन का वरदान मांगते हैं और अनिष्टकारी ताकतों के खात्मे की प्रार्थना करने मात्र से ही नवरात्रि को मनाने की इतिश्री कर लेते हैं। हम जानते हैं की दुर्गा माँ आदिशक्ति स्वरूप है और उसने एक से बढ़कर  एक बलशाली राक्षस का वध किया और  मायावी  आततायी - अधर्मी और अन्यायकारी आसुरी ताकतों का नरसंहार किया।भवानी की आराधना से हमें शक्ति प्राप्त होती है और हम इस शक्ति से धर्म का मार्ग प्रशस्त कर सकते हैं।माँ दुर्गे शेर की सवारी करती है और अपने हाथों में शस्त्र भी रखती है जिनसे हमे अपने धर्म और राष्ट्र की रक्षा की प्रेरणा मिलती है,परन्तु हम सिर्फ माँ की पूजा करके अपनी मनोकामनाओं को पूरा करने की अभिलाषा रखते हैं। अपनी रक्षा स्वयं करने की बजाय अपने देवी -देवताओं से मदद की गुहार लगाने की मानसिक बीमारी से ग्रस्त रहने के कारण हम एक हज़ार वर्ष तक विदेशी आसुरी ताकतों के गुलाम बने रहे। हमारे देवी -देवताओं ने अपने समय में आततायियों और अधर्मियों के विरुद्ध अपने शस्त्रों को उठाया और उनका इस धरती से समूल नाश किया। हमने अपने देवी - देवताओं की पूजा करनी तो सीख ली परन्तु उनके द्वारा स्थापित किये गए सिद्धांतों को अपने जीवन में उतारने से परेहज किया। देवी -देवताओं के दिखाए रास्तों पर न चलकर हमने अपने धर्म और राष्ट्र को गुलाम बना डाला। आज भी हालात ऐसे ही बने हुए हैं जिनमें मानवता को आतंकवादी और अन्यायकारी ताकतें चुनौती दे रही हैं। आज पूरे विश्व में आतंकवाद की आग लगी हुयी है और हम इस आग में कई दशकों से झुलस रहे हैं।हमने आदिकाल से ही अपने सामने आनेवाली चुनौतियों से लड़ने और उसके विरुद्ध उठ खड़े होने की बजाय सिर्फ अपने अवतारों की पूजा -आराधना करने में ही अपने को सुरक्षित होने का भ्रम पाले रखा और राष्ट्र और धर्म को गुलाम बना बैठे। साथ ही जिन माँ भारती के पुत्रों ने अपनी मातृभूमि और धर्म की रक्षा के लिए विदेशी आक्रान्ताओं के विरुद्ध आवज़ बुलंद की अधिकांश जन -समुदाय ने उनका साथ नहीं दिया। आज समय आ चुका है कि हमें अपने देवी - देवताओं की पूजा करने के साथ -साथ  उनके सिद्धांतों को अपने जीवन में आत्मसात करना चाहिए क्योंकि ऐसा करने में ही हमारे इष्ट प्रसन्न हो सकते हैं। हमें अपने भगवानों से चमत्कार करने की गुहार की बजाय अपने राष्ट्र -धर्म  की रक्षा स्वयं करने का प्रण लेना चाहिए। ऐसा करने में ही हमारी और हमारी आनेवाली नस्लों की भलाई है।भारत की सुरक्षा में ही हमारे धर्म और हमारी सुरक्षा निहित है।यही माँ दुर्गे और माँ भवानी की आराधना है और इसी प्रण से ही हमारा जीवन सुखद और समृद्ध हो सकता है ,इसी में ही मानवता की रक्षा है और विश्व  का कल्याण है। जय माँ भवानी। जय माँ दुर्गे।हमें 

Monday 21 September 2015

सरकारी षड्यंत्र का शिकार रही है हिंदी। भारत कब तक रहेगा विदेशी भाषा अंग्रेजी का गुलाम ?

भारत को आज़ाद हुए आज 68 वर्ष हो चुके हैं , लेकिन आज भी हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी विदेशी  अंग्रेजी के सामने बौनी बनी हुयी है। देश की आज़ादी के बाद जिन नेताओं ने भारत की बागडौर संभाली उनमें से  अधिकांश विदेशों में पढ़े -लिखे थे और उनकी सोच भी अंग्रेजी ही थी।अंग्रेज़ों की भांति ही इन नेताओं ने भी हिंदी को हेय समझा और अंगेज़ी को उच्च कुलीन वर्ग के सम्मान की भाषा माना। अपनी इसी दूषित सोच के  कारण उन्होंने भारत को अंग्रेज़ों से आज़ाद होने के बाद भी हिंदी भाषा को वह सम्मान नहीं दिया जो एक राष्ट्रभाषा को मिलना चाहिए था।अंग्रेज़ों के इन मानस पुत्रों ने  हिंदी को जानबूझ कर षड्यंत्र का शिकार बनाया  क्योंकि यह शासक वर्ग नहीं चाहता था कि शासितों और शासकों की भाषा एक ही हो। ऐसी कारण  हमें यह तो बताया गया कि भारत की राष्ट्रभाषा हिंदी है और राष्ट्रपिता महात्मा गांधी है , लेकिन हकीकत कुछ और ही थी जिसको आम जनमानस से छुपाया गया।आम आदमी के बच्चे जब हिंदी माध्यम से शिक्षित होकर रोजगार पाने के लिए निकले तो वहां अंग्रेजी ने उनको एक तरफ धकेल दिया ,अब हकीकत उन भोलेभाले लोगों के सामने आ गई कि भारत अंग्रेज़ों के शासन से बेशक आज़ाद हो गया है परन्तु उनकी भाषा अंगेज़ी की जंजीरों में अब भी जकड़ा हुआ हैऔर देश की  राष्ट्रभाषा हिंदी नहीं अंग्रेजी है। देश के कर्णधारों ने सोची -समझी साजिश के तहत सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले साधारण जनता के बच्चों को हिंदी भाषा पढ़ाने की नीति बनाई और अपने बच्चों को हिंदी से दूर रखकर कान्वेंट स्कूलों में अंग्रेजी भाषा की शिक्षा दी ताकि आगे चलकर वह भी उनकी ही तरह देश पर अपना वर्चस्व बनाए रखे और शासक की भूमिका निभाते रहें।सबसे अफ़सोस की बात यह है कि आज़ाद भारत की सरकारों ने हिंदी को इतना दयनीय बना दिया कि हिंदी परिवेश में पले  -बढ़े और उच्च शिक्षित लोगों को भी मामूली कामचलाऊ अंग्रेजी बोलने वालों के सम्मुख बौना बनाकर खड़ा कर दिया गया।शिक्षा नीति निर्धारकों ने जहां हिंदी सिखने वालों के लिए शुरुवात ही 'क से कबूतर ,ख से खरगोश और ग से गधा 'सिखाकर करवाई वहीं   अंग्रेजी की शुरुवात ही 'A से Apple और B से Boy और से Cat ' करके हिंदी को अंग्रेजी की तुलना में हीन बना दिया और हिंदी सिखने वाले को बौना।आज पूरे देश के शासन -प्रशासन के दफ्तरों से लेकर कोर्ट -कचहरी तक सब ओर हिंदी नदारद है और अंग्रेजी का वर्चस्व ही कायम  है। यह सोचने की बात है कि अगर भारत के शासन को अंग्रेजी तौर -तरीकों से ही चलाना था तो आम जनता को हिंदी का जाप क्यों रटाया गया ? शासकों ने क्यों अंग्रेजी को राष्ट्रभाषा के रूप में अघोषित रूप से आज तक लागु किया हुआ है?  क्या यह आम आदमी के साथ सरकारी षड्यंत्र नहीं है कि राग गाया जाये हिंदी का और सारा काम चलाया जाये अंग्रेजी में ,ऐसा क्यों, क्या इसके पीछे कोई षड्यंत्र तो नहीं है ? इसका  कारण यही है कि शासक नहीं चाहते कि शासित भी उन्हीं की तरह अंग्रेजी पढ़कर उच्च पदों पर आसीन हो जाएं। जनता को हिंदी में उलझाकर अपने बच्चों को अंग्रेजी माध्यम से शिक्षित करके नेताओं ने सभी सरकारी -गैर सरकारी उच्च पदों पर आसीन करके सभी सत्ता सोपानों पर अधिपत्य जमा लिया है। आज भी देश के उच्च और सर्वोच्य न्यायालय  में सिर्फ अंग्रेजी में ही न्याय मिल सकता है , हिंदी या किसी अन्य भाषा में नहीं। यह है हमारी राष्ट्र भाषा हिंदी की वास्तविक स्थिति। उच्च न्यायालयों में अगर कोई राष्ट्रभाषा हिंदी में अपनी फरियाद रखना चाहे तो उसको अंग्रेजी का अनुवाद भी देना अनिवार्य है क्योंकि हमारी न्याय की मूर्तियां हिंदी नहीं अंग्रेजी परिवेश में पली -बढ़ी हैं और उनकी सोचने की शक्ति अंग्रेजी में ही अधिक प्रखर होती है।सरकार भी साल के  365 दिन में से मात्र 14 दिन का एक पखवाड़ा हिंदी -दिवस के नाम पर मनाकर अपने कर्तव्य की इतिश्री करने की लीक पीटती आ रही है। कितनेअफ़सोस की बात है कि राष्ट्रभाषा के नाम पर करोड़ों रुपये खर्च करके सिर्फ खानापूर्ति ही की जाती है और व्यवहार में गुलामी की प्रतीक अंग्रेजी को अहमियत दी जाती है। आज जब से नरेंद्र मोदी की सरकार देश की सत्ता पर काबिज़ हुई है तब से राष्ट्रभाषा हिंदी को उसका सम्मान देने की चर्चा जोरों पर चल पड़ी है और सरकार इस पर कुछ गंभीर होती भी  प्रतीत हो रही है। अगर हमारी सरकार वास्तव में ही भारत को विश्व में महान राष्ट्र के रूप में स्थापित करने का सपना अपने मन में संजो चुकी है तो उसको पूरी ताकत से सर्वप्रथम राष्ट्र भाषा हिंदी को जनमानस की भाषा से शासन -प्रशासन की सरकारी भाषा बनाने का कार्य करना होगा , ऐसा करने के बाद ही भारत महान बन सकता है।यह प्रमाण हमारे सामने हैं कि विश्व के वही  देश आज महान और शक्तिशाली बन पाएं हैं  जिनकी अपनी राष्ट्रभाषा है। आज विश्व का  कोई भी ऐसा विकसित देश चाहे वह जापान ,चीन ,रूस ,जर्मनी ही क्यों न हो इनको देखें तो यही साबित होता है कि इन देशों ने अपनी भाषा को राष्ट्र भाषा बनाकर अपने देश को महान देशों की कतार में खड़ा किया न कि  गुलामी की प्रतीक किसी विदेशी भाषा को अपनी राष्ट्रभाषा के रूप में अघोषित रूप से जनता पर थोपकर। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से देश का जनमानस  यह अपेक्षा करता है और यह विश्वास भी है कि वह देश के जनमानस में रची -बसी  हमारी राष्ट्रभाषा हिंदी को उसका उचित गौरव दिलाकर हिंदी को दीन  -हीन  नहीं बना रहने दें हिंदी को शासन -प्रशासन के कामकाज की सरकारी भाषा बनवाएं और देश की जनता को उन्हीं की भाषा में न्यायालयों से  भी न्याय दिलाने की व्यवस्था प्रदान करें। ऐसा होने पर हमें फिर हिंदी -दिवस मनाने की नहीं अपितु अंग्रेजी के प्रेमियों को अंग्रेजी -दिवस मनाने की जरुरत पड़ेगी। क्योंकि राष्ट्रभाषा हिंदी तो  हर पल हर स्थान पर उपस्थित होगी और इस भाषा को आत्मसात करके भारत के लोग स्वयं को गौरान्वित तो महसूस करेंगे ही साथ ही हमारा देश भी विश्व पटल पर अपनी राष्ट्रभाषा के ताज को पहनकर महान और स्वाभिमानी स्वतंत्र राष्ट्र के रूप में अपनी पहचान बना सकेगा। जय हिन्द ,जय हिंदी। 

Saturday 12 September 2015

दिल्ली विश्वविद्यालय के छात्र हैं मोदी के साथ। एबीवीपी ने फहराया एकबार फिर जीत का परचम।



दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में  लगातार दूसरी बार बीजेपी से जुड़ी अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ABVP) ने सभी सीटों (चार) पर पुनः कब्जा जमा लिया है । यह जीत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की नीतियों पर देश की राजधानी दिल्ली के युवा शक्ति के समर्थन की मोहर मानी जा रही है।दिल्ली छात्र संघ के इन नतीज़ों का सन्देश पुरे देश में जायेगा और बिहार विधानसभा चुनावों से पहले इस चुनाव में मिली जीत से बीजेपी गद -गद है। इन नतीज़ों का असर बिहार के चुनावों पर पड़ना लाजमी है क्योंकि  दिल्ली में बिहार के छात्रों की बहुत बड़ी संख्या है। यह जीत एक तरह से मोदी सरकार की नीतियों की जीत मानी जा सकती है और विरोधिओं के लिए खतरे की घंटी। इन चुनावों ने इस बात को भी उजागर कर दिया है कि दिल्ली का युथ अरविन्द केजरीवाल के साथ नहीं है और वह आप सरकार की नीतियों के विरुद्ध है। यह चुनाव परिणाम केजरीवाल के लिए आनेवाले दिनों के लिए शुभ संकेत नहीं है।  
       कांग्रेस से जुड़ी एनयूसीवाई दूसरे नंबर पर रही। दिल्ली में 67 सीटों के साथ सरकार बनाने वाली आम आदमी पार्टी की स्टूडेंट यूनिट सीवाईएसएस कोई कमाल नहीं कर पाई। ज्ञात हो कि इस बार अरविंद केजरीवाल की पार्टी की स्टूडेंट यूनिट ने पहली बार दिल्ली विश्वविद्यालय छात्र संघ चुनाव में हिस्सा लिया था। छात्र संघ के अध्यक्ष सतेंदर अवाना , उपाध्यक्ष सनी डेढ़ा , अंजली राना सचिव और छत्रपाल यादव ने सहसचिव के पद पर जीत विजय हांसिल की है । चुनाव नतीजे के एलान के साथ ही एबीवीपी समर्थकों ने जश्न मानना शुरू कर दिया है। बीजेपी दफ्तर के बाहर भी जश्न का माहौल है। इस बार DUSU इलेक्शन में सीवाईएसएस को गेम चेंजर के तौर पर देखा जा रहा था, लेकिन नतीजों में वह तीसरे नंबर पर लटक गई।

Tuesday 1 September 2015

क्या उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी का आरोप संकीर्ण सोच से ग्रस्त है ? इससे भारत की छवि को ठेस नहीं पहुंचेगी ?



नई दिल्ली। उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी ने मोदी सरकार से मुस्लिम समाज से भेदभाव की गलती सुधारने की मांग की है। उन्होंने कहा है कि भारतीय मुस्लिमों को अपनी पहचान, सुरक्षा, शिक्षा एवं सशक्तीकरण बरकरार रखने में समस्या आ रही है। और मुस्लिमों को आ रही समस्याओं पर सरकार को गंभीरता से लेना चाहिए और इसे दूर करने के लिए सकारात्मक कदम उठाने चाहिए। उप राष्ट्रपति हामिद ने मोदी सरकार के सबका साथ सबका विकास की तर्ज पर मुस्लिमों की पहचान एवं सुरक्षा को मजबूत करने की मांग की है।क्या अंसारी जी का मोदी सरकार पर यह आरोप सही है या किसी सोची -समझी रणनीति का हिस्सा है ? देश के उपराष्ट्रपति जैसे महत्वपूर्ण पद पर आसीन हामिद अंसारी का यह बयान किस सोच को प्रदर्शित करता है ? क्या इस बयान का यह अर्थ नहीं निकलता कि भारत में मुसलमानों के साथ भेदभाव हो रहा है और उनकी पहचान और सुरक्षा खतरे में है। यह कहना बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण है कि अंसारी जी की सोच संकीर्ण मानसिकता को प्रदर्शन करती प्रतीत होती है। ऐसा क्यों है कि कोई ऐसा व्यक्ति जो उपराष्ट्रपति हो और वह सरकार पर एक धर्म के अनुयायिओं के साथ भेदभाव करने का  गंभीर आरोप लगाए तो यह सोचना पड़ेगा ही कि या तो वास्तव में ऐसा हो रहा है या फिर जानबूझकर संकीर्ण मानसिकता के कारण साम्प्रदायिक सोच  को उजागर किया जा रहा है ? यहां एक बात तो सत्य है कि भारत के मुसलमान किसी भी अन्य इस्लामिक देश के मुसलमानों से अधिक भारत में अपनी पहचान को मजबूती से बनाए हुए हैं और बहुत अधिक सुरक्षित हैं। और तो और यहां यह भी कहना किसी भी तरह से असत्य नहीं है कि कांग्रेस ने अपनी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति के तहत ही हामिद अंसारी जी को उपराष्ट्रपति पद पर आसीन किया अन्यथा और बहुत से योग्य व बुद्धिजीवी विद्वान देश में उपस्थित थे जो इस पद पर आसीन हो सकते थे। क्या हामिद अंसारी ने ऐसा कहकर मुस्लिम तुष्टिकरण की उस नीति का उदाहरण पेश किया है जिसको कांग्रेस और अन्य दल मुस्लिम वोटों की खातिर अपनाकर देश की सत्ता पर काबिज़ रहे हैं। इसी मुस्लिम तुष्टिकरण की नीति की प्रतिक्रिया में नरेंद्र मोदी  2014 के आम चुनाव में भारी बहुमत से जीतकर  देश की सत्ता पर काबिज़ हुए हैं और यह परिवर्तन बहुत से साम्प्रदायिक सोच वाले नेताओं ,संगठनों ,और कथित धर्मनिरपेक्षता के झंडाबरदारों के गले से अभी तक  नीचे नहीं उत्तर रहा है और शायद उपराष्ट्रपति हामिद अंसारी जी भी उनमें से ही एक हैं। एक जिम्मेदार पद पर बैठे मुस्लिम महानुभाव की यह बहुत ही आपत्तिजनक बयानबाज़ी है जो विश्व में भारत की सर्वधर्म सदभाव की छवि को नुकसान पंहुचाने का काम कर सकती है। अच्छा होता कि महामहिम हामिद अंसारी मुसलमानों से यह अपील करते कि वह सब भारत की संस्कृति को आत्मसात करके अपनी अलग पहचान की कुत्सित मानसिकता का त्याग करके देश की मजबूती को कायम करने का काम करें। अफ़सोस की बात है कि कुछ लोग चाहे कितने भी बड़े क्यों न बन जाएं परन्तु उनकी छोटी सोच बड़ी नहीं बन पाती।

Sunday 30 August 2015

बिहार में सत्ता के स्वार्थी नेताओं का महा गठबंधन या महा ठगबंधन ?

बिहार के आगामी विधानसभा चुनावों में नरेंद्र मोदी का मुकाबला करने के लिए राष्ट्रिय जनतादल के   लालूयादव ,नितीश कुमार ,समाजवादी के मुलायम सिंह और कांग्रेस के सोनिया - राहुल गांधी जैसे लोगों ने मिलकर महागठबंधन बनाया है। क्या यह महागठबंधन महाठगबंधन नहीं है ? जिस  भानुमति के कुनबे में पशुओं का चारा खानेवाले लालू यादव जैसे चाराचोर , घोटालों के महानायक  और सत्ता के बिना मछली की भांति छटपटा रहे सोनिया -राहुल  , बिहार में कुशाशन के प्रणेता सत्ता लोभी  नितीश कुमार जो सत्ता की लोलुपता के लिए किसी से भी हाथ मिलाने से परहेज नहीं कर रहे और यूपी में अराजकता और गुंडाराज कायम रखनेवाले सपाई मुलायम सिंह एंड कम्पनी शामिल है , उस गठबंधन को महाठग बंधन क्यों नहीं कहा  जाए ? इस गठबंधन में शामिल सभी लोगों का न तो कोई सिद्धांत है और न ही कोई स्पष्ट नीति है , इसलिए यह स्वार्थी लोगों का एक गिरोह है जो सिर्फ प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता से भयभीत होकर अपने वर्चस्व को बचाने  और सत्ता हथियाने का अंतिम प्रयास कर रहा है। और सबसे बड़ी आश्चर्य की बात यह है कि इनके साथ आज के बड़े सबसे कथित ईमानदार नेता और स्वच्छ राजनीती के कथित पुरोधा अरविन्द केजरीवाल भी शामिल होकर बिहार की जनता को गुमराह करके ठगने का प्रयास कर रहे हैं।

Wednesday 26 August 2015

परमाणु बम से कहीं ज्यादा घातक हो सकता है आरक्षण का हथियार । भारत को तोड़ने की हो सकती है विदेशी साजिश ?

आरक्षण का दानव धीरे -2 जिस तरह से अपने पैर पसार रहा है उससे यह लगने लगा है कि एक दिन यह बीमारी भारत के विनाश का कारण बन सकती है। हमारे देश के राजनैतिक दल अपने स्वार्थों की पूर्ति के लिए दिन -प्रतिदिन इस आरक्षण के झुनझुने को हिला कर नित नई जातिओं और समुदायों को आरक्षण का लालच देकर उकसाने में लगे हुए हैं। ऐसा लगता है की अब विदेशी ताकतें भारत के लोगों को आपसी झगड़ों में उलझाने के लिए आरक्षण के हथियार को आजमाने में जुट गई हैं। हमारे देश के सत्ता के लोभी नेताओं और दलों को भी सिर्फ और सिर्फ अपनी कुर्सी को बनाये रखने की चिंता है, चाहे इसके लिए देश की अंदरुनी शांति ही क्यों न बलिदान कर दी जाए। विदेशी ताकतों की हर संभव यही कोशिश वर्षों से रही है कि किसी भी तरह से भारत को कमजोर और खंडित किया जाए। अपने नापाक मंसूबों को पूरा करने के लिए इन ताकतों ने अथाह धन -सम्पत्ति भी खर्च की है और इसको अनुदान के रूप में देश के अंदर काम करनेवाले कई गैर सरकारी संगठनों ने आर्थिक सहायता के रूप में  प्राप्त भी किया है। ऐसे कई संगठनों की मोदी सरकार ने जाँच भी की है और कई संगठनों का पंजीकरण भी रद्द किया जा चूका है। आजकल आरक्षण के नाम पर भारत में आपसी जातीय संघर्ष के बीज बोने का काम कुछ देश विरोधी ताकतों द्वारा किया जा रहा है। इसका ताज़ा उदाहरण शांत गुजरात में पटेल आरक्षण के नाम पर की जा रही हिंसा है ,जोकि किसी भी तरह से देश के हित में नहीं है। भारत के सुप्रीम कोर्ट द्वारा स्पष्ट किया जा चूका है कि  आरक्षण की सीमा  किसी भी स्थिति में 50 प्रतिशत से अधिक नहीं हो सकती। अफ़सोस की बात यह है कि इसके बावजूद भी कुछ स्वार्थी नेता अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए जाति -समुदायों को आरक्षण देने की कवायद में लगकर देश के लोगों में आपसी प्रेम को वैमनस्यता में बदलने की नापाक कौशिश में लगे हुए हैं। जिस गुजरात में पिछले 13 वर्षों से हिंसा नहीं हुई थी और लोग प्रेम और शांति से अपना विकास कर रहे थे, उसको बर्बाद करने के प्रयास किये जा रहे हैं। गुजरात को पटेल आरक्षण के नाम पर कुछ ऐसे लोगों ने हिंसा की आग में धकेल दिया है जो कि देश विरोधी और समाज विरोधी ताकतों के हाथों में खेल रहे हैं।धर्म के आधार पर ,कभी भाषा के आधार पर और अब आरक्षण के आधार पर भारत को आंतरिक युद्ध में उलझाने की साजिश चरम पर पहुंच गई लगती है। लोगों को विशेष रूप से हिन्दुओं को अब जाति के आधार पर लड़ाने की भारत विरोधी साजिश चल रही है और उसका हथियार जाति -आरक्षण बनता जा रहा है। इस साजिश में जाने -अंजाने हार्दिक पटेल जैसे कई युवा बन रहे हैं जो कम समय और कम मेहनत करके अधिक से अधिक पाने की मानसिकता के हैं। इस मानसिकता के लोग किसी भी हद तक जाने की कोशिश करते हैं चाहे उनकी इस हरकत से देश या समाज खंडित ही क्यों न हो जाए। अब देश की सरकार को भी इस बात की तह तक जाना चाहिए कि किन ताकतों के बल पर एक 22 वर्ष का युवक हार्दिक पटेल गुजरात जैसे विकास के रोल मॉडल राज्य की हंसती -खेलती जनता को हिंसा के हवाले कर देता है ?चिंता इस बात की भी की जानी चाहिए कि कुछ विदेशी ताकतों के बल और पैसे से भारत के भीतर बैठे गद्दार किस्म के लोग देश में अराजकता का माहौल बनाने में कामयाब भी होते दिखाई दे रहे हैं। इस बात को हमें भली -भांति समझ लेना चाहिए कि भारत के लिए परमाणु बम से कहीं ज्यादा घातक हो सकता है आरक्षण का हथियार जिससे हमारा समाज ,लोकतंत्र ,धर्म -संस्कृति और एकता -अखंडता लहू -लुहान हो सकती है। इस आरक्षण के हथियार से सुगम तरीके से सत्ता पाने वाले हमारे राजनैतिक दलों को अपनी हरकतों से बाज़ आ जाना चाहिए अन्यथा इसी हथियार से विदेशी ताकतें भारत को विनाश की गर्त में धकेल सकती हैं जहां पर न तो सत्ता भोगने वाले स्वार्थी नेता और न ही नौकरी और तरक्की की लालसा में आरक्षण चाहनेवाली जातियां -समुदाय बचे होंगे।

Monday 24 August 2015

भारत को बार -बार परमाणु बम की धमकी देकर अपने अंत को बुलावा दे रहा है पाकिस्तान।

 पाकिस्तान के नेता और फौजी कमांडर बार - बार भारत को अपने परमाणु बम की धमकी देकर क्या युद्ध के लिए उकसा  रहे हैं ? हमारा कहना  तो यह है कि पाकिस्तान इस गीदड़  भभकी को देकर  अपने अंत को निमंत्रण दे रहा है। वास्तविकता यह है कि इस बार भारत -पाक युद्ध हुआ तो  पाकिस्तान नामो -निशान दुनिया के नक़्शे से मिट जायेगा और उसका नाम लेवा भी नहीं बचेगा। पाकिस्तानी नेताओं और सेना की यह गीदड़ भभकी का जवाब भारत अवश्य देगा ,लेकिन वह  थोड़ा सा समय का इंतज़ार करें। इस बार का युद्ध पहले के युद्धों से भयंकर होगा जिसका स्पष्ट परिणाम निकलेगा।
    राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) स्‍तर की बाचचीत रद्द होने के बाद पाकिस्तान ने फिर भारत को धमकी दी है। इस बातचीत के कैंसिल होने के बाद पाक में बौखलाहट शुरू हो गई है। पाकिस्‍तान ने अब इशारों में परमाणु बम की धमकी दी है।सूत्रों के अनुसार, पाकिस्तान ने कहा है कि हम खुद परमाणु संपन्न देश हैं और हम जानते हैं कि खुद की रक्षा कैसे करनी है। हमारे पास एटम बम है और हम अपनी हिफाजत कर सकते हैं। अपनी हिफाजत करना हमें आता है।यह पाकिस्तान की बौखलाहट ही है कि वहां के शासक यह जानते हुए भी कि वह भारत से आमने -सामने के  मुकाबले में कहीं भी नहीं ठहर सकते , लेकिन वह आतंक के हथियार से हमारा मुकाबला करना चाहते हैं। पाकिस्तानी आतंक के इसी हथियार से कई बार हमारे देश को जख्मी कर चुके हैं और अभी भी दिन -रात इसी काम में लगे हुए हैं।भारत से पाकिस्तान पूर्व में 4 युद्ध लड़ चूका है और हर बार मुंह की खा चूका है लेकिन उसके शासक और फ़ौज़ अपनी हरकतों से बाज़ नहीं आ रहे।अब भारत के संयम की परीक्षा लेना पाकिस्तान को महंगा पड़ेगा।उनको यह बात समझ लेनी चाहिए कि भारत के पास भी परमाणु शस्त्र हैं और उनको भी अपनी रक्षा के लिए भारत हर हाल में इस्तेमाल करके रहेगा। इस भुलावे में शायद पाकिस्तान के लोग हैं कि भारत परमाणु बम को इस्तेमाल नहीं करेगा और उन्हें [पाक ] ऐसा करने की छूट देगा। भारत -पाकिस्तान  के बीच लड़ा जाने वाला  अबकी बार का युद्ध पाकिस्तान के खात्मे की कहानी लिखेगा , यह पाकिस्तान और उसके प्रेमियों को भली -भांति समझ में आ जाना चाहिए । पाकिस्तान की इस धमकी के बारे में आपकी क्या राय है ?   

Saturday 22 August 2015

मोदी जी अब वार्ता नहीं युद्ध करो। पाकिस्तान हमारा है और अब हम उसको लेकर रहेंगे।

  • भारत को अब और समय बर्बाद किये बिना आतंक की फैक्ट्री पाकिस्तान को सबक सीखा देना चाहिए क्योंकि अब एकमात्र यही विकल्प शेष है जिससे भारत की सीमाओं और बेकसूर नागरिकों की रक्षा की जा सकती है। भारत के नागरिकों की जान की कीमत पर हमें शांति नहीं चाहिए इस बात को हमारे शासकों को भी अच्छी तरह से समझ लेना चाहिए। पाकिस्तानी सरकार की हरकतों का जवाब भारत को अब पूरी ताकत से देना चाहिए ,क्योंकि इतिहास गवाह है कि पाकिस्तान उस कुत्ते की तरह से है जिसकी दम 12 साल तक नलकी में रखी जाये फिर भी वह सीधी नहीं होनेवाली ? भारत की भूमि को छीनकर बने इस नापाक देश को जितना भी प्यार से समझा लो इसकी समझ में आनेवाला कुछ नहीं है। यह शैतान और आतंकी देश सिर्फ और सिर्फ ताकत की भाषा ही समझता है और अब समय आ गया है कि इसको युद्ध के द्वारा नेस्तनाबूद कर दिया जाए। पाकिस्तान को यह बताने का वक्त आ गया है कि अधिकृत कश्मीर ही नहीं पूरा का पूरा पाकिस्तान ही हमारा है और अब हम उसको हर कीमत पर लेकर रहेंगे। भाड़ में गई वार्ता और बातचीत क्योंकि यह इन सब चीज़ों को समझनेवाला देश नहीं है। हकीकत यह है कि पाकिस्तानी हुक्मरानों को यह भलीभांति यकीन हो चूका है कि भारत के शासक बातचीत में ज्यादा विश्वास रखते हैं और इनको अपने देश से ज्यादा चिंता इस बात की चिंता है कि उनके बारे में विश्व की क्या राय है ? अब देश इस बात को और अधिक दिन तक सहन नहीं कर सकता कि पाकिस्तान के घुसपैंठिये जब चाहे भारत में आकर बेकसूर लोगों को अपना शिकार बनाएं और आये दिन सीमा पर गोलीबारी करके जवानों को भी मौत के घाट उतारते रहें। इसके साथ ही कश्मीर के अलगाववादी लोगों को भी चाहे वो हुर्रियत हो या कोई और देश से गद्दारी की कड़ी सज़ा मिलनी चाहिए। अगर भारत की सरकार अब भी यह सोच रही है कि पाकिस्तान से वार्ता करके आतंक और सीमा के उल्लंघन की समस्या से मुक्ति मिल जाएगी तो यह उसकी गलतफहमी है और इससे  भारत को भविष्य में बड़ा नुकसान हो सकता है। 

Tuesday 18 August 2015

नेताजी की रहस्य को उजागर करने से क्यों डरती हैं सरकारें ? क्या मोदी जी यह साहस करेंगे ?

भारत माँ के वीर सपूत ,स्वाधीनता संग्राम के महानायक नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की पुन्यतिथि पर उनके चरणों में हमारा शत -शत नमन। अफ़सोस की बात यह है कि आज़ाद भारत के शासकों ने उनको वह सम्मान नहीं दिया जिसके वह पात्र थे। हालाँकि उनकी मृत्यु को लेकर आज तक रहस्य बना हुआ है और आज़ाद भारत की सरकारों ने भी इस रहस्य से पर्दा हटाने में जानबूझकर कोई प्रयास नहीं किया। भारत की जनता अभी तक इस सच्चाई से वंचित है कि आखिर आज़ादी की लड़ाई के यह महान योद्धा अचानक  कैसे ,कहां और क्यों गायब हो गए ? क्या इसके पीछे कोई बहुत घिनौना राजनैतिक षड्यंत्र था या कोई सामान्य दुर्घटना थी ? क्या देश की वर्तमान राष्ट्रवादी और भारत की पुरातन संस्कृति की रक्षा करने और  महापुरषों को सम्मान दिलाने का दम्भ भरनेवाली नरेंद्र मोदी सरकार इस रहस्य से पर्दा उठाने का साहस करेगी कि आखिर नेताजी के साथ क्या हुआ और वह अचानक कहां लुप्त हो गए ? 

Sunday 16 August 2015

देश के बंटवारे और लाखों बेकसूरों की मौत के दोषी लोग ही आजाद भारत -पाकिस्तान के मसीहा बन गए ।

 दिल्ली [अश्विनी भाटिया ] क्या हमने कभी इस बात को सोचा  कि अपनी आज़ादी  [15 अगस्त ] के दिन को पाने के लिए कितने लोगों ने अपनी जान को कुर्बान किया है ? शायद यह हमारी कल्पना से भी दूर की बात है कि आज़ादी के लिए कितने अभागे लाखों गुमनाम लोगों,जिन्हे इतिहास के किसी पन्ने पर भी कोई जगह नहीं मिल पाई है , ने अपने प्राणो की आहुति दे दी थी और वो इस दिन को भी नहीं देख पाये । इसके साथ -२ एक बात और है कि जहां भारत -पाकिस्तान की हकूमत पानेवाले लीडर जशन मनाने में व्यस्त हो गए वहीं देश के करोड़ों अभागे लोगों को अपने घरों से बाहर होना पड़ा था , इन लोगों को आज़ादी के दिन की बजाए एक भयानक संकट  ने घेर लिया और इनके सिर पर मौत अपना तांडव करने लगी। एक ही जमीन पर सदियों से रहनेवाले लोग मजहबी आधार [हिन्दू - मुसलमान ] पर हुक्मरानों द्वारा बाँट दिए गए और वह एक -दूसरे को कत्ल करने में जुट गए । इंसानियत ने शैतानियत का रूप धारण कर लिया और दोनों तरफ की सरकार हाथ पर हाथ रख कर बैठे रही। दोनों ओर मासूम बच्चों -बूढ़ों का खून पानी की तरह बहाया जाने लगा और वहशी दरिंदे अबोध लड़कियों और असहाय महिलाओं की इज्जत को तार - तार करने को अपना धर्म मानकर कुकर्म में जुट गए। 

  •     भारत का बंटवारा दुनिया की मानव निर्मित ऐसी पहली त्रासदी थी जिसमें हुक्मरानों की बजाए रियाया का तबादला किया गया। जनता की  इस अदला -बदली में लगभग 10 लाख से ज्यादा बेगुनाह लोगों को कत्ल कर दिया गया और करोड़ों लोगों को अपना सब कुछ छोड़कर अपने घरों से बेघर होना पड़ा । इस कत्ले -आम का कोई दोषी था तो वह उस वक्त के लीडर थे [चाहे वे मुस्लिम लीग के हों चाहे कांग्रेस पार्टी के ]  जिन्हें हकूमत को पाने की जल्दी थी और अपनी सत्तालोलुपता के वशीभूत होकर वह अपनी इंसानियत को भी भूल चुके थे। इस लालसा के कारण ही वह निरीह जनता को शैतानों के रहमो -करम  पर छोड़कर जश्ने -आज़ादी में डूब गए । सत्ता के लोभी लीडरों ने सत्ताभोगने के लिए भारत माँ का सीना चीर दिया  और उसके आँचल की छाँव में पलनेवाले उसके बेटों -बेटियों को एक -दूसरे के लहू का प्यासा बना दिया।भारत माँ के लाखों बेटे -बेटियों ने इन हुक्मरानों की सत्ता की हवस को पूरा करने के लिए अपने प्राणों की आहुति दे दी।  इन अनाम शहीदों  के चरणों में हमारा शत - शत नमन। जिन लाखों बेकसूर लोगों को 1947 में बंटवारे के दौरान मौत के घाट उतार दिया गया उन बेकसूरों के प्राणों के बदले ही हमें यह आज़ादी  मिल पायी है। अफ़सोस इस बात का है कि आज़ाद भारत की समस्त सरकारों ने उन शहीदों को भुला दिया है।हम बंटवारे की भेंट चढ़े अपने लाखों बहन -भाइयों को अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं। 

     हिंदुस्तान को दो हिस्सों भारत -पाकिस्तान में बाँटने के और लाखों लोगों की मौत के जिम्मेदार अंग्रेजी हकूमत के साथ -साथ मुस्लिम लीग और कांग्रेस के लीडर भी हैं। इन सत्ता के भूखे  लीडरों को कुर्सी पाने की लालसा ने  इतना अँधा बना डाला था कि उन्हें लाखों लोगों की मौत और करोड़ों लोगों को बेघर करने की कीमत पर भी हकूमत पाने का सौदा सस्ता लगा और वह लोग आज़ाद भारत और पाकिस्तान के मसीहा बनकर अपने - अपने हिस्से में पुजने लगे। किसी को , राष्ट्रपिता किसी को  चाचा और किसी को कौम का बाबा की उपाधि से सुसोशोभित कर दिया गया ,  लेकिन भारत माँ अपने शरीर के दो हिस्से होने और अपनी लाखों संतानों की मौत के  दर्द से आज भी कराह रही है। क्या इस भयानक सच्चाई से हम भारत और पाकिस्तान के लोग कोई सबक ले पाए हैं ?इसका जवाब तलाशने पर नहीं में ही मिलता है। जय हिन्द।

Friday 14 August 2015

स्वाधीनता दिवस की हार्दिक शुभकामनाएं। देश के स्वतंत्रता -संग्राम में कुर्बान हुए शहीदों के चरणों में हमारा शत - शत नमन।

''वॉयस ऑफ़ भारत डॉट इन '' मीडिया परिवार की ओर से स्वाधीनता दिवस की समस्त देशवासियों को हार्दिक शुभकामनाएं। हम इस अवसर पर अपने उन असंख्य शहीदों को शत -२ नमन करते हैं जिनकी कुर्बानी के कारण हम आज खुली आज़ादी में साँस ले पा रहे हैं। देश की आज़ादी की कीमत हमें चुकाने के लिए भारत का विभाजन स्वीकार करना पड़ा। बड़े ही अफ़सोस  की बात है कि हमारे कुछ सत्तालोलुप नेताओं की  लालसा के कारण देश का एक बहुत बड़ा भाग भारत माँ के सीने को चीरकर पाकिस्तान जैसे  नासूर के रूप में स्वीकार करने को मजबूर होना पड़ा। पाकिस्तान जैसी आतंक की फैक्ट्री को  हमेशा के लिए पैदा करके हमारे देश के कुछ बड़े नेताओं की सत्तालोलुपता ठंडी हुई थी और यह नासूर रूपी नापाक देश  आज भी भारत के लिए एक बहुत बड़ा सिरदर्द बना हुआ  है । भारत विभाजन के कारण कई लाख बेकसूर भारत माँ के बच्चे -बूढ़े ,जवान ,लड़कियां और महिलाओं को अकारण क़त्ल कर दिया गया और करोड़ो लोगों के लिए आज़ादी की सुबह बहुत बड़ी तबाही और त्रासदी लेकर आई थी। देश विभाजन के दौरान मारे  गए लाखों बेकसूर लोगों को भी हमें याद रखना चाहिए और उनको भी अपनी भावभीनी श्रद्धांजलि देना नहीं भूलना चाहिए। आइए हम इतिहास में की गई अपने कथित बड़े नेताओं की भूलों से सबक लेते हुए , इस अवसर पर हम सब अपने भारत को  एक  शक्तिशाली ,गौरवशाली ,समृद्धशाली ,अखंड राष्ट्र और विश्वगुरु बनाने का संकल्प लें।

क्या ईमानवालों को काफिरों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने से ही मिलती है जन्नत ?


 ईमानवालों को काफिरों [गैरमुसलमान ]  की लड़कियों  के साथ बलात्कार करने से ही मिलती है जन्नत ? क्या इस्लाम में ऐसा करना गुनाह नहीं है और अगर यह ठीक है तो फिर यह मजहब कैसे प्रेम और भाईचारे का पैगाम देता है ? दुनिया के सबसे खतरनाक आतंकी संगठन ISIS की क्रूरता के एक और कहानी सामने आई है। एक अंग्रेजी अखबार में छपी खबर के मुताबिक ISIS की चंगुल से छूटकर आई लड़कियों ने कुछ ऐसे खुलासे किए हैं जिसे सुनकर ऐसा लग है कि इस्लाम के नाम पर गुनाह करना पाप नहीं पुण्य कार्य है।  दुनिया के दुर्दांत आतंकी संगठन  ISIS के चंगुल से छुटकर आई एक 12 साल की लड़की ने एक अंग्रेजी अखबार को बताया कि आतंकी लड़कियों के साथ रेप करते हैं और जब उनका विरोध करो तो कहते हैं कि इस्लाम के मुताबिक काफिरों का रेप करना गुनाह नहीं है।लड़की ने बताया कि आतंकी कहते हैं कि रेप करने से उन्हें जन्नत मिलेगी। गौरततलब है कि ISIS ने पिछले साल यजीदी समुदाय की 5000 से ज्यादा महिलाओं और लड़कियों को किडनैप कर लिया था। अफ़सोस की बात यह है आतंकी ऐसी करतूतें इस्लाम के नाम पर कर रहे हैं। क्या इस्लाम के पैरोकार और जानकार आईएस के द्वारा किये जा रहे इन कुकर्मों और उनको जायज़ ठहराने के लिए की जा रही बकवास का विरोध करने का साहस रखते हैं ? क्या  इस्लाम का मुसलमानों  के लिए यही पैगाम है कि काफिरों की हत्या और उनकी महिलाओं के साथ बलात्कार करने से ही उनको जन्नत मिलेगी ?  इस बारे में आपकी क्या राय है ?

Wednesday 12 August 2015

सत्ताविहीन होकर '' पानी बिन मीन '' जैसी तड़प रही कांग्रेस संसद को बंधक बनाकर कर रही है जनादेश का अपमान

क्या देश को कांग्रेस ने खोखला  नहीं किया ? करोड़ो के घोटाले करनेवाली कांग्रेस की सरकार को जनता ने सत्ता से बाहर कर दिया,परन्तु सत्ता के बिना कांग्रेस की तड़प  ''बिन पानी के मछली ''जैसी नहीं हो गई है ? जो सवाल सुषमा स्वराज ने आज संसद में सोनिया -राहुल गांधी से पूछे हैं, क्या उनका जवाब जनता को नहीं मिलना चाहिए ? क्या कांग्रेससंसद को बंधक बनाकर मोदी सरकार को मिले जनादेश का अपमान नहीं कर रही ? इस पर आपकी क्या राय है ?

Tuesday 11 August 2015

महादेव से हमारी यही कामना है कि वह भारत में मौजूद अंदरुनी व बाहरी आसुरी ताकतों का सर्वनाश करें।

शिवरात्रि की सभी देशवासिओं को हार्दिक  शुभकामनाएं। इस अवसर पर महादेव से हमारी यही कामना है कि वह भारत में मौजूद अंदरुनी व बाहरी आसुरी ताकतों का सर्वनाश करें। इसके साथ ही वो अपने अनुयायिओं को भी इतनी ताकत दे कि हम अपने राष्ट्र ,संस्कृति और धर्म के अस्तित्व को चुनौती दे रही आततायी ताकतों का मुंहतोड़ जवाब दें सकें। आदिदेव -देवों के देव  -महादेव भगवान शिव से हमारी यही प्रार्थना है कि पुरे विश्व में सनातन धर्म का डंका  बजता रहे। ॐ  नमो शिवाय। 

Monday 10 August 2015

I S का 2020 तक भारत पर कब्ज़े का इरादा। किस मजहब का पैरोकार है I S , क्या कथित सेकुलर इसका जवाब देंगे ?

ऐसी खबरें मीडिया में आ रही हैं कि विश्व का सबसे खूंखार आतंकी संगठन आई एस  का यह नापाक सपना है कि 2020 तक वह भारत सहित दुनिया के बहुत बड़े भाग पर अपना अधिपत्य कायम कर लेगा। इस्लामिक स्टेट पर एक नयी पुस्तक में दिए एक नक्शे के मुताबिक इस दुर्दांत आतंकी संगठन की योजना दुनिया के बड़े हिस्से में अगले पांच साल में अपना प्रभुत्व कायम करने की है जिसमें लगभग समूचा भारतीय उपमहाद्वीप शामिल है भारत माँ के वीर सपूतों की रगों में जब तक खून की एक भी बून्द बाकी है तब तक  आई एस 5 वर्ष क्या 1000 साल तक भी अपने  इस नापाक इरादे को पूरा नहीं कर सकता। भारत भूमि इन नापाक लोगों की कब्रगाह बन जाएगी। परन्तु सबसे बड़ा सवाल यह उठता है कि इस पर भारत के कथित सेकुलर क्या अब भी यही कहेंगे कि आतंक का कोई धर्म नहीं होता ? यह आईएस किस मजहब के नाम पर मानवता को लहूलुहान कर रहा है और ऐसा करने के पीछे आखिर उसका मकसद क्या है ?क्या धर्मनिरपेक्षता की दुहाई देनेवाले और इस्लाम को प्रेम और भाईचारे का धर्म बतानेवाले इस्लाम के पैरोकार आईएस के इस इरादे के मुखालफत करने की कोई पहल करेंगे ? आईएस के  नक्शे के मुताबिक इस्लामिक स्टेट ऑफ इराक और सीरिया (आईएसआईएस) की योजना मध्य पूर्व, उत्तर अफ्रीका, अधिकांश भारतीय उप महाद्वीप और यूरोप के हिस्से पर अगले पांच साल के अंदर कब्जा कर अपना खिलाफत कायम करने की है।मिरर अखबार ने नक्शे का हवाला देते हुए बताया है कि खिलाफत..शरियत कानून द्वारा संचालित राज्य है जिसे आईएसआईएस कायम करना चाहता है। इसके दायरे में स्पेन से लेकर चीन तक को लाने का मंसूबा है। नक्शे के मुताबिक स्पेन, पुर्तगाल और फ्रांस के हिस्से को अरबी में ‘अंदालुस’ नाम दिया गया है जिस पर ‘मूरों’ ने आठवीं से 15 वीं सदी के बीच कब्जा किया था जबकि भारतीय उपमहाद्वीप को ‘खुरासान’ नाम दिया गया है।